गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500 शब्दों मे
गांधी जयंती पर निबंध(Gandhi Jayanti Essay in Hindi) – महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाया जाता है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था, और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था।
उनकी स्मृति में चित्रकला और निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। अहिंसक आंदोलन महात्मा गांधी के जीवन के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। यह सुनिश्चित किया जाता है कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी के प्रयास का जश्न मनाने के लिए इसे लागू किया जाए और पुरस्कृत किया जाए।
आमतौर पर उनकी याद में महात्मा गांधी के पसंदीदा भजन (रघुपति राघव राजा राम) गाए जाते हैं। पूरे भारत में महात्मा गांधी की मूर्तियों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है और कुछ लोग उस दिन मांस और शराब का सेवन करने से परहेज करते हैं। सार्वजनिक भवन, जैसे बैंक और डाकघर, दिन के लिए बंद रहते हैं।
महात्मा गांधी जयंती निबंध पर 10 लाइन (10 Lines Essay On Mahatma Gandhi Jayanti in Hindi)
- प्रत्येक वर्ष, 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती को भारत के राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
- इस दिन को हम अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अपनाया है।
- यह भारत में आधिकारिक तौर पर घोषित छुट्टियों में से एक है।
- दुनिया भर के लोग उस दिन महात्मा गांधी के योगदानों को श्रद्धांजलि देते हैं और उनकी शिक्षाओं की प्रशंसा करते हैं।
- भारत के निवासी, गांधी की मूर्तियों को फूलों से सजाते हैं।
- राज घाट स्मारक के पास, राजनीतिक दल और लोग राष्ट्रपिता को अपनी श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्रित होते हैं।
- विभिन्न स्कूल और कॉलेज महात्मा गांधी की स्मृति में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
- महात्मा गांधी ने अहिंसा और शांति का विचार दिया।
- उन्होंने हमेशा शराब पीने जैसी बुरी आदतों का विरोध किया।
- उस दिन हम उनकी विचारधारा और शिक्षाओं को याद करते हैं, जो उन्होंने समाज को दी।
गांधी जयंती पर निबंध 100 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 100 words in Hindi)
यह राष्ट्रपिता (महात्मा गांधी, जिन्हें बापू भी कहा जाता है) की जयंती है। गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को पूरे भारत में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में मनाई जाती है। यह स्कूलों, कॉलेजों, शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी कार्यालयों, समुदायों, समाज और अन्य स्थानों में कई उद्देश्यपूर्ण गतिविधियों का आयोजन करके मनाया जाता है। भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है। इस दिन, पूरे भारत में सरकारी कार्यालय, बैंक, स्कूल, कॉलेज, कंपनियां आदि बंद रहते हैं लेकिन इसे बड़े उत्साह और ढेर सारी तैयारियों के साथ मनाया जाता है।
गांधी जयंती पर निबंध 150 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 150 words in Hindi)
गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। यह दिन उनकी जयंती का प्रतीक है। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे। हम इस दिन को देश के लिए किए गए उनके बलिदान की याद में मनाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालने के लिए विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया। सत्याग्रह प्रसिद्ध आंदोलनों में से एक था। भारत छोड़ो आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन अन्य दो प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण आंदोलन हैं जिन्होंने हमें 1947 में आजादी दिलाई।
इस दिन, कई छात्र लोगों को अहिंसा का संदेश देने वाले नाटक करते हैं। कई छात्र उनकी जयंती को चिह्नित करने के लिए इस दिन देशभक्ति के गीत गाते हैं। कई छात्र गांधीजी और उनकी शिक्षाओं के विषय पर पेंटिंग करते हैं। यह दिन देशभक्ति के उत्साह में डूबा हुआ है और हम उनकी बुद्धिमान शिक्षाओं को याद करते हैं- “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो”। इस दिन उनके जीवन पर केन्द्रित कई फिल्में टेलीविजन और रेडियो चैनलों पर प्रसारित की जाती हैं। जल्द ही हम हिंदी, मलयालम में गांधी जयंती पर पैराग्राफ अपडेट करेंगे।
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गांधी जयंती पर निबंध 200 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 200 words in Hindi)
गांधी जयंती प्रत्येक 2 अक्टूबर को पड़ती है। यह एक राष्ट्रीय पर्व है। मोहनदास करमचंद गांधी अपने शिक्षण में अहिंसा का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं। स्वदेशी और सत्याग्रह सहित उनके विभिन्न आंदोलन अहिंसा की उनकी धारणाओं पर आधारित थे।
वह बहुत पहले से ‘मेक इन इंडिया’ की अवधारणा में विश्वास करते थे और इसलिए उन्होंने अपने साथी लोगों को चरखे के रूप में जाने जाने वाले हाथ के पहिये के माध्यम से कपड़े बुनने के लिए कहा। उन्होंने खादी के कपड़े पहने और विदेशी उत्पादों को त्याग दिया। वे न केवल एक स्वतंत्रता सेनानी थे, बल्कि एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और छुआछूत जैसे सामाजिक कलंक को दूर किया। उन्होंने तत्कालीन अछूतों को हरिजन या ईश्वर की संतान का नाम दिया।
उनकी शिक्षाओं को चिह्नित करने के लिए स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पूरे काउंटी में गांधी जयंती पूरे दिल से मनाई जाती है। विभिन्न छात्र ‘अहिंसा’ या अहिंसा और स्वदेशी आंदोलन की शिक्षाओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए नाटकों और नुक्कड़ नाटकों में अभिनय करते हैं। छात्र इस दिन पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते हैं और उनकी तस्वीरें भी बनाते हैं।
उनके सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहते हैं। सिद्धांत और छात्र उनकी शिक्षाओं पर भाषण देते हैं। फिल्मों का प्रसारण उनके जीवन पर केन्द्रित होता है। अन्य नेताओं के साथ-साथ उनके अथक प्रयासों के कारण ही आज हम अपने देश में खुलकर सांस ले सकते हैं।
गांधी जयंती पर निबंध 250 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 250 words in Hindi)
गांधी जयंती भारत में हर साल 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और कॉलेज, स्कूल और कार्यालय बंद रहते हैं।
गांधी जयंती कैसे मनाई जाती है?
गांधी जयंती को राष्ट्रपिता और सत्य और अहिंसा के साथ उनके प्रयोग के प्रति बहुत सम्मान के साथ मनाया जाता है। पूरे देश में कई स्थानों पर निबंध लेखन, भाषण प्रतियोगिता और अन्य जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
गांधी जयंती दक्षिण अफ्रीका में भी मनाई जाती है, जहां गांधी जी ने भारतीयों और मूलनिवासी अश्वेतों के अधिकारों की वकालत करते हुए 21 साल तक लड़ाई लड़ी। दुनिया के अन्य हिस्सों में भारतीय दूतावासों में विशेष स्मारक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने महात्मा गांधी की जन्म तिथि, 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय शांति और अहिंसा दिवस के रूप में नामित किया, जिसे पूरे विश्व में मनाया जाता है।
गांधी जयंती का महत्व
अपने पूरे सार्वजनिक जीवन में, महात्मा गांधी ने दैनिक गतिविधियों और आचरणों में सख्त अनुशासन का अभ्यास किया था। उन्हें अपनी नीतियों पर अगाध विश्वास था, जो जनता में भी परिलक्षित होता था। वह एक महानायक थे जिन्होंने दुनिया को दमन और अन्याय से लड़ने के लिए एक नया हथियार दिया – “असहयोग”। सत्य, अहिंसा और असहयोग की उनकी संयुक्त नीतियां जनता के बीच एक त्वरित हिट थीं। उनका जन्मदिन मनाना और उनके मूल्यों को याद रखना हमें एक समाज और एक राष्ट्र के रूप में और अधिक विकसित होने में मदद करता है।
गांधी जयंती एक राष्ट्रीय त्योहार है जब राष्ट्र अपने महान योद्धा को याद करता है जिन्होंने लाखों लोगों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और देश को अंग्रेजों के दमनकारी शासन से मुक्त कराया।
गांधी जयंती पर निबंध 300 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 300 words in Hindi)
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 को हुआ था। हम उनकी जयंती और हमारे देश को ब्रिटिश राज के चंगुल से मुक्त कराने के उनके प्रयासों को चिह्नित करने के लिए गांधी जयंती मनाते हैं। राष्ट्रपिता के रूप में भी जाने जाने वाले, उन्होंने अंग्रेजों को देश से बाहर निकालने और ‘भारत’ के सार को बनाए रखने के लिए विभिन्न आंदोलनों में अपना योगदान दिया है। अहिंसा और सादा जीवन उनके दो बुनियादी सिद्धांत थे जिनका उन्होंने पालन किया।
अफ्रीका में कानून की शिक्षा प्राप्त एक व्यक्ति अपने देशवासियों को आजाद कराने के लिए भारत लौटा। सिर्फ एक धोती पहने, उसे एक जोड़ी गिलास और एक छड़ी के साथ जोड़कर, वह साथी भारतीयों के साथ नमक निकालने और ब्रिटिश उपनिवेशों को यह दिखाने के लिए मीलों पैदल चलकर दांडी गए कि हमारे पास अपार शक्तियाँ हैं। सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रचारक, उन्होंने अपने देशवासियों को अस्पृश्यता जैसी तत्कालीन मौजूदा सामाजिक बुराइयों से भी मुक्त कराया।
वह आत्मनिर्भरता में विश्वास करते थे और इसलिए अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कपड़े पहनने के बजाय अपने खुद के कपड़े बुनने की अवधारणा को बढ़ावा दिया। इसने भारतीय महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाया, इसलिए उन्हें मुक्ति मिली।
भारत इस तरह गांधी जयंती मनाता है:
- स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय बच्चों और लोगों को उनके योगदान से अवगत कराने के लिए नाटकों, नृत्य प्रदर्शनों, भाषणों और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताओं का आयोजन करते हैं।
- सम्मान में बैंक और कार्यालय बंद रहे।
- राजघाट, नई दिल्ली में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाता है और उसे फूलों से सजाया जाता है।
- उनके जीवन को दर्शाने वाली फिल्में टेलीविजन पर प्रसारित की जाती हैं।
- संयुक्त राष्ट्र ने अहिंसा में अपने विश्वास को चिह्नित करने के लिए 2 अक्टूबर को अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया है।
गांधी जी ने हमें आत्मनिर्भरता, ईमानदारी और अहिंसा का महत्व सिखाया। छात्र उनके पसंदीदा भजन- ‘रघुपति राघव’ को गाने के अलावा विधानसभाओं में इसका पालन करने की शपथ लेते हैं।
गांधी जयंती पर निबंध 500 शब्द (Gandhi Jayanti Essay 500 words in Hindi)
गांधी जयंती एक प्रमुख राष्ट्रीय त्योहार है जिसका उत्सव भारत में 2 अक्टूबर को मनाया जाता है। सबसे उल्लेखनीय, यह त्यौहार मोहनदास करमचंद गांधी की जयंती मनाता है। इसके अलावा, गांधी जयंती भारत के तीन राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया है। त्योहार निश्चित रूप से भारत में एक महत्वपूर्ण अवसर है।
महात्मा गांधी का जन्म ब्रिटिश शासन के तहत भारत में हुआ था। वह निश्चित रूप से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे प्रमुख व्यक्ति थे। महात्मा गांधी को “राष्ट्रपिता” की उपाधि से सम्मानित किया गया है। यह भारत की स्वतंत्रता के लिए उनके निरंतर सर्वोपरि प्रयासों के कारण था।
गांधी का व्यापारी वर्ग का परिवार था। यह आत्मविश्वासी व्यक्ति 24 वर्ष की आयु में दक्षिण अफ्रीका चला गया। वह वहां कानून की पढ़ाई करने गया था। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से उनकी वापसी हुई। फिर वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने। अपने अथक परिश्रम के कारण वे जल्द ही कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए।
महात्मा गांधी के प्रयास केवल भारतीय स्वतंत्रता तक ही सीमित नहीं थे। मनुष्य ने विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराइयों से भी संघर्ष किया। ये सामाजिक बुराइयाँ अस्पृश्यता, जातिवाद, स्त्री अधीनता आदि थीं। इसके अलावा, उन्होंने गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए भी महत्वपूर्ण प्रयास किए।
महात्मा गांधी को भारत में ब्रिटिश शासन के प्रति घोर अरुचि थी। हालांकि, वह हिंसा के रास्ते के पक्ष में नहीं थे। गांधी अहिंसा (अहिंसा) के दर्शन में सख्ती से विश्वास करते थे। नतीजतन, उस व्यक्ति ने शांतिपूर्ण तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध किया। इसके अलावा, गांधी के शांतिपूर्ण विरोध और आंदोलन अत्यधिक प्रभावी थे। उनके तरीके और योजनाएँ बहुत कुशल थीं। अपनी अविश्वसनीय प्रभावशीलता के कारण, गांधीजी अन्य विश्व नेताओं के लिए प्रेरणा बन गए। एक बार फिर, गांधी को महात्मा की एक और उपाधि से सम्मानित किया गया। महात्मा शब्द का अर्थ महान आत्मा है। उनके जन्मदिन को शानदार स्मरण और उत्सव के दिन में बदल दिया गया।
महात्मा गांधी की स्मृति
सबसे पहले, गांधी जयंती और कुछ नहीं बल्कि महात्मा गांधी की एक भव्य स्मृति है। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत के राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। देशभक्ति के इस अवसर का उत्सव हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में आयोजित किया जाता है।
गांधी जयंती के अवसर पर प्रार्थना सेवा और श्रद्धांजलि होती है। ये प्रार्थना सेवाएं और श्रद्धांजलि पूरे देश में होती हैं। इसके अलावा, गांधी जयंती पर विभिन्न प्रार्थना सभाएं और स्मारक समारोह भी होते हैं। ये आयोजन स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी संस्थानों में होते हैं। खास बात यह है कि इस तरह के आयोजनों में हर तबके के लोग हिस्सा लेते हैं।
जगह-जगह चित्रकला, निबंध आदि की प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। इसके अलावा, ऐसी प्रतियोगिताओं के लिए पुरस्कारों का वितरण होता है। कई स्कूलों और कॉलेजों में छात्र महात्मा गांधी के जीवन पर वृत्तचित्र और प्रदर्शन भी देखते हैं। नतीजतन, युवाओं के बीच अहिंसक जीवन शैली को बढ़ावा मिल रहा है। गांधीजी के पसंदीदा भजन (हिंदू भक्ति गीत) के गायन कार्यक्रम भी हैं। एक अन्य अनुष्ठान गांधी प्रतिमाओं को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है। अंत में, कुछ व्यक्ति गांधी जयंती पर मांस खाने या शराब पीने से बचते हैं।
गांधी जयंती महात्मा गांधी के महान व्यक्तित्व का सम्मान करती है। यह इस महान व्यक्तित्व के जीवन को प्रतिबिंबित करने और संजोने का अवसर है। इसके अलावा, सभी को इस दिन उनकी तरह जीने की कोशिश करनी चाहिए। गांधी जयंती निश्चित रूप से भारत में एक बहुत ही देशभक्ति का दिन है।
गांधी जयंती निबंध पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: (FAQs)
Q.1 गांधीजी ने अपने प्रथम सत्याग्रह का प्रयोग कहाँ किया था.
उत्तर. गांधीजी ने अपना पहला सत्याग्रह 1906 में दक्षिण अफ्रीका में प्रयोग किया।
Q.2 महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु कौन थे?
उत्तर. लियो टॉल्स्टॉय महात्मा गांधी के आध्यात्मिक गुरु थे।
Q.3 हम अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाते हैं?
उत्तर. अहिंसा का अंतर्राष्ट्रीय दिवस 2 अक्टूबर को गांधीजी के जन्मदिन पर मनाया जाता है।
Q.4 गांधीजी को किस विश्वविद्यालय ने अपने स्थापना दिवस पर आमंत्रित किया था?
उत्तर. गांधीजी को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने के लिए बोलने के लिए आमंत्रित किया गया था।
Q.5 गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत कब लौटे थे?
उत्तर. गांधीजी 9 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और इस दिन को प्रवासी भारत दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Q.6 आरबीआई द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंक नोट कब जारी किए गए थे?
