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स्कूल का पहला दिन पर निबंध

first day of school essay in hindi

By विकास सिंह

my first day at school in hindi

विषय-सूचि

स्कूल का पहला दिन पर निबंध (my first day at school essay in hindi)

यह स्कूल में मेरा पहला दिन था। मेरे पास एक नया बैग, पानी की बोतल, नई किताबें, जूते और मोजे और साथ ही डोरा आकार का टिफिन बॉक्स था। मैं इन सभी नई चीजों के साथ स्कूल जाने के बारे में खुश था, लेकिन मुझे जो दुख हुआ वह यह था कि मुझे नए दोस्त भी बनाने थे। इसलिए, मैं उस दिन खुद मेरे लिए एक दोस्त खोजने के लिए भगवान से पूछने के लिए घर छोड़ने से पहले प्रार्थना कक्ष में भाग गया।

मुझे लगा कि स्कूल का मेरा पहला दिन बहुत उबाऊ होगा – अकेले बैठे हुए केवल नोट्स की नकल करना और दूसरों को अपने दोस्तों के साथ बात करते और हँसते हुए देखना। मैं अपनी कक्षा में पहुँच गया। जब मैं नया था तब सभी मुझे देख रहे थे। सुकर है! शिक्षक तेजी से आया, क्योंकि सभी चिल्ला रहे थे। हमें अपना परिचय देना था। जब मैंने अपना परिचय दिया और अपनी जगह पर बैठा तो मुझे अचानक अपनी पीठ से एक छोटी सी आवाज़ सुनाई दी। किसी ने कहा, “मुझे माफ कर दो” और मैं घूम गया।

मेरे आश्चर्य करने के लिए यह एक सुंदर लड़की थी। “हाँ” मैंने कहा, और फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसका दोस्त बन सकता हूँ? मैं बहुत खुश था कि मैं खुद को हाँ कहने से रोक नहीं पाया। स्कूल के पहले दिन एक दोस्त !! घर पहुँचने के बाद मैं प्रार्थना कक्ष में भाग गया और भगवान का धन्यवाद किया क्योंकि स्कूल जाने से पहले मैंने भगवान से उस दिन मेरे लिए एक दोस्त खोजने के लिए कहा था। उसका नाम बेथ है। वह सात साल की है और उसका जन्मदिन 13 मई को है, जो मेरा है। हम अभी अच्छे दोस्त हैं और तभी से हम एक साथ कई गतिविधियाँ करते हैं। हम हमेशा हमेशा के लिए सबसे अच्छे दोस्त होंगे।

my first day at school

पाठशाला का पहला दिन पर निबंध (essay on my first day at school in hindi)

उस दिन परिवार बेहद उत्साहित था। मेरे माता-पिता मुझे पिछले दिन मंदिर ले गए थे और मेरा बैग बहुत देखभाल के साथ पैक किया गया था। मुझे अपने जीवन में पहली बार पाठशाला जाना था। मैं तीन साल का था और मुझे आज भी याद है कि मैं पहली बार पाठशाला गया था। मेरे पिता मुझे अपनी कक्षा में छोड़ने आए और मुझे अपने शिक्षक और कक्षा से परिचित होने में मदद की। मुझे घर से इतने घंटे दूर रहने के ख्याल से नफरत थी। कार से उतरते ही मैंने आँसू बहा दिए और मेरे पिता का हाथ थाम लिया।

मेरे पिता मेरे डर को महसूस कर सकते थे और खेल के मैदान पर मेरा ध्यान आकर्षित करके मुझे खुश करने की कोशिश करते थे, जहां झूले मुझे आने और खेलने के लिए आमंत्रित कर रहे थे। मैं थोड़ा बेहतर हूं क्योंकि मैंने कई अन्य लड़कों और लड़कियों को कक्षा में प्रवेश करते हुए देखा, जहां मुझे जाना था।

श्रीमती स्मिथ वह एक दयालु महिला थीं, जिन्होंने हम सभी को सहज महसूस कराया। जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि स्कूल मजेदार था क्योंकि श्रीमती स्मिथ ने हमें कुछ गाने सिखाए और हमें कुछ कहानियाँ सुनाईं। उसने हमारे पाठशाला में हमारी माँ की जगह ली।

मेरा साथी मेरे साथ अपना दोपहर का भोजन साझा करने लगा। हम सबसे अच्छे दोस्त बन गए और जल्द ही मुझे अपने पाठशाला से प्यार हो गया। हालाँकि आज भी, जब मैं पाठशाला 1 में अपने पहले दिन के बारे में सोचता हूँ, तो मुझे उस डर को याद करना चाहिए जो मेरे पास था और कैसे मेरे शिक्षक और मेरे दोस्तों ने इस भावना को दूर करने में मेरी मदद की।

पाठशाला में पहले दिन की मेरी यादें आज तक मुझे परेशान करती हैं। फिर कभी मैंने अजीब भावनाओं के मिश्रण का अनुभव नहीं किया है। नए दोस्त बनाने के उत्साह के साथ-साथ स्कूल में होने की चिंता-इन सभी ने स्कूल में मेरा पहला दिन सबसे यादगार बना दिया और मैं उस मासूमियत और मस्ती के लिए लंबी हो गई जो मेरे और मेरे दोस्तों के बीच आम थी।

विद्यालय का पहला दिन पर निबंध (essay on my first day at school in hindi)

यह एक चमकदार धूप का दिन था, मेरी माँ ने मुझे स्कूल के मुख्य द्वार पर गिरा दिया। मैंने एक गहरी साँस ली और मुख्य द्वार की ओर चलने लगा। मैं एक भावनात्मक उथल-पुथल में था। मैं उत्तेजित था, डर गया और थोड़ा सा घबरा गया।

मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया क्योंकि मैंने बाकी सभी बच्चों को देखना शुरू किया। अधिकांश समूह में थे और सभी हंसते और मुस्कुराते हुए बात कर रहे थे। मैं बहुत छोटा महसूस करता था, जैसे कि मैं एक एलियन था, जो अभी-अभी धरती पर आया था। मैं वापस जाना चाहता था लेकिन यह संभव नहीं था। जब मैं स्कूल के मुख्य भवन में पहुँचा तो मैं स्वागत क्षेत्र तक गया जहाँ मैंने अपने कक्षा कक्ष के बारे में पूछताछ की।

इसके बजाय, मुझे लगा जैसे मुझे सिर्फ हत्या के लिए गिरफ्तार किया गया था। मुझे एक साथ लगभग 5 प्रश्नों के साथ बमबारी की गई थी। मैंने उन सभी को जवाब दिया।

मैं एक जोकर की तरह प्रत्येक वर्ग में गया, क्योंकि हर कोई मुझे देखता था क्योंकि मैंने उनकी तरह कपड़े नहीं पहने थे। मुझे लगा कि कोई आकर मुझे ‘हैलो’ कहेगा। आज तक, मैं अभी भी इंतजार कर रहा हूं। मुझे या मेरी तरह जानने के लिए किसी ने भी यहां समय नहीं लिया। मुझे पता है कि वे सभी मुझे जज करते हैं, क्योंकि मैंने भी उन्हें जज किया है।

अंत में, मैंने अपनी कक्षा को पाया और पाया कि दो शिक्षकों ने वास्तव में मुझे प्रभावित किया, जिसने मुझे आश्चर्यचकित किया; मुझे नहीं लगा कि पूरे स्कूल में कोई मुझे प्रभावित करेगा। शिक्षक ने मुझे कक्षा में एक नए छात्र के रूप में पेश किया और मुझे अपनी सीट दिखाई। मैं एक विज्ञान मॉडल की तरह महसूस कर रहा था और वे मुझ पर प्रयोग करने जा रहे थे।

विराम में, मैं अपनी कक्षा से बाहर आया, कैंटीन में अकेला बैठा था और अपनी माँ और पिताजी को याद कर रहा था। फिर से, मैं अपनी कक्षा में वापस चला गया। मैं बहुत अकेला महसूस कर रहा था। अंतिम अवधि एक नृत्य अवधि थी। हर कोई अपने साथियों के साथ नाच रहा था लेकिन मैं अकेला बैठा था। दिन के अंत में, मुझे अभी भी नए स्कूल से नफरत थी, अपने सभी पुराने दोस्तों को याद कर रहा था।

हालाँकि, जैसे-जैसे समय बीतता गया, मैंने नए दोस्त बनाए। आज, मैं एक शानदार छात्र और फुटबॉल टीम का कप्तान हूं। मैंने अब स्कूल जाना सीख लिया है।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Kya sachmuch aapke school ka pahla din aaisa Gaya tha

Bahut hi Ganda hai modern jamane ke hisaab se lekin whasy achacha hai

Bhaut Bai Kar ha 😠😠😠😡😡

Page love Jo ISA banay ha🤮👹👹👹👹👹👺👺💀☠️💩💩💩💩💩

it is fine telling lie bikar hai

it was amazing and agar tum log ko lagta hai ki bekar hai to khud isse accha likh ke dikhao

bohot acha hai agar tomare lie bekar hai to khud post kar lo ek essay unho ne itni mehnat ki he

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विद्यालय का पहला दिन निबंध,कविता व विचार First day of school essay, poem, quotes in hindi

First day of school essay in hindi.

mera school ka pehla din essay in hindi-विद्यार्थियों के जीवन में स्कूल का पहला दिन जब आता है तो यह दिन उनके लिए खुशी भी लाता है लेकिन थोड़ा गम भी लाता है क्योंकि एक और वह स्कूल में पहली बार आते हैं तो उन्हें थोड़ा डर का एहसास होता है वहीं दूसरी ओर स्कूल में उन्हें उन्हीं की तरह विद्यार्थी यानी उनके साथी मिल जाते हैं जिनके साथ रहकर वह खुशी का अनुभव करते हैं।

First day of school essay in hindi

मेरे स्कूल का पहला दिन मेरे लिए एक यादगार दिन है सुबह सुबह मेरी मां ने मुझे जल्दी जगाया और मुझे नहलाया तब मेरी उम्र 4 साल थी मैं बच्चा था मुझे कुछ भी ज्यादा समझ नहीं थी मैं समझ गया था कि आज मुझे पहली बार स्कूल जाना है क्योंकि उसके एक दिन पहले ही मैं अपने पिता के साथ स्कूल गया हुआ था वहां पर अध्यापक ने मुझसे कुछ सवाल किये थे और मैंने उनका जवाब दिया और मेरा स्कूल में एडमिशन हो गया था।

अब मैं स्कूल जाने के लिए तैयार हो रहा था नहाने के बाद मेरी मां मुझे नाश्ते में दूध के साथ में टॉस लेकर आए मैंने बहुत ही मजे से टॉस खाये। उसके बाद मैंने स्कूल की ड्रेस पहनी मैंने अपने स्कूल की ड्रेस जब पहले दिन पहनी थी तव मुझे अच्छा लग रहा था ड्रेस के साथ मैंने काले रंग के स्कूल के जूते पहने। मैं अपनी ड्रेस और जूतों को पहन कर बहुत खुश था क्योंकि जब भी मेरे माता-पिता मुझे कुछ नई चीज दिलवाते थे तो मुझे खुशी होती थी मैं अपने पापा के साथ मोटरसाइकिल पर बैठकर स्कूल की ओर जाने लगा जहां स्कूल की ड्रेस पहनते हुए मुझे खुशी हो रही थी वहीं पहली बार स्कूल जाने में मुझे डर लग रहा था।

मैं पाप से पूछ रहा था कि पापा क्या आप मुझे छोड़ कर वापस आ जाओगे इसी के साथ मैं डरा हुआ था तभी स्कूल का वह दरवाजा आ गया जहां पर हम पिछले दिन भी आए थे दरवाजे के बाहर एक चौकीदार खड़ा हुआ था हम अंदर क्लास रूम में गए। मेरे पापा मुझे पहली क्लास की ओर ले गए जैसे ही वह मुझे पास में ले गए तो मैंने देखा कि वहां पर मेरी ही तरह बहुत सारे विद्यार्थी हैं मुझे डर नहीं लगा क्योंकि मैंने सोचा कि चलो मैं इनके साथ में खेल लूंगा।

मेने देखा कि उस क्लास में हमारी कॉलोनी के कुछ और लड़के भी हैं जो मेरे साथ खेलते हैं तो मुझे बहुत खुशी हुई मैं क्लास में अंदर गया और उनके पास में बैठ गया। मेने टीचर को गुड मॉर्निंग बोला टीचर ने मेरा नाम पूछा मेरे बारे में पूछा और मुझे चॉकलेट भी दी मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मुझे पहले डर लग रहा था लेकिन मेरे अपने ही दोस्त मेरी कक्षा में थे और साथ में मेरी एक अच्छी सी टीचर थी तो मुझे खुशी हुई। पहले दिन टीचर ने हम सब के बारे में जाना और फिर पढ़ाई शुरू की। लगभग 4 पीरियड हो जाने के बाद हमारा लंच हुआ मेरी मम्मी ने टिफिन में मेरे लिए कुछ खाने के लिए रखा था मैंने उस टिपिन को खोलकर देखा तो उसमें मेरे मनपसंद आलू के पराठे रखे हुए थे।

