शॉपिंग मॉल पर निबंध | Essay On Shopping Mall In Hindi

Essay On Shopping Mall In Hindi : नमस्कार दोस्तों आज हम शॉपिंग मॉल पर निबंध लेकर आए हैं. आज हम मॉल संस्कृति अर्थात कल्चर के दौर में जी रहे हैं. वर्ष 2005 के बाद तो इस पाश्चात्य प्रभाव में हमारे शहर व कस्बें इस रंग में रंग गये हैं.

फैशन के इस दौर में शॉपिंग मॉल महत्वपूर्ण आवश्यकता एवं सच्चाई बन चुके हैं. आज के निबंध, भाषण,अनुच्छेद, पैराग्राफ में हम मॉल की यात्रा, नुक्सान, लाभ, इतिहास आदि के बारें में जानेंगे.

Essay On Shopping Mall In Hindi

Essay On Shopping Mall In Hindi

250 शब्दों में Essay on a visit to a shopping mall in hindi

मैं गाँव में रहने वाला देहाती लड़का रहा, एक बार चाचाजी के साथ शहर चल पड़ा. शहर में उनका अपना घर था. एक दिन चाची जी के साथ खरीददारी के लिए मॉल उनके साथ गया.

अब तक मैंने आगे का कुछ सोचा न था. मेरे ख्यालों में था बस बाजार जा रहे है किराने या सब्जी की दूकान से सामान लेकर लौट आएगे. टैक्सी पकड़ी और सरदार चौक के पास कांच की बहुमंजिली इमारत में हमने प्रवेश किया.

हमने पहली टियर में प्रवेश किया, कुछ रेस्टोरेंट थे कुछ खाया पिया, और लिफ्ट में बैठकर तीसरी मंजिल पहुँच गये वहां देखा तो मानों आँखे चौंधिया गई, पूरा बाजार अटा पड़ा था. खिलौने, किताबे, इलेक्ट्रॉनिक, कपड़े, जूते, जनरल स्टोर क्या क्या नहीं था लोग आ जा रहे थे.

अपनी इच्छा से वस्तुएं अपने बैग में रख रहे थे. जब तक मैं कुछ समझ पाता. चाची ने मेरे लिए एक ड्रेस ली तथा चेंज रूम में जाकर पहनने को कहा. कुछ खरीददारी की और सारा सामान पेमेंट काउंटर तक पहुँच गया. बिल लिया और नकद देकर हम नीचे आए तो देखा हमारा सामान पैक होकर आ चूका था.

वाकई लाजवाब और चकित करने वाला ये बाजार था. मैं कोतुहलवश शॉपिंग मॉल को निहारता रहा. जो कुछ दिख रहा था बड़ी अजीब ही था. मेरे गाँव से पूरी तरह अलग था. उस दिन हम घर लौट आए. मेरे लिए शॉपिंग मॉल की पहली यात्रा का अनुभव एक नई दुनियां में जाने जैसा था.

गाँव लौटकर मैंने अपने स्कूल दोस्तों को बताया तो वे भी उसी चकित भाव से अजीब तरह के सवाल पूछते थे. आखिर हम सभी दोस्तों ने सर्दियों की छुट्टियों में शॉपिंग मॉल की यात्रा का प्लान बनाया और इस यात्रा में मैंने गाइड की भूमिका निभाई.

शॉपिंग मॉल पर निबंध 700 शब्दों में

शॉपिंग मॉल में हमें हमारी आवश्यकता के सभी सामान बड़ी ही आसानी से प्राप्त हो जाते हैं। शॉपिंग मॉल में हमें फर्नीचर से लेकर के ज्वेलरी के समान, सुंदर सुंदर कपड़े, जूते- चप्पल साथ ही साथ मनोरंजन के सामान भी प्राप्त हो जाते हैं।

शॉपिंग मॉल एक बहुत बड़े विस्तार में बनाया जाता है और यहां पर सुरक्षा गार्ड को भी शॉपिंग मॉल की सुरक्षा के लिए रखा जाता है क्योंकि कई बार शॉपिंग मॉल से लोग चोरी भी करते हैं, ऐसे में उन्हें पकड़ने के लिए सुरक्षा गार्ड होने आवश्यक है।

अधिकतर शॉपिंग मॉल शहरों में ही पाए जाते हैं क्योंकि शॉपिंग मॉल को बनाने में जितना खर्चा आता है उसकी पूर्ति के लिए यह आवश्यक है कि शॉपिंग मॉल में अधिक से अधिक ग्राहक आए.

यह तभी संभव है जब शॉपिंग मॉल किसी शहर में खोला गया हो क्योंकि शहरों में लोगों की कमाई अधिक होती है। इसलिए वह लोग अपनी आवश्यकता की चीजों पर खर्च करने के लिए शॉपिंग मॉल अवश्य जाते हैं।

वहीं ग्रामीण इलाके में शॉपिंग मॉल के सफल होने की संभावना काफी कम ही रहती है क्योंकि ग्रामीण इलाके में अधिकतर बेरोजगारी पाई जाती है। इसलिए लोग अपनी आवश्यकता की चीजें शॉपिंग मॉल की जगह पर दुकानदारों से ही प्राप्त कर लेते हैं।

शॉपिंग मॉल में जब कोई व्यक्ति घूमने जाता है तब वह शॉपिंग मॉल की सुंदरता को देख कर के बहुत ही आनंदित होता है। शॉपिंग मॉल के अंदर खाने पीने की बहुत सारी चीजें मौजूद होती हैं।