उत्तर. 1996 में RBI द्वारा महात्मा गांधी श्रृंखला के बैंकनोट जारी किए गए थे।
महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi
Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।
2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।
इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।
इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-
महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi
महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।
भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।
राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।
उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।
महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।
महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।
गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।
महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”
महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।
वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।
महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information
स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।
गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।
महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career
अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।
इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।
वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:
महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।
उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।
ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।
सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।
वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।
अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।
वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh
प्रस्तावना-
2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।
वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।
महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter
दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।
जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।
महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था। उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-
चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement
साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।
जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।
साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।
जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।
महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।
महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement
अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।
जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।
गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।
इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan
महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।
गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।
नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।
गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।
महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)
अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।
आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।
इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।
इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।
वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।
- Mahatma Gandhi Slogan
महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।
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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”
Gandhi ji is my favorite
अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा
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गांधी जयंती पर निबंध
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रूपरेखा : प्रस्तावना - गांधी जयंती राष्ट्रीय पर्व के रूप में - गांधी जी में अद्भुत नेतृत्व शक्ति - हरिजन सेवा संघ की स्थापना - हिंदू-मुस्लिम एकता - सत्य-अहिंसा का मार्ग - गांधी जी में विचारों व क्रियाओं का विरोध और सांमजस्य - उपसंहार।
गांधी जयंती एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है जो राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष मनाया जाता है। पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी इसे मनाया जाता है। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में गांधी जयंती को घोषित किया गया है। मोहनदास करमचन्द गांधी (2 अक्टूबर 1869 में जन्म) के जन्म दिवस को याद करने के लिये पूरे देश में गांधी जयंती को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में मनाया जाता है। उनके भारतीय स्वतंत्रता के लिये किये गये अहिंसा आंदोलन से आज भी देश के राजनीतिक नेताओं के साथ-साथ देशी तथा विदेशी युवा नेता भी प्रभावित होते है।
2 अक्टूबर, 1869 को गांधी जी भारत-भू पर प्रगटे थे। इसलिए कृतज्ञ राष्ट्र उनके जन्म-दिवस को, राष्ट्रीय-पर्व के रूप में मनाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। अर्चना के अगणित स्वर मिलकर इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष और महामानव की वंदना करता है। राष्ट्र को उनकी देन, उपकार तथा वरदान के लिए 'गांधी मेलों' द्वारा उनका पुनीत स्मरण करता है।
अपने हाथ से कते सूत की लंगोटी पहनने वाले, चरखे को अहिंसा के प्रतीक के रूप में स्वीकार करके भारत के प्राचीन ग्राम्योद्यम एवं ग्राम्य-जीवन की महत्ता को मशीनों के वर्तमान युग में भी उज्ज्वल करने वाले, सहिष्णुता, त्याग, संयम और सादगी की मूर्ति बापू के जीवन की छाप आज हमारे खान-पान, रहन-सहन, भाव-विचार, भाषा और शैली, परिच्छद और परिधान, काव्य और चित्रकारी, दर्शन और सामाजिक व्यवहार धर्म-कर्म, राष्ट्रीयता और अन्तरराष्ट्रीयता, उनमें से प्रत्येक पर कहीं न कहीं देखी जा सकती है।
गांधी जी में अदभुत नेतृत्व-शक्ति थी। उन्होंने भारत को स्वतन्त्र करवाने के लिए कांग्रेस पार्टी के माध्यम से स्वतंत्र आंदोलन का नेतृत्व किया। सविनय अवज्ञा भंग, असहयोग, विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार, रॉलेट- एक्ट, नमक कानून, हरिजन एवार्ड आदि का विरोध राष्ट्रीय आन्दोलन के 'माइल-स्टोन' थे। जनता ने उनके नेतृत्व में जेलें भरी, लाठिया-गोलियाँ खाईं, जीवन बलिदान कर दिए। अहिंसात्मक आन्दोलन को अपनाकर आस्था रूप में खिली जवानी के पुष्प समर्पित किए। 1942 का आन्दोलन 'करो या मरो' स्वतंत्र समर का निर्णायक आन्दोलन था, जो गांधी जी के नेतृत्व-सफलता का सर्वोत्कृष्ट प्रमाण है।
गांधी जो ने शराब को शरीर और आत्मा का शत्रु बताकर उसका विरोध किया। हजारों महिलाएँ और पुरुष शराब की दुकानों पर धरना देने लगे । लाखों शराबियों और शराब का आस्वादन करने वालों ने जीवन में मद्य-निषेध का व्रत लिया।
गांधी जो ने 'हरिजन-सेवा-संघ' की स्थापना की । हरिजनों के आत्मबल को ऊँचा उठाने के लिए' अद्ठ्तोद्धार ' कार्यक्रम शुरू किए। स्वयं हरिजन बस्ती में रहने लगे। अछूतों के प्रति की जाने वाली घृणा को प्रेम में बदला। कुएँ का पानी और मंदिर के पट उनके लिए खुले । 'निषेध' प्रवेश में परिवर्तित हुआ । हरिजनबन्धु न केवल हिन्दू धर्म के अविभाज्य अंग बने रहे, अपितु गाँधो जी के व्यवहार, कृत्य और कार्यक्रमों से वे सामाजिक और सांस्कृतिक सम्मान के पात्र भी बने।
गांधी जी ने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं से प्रेम करना सिखाया | विदेशी-वस्त्रों की होली जलवाई। विदेशी-वस्तुओं का बहिष्कार करने की प्रवृत्ति बनाई । परिणामत: घर-घर में चरखा चला। खद्दर का प्रयोग बढ़ा। खद्दर हमारे शरीर की आन, बान और शान बना। खादी-आश्रम खुले। करधे चले, लाखों लोगों को रोटी-रोजी का साधन मिला। राष्ट्रीयता की एक पहचान बनी।
गांधी जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता का श्रीगणेश किया। मुसलमानों को राष्ट्रीयता के प्रवाह में प्रवाहित होने क्रे लिए प्रेरित किया। हिन्दू-मुस्लिम ऐक्य के लिए अनेक बार उपवास किए। 'हिन्दू-मुस्लिम भाई भाई' उनका आदर्श वाक्य बना। हिन्दुओं ने हठधर्मिता छोड़ी। मुस्लिम-सुविधा के लिए अपने धार्मिक-सामाजिक, सिद्धान्तों की बलि चढ़ाई। मुस्लिम आत्मा को चोट पहुँचाने वाले कृत्यों से सावधान-सचेत रहे । परिणामत: राष्ट्र भक्त अनेक मुसलमान कांग्रेस के कंठहार बने। जैसे--मौलाना अबुल कलाम आजाद, खान अब्दुलगफ्फार खाँ, शौकतअली बंधु।
सत्य, अहिंसा और सादगी गांधी जी के जीवन की त्रिवेणी थी, जिनका संगम थी उनकी काया। जीवन-भर एक लंँगोटी में जीवन बिताया। रेल की तीसरी श्रेणी के डिब्बे में यात्रा की। खान-पान, वचन और कर्म में सात्विकता बरती। गांधी जी सत्य मैं परमेश्वर के दर्शन करते थे, वे उसे मुक्ति-मार्ग समझते थे। सत्य को प्राण और आत्मा कांविशिष्ट गुण मानते थे। जीवन में सत्य के प्रयोग करके वे मानव से महामानव बन गए। अहिंसा उनके आचरण का मंत्र था जीवन शैली का मार्ग था।
गांधी जी में विचारों व क्रियाओं का विरोध और सांमजस्य गांधी जी हिन्दी को राष्ट्र की आत्मा मानते थे। उन्होंने दक्षिण मैं हिन्दी प्रचार और प्रसार के लिए राष्ट्र-भाषा प्रचार समिति तथा दक्षिण हिन्दी-प्रचार सभा जैसी संस्थानों की नीव डालीं। उनके प्रोत्साहन से लाखों लोगों ने हिन्दी सीखी, हिन्दी को आजीविका का साधन माना।
विश्व कवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर गांधी जीवन में विचारों और क्रियाओं का विरोध एवं सामंजस्य प्रदर्शित करते हुए लिखते हैं, 'वे स्वयं निर्धन और दरिद्र हैं, किन्तु सबको सुखी एवं सम्पन्न बनाने को दिशा में वे सबसे अधिक क्रियाशील हैं । वे घोर रूप से क्रान्तिकारी है, किन्तु क्रान्ति के पक्ष में वे जिन शक्तियों को जाग्रत करते हैं, उन्हें अपने नियन्त्रण में भी रखते हैं। वे एक साथ प्रतिमापूजक और प्रतिमा-भंजक भी हैं । मूर्तियों को यथास्थान रखते हुए वे आराधकों को उच्च स्तर पर ले जाकर प्रतिमाओं के दर्शन करने की शिक्षा देते हैं । वे वर्णाश्रम के विश्वासी हैं, किन्तु जाति-प्रथा को चूर्ण किये जा रहे हैं। भाव-भावना को वे भी मनुष्य की नैतिक प्रगति का बाधक मानते हैं, किन्तु टालस्टॉय की भान्ति वे सौन्दर्य और नारी को संदेह की दृष्टि से नहीं देखते। गांधी जी की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जो सुधार वे दूसरों को सिखाते हैं, उन सुधारों की कीमत पहले वे आप चुका देते हैं।
गांधी जयंती गांधी जी को स्मरण करने का पुण्य दिन है। इस दिन स्थान-स्थान पर गांधी-मेले लगते हैं । इनमें गांधी जो के जीवन को झाँकियाँ दिखाई जाती हैं, उनके जीवन की विशिष्ट घटनाओं के चित्र लगाए जाते हैं। गांधी जी पर प्रवचन और भाषण होते हैं। मुख्य समारोह दिल्ली के राजघाट पर होता है। राष्ट्र के कर्णधार, मुख्यतः राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा प्रधानमंत्री और नेतागण तथा श्रद्धालु-जन गांधी जी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। प्रार्थना-सभा में राम धुन तथा गांधी जी के प्रिय-भजनों का गान होता है। विभिन्न धर्मों के पुजारी प्रार्थना करते हैं, अपने-अपने धर्म-ग्रन्थों से पाठ करते हैं। श्रद्धा-सुमन चढ़ाने और भजन-गान का कार्यक्रम 'बिड़ला हाउस' में भी होता है, जहाँ गांधी जी शहीद हुए थे।
गांधी जी आज भी राजनीतिज्ञों के लिए विध्ननाशक, मंगलदाता गणेश जी हैं। भोली- भाली जनता को ढगने, सम्पन्नता और सत्ता का भोग भोगने का गुरु-मंत्र हैं।
Nibandh Category
गांधी जयंती पर निबंध (Essay On Gandhi Jayanti In Hindi): 02 अक्टूबर गांधी जयंती पर निबंध
गांधी जयंती पर निबंध (Essay On Gandhi Jayanti In Hindi)- हमारे देश में कई ऐसे महापुरुष हुए हैं जिन्होंने अपने कार्य और विचारों से हम सभी को प्रेरित किया है। इन्हीं महापुरुषों में से एक नाम साबरमंती के संत कहे जाने वाले महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) का भी शामिल है। गांधी जी (Gandhi Ji) का पूरा जीवन हम सभी के लिए एक सीख है कि कैसे उन्होंने अपने बनाए हुए सत्य और अहिंसा के रास्ते पर अटल रहकर ही देशहीत के कार्य किए। गांधी जी का जीवन इतना साधारण और सरल न था, लेकिन फिर भी उनकी सरलता उनके व्यक्तित्व में हमेशा ही झलकती थी, जिसकी चर्चा आगे की गई है।
गांधी जयंती पर निबंध (Essay On Gandhi Jayanti In Hindi)
अगर आप गांधी जी के बारे में जानना चाहते हैं, तो parikshapoint.com आपके लिए 2 अक्टूबर गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay In Hindi) लेकर आया है। इस पोस्ट से आप महात्मा गांधी पर निबंध पढ़ सकते हैं। आप हमारे इस पेज पर दिए गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में (Gandhi Jayanti Hindi Essay) पढ़कर जान सकते हैं कि गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है और गांधी जयंती कब है। हमनें Gandhi Jayanti Par Nibandh एकदम सरल, सहज और स्पष्ट भाषा में लिखा है, ताकि हर वर्ग के लोग हमारे इस Hindi Essay On Gandhi Jayanti को आसानी से समझ सकें।
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स्कूल और कॉलेज में छात्रों को अक्सर 2 अक्टूबर गांधी जयंती (2 October Gandhi Jayanti) के अवसर पर निबंध प्रतियोगिता में गांधी जी पर निबंध या 2 October Gandhi Jayanti Essay In Hindi लिखने के लिए दिया जाता है, जिसमें वह About Gandhi Jayanti In Hindi में लिखते हैं। आप हमारे इस पेज पर दिए गए Gandhi Jayanti Nibandh को पढ़कर Gandhi Jayanti In Hindi के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और एक बेहतर Gandhi Jayanti Per Lekh लिखकर दिखा सकते हैं। इस पेज से आप हिंदी में गांधी जयंती पर निबंध के साथ-साथ गांधी जयंती पर 10 लाइन भी नीचे से पढ़ सकते हैं।
गांधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti Essay In Hindi)
महात्मा गांधी जैसी महान आत्मा का जन्म इस धरती पर केवल एक ही बार होता है लेकिन उनके आदर्श, सिद्धांत और विचार आने वाली न जाने कितनी पीढ़ियों तक अपनी छाप छोड़कर जाते हैं। महात्मा गांधी एक ऐसी शख़्सियत थे जिन्होंने न केवल हमारे देश के भीतर बल्कि देश के बाहर भी लोगों को प्रेरित किया और बताया कि हिंसा किए बिना भी अपनी हक़ की लड़ाई लड़ी जा सकती है और उस पर विजय भी प्राप्त की जा सकती है।
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गांधी जयंती कब और क्यों मनाई जाती है?
भारत में हर साल 2 अक्टूबर का दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिवस यानी कि गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 में हुआ था इसलिए 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय त्यौहार के रूप में भी मनाया जाता है। महात्मा गांधी के सम्मान में हर साल 2 अक्टूबर का दिन अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। अहिंसा दिवस की शुरुआत वर्ष 2007 से हुई थी। गांधी जयंती पर विशेष रूप से पूरे देश में सरकारी अवकाश होता है।
गांधी जयंती का महत्त्व
गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करम चंद गांधी है और उनका जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। सभी उन्हें राष्ट्रपिता बापू के नाम से भी संबोधित करते हैं। गांधी जी ने भारत की आज़ादी के लिये अंग्रेजों के खिलाफ जीवन भर संघर्ष किया। वह अहिंसा और ईमानदारी के रास्ते पर चलकर ही एक नये और स्वच्छ भारत का निर्माण करना चाहते थे। उनका कहना था कि “अहिंसा एक दर्शन है, एक सिद्धांत है और एक अनुभव है जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण करना संभव है। समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समान दर्जा और अधिकार मिलना चाहिए भले ही उनका लिंग, धर्म, रंग या जाति कुछ भी हो।” गांधी जयंती का महत्त्व हमें बताता है कि व्यक्ति को हमेशा अपने जीवन में अहिंसा के धर्म का पालन करना चाहिए और गांधी जी के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
निष्कर्ष के तौर पर यही कहा जा सकता है कि गांधी जी के गांधी से महात्मा गांधी बनने तक के सफर को और उनके विचारों को हमेशा याद रखा जाएगा और समय समय पर उन्हें दोहराया जाता रहेगा।
गांधी जयंती पर निबंध 300 शब्द में
हर साल राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में गांधी जयंती मनायी जाती है। गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्म दिवस पर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये पूरे देश के लोगों द्वारा 2 अक्टूबर को मनायी जाती है। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था।
गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं।