में अपने और दोस्तों की तरह ही एक जगह बैठकर पराठे खा रहा था मैं बहुत ही खुश हुआ उसके बाद कुछ ही समय बाद हम वापस हमारी क्लास में आ गए और हम हमारी जगह पर बैठ गए तब एक और टीचर हमारी क्लास में आई उन्होंने हमें पढ़ाया समझाया। पहले दिन हमें कुछ भी खास समझ में नहीं आया क्योंकि सभी बच्चे यही सोच कर डर रहे थे कि पता नहीं हमारे टीचर हमें क्या सिखाएंगे और क्या हम सीख पाएंगे? उसके बाद और भी टीचर आए हमें और भी विषय पढ़ाए उसके बाद हमारे स्कूल की छुट्टी हो गई।

स्कूल की छुट्टी जैसे ही हुई सभी विद्यार्थी स्कूल से बाहर जाने लगे उनके साथ मैं भी जाने लगा तो मैंने देखा कि मेरी कक्षा के बाहर मेरे पापा खड़े हुए हैं मैं उनके पास गया उन्होंने मेरी उंगली पकड़ी और बाहर तक मुझे ले गए। मैंने देखा कि मेरे दोस्तों को भी उनके पापा लेने के लिए आए हुए हैं वहां पर लगभग हर बच्चे के मां बाप उसे लेने के लिए आए हुए थे फिर हम हमारी मोटरसाइकिल पर बैठकर घर की ओर चल पड़े।

घर पहुंच कर मुझे अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि उस स्कूल में मेरी तरह और भी कई विद्यार्थी थे मैं उनसे बातें कर रहा था,पढ़ाई कर रहा था उनके साथ मुझे यह सब अच्छा लग रहा था लेकिन तभी एक आशा भी थी कि मैं अगली सुबह स्कूल जाऊंगा और अपने दोस्तों से मिलूंगा। मैंने अपना स्कूल का पहला दिन बहुत ही अच्छी तरह गुजारा। में स्कूल जाते समय जो डर रहा था स्कूल जाने के बाद वह मेरा डर लगभग खत्म हो गया था ।

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विद्यालय का पहला दिन पर कविता first day of school poem in hindi

स्कूल का पहला दिन मुझे आज भी याद है खुशियों और गम का दिन मुझे आज भी याद है नए नए दोस्तों का मिलना और खेलना कूदना सभी के संग रहना मुझे आज भी याद है

सुबह जल्दी जागना नहा धो कर भागना पापा का स्कूल छोड़ना मुझे आज भी याद है दुनिया की झंझट से परे हम तो स्कूल में पढ़े स्कूल का पहला दिन मुझे आज भी याद है खुशियों और गम का दिन मुझे आज भी याद है

विद्यालय का पहला दिन पर विचार first day of school quotes in hindi

  • स्कूल का पहला दिन हर विद्यार्थी के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है विद्यार्थी अज्ञान से ज्ञान की ओर बढ़ते हैं
  • स्कूल का पहला दिन हर एक विद्यार्थी को हमेशा याद रहता है
  • स्कूल के पहले दिन किसी विद्यार्थी के होठों पर मुस्कान होती है तो कोई विद्यार्थी उदास होता है
  • इस दिन हर एक बच्चे का एक नया जन्म होता है
  • स्कूल के पहले दिन अगर हमें हमारे जैसे विद्यार्थी यानी हमारे दोस्त मिल जाएं तो यह दिन बहुत ही खुशी देता है
  • यह दिन किसी को गम देता है तो किसी को खुशी
  • हर किसी इंसान के जीवन में यह दिन जरूर आता है
  • अगर स्कूल के पहले दिन विद्यार्थी का डर खत्म हो जाए तो यह दिन उसके लिए बहुत ही खुशी के दिन होते हैं ।
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स्कूल में मेरा पहला दिन हिंदी निबंध First Day of My School Essay in Hindi

First Day of My School Essay in Hindi: एक हाथ में पट्टी लिए, जेब में पेन डाले और एक हाथ में माता, पिता या बड़े भैया की अँगुली पकड़े छह सात वर्ष का बालक जब पहले-पहल स्कूल जाता है तब सचमुच यह उसके जीवन की एक महत्त्वपूर्ण घटना बन जाती है। उस समय मेरी उम्र लगभग छ: वर्ष की थी, जब एक दिन मैं अपने पिताजी के साथ स्कूल में दाखिल होने के लिए चला था। अभी तक मेरा जीवन खाने-पीने और खेलने-कूदने में ही गुजरा था, इसलिए किसी तरह के बंधन से मेरा परिचय नहीं हुआ था।

स्कूल में मेरा पहला दिन पर हिंदी में निबंध First Day of My School Essay in Hindi

स्कूल में मेरा पहला दिन पर हिंदी में निबंध First Day of My School Essay in Hindi

प्रिन्सिपल साहब से भेंट और कक्षा में प्रवेश.

पिताजी मुझे सबसे पहले स्कूल के मुख्याध्यापकजी के पास ले गए। मैंने देखा कि एक बड़ी मेज पास कुर्सी पर एक महोदय काला चश्मा पहने बैठे हैं। मैंने उनको प्रमाण किया। स्कूल के रजिस्टर में मेरा नाम लिख दिया गया। उसके बाद पिताजी मुझे वर्ग-शिक्षक के पास ले गए। वर्ग-शिक्षक मेरी ओर देखकर मुस्कराए और उन्होंने मुझे पहली बेंच पर बैठने का आदेश दिया। शाम को मैं तुम्हें लेने आऊँगा यह कहकर मेरे पिताजी चले गए।

स्कूल में मेरे लिए सब कुछ नया था। कक्षा के सभी लड़कों की आँखें मुझ पर ही लगी हुई थीं। यद्यपि स्वभाव से मैं चपल था, फिर भी उस समय किसी से बोलने की हिम्मत नहीं हो रही थी। शिक्षक सामने के काले तख्ते पर गिनती लिखते थे और हर लड़के से पूछते थे। न बतानेवाले को खड़ा रखा जाता था। मैं मन ही मन डर रहा था। धीरे-धीरे मेरी बारी आई। पर शिक्षक के पूछते ही मैंने झट से ठीक उत्तर दे दिया। उन्होंने मुझे शाबाशी दी।

एक लड़के से मित्रता

दोपहर की छुट्टी में एक लड़के ने आकर बड़े स्नेह से मेरा नाम पूछा। उसने ही मुझे पानी पीने का कमरा और शौचालय दिखाया। वह उसी दिन मेरा मित्र बन गया। वह मेरी कक्षा का मानीटर अशोक था।

शाम तक पढ़ाई होती रही। आखिरी घंटे में शिक्षक महोदय ने एक कहानी सुनाई। वह मुझे बड़ी अच्छी लगी । पर मन में यही हो रहा था कि कब छुट्टी हो और कब घर भागू। भूख भी बहुत जोर से लगी थी। समय होते ही टन्-टन् करके घंटी बजी। लड़के उठ-उठकर भागने लगे। अशोक के साथ मैं भी बाहर निकला। पिताजी दरवाजे पर मेरा इंतजार कर रहे थे। मैंने उनसे अशोक का परिचय कराया। घर पहुँचते ही माताजी ने मुझे चूमकर गले लगा लिया।

इस प्रकार स्कूल में मेरे विद्यार्थी जीवन का श्रीगणेश हुआ। यह मेरे जीवन का वह शुभ दिन था, जब मैंने स्कूल में जाकर अपने सामूहिक जीवन का प्रारंभ किया और सहयोग तथा मित्रता का पहला पाठ सीखा।

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Rakesh More

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Hindi Essay on “School me Mera First Day”, “पाठशाला में मेरा पहला दिन”, for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

पाठशाला में मेरा पहला दिन

School me Mera First Day

मेरे पिता जी सरकारी बैंक में काम करते हैं। उन्हें हर तीन साल में नई शाखा में भेज दिया जाता है। इस बार उनका तबादला दिल्ली हुआ। यहाँ आते ही सेंट जॉर्ज में मेरा दाखिला करवा दिया गया।

इतनी बड़ी पाठशाला में मैं पहली बार जानेवाला था। मेरा मन डरा हुआ था। पाठशाला में जाते ही इसकी भव्यता और सुंदरता ने मेरा मन  मोह लिया। आया दीदी मुझे स्नेहपूर्वक मेरी कक्षा पहली-डी तक  ले गई।

कक्षा में मेरी अध्यापिका और सहपाठियों ने सप्रेम मेरा अभिवादन किया। भर सहपाठियों ने मेरा बढ़-चढ़ कर ध्यान रखा और सभी से शीघ्र ही  मरा मित्रता हो गई।

पाठशाला का पहला दिन रोमांचक और उत्साहपूर्ण था। आज मुझे यहाँ दो वर्ष हो गए हैं और मैंने अपनी एक अच्छी छवि भी बना ली है। में इसी तरह मेहनत करते हुए आगे बढ़ना चाहता हूँ।

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विद्यालय में मेरा पहला दिन निबंध

विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध।  hindi essay on my first day at school.

कभी-कभी ऐसा होता है। जब कहीं पर किसी विशेष अवसर पर प्रवेश करना पड़ता है। इस प्रकार अनुभव कभी-कभी बहुत मीठा होता है। तो कभी बहुत खट्टा ओर कभी कड़वा होता है। फिर भी ये सभी अनुभव हमारे जीवन पर एक गहरी छाप छोड़ जाते है। इस प्रकार ये अनुभव जीवन मे सजीव हो जाते है। यू तो ओर के जैसे मुझे भी कुछ अनुभव प्राप्त है। जिन्हें हम भुलाएं नही भूलते है। इस प्रकार के अनुभव में एक अनुभव मेरे विद्यालय में पहला दिन था।

विद्यालय में मेरा पहले दिन का अनुभव उस समय का है जब मेंने आठवीं कक्षा पास कर ली थी। मेरा रिजेल्ट बहुत ही अच्छा था मैंने प्रथम श्रेणी में पास कर लिया था। इसलिए मुझे शहर के एक अच्छे विद्यालय में प्रवेश लेने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे परिवार सहित सभी पास पड़ोस ओर रिश्तेदारों ने अपनी-अपनी सलाह ओर सुझाव प्रदान किये। सबके सुझाव सुनकर मेरे पापा ने मुझे एक अच्छे विद्यालय में मेरा प्रवेश करवा दिया। विद्यालय में प्रवेश के बाद मेरा प्रवेश पत्र भरकर जमा करवा दिया। कुछ दिनों बाद प्रवेश-सूची निकाली गई। और पहली सूची में ही मेरा नाम आ गया था। ये देखकर में बहुत खुश हुई। शुल्क, आदि जमा करने के बाद में अपने पठन-पाठन के लिए निश्चित समय पर विद्यालय के लिए घर से चल पड़ा।

स्कूल में पहला दिन:- में समय से पाँच मिनट पहले ही स्कूल पहुँच गया था। मुझे मेरी कक्षा को ढूढने में ज्यादा टाइम नही लगा। और जल्दी ही मुझे मेरी सीट भी मिल गयी। में कक्षा को ध्यान से देख ही रहा था। तभी प्रार्थना की घण्टी बज गई। में अन्य छात्रों के साथ प्राथना के लिए कक्षाओं के सामने विद्यालय के बीचोबीच बहुत बड़े मैदान में पहुँच गया। पाँच मिनट बाद सबके साथ मेने भी प्राथना की। इसके बाद पी.टी.टीचर ने सावधान कराते हुए कुछ हल्के से व्ययाम करवा कर सबको पंक्तिबद्ध होते हुए अपनी-अपनी कक्षा में आकर बैठ गया। चूंकि में उस विद्यालय का नया छात्र था। इसलिय में स्वम् को कुछ अजनबी-सा अनुभव कर रहा था। उधर दुसरे छात्र भी मुझे कुछ अजीब ढंग से देख रहे थे। इसके बाद घण्टी बजी। घण्टी बजते ही सभी छात्र अपने-अपने स्थान पर शांतिपूर्वक बैठ गए।

थोड़ी देर बाद टीचर ने अटेंडेंस ली।उन्होंने मुझे बड़े ध्यान से देखा।देखते ही मुझ पर प्रशनो की बौछार कर दी। एक -एक करके उन्होंने प्रशन करना शुरू कर दिया।क्या नाम है? पिता का क्या नाम है?किस स्कूल से आये हो।कहा रहते हो? आदि।मेने एक-एक करके उनके सभी प्रश्नों के उत्तर दिया।इससे वो मुझसे बहुत खुश हुए।उनके चले जाने के बाद कक्षा आरम्भ की घण्टी बजी।पहला पीरियड शुरू हुआ।जो कि गणित का था।उन्होंने एक सवाल समझाया उसके आधार पर उन्होंने दूसरा प्रशन हल करने को कहा।मेने जल्दी से हल कर दिया।सभी छात्रों सहित अध्यापक महोदय भी मेरा मुँह देखने लगे।उन्होंने मेरा नाम,पिता का नाम,पहले स्कूल का नाम,परीक्षा परिणाम आदि विषय के बारे में पूछा।मेने सभी प्रश्नों का ऊतर दिया इससे वो बहुत प्रसन्न हुए।उन्होंने मुझे शाबासी दी।में तो निहाल हो गया।उन्होंने मुझे बैठने को कहा ओर फिर में नर कार्य करने लगा।फिर गणित का पीरियड समाप्त हो गया।