इसलिए कई लोग शॉपिंग मॉल से शॉपिंग करने के उद्देश्य से नहीं बल्कि अपने परिवार के साथ सुबह का, दोपहर का अथवा शाम का भोजन ग्रहण करने के लिए शॉपिंग मॉल जाते हैं।

शॉपिंग मॉल का निर्माण बड़े स्थान पर किया जाता है। इसलिए शॉपिंग मॉल के अंदर तमाम प्रकार की सुविधाएं मौजूद होती है। ग्राहक अपनी पसंद की किसी भी चीज को शॉपिंग मॉल से आसानी से प्राप्त कर सकता है।

शॉपिंग मॉल के अंदर बड़े पैमाने पर कांच का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा शॉपिंग मॉल में ठंडक के लिए एसी भी लगाई जाती है ताकि गर्मियों के मौसम में लोग बिना गर्मी का सामना किए हुए शॉपिंग मॉल से खरीदारी कर सकें। विकलांग लोगों के लिए और बुजुर्गों के लिए शॉपिंग मॉल में लिफ्ट की सुविधा भी होती है।

अगर शॉपिंग मॉल दो मंजिला है तो 1 मंजिल से दूसरी मंजिल पर जाने के लिए सिड़ियों के अलावा लिफ्ट भी होती है। हालांकि विकलांग लोगों के अलावा बड़े, बूढ़े, बच्चे सभी लोग लिफ्ट से जाना पसंद करते हैं क्योंकि लिफ्ट में चढ़ना कुछ लोगों को रोमांचकारी अनुभव लगता है।

कई बड़े शॉपिंग मॉल के अंदर बच्चों के खेलने के लिए एक अलग से ही विभाग बनाया जाता है, जहां पर बच्चे वीडियो गेम खेल सकते हैं और आनंद प्राप्त कर सकते हैं।

शॉपिंग मॉल के अंदर छोटा सा टॉकीज भी होता है, जहां पर लोग फिल्म देखने के लिए जाते हैं और फिल्म देखने का दरमियांन उन्हें पॉपकॉर्न भी खाने के लिए दिया जाता है।

शॉपिंग मॉल से शॉपिंग करने पर धोखाधड़ी होने की कोई भी संभावना नहीं होती है, क्योंकि शॉपिंग मॉल में कोई दुकानदार नहीं होता है बल्कि शॉपिंग मॉल में सभी सामान एक लाइन से रखे हुए होते हैं। हमें बस शॉपिंग मॉल में जाना होता है और जिस सामान को हमें प्राप्त करना है उसे ले लेना होता है।

इसके पश्चात जब हम सारी खरीदारी कर लेते हैं तो वापस आने के पश्चात हमें बिल काउंटर पर अपने सभी सामान जमा करने होते हैं। इसके पश्चात शॉपिंग मॉल के कर्मचारियों के द्वारा आपके सभी सामान को चेक किया जाता है और उसके जितने पैसे होते हैं वह आपको बता दिए जाते हैं।

इसके पश्चात आप नगद में अथवा कार्ड से अपने सामान की पेमेंट कर सकते हैं। इसके पश्चात आप शॉपिंग मॉल से लिए हुए सामान को अपने घर ले कर के जा सकते हैं।

लोग शॉपिंग मॉल से खरीदारी करना इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि त्योहारों के मौके पर अथवा किसी विशेष दिन पर शॉपिंग मॉल के अंदर डिस्काउंट भी ऑफर किया जाता है जिसके अंतर्गत उन्हें हर सम्मान पर डिस्काउंट प्राप्त होता है।

इसलिए लोग थोड़े से डिस्काउंट के लिए शॉपिंग मॉल से खरीदारी करना पसंद करते हैं। शॉपिंग मॉल खुलने का निश्चित समय होता है। उसी समय के दरमियान ग्राहकों को शॉपिंग कर लेनी होती है।

Shopping Mall Essay In Hindi 1000 words

भारतीय बाजार सदियों से अपनी अलग पहचान लिए थे, मगर वर्तमान तक आते आते इनका स्वरूप पूर्णतया बदल चूका हैं. एक जमाने में हमारे देश में छोटे बाजार लगते थे जिन्हें हाट बाजार या साप्ताहिक बाजारों के नाम से जाना जाता था. गाँव, शहर हो या कस्बा हमारा दैनिक जीवन किराणे की दूकान से सम्बद्ध था.

बचपन में हम भी अपनी माताजी या बड़ी बहिन के साथ दुकान पर आवश्यक घरेलू सामान लाने के लिए जाया करते थे. मगर आज के बाजार का स्वरूप पूरी तरह बदल चूका हैं. अब हाट बाजारों के स्थानों पर शोपिंग मॉल बन रहे हैं.

बड़े शहरों में इनकी तादाद तो निरंतर बढ़ती ही जा रही हैं. हमारे नित्य जीवन की सभी आवश्यकताएं मॉल ही अब पूरी करता हैं. आज गाँवों को छोड़ दे तो शहरों में संगठित और असंगठित रूप में फुटकर सेवा देने वाले दुकानदारों की संख्या निरंतर घट रही हैं.

अब मॉल संस्कृति में जहाँ बाजार का स्वरूप सिमट गया हैं वही इस नई कल्चर ने खरीददारों को एक नयें अनुभव देने वाली बाजार प्रणाली को जन्म दिया हैं. जिसमें समूहीकरण का दृश्य तो दीखता ही है साथ ही विश्वसनीयता व मनोरंजन की पूर्ति भी हो जाती हैं.