महात्मा गांधी देश के नेताओं और खासतौर से देश के युवाओं के लिये प्रेरणादायी स्रोत हैं। कई महान नेता जैसे मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला, जेम्स लॉसन आदि भी गांधी जी के अहिंसा और स्वतंत्रता की लड़ाई के लिये शांतिपूर्ण तरीकों से प्रेरित हुए। भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों के लोग भी महात्मा गांधी के विचारों का अनुसरण करते हैं।
गांधी जयंती पर निबंध 500 शब्द में
भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।
देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।
गांधी जी अपने सिद्धांतों के प्रति अपनी अंतिम सांस तक प्रतिबद्ध रहे। महात्मा गांधी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे। गांधी जी के विचार और सिद्धांत ऐसी कई समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, जिनका सामना आज हम सब कर रहे हैं। गांधी जी ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा, दोनों का अनुपालन करने की सलाह दी और स्वयं इनका पालन करके मिसाल कायम करते हुए नेतृत्व प्रदान किया। गांधी जी अपना शौचालय स्वयं ही साफ किया करते थे और वह चाहते थे कि सभी को अपने आसपास के वातावरण को साफ और स्वच्छ बनाकर रखना चाहिए। वह पानी को भी कम से कम बर्बाद करने की सलाह देते थे। गांधी जी ने भारत की आज़ादी के साथ-साथ ग्रामीण विकास, कृषि प्रधान देश, साफ-सफाई को बढ़ावा, खादी को प्रोत्साहन, महिलाओं का सशक्तीकरण और आर्थिक समानता सहित कई महत्त्वपूर्ण चीज़ों पर भी विशेष ध्यान दिया। गांधी जी की सबसे खास बात यह थी कि उन्होंने हर भारतीय को इस बात का अहसास दिलाया था कि वे देश की आज़ादी के लिए ही काम कर रहे हैं। उन्होंने अध्यापक, वकील, डॉक्टर, किसान, मजदूर, उद्यमी आदि सभी लोगों के में ये आत्मविश्वास भर दिया था कि जो कुछ भी वे कर रहे हैं उसी से वे भारत के स्वाधीनता संग्राम में अपना योगदान दे रहे हैं। गांधी जी के इन्हीं महान विचारों के लिए दुनिया उन्हें युग-युगांतर तक याद करती रहेगी।
गांधी जयंती पर 10 लाइनें
- भारत में हर साल 2 अक्टूबर का दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
- महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।
- उन्हें बापू या राष्ट्र का पिता भी कहा जाता था।
- बापू का जन्म 02 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नाम के एक छोटे से गांव में हिंदू परिवार में हुआ था।
- उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था और मां का नाम पुतिलिबाई था।
- 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
- उन्होंने भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लगातार धैर्य और साहस के साथ लड़ाई लड़ी।
- गांधी जी ने देश को आजाद करवाने के लिए असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, दांडी मार्च, खिलाफत आंदोलन आदि अन्य कई आंदोलन चलाए।
- गांधी जी सत्य और अहिंसा के पुजारी थे और वह कई बार जेल भी गए थे।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की छाती में तीन गोलियां दागकर उनकी हत्या कर दी।
गांधी जयंती पर अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
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उत्तर : गांधी जयंती 2 अक्टूबर को मनाई जाती है क्योंकि इस दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी का जन्मदिवस होता है।
उत्तर : अक्टूबर के दिन गांधी जी का जन्म हुआ था।
उत्तर : हर साल 2 अक्टूबर का दिन देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मदिवस यानी कि गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।
उत्तर: 2 अक्टूबर।
उत्तर : 2 अक्टूबर को ही गांधीजी का जन्म हुआ था। देश की आजादी में राष्ट्रपिता के योगदान को देखते हुए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है।
उत्तर: महात्मा गांधी का जीवन परिचय पढ़ने के लिए ऊपर दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
उत्तरः चंपारण सत्यग्रह।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह हिंदी में निबंध (Essay In Hindi) ज़रूर पसंद आया होगा और आपको इस निबंध से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारी भी मिल गई होंगी। इस निबंध को अंत तक पढ़ने के लिए धन्यवाद।
parikshapoint.com की तरफ से आप सभी को “गांधी जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं” (Happy Gandhi Jayanti)।
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गाँधी जयंती पर 10 लाइन का निबंध (10 Lines On Gandhi Jayanti In Hindi)
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महात्मा गाँधी भारत के वो महान योद्धा थे, जिन्होंने हमेशा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर लोगों को चलने की प्रेरणा दी है और इसी सत्य और अहिंसा के रास्ते को अपनाकर देश की आजादी में कई अहम भूमिका निभाई है। उनके इस अहम योगदानों को याद करते हुए हर साल उनके जन्म दिवस पर यानी कि 2 अक्टूबर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गाँधी जयंती मनाई जाती है। गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर जिला में हुआ था। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता का नाम पुतली बाई था। भारत में गाँधी जयंती हर साल बड़े ही धूम-धाम से मनाई जाती है और यह देश के महत्वपूर्ण राष्ट्रिय कार्यक्रमों में से एक माना जाता है। पूरे भारत में गाँधी जी को राष्ट्रपिता और बापू का दर्जा दिया गया है और यह दिवस उनके द्वारा किए गए बलिदानों को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस गाँधी जी द्वारा दी गई सीख को याद करने और उनका पालन करने के लिए मनाया जाता है। गाँधी जी एक अहिंसावादी इंसान थे और उन्हें सत्य की राह पर चलना पसंद था क्योंकि उनका मानना था इस रास्ते पर देर से ही सही लेकिन सफलता जरूर मिलेगी। इस लेख में गाँधी जयंती से जुड़ी तमाम जानकारियों के बारे में जानकारी मिलेगी और छात्रों को निबंध लिखने में मदद मिल सकेगी।
महात्मा गाँधी के संघर्षों और कार्यों की कहानियां हर किसी ने सुनी है और भारत में उन्हें याद करते हुए हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाया जाता है। ऐसे में यदि आपके बच्चे को गाँधी जयंती के बारे में जानना है या निबंध लिखने में मदद चाहिए तो वह नीचे दी गई 10 लाइनों की सहायता ले सकता है।
- हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाया जाता है।
- इस दिन को गाँधी जी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
- 2 अक्टूबर को गाँधी जी के संघर्षों और बलिदानों को श्रद्धांजलि देने के लिए जयंती मनाई जाती है।
- गाँधी जी सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते थे और दूसरों को भी इसे अपनाने की शिक्षा देते थे।
- यह अहिंसा के पुजारी थे और 2 अक्टूबर को पूरा विश्व अहिंसा का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाता हैं।
- देशवासियों के बीच गाँधी जी बापू, राष्ट्रपिता के नाम से प्रसिद्ध हैं।
- महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है।
- महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
- हर साल दिल्ली के राजघाट में गाँधी जयंती धूम-धाम से मनाया जाता है।
- इस दिन महात्मा गाँधी के स्मारक के आगे प्रार्थना सभा की जाती है।
महात्मा गाँधी ने हमारे देश के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं और लोगों को सच्चाई की राह में चलने के प्रोत्साहित किया है। गाँधी जयंती जैसे अहम महोत्सव में उनके कार्यों को याद करते हुए आप निबंध लिखना चाहते हैं या फिर अपने बच्चे को गाँधी जयंती के महत्व को समझाना चाह रहे हैं तो नीचे कम शब्दों में दिए गए निबंध की मदद जरूर ले सकते हैं।
भारत में हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन देश के महान स्वतंत्रता सेनानी महात्मा गाँधी ने गुजरात के पोरबंदर में जन्म लिया था। महात्मा गाँधी के पिता का नाम करम चंद गाँधी और माता का नाम पुतलीबाई था। इसलिए महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी था। अंग्रेजों से आजादी दिलाने के संघर्ष में महात्मा गाँधी का अहम योगदान रहा है और इसलिए उनको याद करने और श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाया जाता है। इस दिन राष्ट्र अवकास घोषित किया जाता है। गाँधी जी ने हमेशा से अहिंसा और सत्य की राह चुनी थी और वह लोगों से भी इसी मार्ग पर चलने का आग्रह करते थे। गाँधी जी का मानना था कि हिंसा से किसी का भी भला नहीं होता है और यदि हम अहिंसा और सच्चाई के रास्ते पर चलते हैं तो हमें सफलता देर से ही सही लेकिन जरूर मिलेगी। गाँधी ने समाज में हर वर्ग, जाती, लिंग आदि सबको एक समान दर्जा देने का शुरू से आग्रह किया है। भारत की आजादी के लिए अंग्रेजों के खिलाफ इन्होंने कई अहम आन्दोलनों की शुरुआत की थी, जिसकी वजह से वह कई बार जेल भी जाकर आए हैं। यह दिन गाँधी जी भक्तों के लिए बेहद अहम क्योंकि वह गाँधीवाद का पालन आज भी कर रहे हैं। हर साल गाँधी जी को श्रद्धांजलि देने के उपलक्ष्य में दिल्ली के राजघाट में गाँधी जयंती बहुत धूम-धाम से मनाई जाती है। गाँधी जी स्मारक के सामने प्रार्थना सभा होती है जिसमे देश के प्रधानमंत्री के साथ अन्य मंत्री मंडल मौजूद होते हैं। गाँधी जी को याद करते हुए लोग रघुपति राघव राजा राम गीत गाते हैं। भारत में हर विद्यालय और दफ्तर में गाँधी जयंती मनाते हैं। गाँधी जी द्वारा किए गए कार्यों और बलिदानों का याद करते हुए यह दिन खुशी के साथ मनाया जाता है।
देश में कई राष्ट्रीय त्योहार मनाए जाते हैं, जिसमे हम भारत के सभी वीरों को याद करते हैं। ऐसे ही गाँधी जयंती महात्मा गाँधी के जन्म दिवस के दिन मनाई जाती है। इस दिन सभी लोग बापू की वीरता और उनके भारत के लिए किए गए बलिदानों को याद करते हैं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। स्कूल और दफ्तर में वैसे तो राष्ट्रीय अवकास होता है लेकिन उसके पहले ही इसे मनाया जाता है। गाँधी जी लड़ाई लड़ने के लिए हिंसा का साथ नहीं लिया और सच्चाई के मार्ग पर चलते रहें। हमारे देश के राष्ट्रपिता के लिए ये दिन बहुत खास तरीके से मनाया जाता है। यदि आप भी गाँधी जयंती पर अच्छे निबंध की तलाश कर रहे हैं तो 400-500 शब्दों में सिमित नीचे दिए गए निबंध पर पढ़कर और अपने शब्दों में एक बेहतरीन निबंध लिख सकते हैं।
गाँधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, क्योंकि इस दिन महात्मा गाँधी ने गुजरात के पोरबंदर जिले में जन्म लिया था और उनके जन्म दिवस को खास बनाने और उन्हें याद करने के लिए यह दिन चुना गया था। गाँधी जयंती मनाने का मुख्य कारण महात्मा गाँधी द्वारा देश को आजादी दिलाने के पीछे किए गए संघर्षों, बलिदानों और अहम योगदानों को याद किया जाये। अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए गाँधी जी ने कई आंदोलन भी किए और परिणाम स्वरूप वह कई बार जेल भी जा चुके थे। अहिंसा के रास्ते पर चलना उन्हें पसंद था इसलिए लोग उन्हें अहिंसा के पुजारी भी कहते थे। इसी रास्ते को अपनाकर उन्होंने भारत को आजादी दिलाई है। उनके इसी संघर्ष और बलिदान को याद करते हुए है हर साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है।
महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में कई आंदोलन शुरू किए थें, क्योंकि गाँधी जी हमेशा से अहिंसा के मार्ग में चलते रहे हैं और इसी वजह से उन्होंने अपनी लड़ाई लड़ने के लिए आंदोलनों का सहारा लिया था। यह रहे कुछ प्रमुख आंदोलन-
- चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
- खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन
- असहयोग आंदोलन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करम चंद गाँधी है और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। सभी देशवासी उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से भी संबोधित करते हैं। महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों के शासन से आजादी दिलाने के लिए बहुत संघर्ष किए हैं और अपना पूरा जीवन आजादी की लड़ाई में बिता दिया। गाँधी जी शुरुआत से ही अहिंसा और सत्य की राह पर चलने के लिए प्रेरणा देते थें। क्योंकि वह नए भारत का निर्माण बिना किसी हिंसा के करना चाहते थें। गाँधी जी कहना था कि “अहिंसा एक दर्शन है, एक सिद्धांत है और एक अनुभव है जिसके आधार पर समाज का बेहतर निर्माण करना संभव है। समाज में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को समान दर्जा और अधिकार मिलना चाहिए भले ही उनका लिंग, धर्म, रंग या जाति कुछ भी हो।” इसलिए गाँधी जयंती का महत्व हमें यह समझाता है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आ जाएं व्यक्ति को हमेशा अहिंसा और सत्य का मार्ग ही चुनना चाहिए और गाँधी जी के सिद्धांतों का पालन बकर्ण चाहिए।
गाँधी जी आयरिश लहजे में अंग्रेजी बोलते थे क्योंकि उनके पहले शिक्षक आयरिश थे। गाँधी जी को पांच बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, लेकिन उन्हें एक बार भी जीत हासिल नहीं हुई। 2 अक्टूबर को गाँधी जी अलावा, लाल बहादुर शास्त्री का भी जन्मदिन होता है। देश के बाहर 48 और देश भर में कुल 53 सड़कों का नाम गाँधी जी के नाम पर रखा गया है। महात्मा गाँधी के जन्मदिन को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। गाँधी ने पहले भारतीय थें जिन्होंने टाइम मैगजीन में भी जगह बनाई और उन्हें1930 में मैन ऑफ द ईयर का खिताब मिला।
भारत की आजादी में महात्मा गाँधी का अहम योगदान रहा है। उन्होंने हमेशा से लोगों को अहिंसा और सत्य की राह पर चलना सिखाया है। उनका हमेशा से मानना था कि हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता है। इस निबंध से आपके बच्चे को गाँधी जयंती मनाई जाने की अहमियत समझ आएगी और वो भी बड़ा होकर गाँधी वाद अपना सकता है।
1. महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता का खिताब किसने दिया था?
सुभाष चंद्र बोस ने महात्मा गाँधी को राष्ट्रपिता का खिताब दिया था।
2. गाँधी जी को महात्मा का खिताब कहा से मिला था?
महात्मा गाँधी को महान लेखक रविंद्र नाथ टैगोर ने महात्मा का खिताब दिया था।
3. महात्मा गाँधी के गुरु कौन थे?
महात्मा गाँधी के गुरु गोपाल कृष्ण गोखले थे।
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महात्मा गांधी पर निबंध: Essay on Mahatma Gandhi
गाँधी जयंती पर निबंध- “ अहिंसा के पुजारी ” और “ राष्ट्रपिता ” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्तूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था । इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही पनपने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी।
गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। गुजरती इनकी मातृ भाषा थी। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है।
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महात्मा गाँधी जी का जन्म एक साधारण हिन्दू परिवार में हुआ था। इनके पिता करमचंद गाँधी जी दीवान थे। गाँधी जी वैसे तो हर धर्म को सामान मानते थे किन्तु उनपर जैन धर्म का विशेष प्रभाव पड़ा। जैन धर्म में अहिंसा को सर्वोपरि रखा गया है इसी अवधारणा के परिणामस्वरूप गाँधी जी ने अपने सत्याग्रह में अहिंसा को महत्वपूर्ण स्थान दिया है। गाँधी जी भगवदगीता को हमेशा साथ रखते थे और इसका अपने जीवन में अनुसरण करते थे। भगवान को सत्य का स्वरूप मानते थे और अहिंसा को उस सत्य स्वरूप भगवान को पाने का मार्ग। गाँधी जी को कवि नरसी मेहता की यह रचना अति प्रिय थी-
वैष्णव जन तो तेने कहिये, जे पीर पराई जाणे रे । पर दुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे ।। सकल लोक माँ सहुने वन्दे, निन्दा न करे केनी रे । वाच काछ मन निश्चल राखे, धन-धन जननी तेरी रे ।।
गाँधी जी विद्यार्थी के रूप में – गाँधी जी एक साधारण व्यक्तित्व के थे। औसत विद्यार्थी के रूप में इनकी शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल से हुई थी। विद्यार्थी जीवन में इन्होंने यदा कदा पुरस्कार भी जीते। पढाई में तेज नहीं थे किन्तु वे घरेलू काम और माता-पिता की सेवा में ही मन लगाया करते थे। गाँधी जी सच्चाई के प्रतीक राजा हरिश्चंद को अपना आदर्श मानते थे। मात्र 13 वर्ष की उम्र में इनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की बालिका से करा दिया गया। 1887 में गाँधी जी ने मुंबई यूनिवर्सिटी से मैट्रिक परीक्षा को पास किया और गुजरात के भावनगर के समलदास कॉलेज में दाखिला लिया था। गाँधी जी का सपना डॉक्टर बनने का था किन्तु परिवार वैष्णव धर्म का अनुयायी था जहाँ चीर-फाड़ की अनुमति नहीं थी। परिवार गाँधी जी को बैरिस्टर बनाना चाहता था।
गाँधी जी मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद वकालत की पढाई के लिए इंग्लैंड गए थे सन 1888 में गाँधी जी ने अपने कदम लन्दन में रखे वहां उन्होंने कानून विद्यालय “इनर टेम्पल” में अपना दाखिला कराया। वकालत की पढाई लन्दन से की थी। सन 1890 में अपनी वकालत की पढ़ाई को पूरा करने के बाद भारत लौट आए । वकालत पूरी करने के बाद जब गाँधी जी भारत आये तो उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा हो रहे अत्याचारों से आम जनता की समस्याओं को दूर करने के लिए अपना योगदान दिया।
दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गाँधी के योगदान – दक्षिण अफ्रीका में अश्वेतों और भारतीयों के साथ हो रहे नस्लीय भेदभाव के खिलाफ और अपमानजनक नीतियों के परिणामस्वरूप गाँधी जी ने भेदभाव से लड़ने का निश्चय किया। उस समय दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों और अश्वेतों को वोट देने के अधिकार से वंचित रखा जाता था उन्हें फुटपाथ में चलने जैसे कही अधिकारों से वंचित रखा गया था। साल 1906 में दक्षिण अफ्रीका की “ टांसवाल सरकार” द्वारा भारतीय जनता के पंजीकरण के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया था जो की भारतीयों के लिए अपमानजनक अध्यादेश था। वर्ष 1893 में दादा अब्दुल्ला जो की दक्षिण अफ्रीका का एक व्यापारी था उनके द्वारा गाँधी जी को साऊथ अफ्रीका में मुकदमा लड़ने के लिए आमंत्रित किया गया था।
गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका पहुंचने के बाद उनके द्वारा साल 1894 में “नटाल इंडियन कांग्रेस ” नाम से एक संगठन को स्थापित किया गया भारतीयों ने महात्मा गाँधी जी नेतृत्व में विरोध जनसभा का आयोजन किया तथा इसके परिणाम स्वरूप मिलने वाले दंड को भोगने की शपथ ली गयी। गाँधी जी द्वार सत्याग्रह की शुरुआत यही से की गयी। दक्षिण अफ्रीका में लगभग 7 वर्षों से ज्यादा समय तक संघर्ष चलता रहा। हजारों भारतीयों द्वारा इस अपमानजनक अध्यादेश के खिलाफ संघर्ष को जारी रखा गया। दक्षिण अफ्रीका में लगभग 21 वर्षों तक रहने के बाद महात्मा गाँधी अपने देश भारत लौट आये।
गाँधी जी का भारत आगमन – दक्षिण अफ्रीका में लगभग 21 वर्षों तक रहने के बाद गाँधी जी भारत में हो रहे अंग्रेजी हुकूमत की दमनकारी नीतियों के खिलाफ स्वतंत्रता दिलाने हेतु भारतीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोपाल कृष्ण गोखले के आमंत्रण पर वर्ष 1915 में महात्मा गाँधी जी अपने देश भारत आये। भारतवासियों द्वारा उनका बढ़-चढ़ कर स्वागत किया गया। जनता द्वारा उन्हें महात्मा से सम्बोधित किया जाने लगा। स्वतन्त्रता संग्राम की रूप रेखा तैयार करने के लिए गाँधी जी द्वारा देश के गांव-गांव का दौरा किया जाने लगा।
गाँधी जी का सत्याग्रह – महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था। उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना था। कई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।
किसानो के लिए गाँधी जी का योगदान
चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह -1917-1918 -वर्ष 1917 में अंग्रेजी सरकार के द्वारा चम्पारण (बिहार) के किसानों को नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जाने लगा था और इस नील की खेती का मूल्य अंग्रेजी सरकार के द्वारा तय किया गया जिसमें किसानों को बहुत हानि होने लगी थी। नील खेती के विरोध में सरकार के विरुद्ध किसानों का नेतृत्व गाँधी जी द्वारा किया गया। इस आंदोलन को अहिंसात्मक रूप से संपन्न किया गया। किसानों के इस सत्याग्रह से अंग्रेजी सरकार विवश हो गयी थी तथा अंग्रेजी सरकार को उनकी मांगो को मानना पड़ा। इस आंदोलन को चम्पारण आंदोलन नाम से जाना जाने लगा। चम्पारण आंदोलन में सफलता के बाद किसानों का आत्मविश्वास बढ़ा और वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नामक स्थान में भी किसान आंदोलन हुआ। वर्ष 1918 में खेड़ा में आये भीषण बाढ़ का सामना किसानों को करना पड़ा।
बाढ़ के कारण क्षेत्र वासियों को भयावह अकाल का सामना करना पड़ा इस अकाल की स्थिति में ब्रिटिश सरकार द्वारा वसूल किये जाने वाले करों में किसानों को किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी गयी। किसानों की समस्या को गाँधी जी ने महसूस करते हुए अहिंसात्मक रूप से ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध असहयोग आंदोलन को शुरू किया। इस आंदोलन के परिणामस्वरूप अंग्रेजी सरकार को मजबूरन किसानों के हक में की गयी मांगो को मानना पड़ा। सरकार को कर में छूट देनी पड़ी। इस आंदोलन को खेड़ा नामक स्थान पर किया गया जिससे इसका नाम खेड़ा आंदोलन पड़ा।
असहयोग आंदोलन -1920 – अंग्रेजी सरकार के द्वारा आए दिन नए-नए कानून बनाये जाते थे। सरकार की अस्पष्ट नीतियों तथा बेलगाम कर, आर्थिक संकट, महामारी के दौरान अंग्रेजी सरकार ने इन सभी परिस्थितियों में वर्ष 1919 में रोलेट एक्ट जो की अंग्रेजी सरकार द्वारा कानून पास किया गया था जिसे कला कानून भी कहा गया था 1919 के इस रोलेट एक्ट के विरुद्ध जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किये जाने लगे एक्ट के देश में हड़तालें हु ई। एक्ट के विरोध के जालियाँवाला बाग़ में एक सभा आयोजित की गयी थी। जनरल डायर ने सभा को रोकने के लिए अंधाधुंध गोलियों का शिकार सभा में उपस्थित लोगों को बनाना।
बड़ी संख्या में इस सभा में बच्चे से लेकर बूढ़े लोग उपस्थित थे जिनको जनरल डायर की गोलियों का शिकार बनाया गया। इस घटना का से पूरा देश आग बगुला हो गया। गाँधी जी इस घटना से काफी विचलित हुए। सितम्बर 1920 गाँधी जी द्वारा असहयोग का प्रस्ताव कोलकाता के कांग्रेस अधिवेशन में रखा गया। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद से पूरे देश में असहयोग आंदोलन की शुरुआत हुई।
भारत को स्वतंत्र कराने में कई क्रांतिकारियों की अहम भूमिका रही है। गाँधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके द्वारा किये गए जन आंदोलनों में 1920 का असहयोग आंदोलन, 1930 का सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थे।
अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह, दांडी यात्रा 1930 -ब्रिटिश सरकार द्वारा नमक पर लगने वाले भरी कर के परिणामस्वरूप गाँधी जी द्वारा इसके विरोध में नमक सत्याग्रह को चलाया गया था। दांडी यात्रा को 12 मार्च 1930 में गाँधी जी तथा उनके 79 कार्यकर्ताओं द्वारा 200 मील की इस यात्रा शुरू किया गया जो की 26 दिन बाद 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के गाँव दांडी तक संपन्न की गयी थी जहाँ नमक बनाकर इस कानून को भंग किया गया। इस आंदोलन को ब्रिटिश सरकार के द्वारा नमक के ऊपर लगने वाले कर के विरोध में था। दांडी पहुंचकर सरकार के नमक कानून की अवहेलना करके स्वयं नमक बनाने और अपने द्वारा बनाये गए नमक को बेचना शुरू किया गया यह भी प्रकार का गाँधी जी द्वारा अहिंसात्मक आंदोलन था जिसका परिणाम जनता के हित में रहा।
भारत छोड़ो आंदोलन ( Quit India Movement )
भारत छोड़ो आंदोलन 1942 – अंग्रेजी हुकूमत को भारत से निकाल फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को महात्मा गाँधी जी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया गया। 1942 भारत के इतिहास में आजादी के लिए किये गए आंदोलनों में से महत्वपूर्ण आंदोलन रहा है। ब्रिटिश सरकार को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए गाँधी जी द्वारा चलाया गया आंदोलन है जिसमें जनता द्वारा बढ़-चढ़ कर भाग लिया गया।
इन सभी सत्याग्रहों और आम जनता के योगदान से 15 अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्र करने में अपनी अहम भूमिका निभाई। गाँधी जी को उनके ही शिष्य नाथूराम गोडसे द्वारा 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या की गयी थी जिसके बाद इस महान व्यक्तित्व के जीवन का अंत हो गया किन्तु गाँधी जी आज भी उनके विचारों के साथ हमारे बीच जिन्दा है। गाँधी जी की मृत्यु हो जाने के बाद से उनकी याद में प्रत्येक वर्ष 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है।
गाँधी जी के तीन सिद्धांत –
न बुरा बोलो ,न बुरा सुनो ,न बुरा देखो
महात्मा गाँधी जी ने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए पूरी कोशिश की और उन्हें इसमें सफलता ही हासिल हुई। समाज में फैले कुरीतियों को दूर करने भेदभाव को समाप्त करने, छुआछूत को दूर करने, अहिंसा और सत्य की राह में समाज को चलना सिखाया। उनके अनेक महान कार्यों के लिए उन्हें राष्ट्रपिता से सम्बोधित किया जाता है। अनेक अत्याचारों के खिलाफ अहिंसा के मार्ग में चलते हुए उन्होंने भारत को आज़ादी दिलाने में अपनी भूमिका निभाई। स्वतंत्र भारत का जन्म हुआ ही था की 30 जनवरी 1948 को गाँधी जी के शिष्य नाथूराम गोडसे ने गाँधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी । लेकिन आज भी गाँधी जी के विचार से हम सभी का मार्गदर्शन हो रहा है।
गाँधी जयंती निबंध :-
हमारे देश में हर साल 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती मनायी जाती है। आज का दिन भारतवर्ष में बहुत महत्व रखता है क्योंकि आज ही के दिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का जन्म हुआ था। जिन्होंने आगे चलकर पूरे भारत वर्ष को अंग्रेज़ों की 200 सालों की लम्बी गुलामी के बाद आज़ादी दिलाई थी। हमारे देश में गाँधी जयंती के दिन राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया गया है ।
गाँधी जयंती सिर्फ भारत देश में ही नहीं बल्कि कई देशों में भी मनाई जाती है। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अक्तूबर के दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया। आज देश विदेश में इस दिन को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं। जैसे की हम जानते हैं की उनके अहिंसा के सिद्धांतों को पूरे दुनिया ने सराहा और उसे मान्यता दी। महात्मा गाँधी के इन उच्च विचारों ने न सिर्फ हमारे देश का मार्गदर्शन किया बल्कि पूरे विश्व को भी अहिंसा की राह दिखाई। जिस प्रकार उन्होंने अपने देश को अहिंसा के साथ आज़ादी दिलाई वो अपने आप में एक मिसाल है। इसीलिए कहा गया है –
दे दी हमे आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल। साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।
कहते हैं गाँधी जी एक साधारण से दिखने वाले असाधारण व्यक्ति थे। जिन्होंने अपने अहिंसावादी सोच और सिद्धांतों से पूरे देश की सत्ता बदल दी थी। जिनके कहने पर पूरा का पूरा देश उसका अनुसरण करता था। ऐसे ही महात्मा की आज यानी की 2 अक्तूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। लोग उन्हें बापू के नाम से भी जानते हैं साथ ही उन्हें महात्मा और राष्ट्रपिता का दर्जा भी प्राप्त है। महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। वो माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गाँधी की सबसे छोटी संतान थे।
महात्मा गाँधी का विवाह 13 साल की उम्र में उनसे एक साल बड़ी कस्तूरबा गाँधी से हो गया था। और इस के कुछ समय बाद उन्हें वकालत की पढाई के लिए 1888 में इंग्लैंड भेज दिया गया। 4 साल बाद वो पढ़ाई पूरी कर बैरिस्टर बन के भारत लौटे। उन्होंने यहाँ बॉम्बे और राजकोट में प्रैक्टिस भी की। लेकिन उस वक्त उन्हें अपेक्षित कामयाबी नहीं मिल रही थी। जिसके चलते वो 1893 में वो दादा अब्दुल्लाह नाम के एक व्यापारी के साउथ अफ्रीका बुलाने पर वहां के लिए रवाना हो गए।
उस वक्त भारत की तरह ही साउथ अफ्रीका में भी अंग्रेज़ों की हुकूमत थी। वहां महात्मा गाँधी को बार बार भेदभाव का सामना करना पड़ा। एक बार तो सही टिकट होने के बाद भी उन्हें ट्रेन के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट से सिर्फ इसलिए निकल दिया गया क्योंकि वो अलग रंग और अलग नस्ल के थे। इतना सब होने के बाद भी वो वहां 21 साल तक रहे और इन कुरीतियों और अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। गाँधी जी द्वारा दिए गए एक भाषण में कहा गया था की ‘ I was born in India but was made in South Africa ” अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं की उनका साउथ अफ्रीका में बिताया गया समय उनके जीवन में कितना महत्वपूर्ण था। यहीं से नींव पड़ती है उनके सत्याग्रह और अहिंसा की।
इसके बाद गोपाल कृष्ण गोखले के निवेदन में भारत में अंग्रेज़ों की हुकूमत को ख़त्म करने के लिए गांधीजी 1915 में भारत वापस लौटे। यहाँ आने के बाद उन्होंने 1917 में पहला आंदोलन चलाया बिहार के चम्पारण जिले में। ये किसानों को अंग्रेज़ों द्वारा जबरदस्ती नील की खेती कराये जाने को लेकर थी। उन्होंने इस आंदोलन के माध्यम से किसानों को इस से मुक्ति दिलाई। इसके बाद इसी वर्ष में उन्होंने गुजरात के खेड़ा जिले में आंदोलन किया जिसमें उन्होंने जिले में बाढ़ और अकाल की स्थिति होने के बाद भी सरकार द्वारा लगान वसूले जाने को लेकर अहिंसक विरोध किया।
इस विरोध के चलते फिर अंग्रेजी हुकूमत को समझौता करने के लिए हामी भरनी पड़ी। इन्ही आन्दोलनों की सफलता के बाद उनकी कीर्ति देश भर में फैली और उन्हें गुरु रबिन्द्र नाथ टैगोर द्वारा “ महात्मा” और सुभाषचंद्र बोस द्वारा “ राष्ट्रपिता ” की उपमा दी गयी। इसके अतिरिक्त देशभर में उनके सम्मान में उन्हें सब महात्मा और बापू कह कर पुकारने लगे।
Gandhi Jayanti Essay in Hindi | महात्मा गांधी पर निबंध
जैसा की सभी जानते हैं की राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी सभी धर्मों में कोई अंतर नहीं करते थे। उन्हें सामाजिक समानता में यकीन था। इसीलिए उन्होंने देश में चल रहे मुसलमान भाइयों के खिलाफत मूवमेंट को अभी अपना सहयोग दिया। इस से न सिर्फ उन्होंने हिन्दू मुस्लिम में भेद ख़त्म किया बल्कि उनसे प्रेरणा लेकर समाज में भी हो रहे हिन्दू मुस्लिम दंगे भी कुछ वर्षों के लिए बंद हो गए। महात्मा गाँधी के आंदोलन यहीं नहीं रुके। वर्ष 1919 में ब्रिटिश सरकार द्वारा लाए गए रॉलेट एक्ट के खिलाफ भी उन्होंने असहयोग आंदोलन चलाया और देशवासियों को अहिंसक और शांतिपूर्ण विरोध करने को कहा।
दरअसल रौलेट एक्ट को देश में चल रहे विभिन्न आन्दोलनों को कुचलने के मकसद से लाया गया था। इस एक्ट के अनुसार किसी भी भारतीय को बिना अदालत में मुकदमा चलाये भी जेल में डाला जा सकता था। इसी के विरोध में असहयोग आंदोलन के तहत देशभर में लोगों ने अंग्रेजी कपड़ों और वस्तुओं को जलाना शुरू कर दिया।
इसी एक्ट के विरोध प्रदर्शन में जब जलियांवाला बाग़ में लोग प्रदर्शन कर रहे थे तब जनरल डायर ने सैकड़ों लोगों पर गोलियां चला दी। बावजूद इसके गांधीजी अपने शांतिपूर्ण विरोध पर डटे रहे और साथ ही दिन प्रतिदिन पूरा देश आंदोलन का हिस्सा बनता गया। हालाँकि ये आंदोलन पूरा सफल नहीं हो पाया क्योंकि इसे गांधीजी ने 5 फ़रवरी 1922 में हुए चौरा-चौरी काण्ड से क्षुब्ध होकर वापस ले लिया था। इसके बाद वो कुछ वर्षों तक जेल में रहे। लेकिन वो यहीं नहीं रुके।
मार्च 1930 में गांधीजी ने अंग्रेज़ों द्वारा नमक पर भी टैक्स लगाने के विरोध करते हुए अहमदाबाद से दांडी तक यात्रा की। ये यात्रा लगभग 400 किलोमीटर की थी जिसे उन्होंने नियम तोड़ते हुए नमक बनाकर पूरा किया। इस आंदोलन को काफी सफलता मिली और विभिन्न देशों की मीडिया ने इसे काफी महत्व दिया। इस के बाद 1942 में गांधीजी के नेतृत्व में एक शक्तिशाली भारत छोडो आंदोलन हुआ। इसमें बहुत से लोगों की जान गयी हज़ारों घायल हुए और कितनों को जेल में डाला गया। इसी दौरान गांधीजी ने सभी देशवासियों को एकजुट करते हुए अंतिम स्वतंत्रता के लिए अहिंसावादी संघर्ष को जारी रखते हुए करो या मरो का नारा दिया। जिस वजह से उन्हें 2 सालों के लिए जेल में डाल दिया गया। लेकिन फिर भी इस ने सभी देशवासियों को एकजुट कर दिया और अंत में हमारा भारत देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हो गया।
आज हम आज़ाद भारत में रह रहे हैं। तो इस देश के नागरिक होने से हमारी ये जिम्मेदारी बनती है की हम बापू और अन्य स्वतंत्र सेनानियों को उनके सपनों का भारत बनाकर दें। सामाजिक एकता बनाये रखें और जाति- धर्म पर बाँटने की बजाए एकजुट होकर रहे। सिर्फ देश में प्रेम और सौहार्द बना रहेगा बल्कि देश का विकास भी होगा।
Rohit Kumar
रोहित कुमार HINDI.NVSHQ.org में मुख्य संपादक के रूप में कार्यरत हैं, रोहित को लेखन के क्षेत्र में 6 वर्षों से अधिक का अनुभव है। रोहित ने हिंदी और संस्कृत में M.A किया। रोहित HINDI.NVSHQ.org में प्रकाशित किये जानें वाले सभी लेखों का निरीक्षण और विषयों का विश्लेषण से सम्बंधित कार्य करते हैं। और HINDI.NVSHQ.org की संपादक, लेखक और ग्राफिक डिजाइनर की टीम का नेतृत्व करते हैं। अधिक जानने के लिए यहां क्लिक करें।
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Gandhi Jayanti in Hindi – गांधी जयंती कब है और यह क्यों मनाते हैं?
- Updated on
- सितम्बर 23, 2023
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। मोहनदास करमचंद गांधी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बहुत योगदान दिया। गांधी जी के आंदोलन और संघर्षों की कहानी आज भी हम सब पढ़ते और सुनते हैं। स्कूल हो या बोर्ड एग्जाम कई बार गांधी जयंती (Gandhi Jayanti in Hindi) के बारे में स्टूडेंट्स से पूछा जाता है, इसलिए इस ब्लॉग में हम गांधी जयंती कब है के बारे में जानेंगे।
This Blog Includes:
Gandhi jayanti kab hai, गांधी जयंती क्यों मनाई जाती है, गांधी जी का जन्म और मृत्यु कब हुई थी, अहिंसा और महात्मा गांधी, राजघाट पर गांधी जयंती कैसे मनाते हैं, स्कूलों में उत्सव कैसे मनाते हैं, गांधी जी की शिक्षा , गांधी जी की विचारधारा का योगदान, गांधी जयंती पर नारे, गांधी जी के आंदोलनों की लिस्ट, गांधी जयंती के अनमोल विचार , गांधी जी के बारे में रोचक तथ्य , 10 lines on mahatma gandhi in hindi for class 2.