इसके बाद दूसरे पीरियड की घण्टी बजी। यह पीरियड इंग्लिश का था। टीचर ने आते ही ग्रामर के विषय मे कुछ खास-खास बातें बतलाई।इसके बाद उन्होंने डायरेक्ट इनडायरेक्ट पढ़ाना शुरू किया। पढ़ाते समझाते हुए उन्होंने प्रश्न किया। पर्सन किसे कहते है? यह कितने प्रकार का होता है। इसे सुनकर सारी कक्षा चुप भो गयी। सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगे। तभी मेने तपाक से उत्तर देने केवलिये हाथ ऊपर उठाया । उस अध्यापक के अनुमति से मैने सटीक उत्तर दिया। उन्होंने मुझ से आगे पूछा प्रतेक पर्सन के शब्द कौन-कौन होते है? बतलाओगे ,मैने हा करते हुए सभी परसनो के शब्दों को बतला दिया। वे मेरे उत्तर से बहुत सन्तुष्ट हुए। कक्षा के सभी छात्र फिर एक बार मुझे चकित होकर देखते रह गए।

इसके बाद घण्टी बजी। अब संस्कृत का पीरियड आरम्भ हुआ। कक्षा में भारतीय संस्कृति सभ्यता के प्रतीक संस्कृत अध्यापक आये । उन्होंने बड़े ध्यान से सबको देखा। फिर संस्कृत के श्लोकों को पढ़ाया सभी छात्र मंत्रमुग्ध होकर अपना ध्यान लगाएं। इसके बाद विज्ञान का पीरियड लगा। विज्ञान अध्यापक ने बड़ी गम्भीरता ओर तल्लीनता से प्रकाश और ध्वनि नामक विज्ञान का अध्याय पढ़ाया। उन्होंने बोर्ड पर अपेक्षित रूप से  इस विषय को समझाया । सभी छात्रों ने बड़ी सावधानी के साथ इस ओर ध्यान देकर अपना काम किया। इसके बाद यह पीरियड भी समाप्त हो गया। अब लंच की घण्टी बजी सभी ने लंच किया । मेने भी अपना लांच बॉक्स खोला। अपने पास बैठे हुए छात्रों को भी मेने अपने साथ लंच करने के लिए कहा। उन्होंने भी मेरा साथ दिया। और हमने मिलकर लंच किया। इस प्रकार हमने मिलजुलकर लंच किया और हम दोस्त बन गए।

लंच समाप्त की घण्टी बजने के बाद हिंदी का पीरियड लगा। क्लास में हिंदी के सर आये वे बहुत ही सभ्य, सुशील ओर आकर्षक व्यक्तित्व के थे। उन्हें देखकर में गदगद हो गया। उन्होंने दुभद्रा कुमारी चौहान की कविता झाँसी की रानी पढ़ाई ओर फिर उसपे एक प्रशन किया। और कल सुभद्रा कुमारी चौहान का जीवन परिचय याद करके आने के लिए कहा। सभी से उन्होंने पूछा कि सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म कहा हुआ था। मेने उत्तर देने के लिए हाथ ऊपर उठाया , उन्होंने ऊतर देने के लिए स्वीकृति दे दी। स्वीकृति पाकर मैने उत्तर दिया। सुभद्रा कुमारी का जन्म उत्तर प्रदेश के निहालपुर गाँव मे सन 1904 ई.में हुआ था। उन्होंने मेरी प्रशंसा करते हुए कहा। देखा केवल एक ही छात्र याद करके आया है। इसे सुनकर सभी छात्रों ने कहा सर हम भी कल से याद करके आएंगे। उन्होंने मुझे शाबासी दी। इससे छात्र प्रभावित हो गए। मैंने वह दिन आज भी याद कर्जे खुश हो जाता हूँ। इसके बाद साइंस के प्रैक्टिकल की घण्टी बजी हम सब लोग गए। वहां काफी देर तक विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को देखे-समझे । इसके बाद एक-एक करके सभी पीरियड समाप्त हो गए। में कुछ अपने नए-नए मित्रो के साथ कक्षा से बाहर निकलकर घर लौट आया।

यो तो इस विद्यालय में पढ़ते हुए मुझे दो वर्ष हो गए। किंतु इस विद्यालय में मेरा पहला दीन एक अमिट यादगार बन गया है। सचमुच में मेरा यह पहला दीन मेरे लिए बड़ा ही अदभुत ओर रोचक अनुभवों का रहा।

निबंध लेखक – कविता यादव 

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Wednesday, February 1, 2023

निबंध : स्कूल में मेरा पहला दिन - my first day at school essay in hindi - pdf, निबंध : स्कूल में मेरा पहला दिन.

first day of school essay in hindi

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विद्यालय में मेरा पहला दिन हिंदी निबंध | My First Day in School Essay in Hindi

स्कूल में मेरा पहला- पहला दिन आज भी मुझे अच्छी तरह याद है। सचमुच यह एक स्मरणीय दिन था। यह मेरे जीवन के एक नये अध्याय का प्रारंभ था। दिन था सोमवार लेकिन तारीख मुझे याद नहीं आ रही । तब मैं लगभग 6 वर्ष का था। माँ ने मुझे उस दिन जल्दी ही उठा दिया था। स्नान कराकर नाश्ता कराया था। फिर स्कूल की यूनीफॉर्म पहनाकर मुझे पापा के साथ स्कूल भेजा था। मेरी बड़ी बहन उस स्कूल में पहले से ही पढ़ती थीं। वह पांचवी कक्षा की छात्रा थीं।

मेरे पिताजी अपनी कार में मुझे विद्यालय ले गये थे। पार्किंग लॉट में गाड़ी खड़ी करके हम लोग प्रधानाचार्य के कक्ष में गये। मुझे अपनी पहली कक्षा में ले जाया गया। तब पिताजी वापस घर चले गये। हमारी कक्षा – अध्यापिका सुघड़-सी एक महिला थीं। नाम था उनका सुमित्रा । उन्होंने मुझे पहली कतार में बड़े स्नेह से बिठाया। मुझे एक-दो खिलौने और चॉकलेट भी दीं। मैं प्रसन्न था। दूसरे बच्चे भी खुश थे। बड़ी चहल-पहल थी ।

खेल-घंटे में मैं अपनी बहन के साथ रहा। उसके साथ खाया-पीया ओर फिर कैंटीन में जाकर ठंडा पेय लिया। चारों तरफ लड़के और लड़कियाँ थे। सब अपने-अपने खाने-पीने, गपशप और दूसरे कार्यों में व्यस्त थे। मेले जैसा लग रहा था। एक बजे छुट्टी की घंटी बजी। मेरी बहन दौड़ती हुई मुझे लेने आयीं और मुझे गोद में उठाकर बड़ा प्यार किया। मेरी माँ मुख्य द्वार पर हमारी प्रतीक्षा कर रही थीं। हम उस दिन एक टैक्सी से घर आये थे।

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Essay on my first day at school for class 4 in hindi विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध.

Essay on My First Day at School for Class 4 in Hindi. विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध। कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के बच्चों और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए विद्यालय में मेरा पहला दिन पर निबंध हिंदी में।

Essay on My First Day at School for Class 4 in Hindi विद्यालय में पहले दिन पर निबंध

hindiinhindi Essay on My First Day at School for Class 4 in Hindi

Essay on My First Day at School for Class 4 in Hindi 250 Words

यह मेरा दूसरा विघालय है, फिर भी जिस दिन इस विघालय में मेरा पहला दिन था, मैं बहुत घबराया हुआ था। हाल ही में हम दिल्ली में आकर बस थे इसलिए मुझे अपना विघालय बदलना पडा। यह विघालय मेरे पहले वाले विघालय से बिल्कुल अलग है। इसकी इमारत बहुत शानदार है। इमारत के दोनों और बडे मैदान है। मैं इस विघालय में आकर बहुत खुश हूँ। मैने कुछ विद्यार्थी इधर उधर घूमते देखा। उनका मेरी और कोई ध्यान नहीं था। जबकि कुछ विधार्थी मुझे घूर रहे थे। मैं इससे भयभीत हो गया।

मैं सोच रहा था कि आखिर किस तरह इन सभी सहपाठियों के साथ धुल-मिल पाउंगा। तभी मेरी कक्षा अध्यापिका प्रधानाध्यापक जी के कक्ष से बाहर आई और मुझे अपने साथ मेरी कक्षा में ले गई। उन्होंने मेरा परिचय विधार्थियों से करवाते हुए एक विधार्थी को कहा कि वो मुझे एक स्थान दें और मुझे कहा कि मैं हर रोज उसी स्थान पर बेठू। उस विधार्थी ने मुझे हैलो तक नही कहा। मैं अपने आपको अकेला और बेवकूफ महसूस कर रहा था। तभी घंटी बजी। अध्यापिका ने कक्षा से प्रस्थान किया। कुछ पाँच–छह विधार्थीयों ने मुझे घेरकर मेरा नाम पूछा व अपना नाम भी बताया, सभी एक दूसरे का मजाक उड़ा रहे थे और एक-दूसरे की टांग खिंचाई कर रह थे। जल्दी ही मैं भी उनके साथ घुल मिल गया और अब मैं उनमें से ही एक विघार्थी था। अब मुझे मेरा विघालय बहुत अच्छा लगता है।

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मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर, मतलब वो स्थान जहां विद्या उपार्जन होता हो। हमारे संस्कारों में विद्या को देवी का स्थान दिया गया है और विद्यालय को ‘मंदिर’ की उपमा दी गयी है। मेरा विद्यालय एक ऐसा विषय है, जिस पर अक्सर निबंध आदि लिखने को दिया जाता रहता है। हमारी जिन्दगी का सबसे अहम समय हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। विद्यालय से हमारी ढ़ेरो यादे जुड़ी रहती है। इसलिए विद्यालय सबकी जिन्दगी में बहुत मायने रखता है।

मेरा विद्यालय पर छोटे – बड़े निबंध (Short and Long Essay on My School in Hindi, Mera Vidyalaya par Nibandh Hindi mein)

मेरा विद्यालय पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द).

मेरा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय है। मेरे विद्यालय में पठन पाठन उच्च स्तर का है। मेरे विद्यालय में शिक्षा के महत्त्व को समझते हुए, विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करते है। मेरा विद्यालय सारी सुविधाओं से लैस है।

मेरे विद्यालय का स्थान

मेरे विद्यालय का नाम बाल निकेतन है। यह शहर की भीड़-भाड़ से दूर, बेहद शांत माहौल में विद्यमान है। इसके चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। जिस कारण वातावरण शुध्द रहता है और हमें शुध्द वायु भी मिलती है। मेरा विद्यालय मेरे घर से थोड़ी ही दूरी पर है। मेरे विद्यालय का व्यास बहुत बड़ा है। इसके चारों तरफ सुंदर-सुंदर फूलों की क्यारियां लगी है।

पठन पाठन का तरीका

हमारे विद्यालय का परिणाम (रिजल्ट) प्रति वर्ष शत-प्रतिशत आता है। मेरे विद्यालय की गणना शहर के अच्छे स्कूलों में की जाती है। मेरे विद्यालय में हर वर्ष वार्षिकोत्सव होता है, जिसमें कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम कराये जाते हैं। जिसमें हर प्रतियोगिता में उत्तीर्ण बच्चों को पुरस्कृत किया जाता है। मेरे विद्यालय में प्रायोगिक शिक्षा पर भी ध्यान दिया जाता है। हमारे शिक्षक हमारे भीतर कौशल के विकास पर भी ध्यान देते है।

हमारा और सरकार का यह दायित्व है की हमारा विद्यालय आदर्श विद्यालय बने। हमारे विद्यालय से आदर्श विद्यार्थी निकलने चाहिए, जो राष्ट्र को नई दिशा दे सके।  

निबंध 2 (400 शब्द) – विद्यालय की भूमिका

मेरा विद्यालय मुझे बहुत पसंद है। हमारा विद्यालय हमारे भविष्य को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी उपयोगिता कोई नज़रअंदाज नहीं कर सकता। विद्यालय ही है, जो हमें सामान्य से विशेष बनाता है। हमारी छिपी प्रतिभा को खोज निकालता है। हमारा स्वयं से साक्षात्कार कराता है।

विद्यालय की परिभाषा

विद्यालय अर्थात विद्या का आलय या घर। ऐसा स्थान जहां अध्ययन-अध्यापन के द्वारा शिक्षा प्रदान की जाती है।

विद्यालय की परिकल्पना

विद्यालय की परंपरा कोई नयी नहीं है। सदियों से हमारा देश ज्ञान का स्रोत रहा है। हमारे यहां आदिकाल से ही गुरुकुल परंपरा रही है। बड़े-बड़े राजा महाराजा भी अपना राजसी वैभव छोड़कर ज्ञान-प्राप्ति के लिए गुरुकुल जाते थे। यहा तक की ईश्वर के अवतार श्रीकृष्ण और श्रीराम भी पढ़ने के लिए गुरुकुल आश्रम गये थे। गुरू का स्थान ईश्वर से भी ऊपर होता है, संसार को ऐसी सीख दी।