शहरों के इन बड़े बड़े शॉपिंग मॉल की एक ही छत के नीचे समस्त तरह के सामान को खरीदा जा सकता हैं. पहले जब कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक, जूते, घर का सामान आदि की खरीद करनी होती तो पूरे बाजार का चक्कर काटना पड़ता था, मगर अब ये समस्त वस्तुएं एक ही मॉल में एक नया अनुभव प्रदान करने वाले वातावरण में उपलब्ध हो जाया करती हैं.

एयरकंडीशनर युक्त आज के शॉपिंग मॉल अपने ग्राहकों को सभी मौसम में सुरक्षा पर्सन करते हैं. यही कारण है कि अधिकतर शहरी लोग मॉल जाकर ही खरीददारी करना पसंद करते हैं. कुछ लोग मॉल जाकर आने में अपनी प्रतिष्ठा को बढ़ा हुआ महसूस करते हैं.

बहरहाल मॉल की यात्रा से भले ही व्यक्ति का स्टेट्स बढ़े न बढ़े मगर यहाँ एक ही वस्तु सभी ब्रांड में उपलब्ध हो जाया करती हैं. वहीँ मॉल की सामग्री की कीमत भले ही आसमान को छूने वाली हो मगर उसकी विश्वसनीयता भी ग्राहकों को निरंतर विश्वास बहाल करने में सहायक होती हैं.

शॉपिंग मॉल को अच्छा टाइम पास का स्थल भी कहा जा सकता हैं अधिकतर युवा एवं युवतियां अपने समय बिताने अथवा दिखावे के लिए मॉल आते हैं.

पार्किंग फ़ीस न होना तथा ग्राहक को कोई वस्तु खरीदने के लिए बाध्य न करने की नीतियों के कारण आवारागर्दी करने वालों का ठिकाना भी ये मॉल बन गये हैं. निश्चय ही ये सहायक है या नहीं मगर शॉपिंग मॉल ने भारतीय पारम्परिक बाजार की संस्कृति में आमूल चूल परिवर्तन अवश्य किये हैं.

21 वीं सदी में जैसे जैसे मध्यमवर्गीय जीवन में आर्थिक दृष्टि से मजबूती मिली. शहरी मॉल की कल्चर को भी बढ़ावा मिला. यदि मॉल के भारत में इतिहास की बात की जाए तो वर्ष 2001 में भारत में मात्र 3 मॉल ही थे. जिनमें चेन्नई में स्थित स्पेंसर प्लाजा भी एक था जिसे अंग्रेजी काल 1863-64 में बनाया गया था.

मगर 2005 और फिर 2007 आते आते देश में मॉल की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई इनकी संख्या तीन से बढ़कर 343 हो गई. वर्ष 2008 के मुकाबले यह संख्या बढ़कर दोगुना अर्थात 570 हो गई. 2019-20 में इनकी संख्या 4 हजार के आसपास बताई जाती हैं.

फुटकर विक्रेताओं को नया संगठित रूप इन सुपर मॉल से मिला हैं. देश के 2 व 3 टीयर शहरों में हर साल कई नयें शौपिंग मॉल खुल रहे है मगर दूसरी तरफ ये बंद भी उतनी ही तेजी से हो रहे हैं. गलत स्थान चयन के कारण कई मॉल जिन उम्मीदों को लेकर आरम्भ किये जाते हैं उन पर खरा नहीं उतर पाते हैं.

देश में कई प्रसिद्ध शॉपिंग मॉल भी है जिनकी ख्याति देश विदेश में भी हैं इनमें नोयडा का डीएलएफ, लूलू का अंतर्राष्ट्रीय मॉल कोच्ची, सलेक्ट सिटी वाल्क दिल्ली, फिनिक्स मुंबई तथा एलेंट मॉल चंडीगढ़ मुख्य रूप से हैं.

मॉल को दुसरे शब्दों में हम माल से मालामाल बाजार भी कह सकते है जहाँ रसोई में प्रयुक्त सामग्री से लेकर फिल्म देखने तक का प्रबंध हो जाता हैं.

देशी मानस स्वयं को पाश्चात्य शैली के इस नयें रूप के अनुसार स्वयं को अनुकूलित करने की जदोजहद में लगा हैं. घर में जो पकवान नहीं बनते है वो मोल्स के रेस्टोरेंट में उपलब्ध हो जाया करते हैं.

भोला भाला व्यक्ति पश्चिम की इस संस्कृति में ढलने का प्रयत्न तो जीतोड़ कर रहा है मगर उसकी चुनौतियां भी अपार हैं. शॉपिंग मॉल के रेस्टोरेंट में लजीज पकवान भले ही पेट के लिए सेहतमंद हो न हो प्रतिष्ठा तो बनती हैं.

मेनू में लिखे आइटम सम्भवतः जीवन में कभी पहले न सुने हो, बस अपनी कलाकारी तो आजमा ही आते हैं वेटर से बस गुफ्तगू इस बिंदु पर होती है कि अमुक आइटम में क्या क्या मिलेगा और कितने लोग पेट भर सकेगे.

हमारा बाजारी कल्चर दुनिया में विरला ही हैं. फैशन, किराने या सब्जी कुछ भी हो बिना मोल भाव और आलू ले लो, प्याज ले लो, ५० रूपये में पांच किलों के स्वर के गुंजन के बिना तो दिल को सुकून ही नहीं मिलता कि बाजार होकर आए हैं.