महात्मा गांधी को मोहनदास करमचंद गांधी और बापू के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर और मृत्यु 30 जनवरी, 1948 दिल्ली में हुई थी। महात्मा गांधी को भारतीय राष्ट्रवाद के प्रमुख नेता और 20वीं सदी में अहिंसा के मुखिया के रूप में जाना जाता है। वे हर परिस्तिथियों में भी कभी किसी का साथ नहीं छोड़ते थे।
गांधी जी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी थी। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर उन्होंने भारत को गुलामी से मुक्त कराया था। इसी लिए हर वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के रूप में इस दिन को पूरा देश एक उत्सव के रूप में उनका जन्मदिन मनाता हैं।
विश्व स्तर पर जो आज भी प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं, वे हैं महात्मा गांधी जिनको उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी और सत्य विचारों के लिए जाना जाता है। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया था। उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में भी हम उनको आज नमन करते हैं। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। लेकिन उनकी मृत्यु 30 जनवरी 1948 की वह सुबह जब दिल्ली के बिड़ला हाउस स्थित प्रार्थना स्थल पर नाथूराम गोडसे द्वारा लगातार तीन गोलियां चलाई गई और उस गोलियों ने महात्मा गांधी की जिंदगी छीन ली।
अहिंसा का अर्थ है किसी भी कठिन परिस्थितियों या किसी भी चीज को प्राप्त करने के लिए शारीरिक बल के प्रयोग न किया जाएं। गांधीजी की नजरों में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का वास्तविक महत्व यह था कि यह अहिंसक तौर पर चलाया गया था। महात्मा गांधी जी ने हिंसा का विरोध न सिर्फ इसलिए किया क्योंकि निहत्थे लोगों के पास कोई सशस्त्र नहीं था, बल्कि सफलता की बहुत कम उम्मीद थी, बल्कि इसलिए कि वे हिंसा को सही नहीं मानते थे, क्योंकि वो चीज हल होने की तुलना में ज्यादा समस्याएं पैदा कर सकती थी, जिससे नफरत और देश में कड़वाहट को पैदा कर सकती थी।
महात्मा गांधी जयंती का उत्सव
गांधी जयंती भारत में एक राजपत्रित अवकाश (Gazetted Holiday) है और यह दिवस देश के कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में बहुत हर्षोउल्लाश के साथ मनाया जाता है। इस दिन स्कूल और कॉलेज में हो रहे उत्सव देखने में बहुत आनंद आता है। गांधीजी के जन्म दिवस पर स्टूडेंट्स के लिए विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं और नाटक का आयोजन किया जाता है। और कई कॉलेज और स्कूलों को इस दिन स्टूडेंट्स को पुरस्कृत भी किया जाता है। देश भर के सभी हिस्सों में महात्मा गांधी की मूर्तियों पर फूल मालाओं और फूलों से सजाया जाता है और रघुपति राघव राजा राम, जोकि गांधीजी का पसंदीदा भजन था, स्कूल और कॉलेज के छात्रों द्वारा गाया जाता है।
गांधी जयंती के दिन राजघाट नई दिल्ली में गांधी जी की मूर्ति के सामने श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए प्रार्थना सभाएं को आयोजित किया जाता है। जहां गांधी जी का अंतिम संस्कार किया गया था, वहां पर भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री उपस्थित होते हैं, उनका सबसे पसंदीदा और भक्ति गीत रघुपति राघव राजा राम उनकी याद में गाया जाता है। और इसी प्रकार राजघाट पर गांधी दिवस मनाते हैं।
प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन भारत में कई स्कूलों द्वारा विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। छात्र इस दिन बापू के सत्य और अहिंसा के संदेश पर आधारित गीत गाते हैं, नाटक का आयोजन करते हैं और भाषण भी तैयार करते हैं। वहीं स्कूल के छोटे बच्चे गांधी जी की तरह कपड़े पहनकर और साथ ही राष्ट्रवादी गीत गाकर इस कार्यक्रम को मनाते हैं। इन सभी कार्यक्रम समारोह में स्कूलों के छात्र गांधी जयंती पर उत्साहपूर्वक भाग लेते हैं।
महात्मा गांधी की शिक्षा ने उन्हें दुनिया के सबसे महान लोगों में से एक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गांधी जी ने पोरबंदर में पढ़ाई की थी और फिर माध्यमिक परीक्षा के लिए राजकोट गए थे। वह अपनी वकालत की आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड चले गए। गांधी जी ने 1891 में अपनी वकालत की शिक्षा पूरी की। लेकिन किसी कारण वश उन्हें अपने कानूनी केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहां जाकर उन्होंने रंग के चलते हो रहे भेदभाव को महसूस किया और उसके खिलाफ अपनी आवाज़ उठाने की सोची। वहां के लोग लोगों पर जुल्म करते थे और उनके साथ दुर्व्यवहार करते थे।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की वकालत करने का निर्णय लिया था। जिसे अहिंसा के सिद्धांत के साथ शुरू किया गया था। उन्होंने मानवाधिकारों के लिए हमेशा खड़े रहे और सत्य, अहिंसा और सामाजिक कल्याण की अपनी विचारधारा से लाखों लोगों को प्रेरित किया। चंपारण सत्याग्रह, खेड़ा सत्याग्रह, खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय-अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे कई स्वतंत्रता आंदोलनों का हिस्सा थे।
यह भी पढ़ें : महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा
गांधी जयंती पर नारे इस प्रकार हैं
- अहिंसा परमो धर्म
- सत्यमेव जयते
- स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है
Gandhi Jayanti in Hindi में गांधी जी के आंदोलनों की लिस्ट इस प्रकार है
- असहयोग आंदोलन: 1920 से गांधी जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया था।
- नमक सत्याग्रह: 12 मार्च, 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद स्थित है, दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च निकाला था।
- दलित आंदोलन: बापू ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी।
- भारत छोड़ो आंदोलन: अगस्त सन 1942 में महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी तथा अवज्ञा आंदोलन ”करो या मरो” शुरू करने का निर्णय लिया था।
- चंपारण सत्याग्रह: 1917 को महात्मा गांधी की अगुवाई में बिहार के चंपारण जिले से चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ था।
Gandhi Jayanti in Hindi पर महात्मा गांधी के 10 अनमोल विचार इस प्रकार बताए जा रहे हैं
- पाप से घृणा करो, पापी से प्रेम करो।
- साफ़-सुथरा, स्वच्छ और सम्मानित जीवन जीने के लिए धन की आवश्यकता नहीं होती।
- मनुष्य के रूप में हमारी सबसे बड़ी क्षमता दुनिया को बदलना नहीं है, बल्कि खुद को बदलना है।
- विनम्रता के बिना सेवा स्वार्थ और अहंकार है।
- मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।
- केवल तभी बोलें जब मौन से सुधार हो।
- संतुष्टि प्रयास में निहित है, प्राप्ति में नहीं।
- शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती है। एक एक अदम्य इच्छा शक्ति से आता है।
- ताकत जीतने से नहीं आती, जब आप कठिनाइयों से गुजरते हैं और हार नहीं मानने का निर्णय लेते हैं, तो वह ताकत होती है।
महात्मा गांधी के जीवन के कुछ रोचक तथ्य नीचे दिए गए हैं :
- दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से 21 मील दूर 1100 एकड़ की जगह पर एक छोटी कॉलोनी, टॉल्स्टॉय फार्म की स्थापना गांधी जी ने सत्याग्रह संघर्ष में सहयोगियों के लिए की।
- 1930 में गांधी जी ने दांडी नमक मार्च का नेतृत्व किया और 1942 में स्वतंत्रता संग्राम के समय भारत छोड़ो आंदोलन को चलाया।
- 2007 में संयुक्त राष्ट्र ने गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया।
- महात्मा गांधी को 5 बार नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था।
- महात्मा गांधी जी की मातृभाषा गुजराती थी।
- पूर्व बिड़ला हाउस के बगीचे में मोहनदास करमचंद गांधी जी की हत्या की गई थी।
- टाइम मैगजीन ने 1930 में महात्मा गांधी को पर्सन ऑफ द ईयर नामित किया था।
- प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय और गांधी जी पत्रों के जरिए एक-दूसरे से बातचीत करते थे।
क्लास 2 के लिए महात्मा गांधी के लिए 10 लाइन इस प्रकार हैं
- महात्मा गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था।
- महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
- महात्मा गांधी के पिता जी का नाम करमचंद गांधी और माता जी का नाम पुतलीबाई था।
- महात्मा गांधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गांधी के साथ हुआ था।
- महात्मा गाँधी जी ने अपनी पढ़ाई यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से पूरी की थी।
- महात्मा गांधी राजनीतिक गुरु के रूप में गोपाल कृष्ण गोखले जी को आदर्श मानते थे।
- महात्मा गाँधी ने अंग्रेजो के खिलाफ असहयोग आंदोलन और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे कई बड़े आंदोलन चलाए थे।
- मोहन दास करमचंद गाँधी जी को महात्मा, बापू, राष्ट्रपिता आदि नामों से पुकारा जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के द्वारा मोहन दास करमचंद गांधी जी की हत्या कर दी गयी थी ।
- मोहन दास करमचंद गांधी जी (बापू) की समाधि दिल्ली में स्थित है राजघाट में है।
संबंधित ब्लाॅग
गांधी जी को श्रद्धांजलि देने के लिए।
2 अक्टूबर, 2023 को उनकी 154वीं जयंती है।
4 जून 1944 को।
अशोक स्तंभ की फोटो थी।
उम्मीद है कि Gandhi Jayanti in Hindi ब्लॉग में आपको महात्मा गांधी के बारे में बहुत सी जानकारी मिल गई होगी। इसी तरह के अन्य ट्रेंडिंग आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।
सीखने का नया ठिकाना स्टडी अब्रॉड प्लेटफॉर्म Leverage Eud. जया त्रिपाठी, Leverage Eud हिंदी में एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। 2016 से मैंने अपनी पत्रकारिता का सफर अमर उजाला डॉट कॉम के साथ शुरू किया। प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता में 6 -7 सालों का अनुभव है। एजुकेशन, एस्ट्रोलॉजी और अन्य विषयों पर लेखन में रुचि है। अपनी पत्रकारिता के अनुभव के साथ, मैं टॉपर इंटरव्यू पर काम करती जा रही हूँ। खबरों के अलावा फैमली के साथ क्वालिटी टाइम बिताना और घूमना काफी पसंद है।
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Mahatma Gandhi essay in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे
Mahatma Gandhi essay in Hindi : महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर कई आंदोलन चलाए थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) था, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को ब्रिटिश शासन (अंग्रेजों) से आजाद कराया था।
गांधी जी एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होने सामाजिक कुरितियों जैसे जातिवाद, छुआछुत और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होने स्वदेशी आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में आपको जरूर पढ़ना चाहिए।
स्कूलों में अक्सर Mahatma Gandhi Essay in Hindi में लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए मैं आपको महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे लिखकर दूंगा, जिससे निबंध प्रतियोगिता में बहुत अच्छे अंक ला सकते है।
महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi essay in Hindi
महात्मा गांधी, जिन्हें भारत में “ बापू ” या “ राष्ट्रपिता ” के नाम से भी जाना जाता है, वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों के आधार पर भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में कानून (वकालत) की पढ़ाई की और फिर भारत लौटने के बाद एक वकील के रूप में काम किया। 1893 में, वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी।
1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया था, जिनमें दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थें।
महात्मा गांधी के सफल आंदलनों की वजह से ब्रिटिश शासन काफी कमजोर हुआ, और अंतत: 1947 में उन्हे भारत छोड़ना पड़ा। इस तरह भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी का काफी योगदान था। गांधी जी एक महान सत्य और अहिंसा प्रचारक थे, जिन्होने अपनी पूरी जिंदगी में इन सिद्धांतों का पालन किया और दुनिया भर के लोगों को भी प्रेरित किया।
महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में – Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi
प्रस्तावना.
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है जिन्हे भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में भारत के पोरबंदर स्थान पर हुआ था। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में केवल अहिंसा और सत्य के सिद्धांतो पर कार्य किया।
गांधी जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिनका भारत की आजादी में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होने काफी सारे सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं।
महात्मा गांधी का जीवन
गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी ने प्रारंभिक जीवन में हिंदू शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया।
1888 में, गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए, जहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय कंपनी में काम करने गए। वहां पर उन्होने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक सफल आंदोलन किया।
इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला। और फिर गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे- सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।
महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में
महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बड़ा योगदान दिया था, और इसके अलावा उन्होने भारत को अहिंसा, सत्य और प्रेम की शिक्षा भी दी है।
उपसंहार
महात्मा गांधी काफी महान व्यक्ति थे, जिन्होने भारत देश को आजादी दिलाने में काफी बड़ा योगदान दिया। इसके अलावा भारत को एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित किया। उन्होने पूरे विश्व में लोगों के बीच समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा। और एक सादा और स्वेदशी जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।
महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में
महात्मा गांधी काफी एक बहुत ही महान पुरुष थे जिन्होने पूरे विश्व को अहिंसा, सत्य और प्यार का पाठ पढ़ाया था। गांधी जी के इन्ही सिद्धांतों की वजह से उन्हे केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे संसार में महान पुरुष माना जाता है।
गांधी जी ने काफी सारे शांतिपूर्वक आंदोलन किए थे, जिसकी वजह से अंग्रेजो को भारत को छोड़ना पड़ा था। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और इसके साथ – साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के बीच समानता और भाईचारा लाने का काम किया। उन्होने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के अधिकारों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी काम किया।
गांधी जी का परिवार
महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदा करमचंद गांधी है और इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है। इसके अलाव इनकी माता का नाम पुतलीबाई है। गांधी जी अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे।
गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, जिनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। इसके अलावा गांधी जी के पिता, करमचंद गांधी ब्रिटिश आधिपत्य के तहत पश्चिमी भारत की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दिवान थे।
गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं। अगर आज के समय की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों रह रहे हैं।
महात्मा गांधी की शिक्षा
गांधी जी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से ही प्राप्त की थी, जहां उन्होंने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषओं का अध्ययन किया। इसके बाद 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लंदन गए। वे लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पूरी करके दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होने एक भारतीय कंपनी में काम किया।
दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता
जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए तब उन्होने देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहां पर नस्लीय भेदभाव भी हो रहा था। उस समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धातों से एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को भी अधिकार मिले।
स्वदेश आगमन
दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी 1915 में स्वदेश लौट आए। इसके बाद उन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाला और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नयी दिशा दी। उन्होने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर एक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने ब्रिटिश शासन काफी प्रभावित किया।
गांधी जी ने भारत आने के बाद काफी सारे आंदोलन किए, और सभी आंदोलन अंहिसा और शांतिपूर्वक तरीके से किए थे, जिससे उनके अधिकतर सभी आंदोलन सफल हुए थे।
महात्मा गांधी का जीवन काफी शिक्षाप्रद था। उन्होने पूरे विश्व को कई शिक्षाएं दी, जैसे- अहिंसा, सत्य, सादगी, स्वदेश प्रेम, सेवा। गांधी जी की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणाएं है, जिससे एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनायी जा सकती है। इसलिए हम सभी को महात्मा गांधी जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।
महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में – Mahatma Gandhi essay in 1000 Word
महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक अच्छे समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक नेता थे। इसी वजह से गांधी जी को भारत में “ राष्ट्रपिता” और “ बापू” के नाम से जाना जाता है। उन्होने काफी सारे अंदोलन किए थे, और सभी आंदोलन अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित थे।
महात्मा गांधी जी का जन्म
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट राज्य के दिवान थे। और उनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो एक धार्मिक गृहिणी थी। महात्मा गांधी जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे।
महात्मा गांधी जी की शिक्षा
महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही प्राप्त की थी। उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया था, और सा एक पारंपरिक हिंदू शिक्षा प्राप्त की। गांधी जी ने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती।
गांधी जी की तेरह वर्ष में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा के साथ विवाह करवा दिया गया था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे। युवा अवस्था में गांधी जी ने 1887 में जैसे-तैसे ‘मुबंई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया।
गांधी जी एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नही थी, इसलिए उन्हे बैरिस्टर (कानून) की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा।
महात्मा गांधी जी की विदेश यात्रा
सितंबर 1888 में, गांधी जी लंदन (इंग्लैंड) पहुंच गए। वहां पर उन्होने चार लॉ कॉलेज में से एक ‘इनर टेंपल’ कानून महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होने 1890 में, लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दी।
गांधी जी ने अपनी लॉ की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लिया। उन्होने लंदन में शाकाहारी रेस्तरां के लिए हड़ताल भी की थी। गांधी जी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने थे।
दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन
महात्मा गांधी थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत आए थे, तब वे अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए, जो दक्षिण अफ्रीका के शिपिंग व्यापारी थे। लेकिन वहां उन्होने देखा कि वहां पर भारतीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक सत्याग्रह आंदोलन चलाया ताकि वहां रहने वाले भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले। यह सत्याग्रह आंदोलन अफ्रीका में सात वर्षों से अधिक समय तक चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में सभी भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने संघर्ष जारी रखा।
अंतत: दक्षिण अफ्रीका में सभी भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले।
महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन
दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी सन् 1914 में भारत लौट आए। उस समय सभी देशवासियों ने गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारना शुरू कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने चार वर्ष बारतीय स्थिति का अध्ययन किया।
गांधी जी ने भारत में कई आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया था।
1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन
चंपारण सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।
2. खेड़ा आंदोलन
एक बार गुजरात का एक गांव काफी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गया था, तो स्थानीय किसानों ने कर माफी के लिए शासकों से अपील की। लेकिन शासकों ने उनकी अपील को नही स्वीकारा। इसके बाद गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन शुरू किया गया, जिसकी वजह से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्ति तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों पर ढील दी।
3. रॉलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन
अंग्रेजों ने भारत में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए 1919 में एक रॉलेट ऐक्ट लगाया था, जिसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता था। इस ऐक्ट से ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी।
उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में रॉलेट ऐक्ट के विरोध हुए आंदोलन में पूरा देश शामिल हुआ था।
4. असहयोग आंदोलन
असहयोग आंदोलन काफी महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन से सभी भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एक नई जागृति पैदा हुई। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश स्रकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेना।
5. नमक सत्याग्रह आंदोलन
महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन यह भी था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद में है, से शुरू हुआ, और दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च के रूप में चला। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ आंदोलन था।
6. दलित आंदोलन
महात्मा गांधी एक अच्छे समाज सुधारक भी थे, जिन्होने देश में फैल रहे छुआछुत के विरोध में 8 मई 1933 को आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने पूरे देश में काफी हद तक छुआछुत को कम किया था। इसके बाद गांधी जी ने 1932 में छुआछुत विरोधी लीग की स्थापना की थी।
7. भारत छोड़ो आंदोलन
महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में एक बहुत बडा आंदोलन छेड़ा, जिसका नाम, भारत छोड़ो आंदोलन था। इस आंदोलन से गांधी जी ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। इसके साथ ही गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी शुरू किया, जिससे इस आंदोलन को और मजबूती मिली।
इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की हुकूम को काफी कमजोर कर दिया था।
महान बलिदान
भारत छोड़ो आंदोलन के बाद बाद ब्रिटिश हुकूमत काफी कमजोर हुई और अंतत: 1947 में पूरा भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन गांधी जब तक जिंदी थे, तब तक देश के उद्धार के लिए काम करते रहे। गांधी जी ने हिंदु और मुस्लिम एकता का अभियान शुरू किया था, लेकिन इससे कुछ लोग खुश नही थे।
30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय नाथूराम गोड़से ने मौका देखकर गांधी जी को गोली मार दी। हालांकि गांधी जी के मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा जिंदा है।
महात्मा गांधी सच में एक महान पुरुष थे, जिन्होने अच्छी तरह से स्वतंत्र सेनानी और समाज सेवक का रोल निभाया। गांधी जी ने शांति और अहिंसा के आधार पर आंदोलन किया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।
महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नही बल्कि पूरे विश्व पटल पर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती पर ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप मनाने की घोषणा की।
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महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) - गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें
प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।
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गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये भी पढ़ें - दशहरा पर निबंध
महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें- दिवाली पर निबंध
गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)
मोहनदास करमचंद गांधी.
गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए।
गांधी जयंती
भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।
देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।
गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।
महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।
स्वदेशी आन्दोलन
स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।
स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।
खिलाफत आन्दोलन
प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।
अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है " अंतिम व्यक्ति का उत्थान " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।
सात्विक आहार
महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।
महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।
हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है।
महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)
- महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
- गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
- गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
- महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
- गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
- गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
- गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
- महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
- गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
- 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।
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ESSAY KI DUNIYA
HINDI ESSAYS & TOPICS
Gandhi Jayanti Essay In Hindi – गाँधी जयंती पर निबंध
September 21, 2017 by essaykiduniya
Here you will get Paragraph and Short Essay on Gandhi Jayanti in Hindi Language. Gandhi Jayanti Essay in Hindi Language for students of all classes in 100, 200, 300 and 500 words. यहां आपको सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए हिंदी भाषा में गांधी जयंती पर निबंध मिलेगा।
Gandhi Jayanti Essay In Hindi – गाँधी जयंती पर निबंध ( 100 words )
गाँधी जयंती प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को मनाई जाती है क्योंकि इस दिन 1869 में एक महापुरूष महात्मा गाँधी का जन्म हुआ था। गाँधी जयंती के दिन लोग गाँधी जी को श्रदांजली अर्पित करते हैं और सत्य और अहिंसा के दिखाए उनके मार्ग को याद करते हैं। इस दिन भारत में राष्ट्रीय अवकास होता है और इस दिन को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन खादी और हथकरघा से बने कपड़ो की प्रदर्शनी लगाई जाती है। इस दिन सभी नेता राजघाट पर गाँधी जी के स्माधि स्थल पर जाकर उन्हें श्रदांजली अर्पित करते हैं।
Gandhi Jayanti Par Nibandh – Gandhi Jayanti Essay In Hindi ( 200 words )
गाँधी जयंती भारत के एक महापुरूष महात्मा गाँधी जी के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात में हुआ था जिस कारण प्रत्येक साल 2 अक्टूबर को गाँधी जयंती मनाई जाती है। इस दिन को अंतराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन भारत में राष्ट्रीय अवकास रहता है। इस दिन लोग गाँधी जी को उनके सत्य और अहिंसा के दिखाए गए मार्ग के लिए याद करते हैं और उन्हें श्रदांजली अर्पित करते हैं। दिल्ली में राजघाट पर गाँधी जी का स्माधि स्थल है जहाँ पर नेता लोग जाकर फूल चढ़ाकर गाँधी जी को श्रदांजलि अर्पित करते हैं।
इस दिन स्कूलों में भी विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कुछ बच्चे गाँधी जी की वेशभूषा भी धारण करते हैं। खादी कपड़ो और हथकरघा सामानों की परदर्शनी लगाई जाती है। गाँधी जी के पसंदीदा गाने गाए जाते हैं। इस दिन लोग अच्छे कार्य करते हैं और सरकार के द्वारा भी बहुत सी योजनाओं की शुरूआत इस दिन की जाती है। गाँधी जयंती लोगों को महात्मा गाँधी जी के जीवन का स्मरण करवा जाती है जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर आजाद करवाने में समर्पित कर दिया था।
Gandhi Jayanti Essay In Hindi Language – गाँधी जयंती पर निबंध ( 300 words )
यह लेख महात्मा गांधी का संक्षिप्त जीवन इतिहास देता है। जो लोग गांधी जयंती पर स्कूल भाषण खोज रहे हैं उनके लिए यह सबसे अच्छा है। निश्चित रूप से इस लेख को बच्चों को उनके स्कूलों में महात्मा गांधी के जीवन पर भाषण के लिए बनाया गया है।
मोहनदास करमचंद गांधी, जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता हैं, को “महात्मा गांधी” के रूप में मशहूर कहा जाता है। महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था जो भारत में उत्तर पश्चिमी राज्य है। गांधीजी, जो महान कांग्रेस के नेता थे, ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया और भारतीयों को शांतिपूर्ण हमले चलाने के लिए प्रेरित किया। यह गांधीजी को “महात्मा” कहा जाता है (जिसका अर्थ है “महान आत्मा”)। यद्यपि महात्मा गांधी का हिस्सा जल्द ही वर्णित नहीं किया जा सकता है, कुछ महत्वपूर्ण आंदोलनों और कार्यों ने गांधीजी को कई भारतीयों के लिए प्रेरित किया है:
महात्मा गांधी ने भारतीयों के मन में “स्वराज” के विचार को विकसित करने की कोशिश की थी। महात्मा गांधी ने सभी भारतीयों को अहिंसा और शांतिपूर्ण प्रतिरोध के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्त करने का रास्ता दिया। महात्मा गांधी ने विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का बहिष्कार करने के लिए अपनी “स्वदेशी नीति” को रखा और इसके बजाय हमारे भारतीय माल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह (नमक मार्च से ढांडी) में भारतीयों का नेतृत्व किया, जब 1930 में, ब्रिटिश ने नमक पर कर पेश किया महात्मा गांधी ने महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया और बाल विवाह, “सती” व्यवस्था और हिंदू विधवाओं के उत्पीड़न के खिलाफ पूरी तरह से विरोध किया। गांधी जी ने लोगों को भी उपदेश दिया कि “अस्पृश्यता एक पाप है”
उपर्युक्त के अलावा, महात्मा गांधी ने पूरे भारतीयों को अपरंपरागत मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान किया है।
Gandhi Jayanti Essay In Hindi – गाँधी जयंती पर निबंध (500 words)
महात्मा गांधी गुजरात में पोरबंदर नामक गांव में 2 अक्टूबर, 1896 को जन्मे थे। उनके पिता करमचंद गांधी और मां पुतलीबाई थे। अपनी प्राथमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने एक बैरिस्टर बनने के लिए रुचि ली। इसलिए, कानून में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्हें 1888 के दौरान इंग्लैंड भेजा गया था। चार साल की कठिन संघर्ष के बाद उन्होंने 1891 में अपनी क़ानून की डिग्री पूरी कर भारत लौट दी।
इंग्लैंड से लौटने के तुरंत बाद, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के पास काम की तलाश में रवाना किया। उन दिनों में, दक्षिण अफ्रीका में भारतीय वकीलों की भारी मांग थी। उनकी इच्छा के अनुसार उन्हें वहां काम करने का अवसर मिला। उन्होंने लगभग 20 वर्षों के अपने जीवन काल के अनमोल जीवन काल बिताए। इन दिनों के दौरान, दक्षिण अफ्रीका में जातिवाद प्रचलित था। वह इस नस्लवाद का शिकार बन गया। प्रथम श्रेणी के आरक्षण में वैध टिकट प्राप्त करने के बाद भी उन्हें दौड़ने वाली ट्रेन से बाहर निकाल दिया गया था। इस अधिनियम ने बुरी तरह से अपनी आत्मा को प्रभावित किया और उन्होंने जातिवाद की सामाजिक बुराई का विरोध करना शुरू कर दिया। इन दिनों गांधीजी के लिए बहुत यादगार थे क्योंकि इन दिनों कस्तूरबा गांधी के साथ उनकी शादी हुई थी। वह जीवन के सभी क्षेत्रों में उसे समर्थन किया।
वह 1915 में भारत लौट आए, उनकी वापसी के तुरंत बाद उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले से मुलाकात की और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलनों के बारे में चर्चा की। उन्होंने खुद को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल किया और भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने 1920 में गैर-सहयोग क्षण शुरू किया, जिसमें भारतीयों से कहा गया कि वे ब्रिटिश के किसी भी काम में सहयोग न करें। 1930 में उन्होंने लगभग 400 किमी की लंबी दूरी पर चलने से एक दंडी मार्च बनाया। उन्होंने नमक के उत्पादन के खिलाफ ब्रिटिश के कानून को तोड़ दिया। 1942 में उन्होंने ‘काफी भारत आंदोलन’ को चिल्लाया जिसके माध्यम से उन्होंने सत्तारूढ़ ब्रिटिशों को एक संदेश भेजा कि हमारे देश को छोड़ दिया जाए और हम अपने देश का शासन करने में सक्षम हैं। इन सभी क्षणों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को वापस पैर पर खुद को स्थापित करने के लिए बनाया। अंत में, भारत को 15 अगस्त, 1947 को अपनी स्वतंत्रता मिली।
न केवल इस क्षण को ध्यान में रखते हुए, उन्हें 30 जनवरी 1948 को नथुराम गोडसे ने गोली मार दी थी। महात्मा गांधी को “राष्ट्र पिता” के रूप में वर्णित किया गया है और उनके जन्मदिन को हर साल “गांधी जयंती” के रूप में मनाया जाता है। उनके जन्मदिन को हमारे देश में एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाता है। इसके अलावा, महात्मा गांधी का जन्मदिन पूरे विश्व में “अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस” के रूप में मनाया जाता है।
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद
हम आशा करते हैं कि आप इस निबंध ( Gandhi Jayanti Essay In Hindi – गाँधी जयंती पर निबंध ) को पसंद करेंगे।
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गांधी जयंती निबंध 2024 – Gandhi Jayanti Essay in Hindi Pdf
आप सभी को दोस्तों मेरा प्रणाम – 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती 2024 है| हम सभी यहा गांधीजी को श्रद्धांजलि देने के लिए इकठे हुए है | हम Mahatma Gandhi Ji के महान व्यक्ति के बारे में बात करेगे |
जिन्होंने हमें सत्य और अहिशा के मार्ग पर चलाना सिखया था | हम गांधी जयंती को पुरे भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप मे मनाते है| महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है |
जिसे हम बापू या राष्ट्रपिता के नाम से भी जानते है | आज आप हमारे साथ पढेगे Mahatma Gandhi Jayanti Essay Hindi और सभी विद्यार्थियो के लिए Nibandh On Bapu For School Student Class LKG UKG And 1 2 3 4 5 6 7 8 सभी कक्षाओं के विद्यार्थी अपनी शाला मे गांधी जयंती पर हिंदी में निबंध को आराम से गाँधी जयंती के अवसर पर प्रस्तुत कर सकते है
गांधी जयंती पर निबंध 2024
महात्मा गांधी जयंती 2 अक्टूबर 2024 : हम सभी को पता है कि 2 अक्टूबर को हर साल गांधी जयंती मनाई जाती हैं. इस दिन एक अन्य महापुरुष जिनका नाम लाल बहादुर शास्त्री है उनकी जयंती भी हैं.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को सम्मान देने के लिए गांधी जयंती- Gandhi Jayanti मनाई जाती हैं. सत्य एवं अहिंसा के परम पुजारी राष्ट्रपिता गांधी के जन्म दिन को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता हैं.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे 2007 से मनाना शुरू किया था. गांधीजी के सम्मान में इस दिन छात्रों को महात्मा गांधी जयंती का भाषण, गांधी जयंती के लिए निबंध Gandhi Jayanti par essay, ka nibandh आदि बोलने को कहा जाता हैं. कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के विद्यार्थियों के लिए हम गांधीजी जयंती के लिए निबंध लेकर आए हैं.
यहाँ आपके लिए गांधी जयंती 2022 Class 1, Class 2, Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8, Class 9, Class 10 के लिए गांधी जयंती पर निबंध, गांधी जयंती का एस्से,
गांधी जयंती के लिए स्पीच, महात्मा गांधी पर कविता पोएम In Hindi, English, Sanskrat, Gujrati, Marathi, Tamil, Telgu, Punjabi, Urdu में गांधी जयंती का निबंध 100 शब्दों में, 200 शब्दों में, 250 शब्दों में, 300 शब्दों में, 400 शब्दों में, 500 शब्दों में, 10 लाइन महात्मा गांधी पर आदि दी जा रही हैं.
आप सभी को 2 अक्टूबर 2024 गांधी जयंती & शास्त्री जयंती की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएं.
महात्मा गांधी जयंती 2024 पर निबंध
गांधी जयंती भारत का राष्ट्रीय पर्व है यह राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के जन्म दिवस 2 अक्टूबर के उपलक्ष्य में हर साल मनाया जाता हैं. समूचे भारत देश में बड़े ही हर्षोल्लास से गांधी जी की जयंती मनाई जाती हैं.
सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिए इन्ही हथियारों को अपनाया. गांधी जी को भारत के राष्ट्रपिता और बापू उपनाम से भी जाना जाता हैं.
महात्मा गांधी ने अपने जीवन कई अहिंसक आंदोलन किये जिनमें चम्पारण, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो और असहयोग आंदोलन मुख्य थे. आज भी गांधीजी को पूरा विश्व उनके सत्याग्रह की क्षमता के लिए जानता हैं.
मेक इन इंडिया
गांधीजी स्वाधीनता, स्वच्छता और स्वावलंबन के पक्षधर थे, इन्होने अप्रत्यक्ष रूप से मेक इन इंडिया की शुरुआत तो वर्ष 1921 में ही कर दी थी. स्वदेशी अपनाने और विदेशी वस्तुओं का उपयोग न करने पर उनका बड़ा जोर था.
चरखा गांधीजी की निशानी था, वे स्वयं हाथ की बनी खादी की धोती पहना करते थे. आज पूरा विश्व बापू की 150 वीं जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मना रहा हैं. ये उनके सिद्धांतों की एक बड़ी जीत हैं.
जातिवाद और अस्पृश्यता
बापू में कई से बढ़कर एक गुण थे, वे एक सच्चे देशभक्त तो थे ही साथ ही अच्छे नेता, समाज सुधारक भी थे. इन्होने समाज की कई कुरीतियों को समाप्त करने की भी पहल की. वे जाति व्यवस्था के घोर विरोधी थे.
इन्होने अछूतों को हरिजन का नाम दिया था. गांधी जी बुनियादी शिक्षा और स्वच्छता के भी पक्षधर थे. हिन्दू मुस्लिम भाईचारे के लिए तथा महिला अधिकारों के लिए भी का महत्वपूर्ण योगदान था.
देश के स्कूलों और कॉलेजों में कार्यक्रम
हमारे देश के राष्ट्रीय पर्वों में गांधी जयंती की गिनती की जाती हैं. इस दिन देश के प्रत्येक कोने में स्थापित विद्यालयों कॉलेजों में बापू के जन्म दिवस के अवसर पर विभिन्न तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैं.
गांधी जी के संदेशो उनकी शिक्षाओं को जन जन तक पहुचाने के लिए निबंध, पोस्टर, प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता हैं, काव्यकारों द्वारा गांधी जी के जीवन पर कविता, शायरी आदि का वाचन किया जाता हैं.
महात्मा गांधी बापू सच्चे अर्थों में एक महापुरुष थे, जिन्होंने भारत की आजादी की लड़ाई तो लड़ी ही साथ ही एक नयें युग की नीव भी रखी. उनके सपनों के भारत के खाके को किसी न किसी रूप में आज भी पूरा करने में हर भारतीय अपना योगदान दे रहा हैं.
2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती के दिन हम सभी को बापू को अपना आदर्श मानते हुए उनके बताएं मार्ग पर चलने का प्रयास करना चाहिए, साथ ही गांधी दर्शन की बातों को समाज में प्रसारित किये जाने की महत्ती आवश्यकता हैं.
गांधी जयंती निबंध 2024 – Gandhi Jayanti Essay in Hindi
भूमिका:- सत्य एवं अहिंसा को मानवता का धर्म मानने वाले गांधीजी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था. वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बड़े नेताओं में से एक थे.
सत्याग्रह, अहिंसा एवं सादा जीवन और स्वच्छता इनके जीवन के मुख्य सिद्धांत थे. एक ऐसे सैद्धांतिक व्यक्ति से ही प्रभावित हुए बंगाली कवि टैगोर ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी.
सत्य के साथ प्रयोग उनकी आत्मकथा थी. वे हमेशा सत्य की खोज में अपनी भूलों एवं गलतियों पर नयें एक्स्परिमेंट करते थे. अंग्रेजी सत्ता को भारत से बाहिर करने के लिए पहली बार उन्होंने महिलाओं एवं दलितों को आन्दोलन से जोड़ इसे जन आन्दोलन का रूप दिया.
उन्होंने कई व्यापक आन्दोलन चलाकर भारत की आजादी के लिए भूमिका तैयार कर दी थी. वे अस्पर्शयता एवं अस्वच्छता के पूर्ण खिलाफी थे.
गांधी जयंती क्यों मनाते हैं – महात्मा गांधी जिनका पूर्ण नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ जिले में हुआ था.
पोरबन्दर में जन्में गांधी के जन्म दिन को गांधी जयंती के राष्ट्रीय पर्व के रूप में देशभर में मनाते हैं. इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाते हैं, तथा सभी सरकारी संस्थाओं, विद्यालयों में सरकारी अवकाश भी होता हैं.
गांधीजी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने दिल्ली में एक प्रार्थना सभा के दौरान कर दी थी. उनकी समाधि राजघाट में बनी हुई हैं. जहाँ पर इस दिन राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री सभी बड़े पदाधिकारी आकर राष्ट्रपिता को श्रद्धांजली अर्पित करते हैं.
इस दिन देश के भर शैक्षणिक संस्थानों एवं सरकारी कार्यालयों में महात्मा गांधी के कार्यों देश के प्रति उनके योगदान को याद किया जाता तथा उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये जाते हैं.
एक प्रसिद्ध नायककार ने महात्मा गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि आने वाली पीढियां यकीन ही नही करेगी कि भारत में एक समय में ऐसा महान पुरुष हुआ था.
सत्य एवं अहिंसा के पुजारी थे, जिन्होंने भारतीय इतिहास के महापुरुषों की अग्रिम पंकित में स्वयं को स्थापित किया था. भारत के राष्ट्रपिता नव भारत के निर्माता एवं भाग्य विधाता थे.
गांधीजी के पिताजी राजकोट के दीवान थे, उनकी माता का नाम पुतली बाई था जो बेहद धार्मिक महिला थी, जिनकें विचारों का गांधीजी के जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ा. महात्मा गांधी की आरम्भिक शिक्षा पोरबंदर में फिर राजकोट में हुई.