विद्यालय की भूमिका

जिन्दगी का सबसे महत्वपूर्ण समय होता है, हमारा बाल्यकाल। यही वो समय होता है जब हम केवल खुद के लिए जीते है। दोस्त बनाते हैं। दोस्तों के साथ हंसते है, रोते है। जीवन का असली आनंद अनुभव करते हैं। इन सब खुशी के पलों में हमारा विद्यालय हमारे साथ होता है।

कभी-कभी तो मां-बाप से ज्यादा नजदीकी हमारे शिक्षक हो जाते है। हमें हर कदम पर थामने और सम्भालने के लिए तैयार रहते है। मां-बाप के डर के कारण बहुत से बच्चे अपने शिक्षकों से ही अपनी परेशानियां बताते है। विद्यार्थी के जीवन को सही राह एक शिक्षक ही दिखाता है।

विद्यालय सरकारी और निजी दोनों प्रकार होते है। आजकल ऐसी लोगों की धारणा हो गयी है कि केवल निजी विद्यालयों में ही पढ़ाई होती है। यह धारण गलत है। इसी बात का लाभ ढ़ेरो  विद्यालय वाले उठाते है। हर माता-पिता अपने बच्चों को श्रेष्ठ शिक्षा देना चाहते है। किंतु सबकी हैसियत इतनी नहीं होती कि वो इन विद्यालयों की मोटी शुल्क राशि को भर सकें।

आजकल शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है। सभी केवल अपनी जेब भरने में लगे है। बच्चों के भविष्य की किसी को चिंता नहीं है। दिन पर दिन शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है। विद्यालय ही तो वो जरिया होता है, जहां से देश के भविष्य का सृजन होता है। सरकार ने इस संबंध में कई नियम बनाये हैं। किन्तु पालन तो आम जनता को ही करना है।

निबंध 3 (500 शब्द) – विद्यालय की विशेषताएं व प्रकार

मेरे विद्यालय का नाम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है। मेरे विद्यालय का परिसर काफी बड़ा है। मेरे विद्यालय में दो-दो मंजिल की चार इमारतें है। इसके चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए है। इसमें बड़े-बड़े पचास से भी ज्यादा कमरे है। हर कमरे में बड़ी-बड़ी खिड़कियां और दो-दो दरवाजे है। बड़े-बड़े तीन खेल के मैदान है। साथ में लगा हुआ बास्केट-बॉल कोर्ट भी है।

हमारे विद्यालय में पचास से ज्यादा शिक्षक-शिक्षिकाएं हैं। सभी बहुत ही सहृदयी और मिलनसार है। बच्चों की हर संभव सहायता करते है।

विद्यालय की विशेषताएं

नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) और शिक्षा का अधिकार 2009 (RTE 2009) ने कुछ मानक तय कर रखे हैं, जिसके अनुसार ही विद्यालय की बनावट और वातावरण होना चाहिए। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क 2005 (NCF 2005) ने भारत में शिक्षा के स्तर में प्रोन्नति हेतु महत्वपूर्ण कदम उठायें हैं। जो बहुत कारगर भी सिध्द हुएं हैं। RTE 2009 ने विद्यार्थियों के समग्र विकास में विद्यालय की विशेष और महत्वपूर्ण भूमिका बतायी है। विद्यालय की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चों की हर छोटी-बड़ी आवश्यकताओं का ध्यान रखे।

मानक के अनुसार कुछ विशेषताएं अधोलिखित हैं-

  • शांत वातावरण होना चाहिए।
  • ट्रेंड टीचर्स होने चाहिए।
  • विद्यालय का बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन होना चाहिए।
  • नियमित गृह कार्य दिया जाना चाहिए।
  • छात्र/छात्राओं के मूल्यांकन हेतु सतत मूल्यांकन पद्धति अपनायी जानी चाहिए।
  • स्वाध्याय हेतु एक पुस्तकालय एवं वाचनालय होना चाहिए।
  • अतिरिक्त पाठ्येतर गतिविधि पर बल देना चाहिए ।
  • विभिन्न विषयों में प्रतियोगी परीक्षाओं की व्यवस्था होनी चाहिए
  • अध्यापन हेतु कक्ष विशाल और हवादार होने चाहिए।
  • सी० बी० एस० ई० के निर्देशानुसार सत्र 2009 – 2010 से ही कक्षा 9 व् 10 में भी अंको के स्थान पर ग्रेडिंग व्यवस्था लागू कर दिया गया है, जिसका पालन होना चाहिए।
  • शीतल पेय-जल की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
  • समुचित शौचालयों का प्रबंध होना चाहिए ।
  • शारीरिक, योग, नृत्य एवं संगीत शिक्षा की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ।
  • छात्रो की अंतः क्रियाओं एवं मानसिक विकास हेतु वाद-विवाद प्रतियोगिता आदि कराना चाहिए।
  • विद्यालय की वार्षिक पत्रिका छपनी चाहिए, जिसमें हर क्षेत्र के मेधावी बच्चों का उल्लेख होना चाहिए।
  • सभी कक्षाओं में स्मार्ट कक्षा की व्यवस्था होना चाहिए ।

विद्यालय के प्रकार

बचपन से बड़े होने तक हम अलग-अलग विद्यालयों में पढ़ते है। विद्यालयों के भी कई प्रकार होते हैं, जैसे

  • आंगनवाड़ी – आंगनवाड़ी में सामान्यतः छोटे बच्चों को बैठना और बाकी आधारभूत चीजें सिखाते हैं।
  • प्राथमिक विद्यालय – प्राथमिक पाठशाला में एक से पाँच तक की पढ़ाई होती है।
  • माध्यमिक विद्यालय – इस व्यवस्था में प्रथम से आठवीं तक की शिक्षा दी जाती है। कभी-कभी यह कक्षा छः से आठ तक भी होती है।
  • उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय – बारहवीं तक की शिक्षा यहां संपादित होती है।

विद्यालय में जब हमारा दाखिला होता है तो उस वक़्त हम नन्हें पौधे रहते हैं। हमारा विद्यालय ही हमे सींच कर बड़ा वृक्ष बनाता है। और इस दुनिया में रहने योग्य बनाता है। अपने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण घड़ियां हम अपने विद्यालय में ही बिताते है। बड़े होने पर हम सबसे अधिक विद्यालय में बिताये लम्हों को ही याद करते हैं।

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FAQs: Frequently Asked Questions on My School (मेरा स्कूल पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

उत्तर- सन 1715 में, संत जॉर्ज एंग्लो-इंडियन हायर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई में है।

उत्तर- तक्षशिला

उत्तर- सन 1848 में सावित्री बाई फुले ने देश का पहला बालिका विद्यालय खोला था।

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Essay on Our School in Hindi

first day of school essay in hindi

Here is a compilation of Essays on ‘Our School’ for Class 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12. Find paragraphs, long and short essays on ‘Our School’ especially written for Kids and Students in Hindi Language.

List of Essays on Our School (For Kids and Students)

Essay Contents:

  • विद्यालय का वार्षिकोत्सव । Essay on Our School’s Annual Function for Students in Hindi Language

1. हमारा विद्यालय | Essay on Our School in Hindi Language

मैं डी.ए.वी. दयानन्द उच्च माध्यमिक विद्यालय में पढ़ता हूँ । यह चित्रगुप्त सड़क, नई दिल्ली पर अवस्थित है । हमारे विद्दालय की इमारत बहुत विशाल है । यह लाल पत्थरों एवं ईंटों की बनी है । इसमें 35 कमरे हैं । सभी कमरे हवादार है । सूर्य की रोशनी प्रत्येक कमरे को प्रकाशित करती है । इसमें एक पुस्तकालय भी है । जिसमें पुस्तकों का एक बड़ा भंडार है ।

हर प्रकार की पुस्तकें वहां उपलब्ध है; मनोरंजक भी एवं ज्ञान वर्द्धक भी । पुस्तकें हमारी सबसे अच्छी मित्र हैं । यह न केवल हमारे ज्ञान में वृद्धि करती हैं बल्कि हमारी बुद्धि एवं साधारण ज्ञान को भी बढ़ाती हैं । हमारे विद्यालय की प्रयोगशाला बहुत बड़ी है । इसमें हमारी आवश्यकता के सभी उपकरण एवं वैज्ञानिक साजो-सामान मौजूद हैं ।

हमारा विद्यालय छटी कक्षा से 12वीं कक्षा तक है । प्रत्येक कक्षा के चार विभाग हैं । विद्यालय में एक हजार लड़के हैं । यहा के स्टाफ में 45 कर्मचारी हैं । सभी कर्मचारी योग्य एवं कार्य कुशल हैं । हमारे प्रध्यापक एक प्रतिष्ठित व्यक्ति हैं ।

वह विद्यार्थियों एव स्टाफ कर्मचारियों में भी लोकप्रिय हैं । वह बहुत अनुशासन प्रिय हैं । विद्यालय कार्यालय का काम एक क्लर्क एव खजांची की देख-रेख में होता है । सभी बहुत मेहनती हैं । विद्यालय में दो खेल के मैदान हैं ।

एक टेनिस के लिये प्रयोग होता है एवं दूसरा किक्रेट तथा अन्य खेलों के लिये प्रयोग होता है । हमारे विद्यालय में एक तरण-ताल भी है । हमारे विद्यालय की कन्टीन बहुत साफ सुथरी है । विद्यालय का बगीचा बहुत व्यवस्थित है जहाँ हर समय फूलों से लदे पौधे लगे रहते हैं । हम मध्यावकाश में वहाँ समय बिताते हैं ।

हमारा विद्यालय हर क्षेत्र में उन्नति कर रहा है । शैक्षिक क्षेत्र में इसका अच्छा नाम है । इसके विद्यार्थी बोर्ड की परीक्षाओं में पहले-दूसरे स्थानों पर आते हैं । खेल के क्षेत्र में भी यह प्रगति कर रहा है । यहां प्रतियोगितायें होती रहती हैं और हमारी टीम विजयी होती है ।

हमारे विद्यालय ने बहुत सी ट्राफी, शील्ड एवं मेडल जीते हैं । वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी हमारे विद्यार्थी अच्छे स्थान पर आते हैं । यह दिल्ली के अच्छे विद्यालयों में माना जाता है । हमें अपने विद्यालय पर गर्व है ।

2. प्रिय विद्द्यालय |Essay on My Favourite School for Students in Hindi Language

मानव-प्राणी इस ससार में आकर कुछ न कुछ ज्ञानार्जन करता है । कोई भी मनुष्य जन्मजात विषय-कौशल नही होता, बल्कि इस भू-तल पर आकर ही किसी भी विषय में ज्ञान प्राप्त करता है । मानव जीवन को सभ्य बनाने में विद्यालय का सबसे बड़ा योगदान रहा है ।

ADVERTISEMENTS:

विद्यालय का शाब्दिक अर्थ होता है विद्या+आलय= विद्यालय, अर्थात् जहाँ विद्या का आवास हो उस स्थल को विद्यालय कह सकते हैं । मैं भी शिक्षा ग्रहण करने के लिए अपने प्रिय विद्यालय ‘शिक्षा निकेतन’ में जाता हूँ ।

विद्यालय का इतिहास:

हमारा विद्यालय 32 वर्ष प्राचीन है । इस विद्यालय के निर्माण हेतु एक बज्जर भूमि का सदुपयोग किया गया था । उस समय इस स्थल का विस्तृत रूप में शहरीकरण नहीं हुआ था किन्तु अब यह दिल्ली की घनी बस्ती के मध्य में स्थित है ।

इस सघनता के कारण यहाँ अत्याधिक संख्या में छात्र विद्यार्जन के लिए आते हैं । विद्यालय की प्रौढ़ता के कारण भी यह दिल्ली के प्रसिद्ध विद्यालयों में से एक है । हमारे विद्यालय के भूतपूर्व विद्यार्थी आज भी उच्च-पदों पर आसीन है । उनमें से कई विद्यार्थी विद्यालय के विभिन्न उत्सवों में आमंत्रित किये जाते हैं और वे उत्सव में आकर विद्यालय का सम्मान बढ़ाते है ।

विद्यालय की सरंचना:

हमारा विद्यालय प्रत्येक दृष्टि से परिपूर्ण है । हमारा विद्यालय दो मंजिले भवन के कारण एक सुन्दर इमारत की भाँति शोभायमान है । इसमें 45 कमरे हैं । जिनमें एक हॉल, एक प्रधानाचार्य कक्ष, दो शिक्षक कक्ष, एक दफ्तर के लिए कमरा, एक पुस्तकालय, तीन विज्ञान कक्ष तथा खेल-कूद की सामग्री के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था है ।

हमारे विद्यालय का एक सुन्दर बाग है जिसमे तरह-तरह के पुष्पो के पौधे व अन्य पेड़-पौधे इसके सौन्दर्य में हरियाली बिखेर देते हैं । विद्यालय भवन के पीछे विशाल रवेल का मैदान है जिसमे बॉली-बॉल नेट, फुटबाल व होंकी के लिए नेट तथा क्रिकेट की पिच बनाई हुई है । एक अलग कमरे में शतरंज व टेबल टेनिस की व्यवस्था की गई है ।