भला ये सब शॉपिंग मॉल में तो नहीं मिल सकता, वहां न तो कोई हमसे बहस करने वाला मिलेगा न ड्रेस की मेसिंग बताने वाला गाइड मिलेगा, बस वस्तुएं होंगी और उन पर लगे होंगे कीमत के स्टिकर्स. जो मन करे थैला भर लीजिए और पेमेंट खिड़की में केस या कार्ड स्वाइप करवा दीजिए.

  • बाजार पर निबंध
  • डाकघर पर निबंध
  • कुटीर उद्योग पर निबंध

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ई-शॉपिंग पर निबंध | Essay on E-Shopping | Hindi

shopping essay in hindi language

ई-शॉपिंग पर निबंध! Here is an essay on ‘E-Shopping’ in Hindi language.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस युग में आज मानव ने हर प्रकार की सुविधाएँ प्राप्त कर ली है । इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की बढती पहुँच ने मानव जीवन को सुगम बना दिया है । इण्टरनेट के माध्यम से आज हम घर बैठे-बैठे न सिर्फ दुनियाभर की जानकारी जुटा सकते है, बल्कि ई-शॉपिंग का आनन्द भी उठा सकते है ।

ई-शॉपिंग का अर्थ हैं- इण्टरनेट के द्वारा अपनी मनपसन्द सामग्रियों की खरीदारी करना । भारत में ई-शॉपिंग की शुरूआत 21वीं सदी के आगमन के पश्चात् हुई, किन्तु कुछ ही वर्षों में यह देशभर में इस कदर छा गई, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती ।

आज एक ओर भारत के सभी छोटे-बड़े शहरों में घर से बाहर निकलते ही विभिन्न प्रोडक्ट्स से सजी बडे-बड़े होर्डिंग-बैनर वाली दुकानें दिख जाती हैं, तो दूसरी ओर घरों के अन्दर भी कम्प्यूटर और स्मार्टफोन में एक समृद्ध बाजार मौजूद है । घर से बाहर बाजारों में जाकर अपनी जरूरत के मुताबिक चीजों की खरीदारी करना ऑफलाइन शॉपिंग कहलाती है ।

ADVERTISEMENTS:

इस प्रकार ऑफलाइन शापिंग में ट्रैफिक की झुंझटों को पार करने भीड़-भाड़ से गुजरते हुए थे बाजार का चक्कर काटकर चीजें पसन्द की जाती हैं और फिर मोलभाव करके रुपयों के लेन-देन से उनकी खरीदारी की जाती है । वहीं ई-शॉपिंग अर्थात् ऑनलाइन शॉपिंग में कहीं भी, किसी भी समय कहर चालू करके ई-कॉमर्स की साहस पर जाकर सिर्फ एक ही क्लिक में सारी खरीदारी कर ली जाती है ।

ऑनलाइन शॉपिंग साइस पर खरीदे जाने वाले सामान का ऑर्डर देने के दो-तीन दिनों के अन्दर ही ऑर्डर किए गए सामान घर पहुँचा दिए जाते हैं । टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा का कहना है- ”भारत में खरीदारों की काफी संख्या होने के बावजूद लोग बाजार जाकर सामान नहीं खरीद पाते, किन्तु आज देश में ई-शॉपिंग का चलन इतना अधिक बढ़ गया है कि पाँच सौ से छ: सौ मिलियन लोग इस माध्यम से खरीदारी करते हैं ।”

सचमुच आज देश में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन तेजी से बढ रहा है । एसोचैम की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2009 में भारत में ऑनलाइन मार्केट 2.5 अरब डॉलर का था, जो वर्ष 2013 में बढ़कर 16 अरब डॉलर का हो गया और वर्ष 2023 तक इसका कारोबार 56 अरब डॉलर तक पहुँच जाने का अनुमान है, जो देश के रिटेल मार्केट (खुदरा बाजार) का 6.5% है ।

एसोचैम के अनुसार, ऑनलाइन शॉपिंग बढने के पीछे मुख्य कारण हैं- इसके माध्यम से सामान का सीधे घर पर पहुँचाया जाना व बेहतर सर्विस प्रदान करना । वर्ष 2014 में जारी की गई रिपोर्ट कहती है- ऑनलाइन खरीदारी में मुम्बई पहले स्थान पर, अहमदाबाद दूसरे पर और दिल्ली तीसरे स्थान पर है ।

एसोचैम महासचिव डीएस रावत कहते है- ”आज सड़कों और बाजारों की बढ़ती भीड़, महँगा होता पेट्रोल-डीजल और रोजमर्रा की भागदौड भरी जिन्दगी के मध्य मॉल अथवा बाजारों में जाने हेतु समय निकालना कठिन हो गया है । इन्हीं सब परेशानियों से बचने के लिए लोग ऑनलाइन खरीदारी करना अधिक पसन्द करते हैं ।”

रावत का यह भी मानना हैं- बढ़ती महँगाई और सुला आर्थिक बिकास दर ऑनलाइन खरीदारी के बढते चलन को रोक पाने में असफल रहा है, बल्कि इण्टरनेट के प्रसार और भुगतान के नए विकल्प के कारण ई-कॉमर्स उद्योग को बढावा ही मिला है-और वास्तव में देखा जाए, तो उनका कहना ठीक भी है ।