जब वे 18 साल के हुए उन्होंने दसवीं पास कर ली थी तथा वकालत के लिए उन्हें इंग्लैंड भेज दिया गया था. इससे पूर्व इनका विवाह कस्तूरबा गांधी के साथ मात्र तेरह वर्ष की आयु में ही हो चूका था. जब वे इंग्लैंड से वकालत कर घर पहुचे तब तक उनकी माँ पुतली बाई का देहावसान हो चूका था.
जब वे बेरिस्टर की डिग्री लेकर गुजरात लौटे तो उन्हें एक क्लाईट के केस की सुनवाई की सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा. उन्होंने वहां जाकर देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ अंग्रेजों द्वारा रंगभेद चरम पर था. गांधीजी उनका भेदभाव स्वयं भी भुगत चुके थे.
उन्हें एक बार चलती ट्रेन से इसलिए फेक दिया था क्योंकि वे गोरे लोगों के डिब्बे में चढ़ गयें जिनमें काले अर्थात भारतीय लोगों का प्रवेश निषेध था. उन्होंने भारतीय लोगों के लिए न्याय की लड़ाई बड़ी निडरता के साथ लड़ी तथा अन्तः वे इसमें कामयाब भी रहे.
महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए यहाँ आकर उन्होंने भारत के लोगों के साथ गोरी सरकार द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई, उन्होंने किसानों के हक़ के लिए उनके साथ कई आन्दोलन किए.
उन्होंने सबसे पहले रोलेट एक्ट का विरोध किया जिनका उन्हें राष्ट्रव्यापी समर्थन भी मिला. जब भारत आजादी की राह पर था तो वे शस्त्र क्रांति की बजाय सत्याग्रह एवं अहिंसा के रास्ते पर चल रहे थे. इस दौरान उन्हें कई बार जेल की यात्रा भी करनी पड़ी थी.
उनके मुख्य आंदोलनों में बिहार का नील सत्याग्रह, दांडी यात्रा, खेड़ा का किसान आन्दोलन महात्मा गांधी के मुख्य सत्याग्रह थे. उन्होंने आम भारतीयों को स्वदेशी अपनाने के लिए संदेश दिया वे खुद चरखा चलाते थे तथा खादी के बने वस्त्र पहना करते थे.
वर्ष 1942 में उन्होंने भारत छोड़ों आन्दोलन की शुरुआत की, इन्ही के अथक प्रयासों के फलस्वरूप 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, आजादी के बाद भारत में रामराज्य की उनकी कल्पना थी, जो शायद आज तक पूरी नही हो पाई हैं.
गांधीजी छुआछुत में विश्वास नही करते थे, उनका सम्पूर्ण जीवन अछूतों के उद्धार, ग्राम सुधार, नारी शिक्षा और हिन्दू मुस्लिम एकता के संघर्ष में ही व्यतीत हुआ. 30 जनवरी 1948 को दिल्ली की प्रार्थना सभा में जाते समय नाथूराम गोडसे ने गांधीजी पर गोलियां चला दी.
उन्होंने वही पर हे राम कहते हुए प्राण त्याग दिए इस तरह गांधीजी मर कर भी आज जिन्दा हैं. गांधी जयंती पर निबंध आपकों अच्छा लगा हो तो आगे जरुर शेयर करे.
गांधी जयंती पर निबंध हिंदी में Gandhi Jayanti Essay Hindi Nibandh On Bapu For School Student 2 अक्टूबर 2024 गाँधी जी जीवनी पर निबन्ध Gandhi Ji Jayanti Life Story About Mahatma Gandhi in Hindi 02 October Essay On Father Of Nation Mk Gandhi
प्रश्न: महात्मा गांधी जयंती को किस रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ मनाता है?
उत्तर: प्रतिवर्ष UNO गांधी जयंती को विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाता हैं.
प्रश्न: गांधी जयंती के मौके पर विद्यालयों में किस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं.
उत्तर: इस अवसर पर राष्ट्रपिता के नाम निबंध, भाषण, कविता प्रतियोगिता, कवि सम्मेलन, सर्वधर्म प्रार्थना, बाल सभा आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जा सकता हैं.
- गांधी जयंती पर शायरी
- महात्मा गांधी पर निबंध
- गांधी जयंती पर भाषण और कविता
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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।
इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।
Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi
महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।
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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं
और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।
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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।
भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words
महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।
उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।
महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।
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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।
उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था
जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।
इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।
उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।
लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।
नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।
Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words
प्रस्तावना –
महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।
उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।
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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।
प्रारंभिक जीवन –
महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।
जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।
Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।
उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।
अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –
महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।
उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।
राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –
दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।
यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।
भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –
महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।
इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।
इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।
खेड़ा सत्याग्रह –
खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।
गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।
असहयोग आंदोलन –
अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।
महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।
इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।
इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।
नमक सत्याग्रह –
ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।
नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।
इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।
इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।
नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।
भारत छोड़ो आंदोलन –
महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।
उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।
द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।
बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।
महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।
उपसंहार –
Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।
उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।
हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।
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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”
Rohit ji app ne sahi bola
apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे
Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile
Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.
Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h
Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.
Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai
Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.
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गाँधी जयंती पर भाषण
भाषण देना एक कला है जो व्यक्ति के किसी विषय पर ज्ञान और उसकी वाक् शैली पर निर्भर करता है लेकिन जब विषय गाँधी हों तो भाषण पूर्व तैयारी की भी आवश्यकता पड़ती है। यहाँ पर हम आसान और सरल शब्दों में विद्यार्थियों के लिये विभिन्न शब्द सीमाओं के साथ गाँधी जयंती पर भाषण उपलब्ध करा रहें हैं जिसका प्रयोग विद्यार्थी विभिन्न अवसरों या प्रतियोगिताओं में अपनी जरुरत के आधार पर कर सकते है।
गांधी जयंती पर 10 वाक्य
गाँधी जयंती पर भाषण (Short and Long Speech on Gandhi Jayanti in Hindi)
भाषण – 1.
सभी माननीयों, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को सुबह का नमस्कार। जैसा कि हम सभी जानते है कि हम सब यहाँ एक प्यारा उत्सव मनाने जुटे हैं जो गाँधी जयंती कहलाता है, इस अवसर पर मैं आप सब के सामने एक भाषण देना चाहता हूँ। मेरे प्यारे दोस्तों, 2 अक्टूबर महात्मा गाँधी का जन्मदिन है।
राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि देने के लिये हर वर्ष पूरे उत्साह के साथ हम इस दिन को मनाते है साथ ही साथ अंग्रेजी शासन से देश के लिये स्वतंत्रता संघर्ष के रास्ते में उनके हिम्मतपूर्णं कार्यों को याद करते हैं। पूरे भारत में एक बड़े राष्ट्रीय अवकाश के रुप में हमलोग गाँधी जयंती मनाते हैं। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी है और वो बापू तथा राष्ट्रपिता के नाम से भी प्रसिद्ध है।
2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है क्योंकि अपने पूरे जीवन भर वह अहिंसा के उपदेशक रहे। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र सामान्य सभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्ररीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया है। हमलोग हमेशा बापू को शांति और सच्चाई के प्रतीक के रुप में याद करेंगे। बापू का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था जबकि उन्होंने अपने पूरे जीवनभर बड़े-बड़े कार्य किये।
वह एक वकील थे और उन्होंने अपनी कानून की डिग्री इंग्लैंड से ली और वकालत दक्षिण अफ्रीका में किया। “सच के साथ प्रयोग” के नाम से अपनी जीवनी में उन्होंने स्वतंत्रता के अपने पूरे इतिहास को बताया है। जब तक की आजादी मिल नहीं गयी वह अपने पूरे जीवन भर भारत की स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजी शासन के खिलाफ पूरे धैर्य और हिम्मत के साथ लड़ते रहे।
सादा जीवन और उच्च विचार सोच के व्यक्ति थे गाँधी जी जिसको एक उदाहरण के रुप में उन्होंने हमारे सामने रखा। वो धुम्रपान, मद्यपान, अस्पृश्यता और माँसाहारी के घोर विरोधी थे। भारतीय सरकार द्वारा उनकी जयंती के दिन शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है। वो सच्चाई और अहिंसा के पथ-प्रदर्शक थे जिन्होंने भारत की आजादी के लिये सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की।
नयी दिल्ली के राजघाट पर इसे ढ़ेर सारी तैयारीयों के साथ मनाया जाता है जैसे प्रार्थना, फूल चढ़ाना, उनका पसंदीदा गाना “रघुपति राघव राजा राम” आदि बजाकर गाँधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। मैं आप सबसे उनके एक महान कथन को बाँटना चाहूँगा “व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित प्राणी है, वो जो सोचता है वही बन जाता है”।
भाषण – 2
सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षकगण और मेरे प्यारे दोस्तों आप सभी को सुबह का नमस्कार। मेरा नाम राहुल है, मैं कक्षा 7 में पढ़ता हूँ। मैं गाँधी जयंती के अवसर पर एक भाषण देना चाहूँगा। सबसे पहले मैं अपने क्लासटीचर को धन्यवाद देना चाहूँगा जिन्होंने इतने महान अवसर पर भाषण देने के लिये मुझे मौका दिया। जैसा कि हम सभी जानते है कि हर साल 2 अक्टूबर को महात्मा गाँधी का जन्मदिन मनाने के लिये हम सब इकट्ठा होते हैं। मेरे प्यारे दोस्तों, गाँधी जयंती केवल अपने देश में ही नहीं मनाया जाता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में पूरे विश्व भर में मनाया जाता है क्योंकि वह अपने पूरे जीवनभर अहिंसा के एक पथ-प्रदर्शक थे।
उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है हालाँकि वह बापू और राष्ट्रपिता तथा महात्मा गाँधी के नाम से प्रसिद्ध हैं। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। इस दिन पर, नयी दिल्ली के राजघाट पर महात्मा गाँधी को उनके समाधि स्थल पर भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के द्वारा प्रार्थना, फूल, भजन आदि के द्वारा श्रद्धाजलि अर्पित की जाती है।
गाँधी जयंती भारत के सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में गाँधी को याद करने के लिये मनायी जाती है जिन्होंने हमेशा सभी धर्मों और समुदायों को एक नजर से सम्मान दिया। इस दिन पर पवित्र धार्मिक किताबों से दोहा और प्रार्थना पढ़ा जाता है खासतौर से उनका सबसे प्रिय भजन “रघुपति राघव राजा राम”। देश में राज्यों के राजधानियों में प्रार्थना सभाएँ रखी जाती है। जैसा कि भारत सरकार के द्वारा इस दिन को राष्ट्रीय अवकाश के रुप में, सभी स्कूल, कॉलेज, कार्यालय आदि पूरे देश में बंद रहते हैं।
महात्मा गाँधी एक महान व्यक्ति थे जिन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी को प्राप्त करने में बहुत संघर्ष किया और एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। वह ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के लिये आजादी प्राप्त करने के अहिंसा के अनोखे तरीके के केवल पथ-प्रदर्शक ही नहीं थे बल्कि उन्होंने दुनिया को साबित किया कि अहिंसा के पथ पर चलकर शांतिपूर्ण तरीके से भी आजादी पायी जा सकती है। वह आज भी हमारे बीच शांति और सच्चाई के प्रतीक के रुप में याद किये जाते हैं।
भाषण – 3
सभी माननीय, आदरणीय प्रधानाध्यापक, शिक्षक और मेरे प्यारे दोस्तों को मैं प्यार भरा नमस्कार कहना चाहूँगा। मेरा नाम नवीन त्यागी है, मैं कक्षा 8 में पढ़ता हूँ। मेरे प्यारे दोस्तों, महात्मा गाँधी के जन्म दिवस, 2 अक्टूबर के इस शुभ अवसर को मनाने के लिये हम सब यहाँ इकट्ठे हुए हैं। इस दिन पर, भारत के राष्ट्रपिता का जन्म 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। ये उत्सव हमारे लिये बहुत मायने रखता है। महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी है, हालाँकि ये राष्ट्रपिता, गाँधीजी और बापू के नाम से भी पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं। गाँधी जयंती के रुप में देश में बापू के जन्म दिवस को मनाया जाता है जबकि पूरे विश्व में इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में मनाया जाता है।
बापू का जन्म देश के बहुत छोटे शहर में हुआ था हालाँकि उनके कार्य बहुत महान थे जिसको पूरे विश्व में फैलने से कोई नहीं रोक सका। वह एक ऐसे व्यक्ति थे जो ब्रिटिश शासन से अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को आजादी दिलाने में भरोसा रखते थे। वह अहिंसा के पथ-प्रदर्शक थे, उनके अनुसार ब्रिटिश शासन से आजादी प्राप्त करने का यही एकमात्र असरदार तरीका है। बापू एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत की आजादी के संघर्ष में अपना पूरा जीवन दे दिया।
भारतियों के असली दर्द को महसूस करने के बाद, उन्होंने गोपाल कृष्ण गोखले के साथ कई सारे आंदोलनों में भाग लेना शुरु कर दिया। असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन वे अभियान है जो उन्होंने भारत की आजादी के लिये चलाये थे। वह कई बार जेल गये लेकिन कभी अपना धैर्य नहीं खोया और शांतिपूर्वक अपनी लड़ाई को जारी रखा। बापू का पूरा जीवन(वर्तमान और भविष्य की पीढ़ी के लिये) देशभक्ति, समर्पण, अहिंसा, सादगी और दृढ़ता का आदर्श उदाहरण है।
भारतीय लोगों द्वारा हर साल ढ़ेर सारी तैयारियों के साथ गाँधी जयंती मनायी जाती है। इस उत्सव को मनाने का उद्देश्य बापू को श्रद्धाजलि देने के साथ ही ब्रिटिश शासन से आजादी पाने में बापू द्वारा किये गये संघर्ष के बारे में भावी पीढ़ी को बताना है। ये हमें अपनी मातृभूमि के लिये हर समय खुली आँखों से सचेत रहने के लिये सिखाता है। मैं आप सबसे महात्मा गाँधी द्वारा कहा गया एक महान कथन बाँटना चाहूँगा।
“मेरा जीवन मेरा संदेश है, और दुनिया में जो बदलाव तुम देखना चाहते हो वह तुम्हें खुद में लाना पड़ेगा”।
जय हिन्द जय भारत
भाषण 4 – भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में महात्मा गाँधी की भूमिका
आदरणीय प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, प्रिय शिक्षकों और मेरे सहपाठी छात्रों आप सभी का आज के इस कार्यक्रम में हार्दिक स्वागत है।
मैं सार्थक पांडेय कक्षा दसवीं वर्ग सी का छात्र हूँ और आज गाँधी दिवस के इस शुभ अवसर पर आप सबके सामने भाषण देने को अपना सौभाग्य समझता हूँ। यह बताने की जरुरत नही है कि भारत के स्वाधीनता संघर्ष में महात्मा गाँधी का योगदान कितना बड़ा है। मेरी इस बात से आप में से शायद ही कोई इंकार कर सकता है। साधरणतः हम महात्मा गाँधी को बापू के नाम से भी जानते है, उनके महान चरित्र और व्यक्तित्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम है।
उनका जन्म अक्टूबर सन् 1869 को वर्तमान गुजरात प्रदेश के पोरबंदर मे हुआ था और उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। वह सन् 1900 में भारत के सबसे महानतम स्वाधीनता सेनानियों में से एक थे। यह वह समय था, जब उन्होंने देश के स्वतंत्रता आंदोलन की बागडोर संभाली और देश को स्वतंत्रता प्राप्ति की ओर अग्रसर किया। जैसा कि हम सब जानते है कि अंग्रेजो ने हमारे देश पर लगभग 250 वर्षो तक राज किया, पर उनके इस राज की नीव हिलनी तब शुरु हुई, जब 1915 में बापू दक्षिण अफ्रीका से लौटे और गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर देश में चल रहे स्वाधीनता संघर्ष की बागडोर संभाली। उनके इस त्याग का अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं कि देश और समाज के भलाई के लिए। उन्होंने वकालत जैसे प्रतिष्ठित पेशे को छोड़ने में भी संकोच नही किया।
स्वाधीनता संघर्ष में उनके योगदान को किसी भी तरीके से कम नही आंका जा सकता है और ना ही इसे शब्दों में बयान किया जा सकता है। हम कह सकते हैं कि बापू ने शहीद भगत सिंह, लाल बहादुर शास्त्री, सुभाष चन्द्र बोस, सरोजनी नायडू, लाला लाजपत राय, और दूसरे अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर अंग्रेजो को हमारा देश छोड़ने पे मजबूर कर दिया था। उनकी कई सारी नीतियां खासतौर से अहिंसा नीति देश के आजादी में सबसे बड़ा हथियार साबित हुई। अपने इन्हीं कारगर नीतियों के वजह से वह देशभर में लोगो के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनें।
यह प्रथम विश्व युद्ध का समय था और उस वक्त के भारत के वायसराय लार्ड चेस्टफोर्ड ने महात्मा गाँधी को युद्ध के विषय में चर्चा करने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया तथा उनसे अपील की वह अधिक से अधिक भारतीय लोगो को सेना में शामिल होने के लिए कहें। इस बात पर अंग्रेजी हुकूमत का विश्वास हासिल करने के लिए उन्होंने लोगो से प्रथम विश्व युद्ध के लिए सेना में शामिल होने के लिए कहा, लेकिन इसके साथ ही अपने एक व्यक्तिगत खत में उन्होंने वायसराय से कहा कि “वह किसी को भी जान से मारने के लिए नही कहेंगे चाहे वह दोस्त हो या दुश्मन”।
गुजरात में खेड़ा नामक एक गांव हैं, यह सन् 1917 की बात है जब वहां भीषण बाढ़ आई हुई थी, जिससे उस क्षेत्र में हालात काफी खराब हो गये थे। इन्हीं कारणों से स्थानीय किसानों ने उच्च अधिकारियों से कर माफ करने का निवेदन किया परन्तु अंग्रेजी हुकूमत द्वारा उनकी इन मांगो को अस्वीकार कर दिया गया। जिसके बाद गाँधी जी ने किसानो के समर्थन में कर ना देने के लिए आंदोलन किया। इसके साथ ही उन्होंने तालददार और मालतदार जैसे राजस्व अधिकारियों के सामाजिक बहिष्कार का भी आंदोलन किया था। गाँधी जी के इन्हीं प्रयासों के चलते सन् 1918 में अंग्रेजी सरकार को विवश होकर किसानों की मांगो का मानना पड़ा और जब तक आकाल की समस्या समाप्त ना हो जाये, तब तक उन्हें करों में छूट देने के लिए तैयार होना पड़ा।
स्वाधीनता संघर्ष में सक्रिय रहने के साथ ही गाँधी जी ने छुआछूत, लिंगभेद के साथ अन्य कई सामाजिक महत्वपूर्ण विषयों जैसे किसानों के दयनीय स्थिति को सुधारने तथा महिला सशक्तिकरण के मामलो पर सुधार के लिए भी काफी कार्य किया।
इसके साथ ही सबसे दिलचस्प बात यह है कि वह आल इंडिया मुस्लिम लीग कांफ्रेस के मुख्य प्रवक्ताओं में से एक थे। एक तरह से गाँधी जी एक सर्वमान्य नेता थे और खिलाफत आंदोलन में उनके सहभागिता ने उन्हें हर वर्ग का राष्ट्रीय नायक बना दिया। यह उनके द्वारा किए गये नमक स्तयाग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन जैसे अहिंसक आंदोलन ही थे, जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत की कमर तोड़ने का कार्य किया। जिसके चलते अंग्रेजी हुकूमत को भारत को स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए विवश होना पड़ा।
अंत में हम यहीं कह सकते हैं कि वह एक महान क्षमता तथा योग्यता के धनी व्यक्ति थे और अपने नेतृत्व कौशल से उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष में एक अहम भूमिका निभाई थी। देश के स्वतंत्रता संघर्ष में, उनके इस योगदान के चलते हम और हमारे देश की आने वाली पीढ़ीया सदैव उनकी ऋणी रहेंगी। उनके बलिदान को ना ही हम भूले हैं ना ही इसे कभी भूल सकते हैं।
मेरे इस भाषण को इतने धैर्यपूर्वक सुनने और अपना बहुमूल्य समय देने के लिए आप सभी का धन्यवाद!