शिक्षक कक्ष में अध्यापक रिक्त समय में बैठकर मनोरजन व अपना अन्य कार्य करते है । शिक्षक-कक्ष के एक कमरे में प्रत्येक अध्यापक के लिए अलग-अलग अलमारियों की व्यवस्था की गई है तथा दूसरे कक्ष में दो बड़ी मेजें व कई-कुर्सियाँ रखी हुई हैं । प्रधानाचार्य-कक्ष में हमारे प्रधानाचार्य जी बैठते हैं और उनके कक्ष के बाहर एक चपरासी बैठा होता है ।

हमारे विद्यालय में एक प्रधानाचार्य महोदय, 35 शिक्षक, दो क्लर्क (लिपिक), एक चपरासी तथा चार चौकीदार हैं । ये सभी कर्मचारी प्रधानाचार्य की आज्ञानुसार कार्य करते हैं । विद्यालय का समुचित कार्य इन्हीं कर्मचारियों के कार्यचक्र में व्यवस्थित है । हमारे विद्यालय में रसायन, भौतिक व जीव विज्ञान के लिए अलग-अलग कक्ष बनाए गए है ।

इनमे सबसे आकर्षित जीव विज्ञान-कक्ष है जिसमें विद्यार्थियों द्वारा बनाये हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव विज्ञान सम्बन्धित चित्र कक्ष की दीवारो पर लगाए गये है । विज्ञान-कक्ष के आगे एक परिपाटी में उन विद्यार्थियों के नाम अकित किए गए हैं जो विद्यालय में 10वीं कक्षा के विज्ञान विषय के अन्तर्गत प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए हैं जिससे विद्यार्थियों को प्रोत्साहन मिलता है ।

हमारे विद्यालय में खेल-सामग्री विद्यालय के सभी छात्रों के लिए उपलब्ध है, इसीलिए हमारे विद्यालय के खिलाड़ी दिल्ली विद्यालय वर्ग के खिलाड़ियों में अग्रणीय हैं ।

कार्य प्रणाली:

हमारे विद्यालय में प्रतिदिन ईश्वर की वन्दना फिर उसके बाद राष्ट्रीय गान गाया जाता है, जिसमें विद्यालय के सभी जन उपस्थित होते हैं । प्रार्थना सभा में ही हमारी उपस्थिति की गणना की जाती है । प्रत्येक शनिवार को प्रार्थना सभा में बाल सभा का आयोजन किया जाता है जिसकी अवधि केवल एक घण्टा होती है ।

अलग-अलग कक्षा वर्ग के लिए अलग-अलग कमरे दिये जाते है जिनमें आठ पीरियडों में पढ़ाई होती है । बीच में आधे घण्टे के लिए भोजन व खेलने के लिए समय निर्धारित होता है । प्रधानाचार्य-कक्ष के आगे एक सूचना-पट्ट होता है, जिसमें विभिन्न प्रकार की सूचनाएँ, लेख व समाचार लिखे जाते हैं ।

हमारे विद्यालय में वर्ष में तीन उत्सवो का आयोजन बड़ी धूम-धाम से किया जाता है । जिसमें स्वतन्त्रता दिवस (14 अगस्त को), गुरु दिवस 5 सितम्बर को व विद्यालय के वार्षिकोत्सव का आयोजन किया जाता है । इनमे उच्च पदो के अधिकारी एवं जो विद्यालय के भूतपूर्व छात्र रह चुके हैं, वे भी आते है ।

हमारे विद्यालय में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जो केवल हमारे विद्यालय के छात्रों के अन्तर्गत ही आयोजित होती हैं, जिसके फलस्वरूप हमारे विद्यालय के छात्र दिल्ली विद्यालयों के छात्रों की सम्मिलित प्रतियोगिताओं में विजय प्राप्त करते है ।

इस समय हमारा विद्यालय वाद-विवाद प्रतियोगित, नाटक प्रतियोगिताओं में दिल्ली में प्रथम स्थान और चित्रकला प्रतियोगिता, लेखनी व संगीत प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान पर है । हमारे विद्यालय के खिलाड़ी भारतीय जूनियर खेल टीम में भी चुने जाते हैं एवं दिल्ली की ओर से अन्य राज्यों में खेलने के लिए जाते हैं । हमारे विद्यालय का परीक्षा फल प्रतिवर्ष 98 प्रतिशत आता है ।

हमारा कर्त्तव्य:

हमारा विद्यालय हमारा विद्या मन्दिर है । जिस प्रकार भक्त लोगों के लिए मन्दिर व पूजा-स्थल पवित्र स्थान है, उसी प्रकार एक विद्याथीं के लिए उसका विद्यालय एक पावन स्थल है । इस पावन मन्दिर के भगवान् हैं- हमारे गुरुजन जो हमारे अज्ञान के अन्धकार को दूर कर हमारे दिलों में ज्ञान का प्रकाश फैला देते है । इसलिए हमे अपने गुरुजनों का हार्दिक सम्मान करना चाहिए ।

उनकी आज्ञा के अनुसार अपने शिक्षण कार्य का सम्पादन करना चाहिए । हमे अपने विद्यालय के सभी नियमों का श्रद्धा के साथ पालन करना चाहिए । विद्यालय की सम्पत्ति की अपनी व्यक्तिगत सम्पत्ति की तरह रक्षा करनी चाहिए । विद्यालरा व वहाँ की साज सामग्रियों के प्रति अपने घर की तरह ममता रखनी चाहिए ।

इससे एक ओर हमारा नैतिक उत्थान होता है और दूसरी ओर विद्यालय की सुरक्षा होती है । आजकल ऐसी प्रवृत्ति बढ़ रही है कि विद्यालयो में तोड़-फोड़ का काम मामूली बात हो गयी है, इसलिए हमे इस प्रवृत्ति को पूर्णत: समाप्त करना होगा ।

विद्यालय एक सार्वजनिक सम्पत्ति है । यह हमारी राष्ट्रीय निधि है, इसलिए विद्यार्थी इसकी सुरक्षा के प्रति सदैव जागरूक रहे, । विद्यालय केवल पुस्तकीय ज्ञान का माध्यम नहीं है, अपितु ज्ञान प्राप्ति के लिए हर प्रकार के अवसर वहाँ पर उपलब्ध होते हैं । विद्यालय बालकों को खेल-कूद, सास्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने का अवसर देता है ।

उन विषयों के मार्ग दर्शन के लिए शिक्षक होते है इसलिए विद्यार्थी को अपने विद्या मन्दिर से पूरा लाभ उठाना चाहिए । जो बालक इन अवसरों को चूक जाते हैं वे फिर इन सुनहरे क्षणों को पाने से वचित रहते है । विद्यालय से हमे हर प्रकार के ज्ञान का प्रकाश मिलता है ।

3. विद्यालय में मेरा पहला दिन । Essay on My First Day at School for Kids in Hindi Language

विद्यालय में मेरा पहला दिन आषाढ़ के प्रथम मेघ के समान सुखद, रसगुल्लों के समान मधुर और भोजन में अवांछति चिपरी मिर्च के समान कुछ तीक्षाता लिये रहा । कुछ सहपाठियों का चहेता बना तो कुछ को लगा आँख की किरकिरी, कहाँ से टपक पड़ी यह बला ।

मैं आत्मविश्वासपूर्वक कक्षा में प्रविष्ट हुआ और एक खाली डैस्क पर पुस्तकें रखकर प्रार्थनास्थल की ओर चल पड़ा । मुझे यह तो पता था कि प्रार्थना में पंक्तियाँ कक्षानुसार बनती हैं, पर मेरी कक्षा की कौन-सी पंक्ति है, यह जानकारी मुझे न थी, इसलिए मैं अपनी ही कक्षा के एक छात्र के पीछे-पीछे जाकर पंक्ति में खड़ा हो गया ।

प्रार्थना के पश्चात् विद्यार्थी अपनी-अपनी श्रेष्ठ श्रेणियों में गए । मैं भी कक्षा में जाकर अपने स्थान पर बैठ गया । प्रथम पीरियड शुरू हुआ । अंग्रेजी के अध्यापक आए । ‘क्लास स्टैण्ड’ हुई, बैठी । अंग्रेजी के अध्यापक ने ग्रीष्मावकाश के काम के बारे में जानकारी ली । एक विद्यार्थी को कापियाँ इकट्‌ठी करने को कहा ।

जब वह विद्यार्थी मेरे पास आया तो मैंने हाथ हिला दिया । उसने वहीं से कहा, ‘सर, यह कापी नहीं दे रहा है ।’ शिक्षक ने डांटते हुए पूछा तो मैंने बताया कि ‘मैं आज ही विद्यालय में प्रविष्ट हुआ हूँ, इसलिए मुझे काम का पता नहीं था ।’

इंग्लिश सर का गुस्सा झाग की तरह बैठ गया । तब प्यार से पूछा, ‘पहले कहाँ पढ़ते थे ?’ मैंने बताया कि मैं केन्द्रीय विद्यालय, भोपाल का छात्र हूँ । पिताजी की बदली होने के कारण दिल्ली आया हूँ । अध्यापक महोदय का दूसरा सवाल था-होशियार हो या कमजोर ? मेरा उत्तर था, ‘मैं पढ़ाई में तो अच्छा हूँ ही, शरीर से भी बलवान हूँ ।

मेरे इस उत्तर से सारी कक्षा ने मुझे ऐसे घूरकर देखा, मानो मैं चिड़ियाघर का कोई विचित्र प्राणी हूँ । यथा समय घंटी बजती रही । पीरियड बदलते रहे । शिक्षक आते-जाते रहे । अन्तिम पीरियड आ गया । अध्यापिका आईं । स्थूल शरीर था उनका । टुनटुन की चर्बी भी शायद इन्होंने चुरा ली थी ।

आंखें ऐसी मोटी और डरावनी कि डांट मारे तो छात्र-छात्राएँ काँप उठें । सुन्दर इतनी कि रेखा और माधुरी भी लज्जित हो जायें । वे आईं, क्लास का ‘स्टैंड अप, सिट डाउन’ हुआ । उन्होंने पहला प्रश्न किया, ‘कौन है वह लड़का जो आज ही कक्षा में आया है ?’

आते ही पहला वार मुझ पर । मैं मौन भाव से खड़ा हो गया । क्या नाम है ? कहाँ रहते हो ? माता कहाँ की रहने वाली हैं ? पिता किस पद पर हैं ? आदि-आदि । मैं प्रत्येक प्रश्न का उत्तर अर्ध-मुस्कान से देता

रहा । जब पिता का पद सुना तो लगा जैसे भयंकर भूचाल आ गया हो । वे कांप-सी गईं । उनकी वाणी अवरुद्ध हो गई । पसीना छूटने लगा पर वे जल्दी ही सहज हो गईं और अध्यापन में प्रवृत हो गयी ।

घंटी बजी । वह इस बात का संकेत थी कि अब अपने-अपने घर जाओ । मैं विद्यालय से घर लौटा । मन प्रसन्न था । अपनी प्रतिभा का प्रथम प्रभाव अध्यापकों और सहपाठियों पर डाल चुका था । पर ‘टुनटुन’ की ‘पिताजी को नमस्ते’ मेरे हृदय को कचोट रही थी । सायंकाल पिताजी कार्यालय से लौटे । बातचीत में मेरे प्रथम दिन की कहानी पूछी तो मैंने सोल्लास सुना दी और डरते-डरते अध्यापिका का ‘नमस्कार’ भी दे दिया ।

पिताजी हँस पड़े, हँसते ही रहे । बाद में शान्त हुए तो बताया कि वे मेरे साथ पड़ती थीं और हम दोनों एक ही मौहल्ले में रहते थे । जवानी में वह बड़ी जौली (परिहास प्रिय) लड़की थी । तुम उन्हें मेरी ओर से घर आने का निमन्त्रण देना । यह सुनकर हरी मिर्च की तिक्तता चटपटे स्वाद में बदल गई और मन प्रसन्न हो गया ।

4. मेरे विद्यालय में पुरस्कार वितरण समारोह | Paragraph on My School’s Prize Distribution Ceremony for Kids in Hindi Language

किसी भी विद्यालय के सफल कार्य संचालन के लिये पुरस्कार वितरण एक महत्वपूर्ण समारोह है । इससे विद्यार्थियों में नये उत्साह का संचार होता है । विद्यार्थियों के अभिभावकों के साथ मजबूत सम्बन्ध स्थापित होता है । यह समारोह बहुत रोमांचक होता है । सभी को अवश्य ही इसमें सम्मिलित होना चाहिये ।

इस वर्ष पुरस्कार वितरण समारोह में अभिभावकों एवं अन्य आमन्त्रित अतिथियों से हॉल खचाखच भर गया था । यह पुरस्कार वितरण समारोह पन्द्रह जनवरी को सम्पन्न हुआ । शिक्षा विभाग के निदेशक समारोह के मुख्य अतिथि बने ।

समारोह ही तैयारियाँ एक माह पूर्व ही प्रारम्भ हो गयीं । विद्यालय की इमारत को रंग रोगन किया गया । जिस हॉल में समारोह होना था उसे चार्ट एवं तस्वीरों द्वारा सुन्दरता से सजाया गया । समारोह के दिन एक विशाल मंच पर सुन्दर मेज एवं कुर्सियां रखी गयी ।