आज दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बंगलुरु, चण्डीगढ़ जैसे देश के बड़े-बड़े शहरों के साथ-साथ बिहार, झारखण्ड, पंजाब, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु जैसे राज्यों के शहरों व कस्बों में रहने वाले लोग भी रोजाना बडी संख्या में ई-कॉमर्स के साथ जुड रहे हैं । हर साल दोगुनी रफ्तार से देश में ई-कॉमर्स उद्योग का विस्तार हो रहा है ।

देश में बड़ी संख्या में इण्टरनेट का उपयोग करने वालों में आधे लोग ऑनलाइन खरीदारी का विकल्प चुनते हैं जिनमें युवा वर्ग सबसे अधिक सक्रिय है । इस समय देश में कारोबार करने वाली प्रमुख ई-कॉमर्स कम्पनियों के विभिन्न ऑनलाइन बेबसाइस्द्स के माध्यम से ग्रॉसरी प्रोडक्टस के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, एसेसरीज, रेडीमेड गारमेण्ट, गजेट्‌स, शुज, परफ्यूम, किताबें आदि विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ एक ही क्लिक पर मँगाई जा सकती हैं । अब तो ई-शॉपिंग के द्वारा गाय, भैंस, बकरे जैसे पशुओं को भी खरीदा जा रहा है ।

ई- शॉपिंग से होने वाले फायदों को निम्नलिखित रूपों में देखा जा सकता है:

1. समय की बचत व भीड़-भाड से मुक्ति:

आज की व्यस्त जीवन-शैली में लोगों के पास इतना समय नहीं होता कि वे रोजमर्रा की वस्तुओं को खरीदने हेतु एक दुकान से दूसरी दुकान पर भटके और भीड़ में धक्के खाने के बाद दुकानदारों से मोल-तोल करके अपनी जरूरत की चीजें खरीदे ।  घर बैठे ऑनलाइन खरीदारी करने से एक ओर तो समय की बचत होती है तो दूसरी ओर ट्रैफिक समस्याओं व भीड़-भाड़ से भी छुटकारा मिल जाता है ।

2. सस्ती खरीदारी:

ऑफलाइन खरीदारी दुकानों में जाकर की जाती है जहाँ वस्तुओं के मूल्य में दुकान का किराया कर्मचारियों पर व्यय, बिजली की लागत आदि खर्च भी सम्मिलित किए जाते है । जिससे वस्तुएँ महँगी हो जाती हैं किन्तु इसके विपरीत ऑनलाइन खरीदारी में ऑनलाइन स्टोर द्वारा वस्तु सीधे खरीदार के घर पर भेजी जाती है जिसका मूल्य खुदरा बाजार की तुलना में कम होता है ।

ऑनलाइन स्टोर खरीदारों को पारम्परिक दुकानों की अपेक्षा अधिक छूट देते है । विशेष अवसरों एवं पर्व-त्योहारों पर ई-कॉमर्स कम्पनियों की ओर से विशेष स्कीमें एवं ऑफर्स दिए जाते है जो खरीदारों को पारम्परिक दुकानदारों द्वारा दी गई सुविधाओं की तुलना में अधिक भाते है । इन्हीं कारणों से ऐसे अवसरों पर ई-कॉमर्स का कारोबार खुदरा बाजार के कारोबार से ज्यादा चल पड़ता है ।

3. वस्तु की अधिक किस्में:

दुकानों में जगह सीमित होती है जिससे वहाँ ढेर सारे सामान तो मिल जाते हैं पर उनकी अनेक किस्में नहीं मिल पातीं, किन्तु ऑनलाइन वेबसाइट्‌स के द्वारा घर बैठे-बैठे विभिन्न प्रोडक्ट्स की कई किस्मों को देखा जा सकता है और फिर अपनी मनपसन्द चीजों की खरीदारी की जा सकती है ।

4. खरीदी गई वस्तु बदलने की छूट:

ऑनलाइन शॉपिंग करने के दौरान ऑर्डर देकर मँगाई गई वस्तुओं के पसन्द न आने पर ई-कॉमर्स कम्पनियाँ खरीदारों को खरीदी गई वस्तुओं की जगह दूसरी वस्तुएँ खरीदने के अतिरिक्त उन्हें वापस लेने की सुविधा भी प्रदान करती है फलस्वरूप खरीदारों को अपेक्षाकृत अधिक सन्तुष्टि प्राप्त होती है ।  साथ ही इस खरीदारी में कम्पनी द्वारा वस्तुओं को अच्छी तरह से परखने की छूट भी दी जाती है ।

घर पर प्रोडक्ट्स लाने वाले कम्पनी के कर्मचारी ग्राहकों के पूरी तरह सन्तुष्ट होने के पश्चात् ही उनसे पैसों की माँग करते हैं । खुदरा-बाजार में प्रायः खरीदारों को ऐसी सुविधा नहीं दी जाती ।  क्षतिग्रस्त सामान डिलिवरी किए जाने या खरीदार द्वारा सामान नापसन्द किए जाने पर ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर सामान्यतः एक माह के अन्दर सामान बदलने अथवा वापस लेने की सुविधा प्रदान करता है ।

5. पुरानी वस्तु को बेचने की सुविधा:

अक्सर घर में पड़ी पुरानी चीजों के प्रयोग में न लाए जाने अथवा कम उपयोग किए जाने पर उन्हें घर में रखना एक समस्या बन जाती है । व्यक्ति चाहकर भी ऐसी चीजों का खरीदार नहीं खोज पाता किन्तु आज ओएलएक्स, क्विकर आदि फ्री क्लासीफाइड साइट्‌स के द्वारा न सिर्फ पुराने वाहन, इलेक्ट्रनिक प्रोडक्टस एवं फर्नीचर, बल्कि एक-दो बार प्रयोग किए जाने वाले कीमती वस्त्र भी, जो अच्छी स्थिति में हो, आसानी से बेचे जा सकते हैं । 

इन सारी सुविधाओं के बावजूद ऑनलाइन खरीदारी करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए । कभी-कभी लूटे गए अथवा चोरी के सामान भी ऑनलाइन शॉपिंग साइट्‌स के द्वारा बेच दिए जाते हैं । ऐसे में काफी समझ-बूझकर अधिकृत वेबसाइट्‌स के माध्यम से ही वस्तुओं की ऑनलाइन खरीदारी करनी चाहिए । बहुत बार तो प्रोडक्ट्स के दाम से आधे मूल्य पर भी वस्तुओं के बेचे जाने का विज्ञापन ई-कॉमर्स कम्पनियाँ निकालती हैं ।

ऐसी स्थिति में सस्ती खरीदारी के लालच में न पड़कर सामान खरीदने के पूर्व उसके असली होने की जाँच अच्छी तरह कर लेनी चाहिए । डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से ई-शॉपिंग करने बाले लोगों को खास रूप से सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि ब्रटपॉस जैसे खतरनाक वायरस प्याइंट ऑफ सेल (पॉस) बिजनेस काउण्टरों पर हमला कर खरीदारों के कार्ड नम्बर एवं पासवर्ड चुरा सकते हैं और एक बार डेबिट अथवा क्रेडिट की जानकारी हाथ लगते ही कार्ड से उनकी जमा राशि उड़ा सकते हैं ।

इण्टरनेट बैंकिंग अकाउण्ट के द्वारा आवश्यक ‘राशि वर्चुअल कार्ड’ जिसका उपयोग बस एक बार किया जा सकता है, जनरेट कर और उसके माध्यम से या फिर सीधे कैश पेमेण्ट कर सुरक्षित ऑनलाइन खरीदारी की जा सकती है ।  ई-शॉपिंग के दौरान नियम व शर्तों को ध्यानपूर्वक पढ़ा एवं समझा जाना आवश्यक है ।

वस्तुओं की खरीदारी करने से पूर्व बेबसाइइस की रीफण्ड, बारण्टी एवं अन्य पॉलिसीज की जाँच अवश्य की जानी चाहिए । उपरोक्त सावधानियाँ बरतकर ई-शॉपिंग में आने वाली समस्याओं से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है । पूरे भारत में ई-कॉमर्स कम्पनियों के कारोबार में दिनों-दिन तेजी से बढोतरी होने के कारण हाल के वर्षों में परम्परागत बाजार का व्यापार प्रभावित होने लगा है ।

काफ्रेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार वर्ष 2014 में दीपावली पर्व के अवसर पर ई-कॉमर्स कम्पनियों की ओर से बडे स्तर पर ऑनलाइन सेल लगा? जाने के कारण परम्परागत बाजारों को इस फेस्टिवल सीजन के दौरान लगभग 30% की हानि सहनी पड़ी ।

बावजूद इसके तमाम सुविधाओं और बेहतर सर्विस के कारण आज ई-शॉपिंग भारत के युवा वर्ग की पहली पसन्द बनती जा रही है । वहीं दूसरी ओर ऑनलाइन मार्केटिंग का व्यापक विस्तार होने के कारण इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होने के अवसर भी खुले हैं ।

व्यापार जगत् के विशेषज्ञों के अनुसार आने वाले दो-तीन वर्षों में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में 50 हजार लोगों को रोजगार प्राप्त हो सकेगा। स्वयं रतन टाटा जैसे उद्योगपति का कहना है- ”ई-कॉमर्स उन क्षेत्रों में से एक है, जहाँ मैं व्यक्तिगत रूप से निवेश करना चाहता हूँ, क्योंकि देश के खरीदारों के उस बडे वर्ग के लिए जो बाजार जाकर चीजें खरीद सकते यह अच्छा विकल्प है ।”

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ऑनलाइन शॉपिंग पर निबंध: अर्थ, फायदे, नुकसान

ऑनलाइन शॉपिंग पर निबंध

ऑनलाइन शॉपिंग के फायदे और नुकसान पर निबंध

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ऑनलाइन शॉपिंग क्या है? What is Online Shopping in Hindi

बचपन में कहानियों में हम सुनते थे कि सांता क्लॉज़ बच्चों को उनकी इच्छा के उपहार देने घर-घर जाते थे। किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि ऐसा वास्तविक जीवन में भी हो सकता है। लेकिन आधुनिक विज्ञान ने आज की दुनिया में इसे संभव बना दिया है।आइये,जानते हैं कैसे?  यह डिजिटल शॉपिंग, ऑनलाइन शॉपिंग, ई-कॉमर्स, ऑनलाइन खरीददारी, इंटरनेट शॉपिंग जैसे विभिन्न नामों से जाना जाता है। यह वास्तव में हमारी साधारण खरीददारी की तरह ही है, सिवाय इसके कि यहां खरीददार, दुकानदार के पास नहीं जाता है। बल्कि, एक वेबसाइट के माध्यम से पूरा स्टोर उसके लैपटॉप या मोबाइल फोन में भेजा जाता है।

ऑनलाइन शॉपिंग कब शुरू हुई (History of Online Shopping)