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महात्मा गांधी पर निबंध। mahatma gandhi essay in hindi
महात्मा गाँधी संसार विख्यात एक ऐसी प्रतिभा जिसको किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। आज इस लेख में हम mahatma gandhi essay in hindi लेकर आये है। स्कूलों में कॉलेज में अक्सर about gandhiji in hindi पुछा जाता है। भारत में गाँधी जी के विचार या उनके जीवन से सिखने को बहुत कुछ मिलता है। लोगो को एक संक्षिप्त झलक देने की कोशिश इस पोस्ट में की जा रही है।
ये भूमि ने जवानों के बलिदान को देखा है,
आध्यात्म की कसौटी पर हिंदुस्तान को देखा है,
हिंसा पर अहिंसा के सम्मान को देखा है,
सबके विचारों के आदर्श गांधी महान को देखा है।
मोहनदास करमचंद गांधी, जिन्हें लोग ‘महात्मा गांधी’, ‘राष्ट्रपिता’ तथा बापू के नाम से जानते है। जिन्होंने स्वतंत्र भारत का सपना देखा। विचारों की क्रांति से देशवासियों को एकत्रित किया और ब्रिटिश शासन को जड़ से खत्म कर दिया। स्वतंत्र भारत हज़ारों दशकों बाद भी महात्मा गांधी जी का नाम याद रखेगा। अथक प्रयास, कठोर परिश्रम कर गांधी जी ने देश को दास्तान की जंजीरों से मुक्त किया। आध्यात्मिक और राजनैतिक दोनो ही भूमिका में गांधी जी निपुण थे।
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प्रस्तावना- 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में करमचंद गांधी और पुतलीबाई के यहां उनकी सबसे छोटी संतान के रूप में गांधी जी ने जन्म लिया। 2 अक्टूबर अर्थात गांधी जी के जन्म दिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। देश को स्वतंत्र करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले, सबका भला चाहने वाले थे गांधी जी। देश मे अंग्रेजों की गुलामी ना करने की पहल गांधी जी ने शुरू की। अपमान, अत्याचार, पीड़ा सबके खिलाफ आवाज़ उठाई। पर कभी भी हिंसक होने का समर्थन नही किया। अहिंसा के मार्ग पर देश ने आज़ादी पायी। गांधी जी ने सत्य से, अहिंसा से, विश्वास से भारत को आज़ादी दिलाई। कभी भी छल-कपट से लोगो के हृदय में स्थान नही बनाया।
गांधी जी का बचपन और पढ़ाई काल- भारत को आज़ादी तक ले जाने वाले गांधी जी एक सामान्य व्यक्ति थे। खेल-कूद में वह सामान्य थे। उनका बचपन श्रवण कुमार की, भक्त प्रह्लाद की,राजा हरिश्चन्द्र की कहानियां सुनकर बीता। उन्होंने कहानियों से सुनी सीख को जीवन मे उतारा। वह जब सिर्फ 13 वर्ष के थे तब उनका विवाह उनसे एक साल बड़ी कस्तूरबा से हुआ।
वे डॉक्टर बनना चाहते थे परंतु वैष्णव परिवार में चिड़ा-फाड़ी की अनुमति नही थी। 1888 में गांधी जी ने बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड जाने का विचार किया। तब उनकी माँ पुतली बाई ने उनसे तीन वचन लिए। पहला की विदेश में जाकर गांधी जी मदिरा पान नही करेंगे। दूसरा किसी स्त्री पर आसक्त नही होंगे और तीसरा की विदेश में जाकर मांसाहार नही करेंगे। तीनो वचन के साथ अपनी पत्नी कस्तूरबा और पुत्र को छोड 1888 में वह इंग्लैंड के लिए रवाना हुए। उस समय विदेश में मांसाहार का चलन था परंतु उन्होंने वहां शाखाहारी लोगो को इकट्ठा किया और शाखाहार शुरू किया।
गांधी जी राम नाम को शरुवात से नही मानते थे। वह बताते है कि एक बार वह अपने दोस्त के साथ रात्रि में कमरे से बाहर गए। वहां वे एक स्त्री पर वह मोहित हुए। उनका दोस्त स्त्री के पीछे चला गया। गांधी जी जाने ही वाले थे परंतु माता को दिया हुआ वचन याद करके वह तुरंत अपने कक्ष में लौट आये। वह बताते है कि मानो भगवान ने मुझे गलत रास्ते पर जाने से बचा लिया। उन्होंने उस दोस्त की कभी आलोचना नही की। 4 वर्ष बाद गांधी जी इंग्लैंड से भारत आये। बॉम्बे और राजकोट में वकालत की तैयारी की पर कामयाबी नही मिली।
साउथ अफ्रीका में गांधी जी के 21 साल- 1893 में दादा अब्दुल्लाह नाम के एक व्यापारी ने उन्हें साउथ अफ्रीका बुला लिया। साउथ अफ्रीका में भी भारत की तरह ब्रिटिश हुक़ूमत थी। 23 साल की उम्र में साउथ अफ्रीका पहुंचे मोहनदास को वहां तमान भेद-भाव का सामना करना पड़ा। वहां पर अलग रंग और नस्ल के कारण उन्हें ट्रैन के पहले दर्जे से बाहर फेंक दिया गया। गांधी जी ने जवाब में अफसरों से कहा कि मेरे पास भी वही टिकट है जो आपके पास है। परंतु नस्ल, रंग-रूप से पिछड़ा जान उन्हें बाहर फेंक दिया गया। उनके स्थान पर कोई और होता तो वहां से शायद वापिस लौट जाता। परंतु गांधी जी वहां रहकर 21 साल तक कुरीतियों और अत्याचारों के खिलाफ लड़े। गांधी जी का मानना था कि उन्होंने पढ़ाई बेशक इंग्लैंड से की है लेकिन साउथ अफ्रीका में रहकर उन्होंने बहुत कुछ सीखा है। जिससे उन्हें भारत को आज़ादी दिलाने में भी मदद मिली। गोपाल कृष्ण गोखले के निवेदन पर भारत को अंग्रेज़ी हुक़ूमत से स्वतंत्र कराने के उद्देश्य से 1915 में गांधी जी भारत लौट आये।
भारत की आज़ादी में महत्वपूर्ण वर्ष- भारत को आज़ाद कराने की पहल गांधी जी के भारत लौटने पर शुरू हुई। इतिहास इसी दिन के इंतज़ार में था। भारत पर अंग्रेज़ी शासन के अंत की शुरुवात 1917 में हुई ।
1917- भारत की आज़ादी में गांधी जी का पहला आंदोलन चंपारण सत्याग्रह 1917 में शुरू हुआ। बिहार के चंपारण जिले के लोगो से अँग्रेज़ ज़बरदस्ती नील की खेती करा रहे थे। गांधी जी ने इसके विरोध में चंपारण सत्याग्रह चलाया था। इसी वर्ष गुजरात के खेड़ा जिले में बाढ़ और अकाल की स्थिति होने के बावजूद लोगो से अँग्रेज़ अत्यधिक कर वसूल रहे थे। जिस पर गांधी जी ने अहिंसक विरोध किया और अंग्रेजों को समझौता करने पर मजबूर किया।
गांधी जी के सफल आंदोलन के चर्चे भारत वासियों तक आग की तरह फैले। इस आंदोलन की वजह से उन्हें भारत मे कीर्ति मिली। धीरे-धीरे उन्हें गुरु रबिन्द्रनाथ टैगोर द्वारा “महात्मा” और नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा दी हुई “राष्ट्रपिता” की उपाधि भी सर्वव्यापक हो गयी । आम जनमानस उन्हें महात्मा और बापू कहकर बुलाने लगे। इसके बाद भारतीय मुसलमानों के खिलाफत मूवमेंट को गाँधीजी ने सहयोग प्रदान कर भारतीय मुसलमानों को भी अपने पक्ष में ले लिया।
1919- लोगो को विभिन्न आंदोलन का हिस्सा बनते देख अंग्रेज ने इसके खिलाफ 1919 में रॉलेट एक्ट लाये। जिसमे किसी भी भारतीय को बिना मुकदमा चलाये उन्हें जेल में बंद किया जा सकता था। गांधी जी ने इसके खिलाफ असहयोग आंदोलन चलाया। गांधीजी ने देशवासियों से अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध करने को कहा। लोग अंग्रेज़ी कपड़ो और वस्तुओं को जलाने लगे।
13 अप्रैल 1919 को जब ऐसा ही विरोध प्रदर्शन जलियावाला बाग में किया जा रहा था तब जनरल डायर ने सेंकडो लोगो को गोलियों से भुनवा दिया। यह घटना आज भारत वासियों की रूह को झंझोड़ देती है। यह सबके बाद भी गांधीजी अहिंसा के मार्ग पर रहे और पूरे देश को आंदोलन का हिस्सा बना दिया।
1922- इस वर्ष चोरी-चौरा काण्ड हुआ। जिसमे जनता ने आक्रोश में आकर पुलिस वालों को ज़िंदा जला दिया। जनता को हिंसा के मार्ग पर उतरते देख गाँधीजी ने आंदोलन वापिस ले लिया और कुछ साल उन्हें जेल में रहना पड़ा।
1930- जेल से रिहा होकर गाँधीजी ने आंदोलन को जड़ से मजबूत किया। इस वर्ष गांधी जी ने नमक पर टैक्स लगाने का विरोध किया। गाँधीजी के अहमदाबाद से लेकर दांडी तक 400 किलोमीटर की यात्रा की और कानून तोड़ते हुए खुद नमक बनाया । इस आंदोलन को अपार जन समर्थन मिला। विदेश की मीडिया ने भी इसे प्रमुखता से उछाला।
1942 से अगस्त 1947- भारत की आज़ादी में ये जवानों के बलिदान का साक्षात्कार है। 1942 में गांधी जी के नेतृत्व में एक बड़ा आंदोलन “भारत छोड़ो आंदोलन” हुआ। ये भारत को स्वतंत्र करने का आखरी आंदोलन था। जब दूसरे विश्व युद्ध की शुरुवात होने वाली थी तब ब्रिटिशर्स विश्व युद्ध मे भारत की हिस्सेदारी चाहते थे। देखते ही देखते भारत मे अमेरिकी सेना आने लगी।धीरे-धीरे लोगो पर अत्याचार बढ़ने लगे। जिन देश को आज़ादी मिलनी थी उसमें भारत का कोई नामो निशान नही था। ऐसी परिस्थितियों में गांधी जी ने आज़ादी का सबसे बड़े आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन की पहल की। जिसका हिस्सा पूरा देश बना। गांधीजी ने जन मानस से अंतिम अहिंसावादी संघर्ष जारी रखने को कहा। गांधी जी ने लोगो को “करो या मरो” का नारा दिया। सभी को आज़ादी का स्वप्न दिखाया। लोगों ने जान की परवाह किये बगैर स्वराज की मुहिम की। हज़ारों की संख्या में स्वतंत्रता सैनानी मारे गए। असंख्य लोग घायल व गिरफ्तार हुए । गांधी जी ने पूरे देश को संगठित कर दिया था। हर गांव हर शहर के लोग आंदोलन का हिस्सा बने।
अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेज़ी शासन से आज़ाद हुआ। गांधीजी ने अंग्रेज़ी साम्राज्य से भारत को पूर्ण स्वराज दिलाया। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा गांधीजी की गोली मार कर हत्या कर दी गयी ।
आज़ाद भारत की सबसे बड़ी शव यात्रा गांधीजी की थी जिसमे 10 लाख से भी अधिक लोग उनके साथ चल रहे थे। 15 लाख लोग रास्ते मे खड़े थे। कुछ तो खम्बे से पर खड़े थे।
उपसंहार- गाँधीजी सिर्फ शरीर से मृत हुए परंतु लोगो के दिल से उन्हें कैसे कोई विलुप्त कर सकता है। आज अगर हम सुरक्षित, आज़ाद और प्रसन्न है, तो गांधी जी और हमारे देश के शहीदों की कुर्बानियों से। गांधीजी का सिद्धांत, सत्य, अहिँसा, आत्म-विश्वास, सादगी आज भी सराहनीय है। गांधीजी ने असत्य पर सत्य की जीत, हिंसा पर अहिंसा की विजय का प्रमाण दिया है। गांधी विश्वास का नाम है, गांधी सत्य का नाम है, गांधी जीत का नाम है।
विचारों की अग्नि से गाँधीजी ने मुहिम चलाई थी,
जब भारत को आज़ादी दिलाने की बारी आई थी।
ना झुके थे वो कभी अंग्रेजों के आगे,
बिना एक शस्त्र उठाये भी उन्होंने
आज़ादी की लड़ाई जीत के दिखाई थी।
हमें आशा है आपको महात्मा गाँधी पर निबंध पसंद आया होगा। आप चाहे तो इसे gandhi jayanti essay के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। gandhi jayanti speech के रूप में भी संशोधनक करके इसी लेख को प्रयोग में लाया जा सकता है। अगर आप चाहते है की महात्मा गाँधी जयंती स्पीच पे भी लेख लेकर हम आये तो जरूर कमेंट कर के हमें बताये।
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Gandhi jayanti essay in hindi गांधी जयंती निबंध हिंदी में.
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Gandhi Jayanti Essay in Hindi
गांधी जयंती निबंध
गाँधी-जयन्ती : गांधी-जयन्ती भी एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाई जाती है। गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था। इनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ।
गाँधी जी ने भारत छोड़ो आन्दोलन, असहयोग आन्दोलन, डाँडी यात्रा के द्वारा अंग्रेजी सरकार की गलत नीतियों का विरोध किया और भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। विश्व की पीड़ित और शोषित पीढ़ी के लिए मानव-कल्याण के कार्य किए। इसीलिए उनके जन्म दिवस को पूरे भारतवर्ष में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। गाँधी जी की पुण्यतिथि को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
महात्मा गाँधी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में उन्होंने अंग्रेज़ो भारत छोड़ो” आन्दोलन चला कर भारत को एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए हम इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहते हैं।
“सत्य अहिंसा की ज्योत जगाई, एकता की राह बताई।
अहिंसा का तीर जो छोड़ा, डर गोरों ने भारत छोड़ा।”
गाँधी जयंती पर देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा अन्य मान्यगण राजघाट दिल्ली में गाँधी जी की समाधि पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि देते हैं। गाँधी जी ने लोगों को आदर्श जीवन जीने का उपदेश ही नहीं दिया बल्कि स्वयं जी कर दिखाया।
इस दिन पूरे भारत में दूसरे राष्ट्रीय पर्वो की तरह अवकाश रहता है। राष्ट्रीय पर्व हमारे देश-प्रेम, सत्य, अहिंसा और भारतीय शासन प्रणाली में भारतीयों की आस्था को प्रकट करते हैं। जबकि अहिंसा, प्रेम और सत्य गाँधी जी के ही तीन हथियार थे। इन्हीं से गाँधी जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी और सफलता पाई।
‘दे दी हमें आजादी बिना खड्ग बिना ढाल,
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल।’
हेमंत कुमार साबरमती आश्रम में गाँधी जयन्ती पर विशेष प्रार्थना-सभा की जाती है। इस दिन चरखे पर सूत काता जाता है। जगह-जगह प्रार्थना सभाएँ होती हैं। इस प्रकार हम अपने राष्ट्रपिता के प्रति अपनी भावनाएँ अर्पित करते हैं। जिसमें गाँधी जी के प्रिय भजनों का गायन विशेष रूप से किया जाता है।
में भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए। मार्ग पर चलना चाहिए। भारत उनके द्वारा स्वतन्त्रता-सग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।
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