छोटे बच्चों को बैठाने के लिये कालीन बिछाया गया एवं शेष हॉल में कुर्सियों लगा दी गयीं । आरम्भ की पक्तियाँ शिक्षक वर्ग एवं अतिथियों के लिये सुरक्षित रखी गयीं । समारोह चार बचे प्रारम्भ होना था एव हॉल पीने चार बजे ही पूर्णतय: भर गया ।

सभी अतिथि विद्यार्थियों द्वारा किये गये प्रबन्ध से बहुत प्रभावित थे । एक किनारे मेज पर पुरस्कार एवं ट्राफियाँ सजाई गयीं थीं । अब हम सब मुख्य अतिथि के आने की प्रतिक्षा कर रहे थे । सही समय पर शिक्षा-निदेशक अपनी कार में वहाँ पहुँचे ।

स्टाफ के वरिष्ट सदस्यों एवं प्रिंसिपल द्वारा उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया । उनके सम्मान में विद्यालय के बैंड ने धुन बजायी । प्रिंसिपल ने उन्हें पुष्प-गुच्छ प्रदान किया । स्टाफ के अन्य सदस्यों ने उन्हें मालायें पहनायीं । मुख्य अतिथि के अपनी जगह लेते ही हॉल में शान्ति छा गयी ।

प्रिंसिपल ने मुख्य अतिथि के जीवन-परिचय से हमें संक्षेप में परिचित कराया । तत्पश्चात उन्होंने विद्यालय की वार्षिक रिर्पोट पढ़ कर विद्यालय की उपलब्धियां बतायीं । तत्पश्चात प्रिंसिपल महोदय ने मुख्य अतिथि से विद्यालय का वार्षिक अनुदान बढ़ाने का निवेदन किया जो विद्यार्थियों की बहुमुखी गतिविधियों में रुचि को देखते हुए बहुत कम था ।

प्रिंसिपल महोदय ने साहित्यिक क्लब के अध्यक्ष को सांस्कृतिक समारोह प्रारम्भ करने के निर्देश दिये । कुछ विद्यार्थियों ने देश-भक्ति के गीत गाये । देशभक्ति के एक नाटक का मंचन भी किया गया । दर्शकों ने समारोह में हिस्सा लेने वाले विद्यार्थियों की ताली बजाकर खुले दिल से प्रशसा की एवं उत्साहवर्धन किया ।

सभी भाग लेने वाले बच्चों ने अपनी भूमिका के लिये बहुत मेहनत की थी । कार्यक्रम का प्रस्तुतिकरण भी बहुत अच्छे ढँग से किया गया । लोकनृत्यों से समारोह के वातावरण में नयी जान सी आ गयी । मुख्य अतिथि ने बच्चों को पुरस्कार वितरित किये एवं उनसे हाथ मिलाया ।

शिक्षा निदेशक ने एक छोटा सा भाषण दिया जिसमें उन्होंने सभी बच्चों को बधाई दी एवं उनका उत्साहवर्धन किया ।

विद्यार्थियों द्वारा समारोह के दौरान अनुशासित व्यवहार करने के लिये भी उनकी प्रशंसा की । इसके पश्चात प्रिंसिपल ने मुख्य अतिथि का धन्यवाद दिया एव विदाई की । राष्ट्रगान के पश्चात् समारोह का समापन अगले दिन की छुट्टी की घोषणा के साथ हुआ ।

5. विद्यालय का वार्षिकोत्सव । Essay on My School’s Annual Function for Students in Hindi Language

हमारे समाज में जो स्थान धार्मिक त्यौहारों का है वही स्थान हमारे जीवन में राष्ट्रीय त्यौहारों का है । अध्ययन के दौरान मनाया जाने वाला उत्सव विद्यालय का वार्षिकोत्सव है । यह विद्यालय की उन्नति और प्रगति का परिचायक है । शिक्षक और छात्र दोनों के लिए यह पर्व हर्ष और उल्लास का है ।

हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव विद्यालय की स्थापना दिवस पन्द्रह जनवरी को मनाया जाता है । हालांकि कुछ विद्यालय अपना वार्षिकोत्सव किसी पर्व या त्यौहार पर मनाते हैं । हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव हमेशा पन्द्रह जनवरी को ही मनाया जाता है । इसकी तैयारी एक माह पूर्व से ही शुरू हो जाती है ।

जिन छात्रों ने पीटी या परेड में भाग लेना होता है उन्हें कई दिन पूर्व से ही अभ्यास शुरू करा दिया जाता है । इसी प्रकार सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत किये जाने वाले नृत्य संगीत की तैयारी भी कई दिन पूर्व ही शुरू हो जाती है । स्कूल के प्रधानाचार्य से लेकर छात्र तक उत्सव की तैयारी में जुटे रहते हैं ।

पन्द्रह जनवरी को स्कूल का भवन दुल्हन की तरह सजा हुआ था । स्कूल के सभागार में आमंत्रित अतिथियों व शिक्षा अधिकारियों के बैठने के लिए मंच पर विशेष व्यवस्था की गई थी । छात्रों व उनके अभिभावकों के बैठने के लिए भी कुर्सियां लगी हुई थीं । प्रात: साढ़े नौ बजे झण्डारोहण के बाद उत्सव शुरू होना था । नौ बजते-बजते अतिथियों व अभिभावकों का आगमन शुरू हो गया ।

कुछ छात्र जिनकी ड्‌यूटी अतिथि सत्कार में लगी हुई थी वे आने वाले अतिथि को सम्मान सहित मुख्य द्वार से लाते और उन्हें सीट पर बिठाकर चले जाते । ठीक साढ़े नौ बजे वार्षिकोत्सव के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री महोदय पधारे । एन. सी. सी. कैडिटों की परेड व स्कूली बैण्ड द्वारा उन्हें सलामी दी गई और उनका स्वागत किया गया । उनकी आगवानी स्कूल के प्रधानाचार्य ने की ।

शिक्षा मंत्री द्वारा झण्डारोहण करने के बाद वार्षिकोत्सव की शुरूआत हुई । सर्वप्रथम प्रधानाचार्य जी ने मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री सहित अन्य अतिथियों का फूलों की माला पहनाकर स्वागत किया । इसके बाद स्कूल की प्रबंधन समिति के अध्यक्ष ने विद्यालय की गत एक वर्ष की उपलब्धियों व कार्यकलापों का ब्यौरा रखा ।

इसके बाद सरस्वती वन्दना से सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरूआत हुई । स्कूली बच्चों द्वारा इस अवसर पर दो नाटकों का मंचन किया गया । जिनमें एक नाटक दहेज की बुराई को उजागर करने वाला था । और दूसरा नाटक एकता व भाईचारे को बढ़ावा देने वाला था ।

दोनों नाटक मंचित होने के बाद नृत्य व संगीत का कार्यक्रम शुरू हुआ । इसमें कुछ स्कूली बच्चों ने ऐसा समा बांधा कि अतिथि लोग बच्चों की प्रतिभा को देख दंग रह गये । हास्य कवि सम्मलेन में बाल कवियों द्वारा सुनाई गयी व्यंग्य रचनाओं में अपनी रचनाओं से उपस्थित लोगों को हंसा-हंसा कर लोगों के पेट में दर्द कर दिया ।

ये कार्यक्रम चलते-चलते शाम के चार बज गये थे । इसके बाद पीटी मार्च, ऊँची कूद, लम्बी दौड़ सहित कई खेलों का प्रदर्शन स्कूली छात्रों ने किया । कार्यक्रम के अंत में शिक्षा मंत्री ने वार्षिकोत्सव को लेकर स्कूल की प्रबंध समिति, प्रधानाचार्य तथा विद्यार्थियों की प्रशंसा की ।

उन्होंने प्रधानाचार्य को यह कहते हुए बधाई दी कि आपका स्कूल तो प्रतिभा का खजाना है । इसके बाद शिक्षा मंत्री सहित अन्य गणमान्य अतिथि द्वारा दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाने वाले विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया गया ।

इनके अलावा अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले विद्यार्थियों व शिक्षकों को भी सम्मानित किया गया । राष्ट्रगान के साथ वार्षिकोत्सव सम्पन्न हो गया । इसके बाद जलपान की व्यवस्था की गई थी । बच्चों ने जलपान किया और अपने-अपने घरों को लौट गये ।

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मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi

मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi

इस पोस्ट में हमने मेरा विद्यालय पर निबंध (Essay on My School in Hindi) हिन्दी में लिखा है। स्कूल के विद्यार्थी जो मेरी पाठशाला पर निबंध की खोज में हैं वे इस स्कूल पर सुंदर निबंध की मदद ले सकते हैं।

यह मेरी पाठशाला या मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi – Class 3, 4, 5, 7 मे अधिकतर पूछा जाता है।

Table of Content

मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi (1000 Words)

विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहां लोग बहुत कुछ सीखते हैं और पढ़ते हैं। इसे ज्ञान का मंदिर कहा जाता है। अपने विद्यालय या पाठशाला में हम सब जीवन का सबसे ज्यादा समय व्यतीत करते हैं जिसमे हम कई विषयों में शिक्षा लेते हैं ।

स्कूल में हमारे अध्यापक गण अपना ज्ञान हमें प्रदान कर सफलता पाने का सही रास्ता दिखाते हैं। आज इस लेख में मैंने मेरे विद्यालय पर बच्चों और विद्यार्थियों के लिए निबंध प्रस्तुत किया है।

मेरे विद्यालय का नाम और रूप Name and Structure of My School

मेरे विद्यालय का नाम अरविन्द पब्लिक स्कूल है। मेरा विद्यालय बहुत बड़ा और भव्य है, यह भुबनेश्वर में स्थित है।  यह तीन मंजिला है और इसकी  इमारत बहुत ही सुन्दर है। यह मेरे घर के पास शहर के केंद्र में स्थित है।

विद्यालय की दूरी कम होने के कारण मैं चलकर ही विद्यालय जाता हूं। मेरा विद्यालय पूरे राज्य में सबसे अच्छा और बड़ा है। मेरे विद्यालय के चारों ओर का स्थान बहुत शांतिपूर्ण और प्रदूषण से मुक्त है।

मेरे विद्यालय की सुविधाएँ Facilities in My School

सबसे नीचे विद्यालय में ऑडिटोरियम है जहां सभी वार्षिक कार्य और बैठकें संपन्न होती हैं। स्कूल में दोनों सिरों पर सीढ़ियां हैं, जो हमें हर एक मंजिल तक ले जाती हैं।

पहली मंजिल पर एक बड़ा पुस्तकालय है, जो कि पुस्तकों से अच्छी तरह से सुसज्जित है इसमें अनेक विषयों से संबंधित किताबे है। यहां पर वाद्य यंत्र की कक्षायें भी है इसके अलावा एक विज्ञान प्रयोगशाला है।

इसमें विज्ञान और वाणिज्य में 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए कक्षाएं हैं तथा नर्सरी के बच्चों के लिए भी यही कक्षायें बनायी गई है और दूसरी मंजिल पर एक कंप्यूटर प्रयोगशाला है, तथा यहाँ पर कक्षा पांच से दश तक के छात्र एवं छात्राओं की पढाई के लिए उत्तम व्यवस्था की गई है।

विद्यालय में पीने के पानी एवं शौचालय की भी उत्तम व्यवस्था है। शिक्षक सभी छात्रों के अंको और अन्य छात्रों से संबंधित बातों की पूर्ण जानकारी रखते है। विद्यालय में अलग-अलग कामों के लिये नौकर लगाये गये जो अपने-अपने कामों को नियम पूर्वक करते है।

जिसमें से एक रात्री के समय विद्यालय की देखभाल के लिये वहां रहता भी है। उसके लिए विद्यालय के किनारे पर एक छोटा सा घर बनाया गया है।  

हम सभी बच्चों के खेलने के लिए एक बड़ा खेल का मैदान है जहाँ कई झूले है और एक बड़ा बगीचा है जिसमें कई सारे फूल खिले रहते है, कई आम और अमरुद के बड़े-बड़े पेड़ लगे है। सभी कक्षाएं बहुत हवादार और खुली हुई हैं।

ड्राइंग रूम, म्यूजिक रूम, साइंस लेबोरेटरीज और ऑडियो वीडियो रूम भी हैं। हमारे विद्यालय में पांच हजार छात्र हैं। जिनमें 2000 लड़कियां और 3000 लड़के है। हमारे स्कूल के ज्यादातर छात्र ज्यादातर स्कूल इंटर-स्कूल प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं और उच्च स्थान लाते हैं और सभी गतिविधियों का समर्थन करते है।

मेरे स्कूल के प्रधानाचार्य और शिक्षक Principal and Teachers of My School

हमारी प्रधानाचार्या श्रीमति कल्पना जी बहुत दयालु महिला हैं। हमारे स्कूल में, 90 शिक्षक हैं , जो हमें ज्ञान देते हैं। और हमें प्यार भी करते है। विभिन्न गतिविधियों और कार्यों को साल भर आयोजित किया जाता है। मुझे अपने स्कूल पर बहुत गर्व है।