पहला सुरक्षित ऑनलाइन लेन-देन वर्ष 1994 में किया गया था। इसके तुरंत बाद 1995 में अमेज़ॅन और ई-बे ने अपनी खरीदारी साइटों को स्थापित कर दिया । अमेज़न.कॉम, ई-बे, फ्लिप्कार्ट, पेटीएम् , स्नैपडील, मिन्त्रा.कॉम, जैबोंग.कॉम, बिग्बास्केट.कॉम, अर्बन क्लैप, येभी.कॉम प्रसिद्ध ऑनलाइन वेब साईट के नाम हैं। स्मार्ट फोन और सस्ते इंटरनेट पैकेज की उपलब्धता के कारण ऑनलाइन शॉपिंग ने सभी के जीवन में एक महत्वपूर्ण जगह बना ली है।

इन्टरनेट पर क्या खरीद सकते हैं?

इंटरनेट पर लोगऑनलाइन शॉपिंग के माध्यम से रसोई के सामान से लेकर सोने तक बड़ी संख्या में लगभग सब कुछ खरीदते हैं। भौतिक वस्तुएं खरीदने के अलावा हम ऑनलाइन सेवाएं भी खरीद सकते हैं। उदाहरण के लिए, सौन्दर्य प्रसाधिका की सेवा,घर की बिजली और पानी के नल से सम्बंधित शिकायतों का घर बैठे निदान, , घरेलू नौकरानियों की सेवाओं को भी विभिन्न वेब साइटों के माध्यम से ऑनलाइन व्यवस्थित किया जा सकता है। यह इतना आसान है कि बच्चे भी ऑनलाइन खरीदारी कर सकते हैं।

ऑनलाइन शॉपिंग कैसे करें ? (How to buy online in Hindi)

फोने के माध्यम से इन्टरनेट पर वस्तुएं मंगवाने के लिए बस एक बुनियादी ज्ञान की आवश्यकता होती है इस तरह से थोडा सा समय और ज्ञान खर्च कर आप घर बैठे अपनी मन-पसंद चीज़ पा सकते हैं।

पहले लोग पैसा खोने के डर से इस माध्यम से सामान नहीं लेते थे। लेकिन’ कैश ऑन डिलीवरी’ यानि कि ‘वस्तु मिल जाने के बाद पैसा देना’ के विकल्प ने इस डर को छूमंतर कर दिया है। अधिकांश खरीददारी स्थलों पर EMI (समान मासिक किस्तों) का विकल्प अर्थात, छोटी किश्तों में भुगतान करना, भी उपलब्ध है। जो लोग एक बार में उत्पाद की पूरी कीमत का भुगतान नहीं कर सकते, वे भी ऑनलाइन ईएमआई योजना के माध्यम से उत्पाद खरीद सकते हैं।

मोबाइल एप्स के द्वारा खरीददारी

आजकल सभी ऑनलाइन विक्रेताओं ने इसे और भी आसान बनाने के लिए अपने मोबाइल ऐप जारी कर दिए हैं।यह बच्चों के खेल जितना आसन है। सबसे पहले ऐप खोलें, उन वस्तुओं का चयन करें जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं और चेकआउट करने के लिए आगे बढ़ें । वहां डिलीवरी के दिन और तारीख का उल्लेख किया जाएगा। सबसे दिलचस्प हिस्सा यह है कि हमारे भौतिक खरीदारी की तरह परिवर्तन और वापसी के विकल्प भी यहां उपलब्ध हैं।हर बीतते दिन के साथ अधिक से अधिक खरीदार ऑनलाइन खरीददारी की ओर आकर्षित हो रहे हैं क्योंकि इसमें बहुत अधिक फायदे हैं ।

ऑनलाइन शॉपिंग के फ़ायदे निबंध (Advantages of online shopping in Hindi)

  • जिस वस्तु को हम खरीदना चाहते हैं, उससे मिलती जुलती वस्तुओं की विशेषताओं और कीमत के बीच तुलना करके श्रेष्ठ उत्पाद को चुना जा सकता है ।
  • यह समय बचाता है और हम अपना समय अधिक उत्पादक कामों में लगा सकते हैं।
  • यह ईंधन बचाता है और प्रदूषण और यातायात जाम को भी कम करता है।
  • हमें अपने साप्ताहिक अवकाश की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती क्योंकि ऑनलाइन दुकानें 24 घंटे खुली रहती हैं।
  • किसी उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में कोई संदेह होने पर हम उसकी समीक्षाओं को पढ़ सकते हैं ।
  • ऑनलाइन स्टोर पर सामान अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं क्योंकि उनका रखरखाव खर्च लगभग नगण्य होता है।
  • ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां अपने ग्राहकों को अपने उत्पादों को बेचने के लिए कैश बैक, लकी ड्रॉ, त्योहारों पर भारी छूट जैसी योजनाओं की पेशकश करती रहती है ।
  • लोग मध्य रात्रि के बाद भी अपनी ज़रुरत की चीज़ें आर्डर कर सकते हैं ।

अब तक आप जान ही गए होंगे कि ऑनलाइन शॉपिंग के कई फायदे हैं । लेकिन, कोई इस बात से अनजान नहीं कि, ‘हर सिक्के के दो पहलू होते हैं’ । इसलिए जहाँ इन्टरनेट पर सामन खरीदने के ढेरों फायदे हैं वहीँ ऑनलाइन शौपिंग के कुछ नुकसान भी हैं|