मैं अपने स्कूल से प्यार करता हूं और सम्मान करता हूं। मेरे विद्यालय की कई अलग अलग शहरों में शाखाएं है। मेरे विद्यालय पीले रंग से रंग किया गया है। यह पीला रंग आँखों को लुभाता है इस कारण मेरा विद्यालय दूर से ही सबसे अनोखा दिखाई पड़ता है।

प्रिंसिपल ऑफिस, हेड ऑफिस, क्लर्क रूम, स्टाफ रूम और आम स्टडी रूम सबसे नीचे बने हुये हैं। स्कूल कैंटीन, स्टेशनरी की दुकान, शतरंज कक्ष, और स्केटिंग हॉल भी जमीन तल पर स्थित हैं। स्कूल के प्रधानाचार्या ऑफिस के सामने मेरे स्कूल में दो बड़ी सीमेंट वाली बास्केटबाल कोर्ट हैं जबकि फुटबॉल मैदान इसके दूसरे तरफ है। मेरे स्कूल में एक छोटा हराभरा उद्यान भी है, जो मुख्य कार्यालय के सामने, रंगीन फूलों और सजावटी पौधों से भरा है जो पूरे स्कूल परिसर की सुंदरता बढ़ाता है।

मेरे विद्यालय में शिक्षा व उत्सव Education and Celebrations in My School

मेरे स्कूल के अध्ययन मानदंड बहुत ही रचनात्मक हैं जो हमें किसी भी कठिन विषय को आसानी से समझने में मदद करते हैं। हमारे शिक्षक हमें बहुत ईमानदारी से सब कुछ सिखाते हैं और हमें व्यावहारिक रूप से ज्ञान भी देते हैं।

मेरे विद्यालय में साल के सभी महत्वपूर्ण दिन जैसे खेल दिवस , शिक्षक दिवस , मातृ-पितृ दिवस , बाल दिवस , सालगिरह दिवस, संस्थापक दिवस, गणतंत्र दिवस , स्वतंत्रता दिवस , क्रिसमस दिवस , मातृ दिवस, वार्षिक समारोह, नव वर्ष , गांधी जयंती, आदि एक भव्य तरीके से मनाये जाते है।

मेरा विद्यालय उन छात्रों को बस सुविधा प्रदान करता है जो बच्चे स्कूल से बहुत दूर रहते हैं। सभी छात्र सुबह खेल के मैदान में इकट्ठे होते हैं और सुबह की प्रार्थना करते हैं और फिर सभी अपनी कक्षाओं में जाते हैं।

मेरा स्कूल हर साल लगभग 2000 छात्रों को नर्सरी कक्षा में प्रवेश प्रदान करता है। मेरे विद्यालय में विभिन्न विषयों जैसे गणित, अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, जीके, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, चित्रकला, खेल और शिल्प इत्यादि के लिए अलग-अलग अध्यापक हैं।

मेरे विद्यालय में पाठ्यक्रम गतिविधियाँ Curriculum activities in My School

हमारे विद्यालय में तैराकी, स्काउटिंग, एनसीसी, स्कूल बैंड, स्केटिंग, गायन, नृत्य इत्यादि कई सह-पाठ्यचर्या गतिविधियाँ हैं। विद्यालय के मानदंडों के अनुसार कक्षा शिक्षक द्वारा अनुचित व्यवहार और अनुशासित गतिविधियों वाले छात्रों को दंडित भी किया जाता है।

हमारे प्रधानाचार्या हमारे चरित्र निर्माण, शिष्टाचार, नैतिक शिक्षा, अच्छे मूल्यों को प्राप्त करने और दूसरों का सम्मान करने के लिए 10 मिनट के लिए मीटिंग हॉल में प्रतिदिन प्रत्येक छात्र की कक्षाएं लेते हैं। इस तरह मेरी प्रधानाचार्या एक अच्छी शिक्षक भी है।

विद्यालय जाने का समय My School Time

विद्यालय जाने का समय सुबह 7:30 से 2:30 गर्मियों में और सर्दियों में 9:30 से 4:30 तक है। सभी छोटे बच्चों और बड़े बच्चों के लिये छुट्टी होने पर स्कूल से निकलने का अलग-अलग रास्ता है ताकि छोटे बच्चों को बाहर निकलने में कोई परेशानी न हो।

मेरा विद्यालय पर 10 लाइन 10 Lines on My School in Hindi

  • मेरा विद्यालय बहुत ही सुन्दर है।
  • मेरा विद्यालय ज्ञान का मंदिर है।
  • मेरे स्कूल में सभी प्रकार की शिक्षा और पाठ्यक्रम गतिविधियों की सुविधाएँ है।
  • मेरे विद्यालय में कक्षा 1 से 12 तक के बच्चों को शिक्षा दी जाती है।
  • मेरे विद्यालय में बहुत बड़ा खेलने का मैदान है जिसमे बच्चे फुटबॉल और क्रिकेट भी आसानी से खेल सकते हैं।
  • मेरे विद्यालय में शिक्षा बहुत ही अच्छे प्रिंसिपल और शिक्षक हैं।
  • मेरे स्कूल में सभी प्रकार के खेल-कूद की ट्रेनिंग दी जाती है।
  • स्कूल में कई प्रकार के प्रतियोगिताओं का आयोजन समय-समय पर किया जाता है।
  • मेरा विद्यालय बहुत ही साफ़-सुथरा है क्योंकि यहाँ स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत सफाई पर बहुत ध्यान दिया जाता है।
  • हर साल मेरे विद्यालय के सभी छात्र और अध्यापक पिकनिक मनाने जाते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

हमारे विद्यालय के शिक्षक बहुत ही अनुभवी और योग्य है। शिक्षकों और हमारी प्राचार्या के नेतृत्व में हमारा विद्यालय लगातार उन्नति कर रहा है।  आशा करते हैं आपको मेरा विद्यालय पर निबंध Essay on My School in Hindi हिन्दी में अच्छा लगा होगा।

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What is Presidents Day and how is it celebrated? What to know about the federal holiday

Many will have a day off on monday in honor of presidents day. consumers may take advantage of retail sales that proliferate on the federal holiday, but here's what to know about the history of it..

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Presidents Day is fast approaching, which may signal to many a relaxing three-day weekend and plenty of holiday sales and bargains .

But next to Independence Day, there may not exist another American holiday that is quite so patriotic.

While Presidents Day has come to be a commemoration of all the nation's 46 chief executives, both past and present, it wasn't always so broad . When it first came into existence – long before it was even federally recognized – the holiday was meant to celebrate just one man: George Washington.

How has the day grown from a simple celebration of the birthday of the first president of the United States? And why are we seeing all these ads for car and furniture sales on TV?

Here's what to know about Presidents Day and how it came to be:

When is Presidents Day 2024?

This year, Presidents Day is on Monday, Feb. 19.

The holiday is celebrated on the third Monday of every February because of a bill signed into law in 1968 by President Lyndon B. Johnson. Taking effect three years later, the Uniform Holiday Bill mandated that three holidays – Memorial Day, Presidents Day and Veterans Day – occur on Mondays to prevent midweek shutdowns and add long weekends to the federal calendar, according to Britannica .

Other holidays, including Labor Day and Martin Luther King Jr. Day , were also established to be celebrated on Mondays when they were first observed.

However, Veterans Day was returned to Nov. 11 in 1978 and continues to be commemorated on that day.

What does Presidents Day commemorate?

Presidents Day was initially established in 1879 to celebrate the birthday of the nation's first president, George Washington. In fact, the holiday was simply called Washington's Birthday, which is still how the federal government refers to it, the Department of State explains .

Following the death of the venerated American Revolution leader in 1799, Feb. 22, widely believed to be Washington's date of birth , became a perennial day of remembrance, according to History.com .

The day remained an unofficial observance for much of the 1800s until Sen. Stephen Wallace Dorsey of Arkansas proposed that it become a federal holiday. In 1879, President Rutherford B. Hayes signed it into law, according to History.com.

While initially being recognized only in Washington D.C., Washington's Birthday became a nationwide holiday in 1885. The first to celebrate the life of an individual American, Washington's Birthday was at the time one of only five federally-recognized holidays – the others being Christmas, New Year's, Thanksgiving and the Fourth of July.

However, most Americans today likely don't view the federal holiday as a commemoration of just one specific president. Presidents Day has since come to represent a day to recognize and celebrate all of the United States' commanders-in-chief, according to the U.S. Department of State .

When the Uniform Holiday Bill took effect in 1971, a provision was included to combine the celebration of Washington’s birthday with Abraham Lincoln's on Feb. 12, according to History.com. Because the new annual date always fell between Washington's and Lincoln's birthdays, Americans believed the day was intended to honor both presidents.

Interestingly, advertisers may have played a part in the shift to "Presidents Day."

Many businesses jumped at the opportunity to use the three-day weekend as a means to draw customers with Presidents Day sales and bargain at stores across the country, according to History.com.

How is the holiday celebrated?

Because Presidents Day is a federal holiday , most federal workers will have the day off .

Part of the reason Johnson made the day a uniform holiday was so Americans had a long weekend "to travel farther and see more of this beautiful land of ours," he wrote. As such, places like the Washington Monument in D.C. and Mount Rushmore in South Dakota – which bears the likenesses of Presidents Washington, Lincoln, Thomas Jefferson and Theodore Roosevelt – are bound to attract plenty of tourists.

Similar to Independence Day, the holiday is also viewed as a patriotic celebration . As opposed to July, February might not be the best time for backyard barbecues and fireworks, but reenactments, parades and other ceremonies are sure to take place in cities across the U.S.

Presidential places abound across the U.S.

Opinions on current and recent presidents may leave Americans divided, but we apparently love our leaders of old enough to name a lot of places after them.

In 2023, the U.S. Census Bureau pulled information from its databases showcasing presidential geographic facts about the nation's cities and states.

Perhaps unsurprisingly, the census data shows that as of 2020 , the U.S. is home to plenty of cities, counties and towns bearing presidential names. Specifically:

  • 94 places are named "Washington."
  • 72 places are named "Lincoln."
  • 67 places are named for Andrew Jackson, a controversial figure who owned slaves and forced thousands of Native Americans to march along the infamous Trail of Tears.

Contributing: Clare Mulroy

Eric Lagatta covers breaking and trending news for USA TODAY. Reach him at [email protected]

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers_00.1

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers

The expected UP Board Class 10 Hindi Question Paper 2024 with Answers is provided here. The UP Board Hindi exam is on 22 Feb. Get guess questions and answers for UP Board class 10 Hindi exam 2024

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers_20.1

Table of Contents

The UP Board Hindi Class 10th Board exam begins on 22nd February 2024 and the first exam paper to be conducted is the Class 10 Hindi exam. The UP Board class 10 Hindi exam will be held in the morning shift from 8:30 AM to 11:45 AM. To help students in their preparation for the Hindi exam, we have provided the Hindi question paper 2024 (guess paper) that is most likely to be asked in the exam. We will also provide students with the actual question paper with answers after the conclusion of the Hindi exam on this page.

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10

The actual UP Board Hindi model paper 2024 class 10 will be provided to the students during the exam on February 22. The Class 10 Hindi exam is very important for students as the marks scored in this subject will play a crucial role in further education process. The UP Board class 10 Hindi question paper 2024 consists of different types of questions ranging from multiple choice questions to literature based questions. Students preparing for the board exam must prepare for these types of questions.

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers_30.1

UP Hindi Board Paper 2024 Class 10 Pattern

The UPMSP (Uttar Pradesh Madhyamik Shiksha Parishad) has released the exam pattern for the Class 10 Hindi question paper of the UP Board. Students must check the exam pattern to understand the exam properly and get very good marks in Hindi subject. The UP Board 10th Hindi question paper 2024 is divided into two sections. The exam paper consists of both objective and subjective questions.

The first section of the UP Board 10th Hindi question paper 2024 contains 20 multiple choice questions (MCQs) of which all questions must be attempted to get full marks. The second section consists of subjective-type questions. The questions in the subjective part consists of questions like Padyansh ( पद्यांश), Kavyansh (काव्यांश), Gadyansh (गद्यांश), and shloks (श्लोक). The subjective part also consists of essay questions based on the biography of a famous person.

Read: UP Board Admit Card 2024 Details

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10 Marking Scheme

Aspirants who are going to appear for the UP Board exam 2024 must be aware of the marking scheme for the Class 10 Hindi exam. The UP Board Hindi question paper contains a total of 30 questions, 20 from the objective section and 10 from the subjective section. The total marks for the UP Board class 10 Hindi exam paper is 70. Rest 30 marks are awarded based on the internal assessment marks. The objective questions in the UP Board Hindi exam paper awards 1 mark each.

The weightage of the objective section is 20 marks. The subjective section questions amount for a total of 50 marks. The marks for each question varies in the subjective questions. Each of the subjective questions are further divided into sub-parts. Candidates should focus on preparing the Padyansh, Gadyansh, and essays, as they are frequently asked in the exam.

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers_40.1

Class 10 Hindi Model Paper 2024 UP Board

The guess paper for the UP Board Class 10 Hindi exam will prove to be very handy. With just a few days left for the exam, students must solve the guess paper provided below in the article. The guess paper has been prepared by the expert faculty for Hindi at Adda247. Previously too , many questions in the Hindi exam paper was asked directly from the previous guess papers created by the expert faculty. The guess questions is based on the latest exam pattern and contain the same nature of questions as asked in the actual exam paper.

Check: UP Board Exam Center List 2024

UP Board Class 10 Hindi Guess Paper PDF 2024

The guess paper is provided below in the PDF format for the upcoming UP board exam 2024 Hindi subject. Students must attempt the questions provided in the guess paper to increase their score and boost their exam performance. Check out the UP Board 10th Hindi Guess Paper PDF 2024.

Download UP Board 10th Hindi Guess Paper 2024

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers_50.1

UP Board Class 10 Hindi Important Questions with answers 2024

Below we have provided the most probable questions that may be asked in the Padyansh and Gadyansh section of the Hindi class 10 exam. Along with the questions, we have also provided students with their detailed answers. Students must first try to solve the question on their own and then look at the answers.

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers_60.1

UP Board Class 10 Hindi Answer Key 2024

The UP Board Class 10 Hindi Answer Key 2024 PDF will be provided below on this page after the conclusion of the Hindi exam. The answer key is prepared by our Hindi expert faculty that contains answers for all the questions asked in the exam. Students should bookmark this page to get all the latest updates regarding the answer key on this page. The PDF for the UPMSP Hindi 10th answer key 2024 will also be provided here for the convenience of students.

UP Board Hindi Model Paper 2024 Class 10, Important Question & Answers_210.1

Sharing is caring!

What is the total marks for the UP Board class 10 Hindi exam paper?

The UP Board class 10 Hindi exam is held for 70 marks.

How many MCQs are asked in the UPMSP 10th Hindi exam?

There are 20 MCQs in the UPMSP 10th Hindi exam, of which all are compulsory.

What is the time allocated for the UP Board 10th Hindi exam paper?

Students are given 3 hours and 15 minutes to solve the UP Board 10th Hindi exam paper 2024.

  • Question Paper

Maharashtra 12th HSC Hindi Paper 2024

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Can You Optimize an Orgasm?

An array of smart sex toys cater to those who want to take a data-driven approach to their pleasure.

A painting of a woman with long dark hair lying down in a black bra.

By Gina Cherelus

Gina Cherelus writes the weekly dating column Third Wheel for The Times’s Styles section.

After Melissa, a 35-year-old event planner living in Chicago, masturbates, she sometimes studies a chart that resembles the output of a heart rate monitor or that of a seismograph capturing an earthquake.

The data is generated by her vibrator, the Lioness, which measures her arousal and uploads information about her orgasm patterns to the company’s app. The sensors embedded in the toy track her pelvic floor movements. With each involuntary squeeze and release of her pelvic floor muscles, the app displays a graph showing her rhythmic pattern in a series of peaks and valleys. She typically uses it in tandem with her other clitoral stimulating vibrators, so that she can compare the orgasms she experiences with each one.

“I use it just as a data collection dildo, essentially,” said Melissa, who asked to be identified only by her first name because of privacy concerns. Besides the Lioness, she doesn’t own any wearable activity trackers, like the popular Apple Watch or Fitbit, but she says she likes “to have quantifiable information when I’m learning things.”

Whether it’s obsessively collecting step counts or waiting for Spotify to reveal our musical tastes each year, we may be growing more accustomed to tracking every aspect of our lives through technology. The option to track female orgasms at home introduces the possibility of hacking what some scientists have treated as an enigma. Some people use the tracking technology to combat sexual changes that can come with menopause or polycystic ovary syndrome, for example. Others say they want the data to see how certain foods or medications may affect their arousal — and they’re thinking about how to optimize their orgasms with smart, Bluetooth-enabled sex toys they hope will help them better understand their bodies.

“We really call it a tool for ‘sexperiments,’ so doing experiments with yourself or with partners — how caffeine can have an effect on your orgasms, how alcohol , how CBD , how stress, all these things,” said Anna Lee, the chief executive and co-founder of Lioness.

Ms. Lee started the company about eight years ago with Liz Klinger, and the pair pitch their vibrators as a way for people to have “smarter” orgasms, joining a wave of everyday devices that are connected to the internet.

As sex toys have gotten smarter, they have been advertised as far more than sources of pleasure. Now available for purchase in stores like Target and Sephora rather than just sex shops, these toys may pledge to help users practice self-care or sexual wellness , offering people — particularly women — the glimmering promise of a fully optimized life . They’ve also introduced some pitfalls. Devices that collect data can be subject to data hacks, and some experts have warned that sex toys that track orgasms could become sources of tension with a partner.

“A sex toy can be a collaborator but not a competitor,” said Jamye Waxman, a therapist and sex educator in Los Angeles. “And I think you have to start to notice if it’s keeping score.”

Lioness isn’t the only device on the market offers users data. Perifit , while not a vibrator, is a Kegel exercise device that allows users to connect to an app where they can play Kegel games to strengthen their pelvic floor and track their contractions.

And Wujj , a sex tech company whose devices also use sensors to measure and improve orgasms, is set to begin beta testing this month. Its namesake product is a flexible U-shaped silicone toy that comes in flesh-toned colors that will also include a phone app with A.I.-powered audio erotica, how-to videos, insights from OB-GYNs and guided meditations.

Penda N’diaye, the founder and chief executive of the brand, said that the goal wasn’t to “pathologize orgasms” but to give users the tools to understand themselves. She uses words like “biofeedback” or “machine learning” to talk about Wujj — terms that aren’t usually associated with masturbation and sexual pleasure. But she said it’s those features that allow users to receive information that’s useful for their bodies.

Ms. N’diaye, who also is the founder of Pro Hoe, an organization for sexual wellness and sex education for women of color, said she had found that having “the gumption” and “boldness” to go after what you want sexually — and not wait to be chosen or remain on the receiving end — could be transformative.

Ms. Waxman said the orgasm tracking devices could also be beneficial for women who were perimenopausal or menopausal, or who were taking medications like S.S.R.I.s , which can make it challenging to have a satisfactory orgasm.

“The pros are it can really help us understand from a physiological perspective what’s going on, which can then help with the psychological perspective,” she said. “If the toy creates an opportunity for discussion with your partner around what you’re experiencing and what’s giving you pleasure, then I think that can be a really huge positive.”

But the frequent use of vibrators and sex toys may also create space for judgment, resentment and avoidance, she said, if a person and his or her partner cannot achieve the same level of pleasure that a toy can offer.

“If you are really into monitoring your orgasms and they start to change or you’re not having the same, huge orgasmic experiences, and that starts to change, the concern is ‘now something’s wrong with me because this isn’t happening,’” she said.

To strike a balance, Ms. Waxman said smart sex toy users might use the data from their devices as a jumping-off point for a vulnerable conversation.

“If you notice that you’re using your vibrator at 11 a.m. because that’s the time you’re most aroused, but your partner is working, then there is a conversation about timing that you have to have and that maybe on weekends you set aside 11 a.m.” she said.

Not everyone is so sure that an optimized orgasm is really the best kind of orgasm. Lioness includes a “live view” that allows users to see their orgasm chart develop in real time and log when they are about to climax.

April Damaso, a 33-year-old tech designer living in Vancouver, British Columbia, said she was excited about the product but that the tracking feature could be distracting. Sometimes it “takes away from the experience,” she said.

Ms. Damaso, who identifies as lesbian, said that the toy’s tracking function had limited use for her, as it only works if it’s inserted. “I’m not somebody who likes penetration all the time,” she said.

Data capture also increases concerns over privacy when it comes to smart sex toys. While brands like Lioness state in their privacy policies that user data is encrypted, and many companies do not require users to sign up with identifiable information, other brands have come under fire for their practices. In 2017, a Canadian sex toy company, We-Vibe, was ordered to pay customers up to 10,000 Canadian dollars each as part of a class-action lawsuit after the smart vibrator tracked owners’ use without their knowledge.

As for Melissa, she isn’t using the Lioness to chart “every single” orgasm she’s had, but she uses it “every once in a while,” such as when she’s had a strong cup of coffee and wants to see how it affects her body’s response.

“I am very much an advocate of sex education,” she added, “and I think even adults are still learning about their bodies and learning about self-pleasure.”

Gina Cherelus covers dating, relationships and sex for The Times and writes the weekly dating column Third Wheel . More about Gina Cherelus

Nibandh

First Day of School Essay in Hindi

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स्कूल में पहला दिन का निबंध

रुपरेखा : प्रस्तावना - स्कूल का विवरण - स्कूल में प्रथम दिन - सहपाठियों का विवरण - उपसंहार।

जब कोई व्यक्ति किसी अज्ञात जगह पर जाता है या किसी अपरिचित व्यक्ति से मिलता है, तब उसे बहुत-सी शंकाएँ रहती हैं। उसी प्रकार, जब हम किसी नए स्कूल में जाते हैं, तो हमारा मन शंकाओं और प्रश्नों से भरा रहता है। हम बहुत घबराए रहते हैं। हम नए शिक्षकों और सहपाठियों के बारे में जानने को उत्सुक रहते हैं। नए स्कूल में मेरा पहला दिन मुझे अभी तक याद है। मैं दसवीं वर्ग में था। मैं माध्यमिक स्कूल से उच्च माध्यमिक स्कूल में जा रहा था।

स्कूल में मेरा पहले दिन का अनुभव उस समय का है जब मेंने आठवीं कक्षा पास कर ली थी। मेरा रिजेल्ट बहुत ही अच्छा था मैंने प्रथम श्रेणी में पास कर लिया था। इसलिए मुझे शहर के एक अच्छे स्कूल में प्रवेश लेने का अवसर प्राप्त हुआ। मेरे परिवार सहित सभी पास पड़ोस ओर रिश्तेदारों ने अपनी-अपनी सलाह ओर सुझाव प्रदान किये। सबके सुझाव सुनकर मेरे पापा ने मुझे एक अच्छे स्कूल में मेरा प्रवेश करवा दिया। स्कूल में प्रवेश के बाद मेरा प्रवेश पत्र भरकर जमा करवा दिया। कुछ दिनों बाद प्रवेश-सूची निकाली गई। और पहली सूची में ही मेरा नाम आ गया था। ये देखकर में बहुत खुश हुई। शुल्क, आदि जमा करने के बाद में अपने पठन-पाठन के लिए निश्चित समय पर स्कूल के लिए घर से चल पड़ा।

जब मैंने अपने नए स्कूल के द्वार में प्रवेश किया, मैं चकित रह गया। इसका परिसर आकार में विशाल था। स्कूल-भवन बहुत सुंदर था। मैंने अपनी कक्षा को ढूँढ़ा और अंदर गया। अधिकतर सीटें भरी हुई थीं। मैंने देखा कि आखिरी बेंच खाली था और वहाँ बैठ गया। मेरे सभी सहपाठी मुझे अनभिज्ञ ढंग से घूर रहे थे। कुछ देर बाद हमलोग सुबह की सभा के लिए स्कूल के खेल-मैदान में गए। वहाँ एक सामूहिक प्रार्थना हुई। उसके बाद प्राचार्य ने नए विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए उन्हें अनुशासन के महत्त्व से अवगत कराया।

हमारी वर्ग-शिक्षिका पहली घंटी में वर्ग में आईं। उन्होंने पूरी कक्षा से मेरा परिचय कराया। उन्होंने मेरे पूर्व स्कूल एवं परीक्षाफल के बारे में पूछा। इसी तरह चार घंटियाँ बीत गईं। मेरे कुछ सहपाठी मुझसे बात करने आए। हमलोग मध्यावकाश के दौरान बाहर गए । तब-तक मैंने कुछ मित्र बना लिए थे। मैंने उनलोगों के साथ अपना मध्याह्न भोजन साझा किया। उन्होंने मुझे स्कूल का पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशाला और इन्डोर स्टेडियम दिखाया। उन्होंने मुझे स्कूल के कुछ अन्य शिक्षकों के बारे में भी बताया। मैंने उनसे कुछ 'नोट्स' लिए। उन्होंने मेरे पाठ्यक्रम को पूरा करने में मुझे मदद करने का वादा किया। कुछ शरारती छात्रों ने मेरे साथ शरारत करने की कोशिश की। वह अनुभव भी अच्छा था। स्कूल का प्रथम दिन होने के कारण मध्यावकाश के बाद पढ़ाई नहीं हुई । बच्चे खेलने लगे । मैंने खेल घर में जाकर कैरम बोर्ड और चैस खेला। खेल खेलते हुए मुझे बहुत आनंद आया । फिर छुट्‌टी की घंटी बजी । बच्चों ने बस्ता सँभाला और आपस में बातें करते हुए घर की ओर चले ।

इस प्रकार स्कूल का प्रथम दिन नए स्कूल को जानने तथा शिक्षकों एवं सहपाठियों से परिचय प्राप्त करने में बीता । कई नए अनुभव प्राप्त हुए । कई नए मित्र बनाए। नए मित्रों के साथ खेल खेले। फिर मित्र के साथ बातें करते-करते घर लौटे। घर लौटकर माँ, पिताजी और भाई के साथ अपने अनुभव बाँटे । मेरे सभी सहपाठी अच्छे थे। मैंने अपने नए स्कूल में पहले दिन का बहुत आनंद लिया। कभी-कभी मुझे आज भी उस दिन की याद आती है।

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