ऑनलाइन शॉपिंग के नुकसान निबंध (Disadvantages of online shopping)

  • कई बार ग्राहकों को टूटे- फूटे और खराब उत्पाद भेज दिए जाते हैं ।
  • कम कीमत वाली चीज़ों के मामले में अक्सर भेजने का शुल्क उनकी कीमत से भी ज्यादा होता है ।
  • बहुत बार सामान इतनी देरी से पहुँचता है कि उसकी आवश्यकता ही ख़त्म हो चुकी होती है ।
  • अगर सावधानी से काम न किया जाए तो पैसे के लेन देन में धोखाधड़ी की अधिक सम्भावना होती है ।
  • चयन करते समय मदद करने के लिए कोई व्यक्ति नहीं होने से परेशानी होती है ।
  • ऑनलाइन खरीदारी छोटे और स्थानीय दुकानदारों को आगे नहीं आने देती। बड़े व्यापारिक घराने बिक्री का ज़्यादातर हिस्सा ले जाते हैं ।

ऑनलाइन शॉपिंग करते समय सावधानियां

हालाँकि, कुछ एहतियाती कदमों का पालन करके इन नुकसानों से बचा जा सकता है।

  • हमेशा विश्वसनीय वेबसाइटों से खरीदें
  • विभिन्न साइटों की समीक्षाओं और उपयोगकर्ताओं की टिप्पणियों को पढ़ें
  • उत्पाद से सम्बंधित नीतियों को अच्छी तरह से पढ़ें

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि इन्टरनेट पर खरीदने के लाभ ज़्यादा और हानि कम हैं। इसलिए ‘हैप्पी ऑनलाइन शॉपिंग’।

क्या ऑनलाइन शॉपिंग पर निबंध पढ़कर आपको कुछ मदद मिली ? कमेंट बॉक्स में लिखकर बताएं | ऑनलाइन शॉपिंग निबंध से सम्बंधित कठिन शब्दों के अर्थ नीचे बताये गए हैं – इनका लाभ उठायें | इसके अलावा आप इस निबंध को अंग्रेजी में भी पढ़ सकते हैं|

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Online Shopping पर निबंध (1000 Words)

Online Shopping पर निबंध (1000 Words)

नमस्कार, कोरोनावायरस के समय में, हर कोई जरुरी सामान को ऑनलाइन खरीदने या फोन के माध्यम से किराना ऑर्डर करने में व्यस्त थे।

आपने भी कुछ जरुरी किराने का सामान ऑनलाइन ख़रीदा होगा या ऑनलाइन शॉपिंग करा होगा।

ऑनलाइन शॉपिंग दुनिया में बहुत जरूरी हैं। ऑनलाइन शॉपिंग आपको सबकुछ देता है जैसे यदि आप खाद्य पदार्थों को खाने के लिए ऑर्डर करना चाहते हैं, तो आप कर सकते हैं, या फिर आप कपड़े खरीदना चाहते हैं, आप कर सकते हैं।

इंटरनेट पर, आप लगभग सब कुछ ऑर्डर कर सकते हैं, बशर्ते कि अगर आप उस स्थान पर हैं जहां आसानी से पहुंचने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा उपलब्ध है।

किसी ने नहीं सोचा था कि हम यह महामारी देखेंगे। लेकिन ऑनलाइन शॉपिंग को धन्यवाद जिसने दुनिया भर के अरबों लोगों को घर पर हर आवश्यक चीजों तक पहुंचने की उम्मीद दिया।

आइए पढ़ते हैं ऑनलाइन शॉपिंग के बारे में

Table of Contents

प्रस्तावना;-

Shopping का नाम सुनते ही हम सबके मन में एक ऐसी Image बन जाती है जिसमें कपड़े ही कपड़े होते हैं और बस आपके Get up से जुड़ी हुई चीज़ें रहती हैं। Shopping करना लोगों की Hobby होती है।

लड़कियां और महिलाएं Shopping करने के लिए वैसे ही बदनाम हैं जब कि लड़के भी Shopping करने में पीछे नहीं है।

जितनी भीड़ आप एक Ladies Wear Showroom में देखते हैं उतनी ही आपको किसी भी Gents Showroom में भी देखने को मिल जाएगी पर वही किस्सा होता है कि –

जब आदमी को अपनी Wife के लिए कुछ लेना पड़ता है तो वो उसे बहुत ज्यादा लगता है और वहीं अगर अपने लिए कुछ लेना हो तो उसे बहुत सब कुछ बड़ा सस्ता सा नज़र आता है।

अब जब बात Shopping की हुई है तो आज के जमाने में Shopping का सबसे अच्छा Platform है Online, आप घर बैठे अब जो चाहे वो Order कर सकते हैं।

न Market जाने की ज़रूरत है, न ही धक्का मुक्की ठेलम ठेल करना है और न ही दुकानदारों से झिकझिक करनी है।

आपको बस अपनी पसंद की चीज़ को Select करना है और एक Click करके उसे Book कर देना है।फिर वो चीज़ आपके सामने होती है और आप जितना चाहें उसे Try out कर सकते हैं और जितनी बार चाहें उसे Return भी कर सकते हैं।

वरना Offline अगर आप कुछ Shop करके लाते हैं घर और आपको फिर लगता है कि आपको वो पसंद नहीं आ रहा है

आप उसे Return करने के लिए वापस Shop जाते हैं तो तो भाईसाहब दुकानदारों के नखरे इतने Hifi रहते हैं कि उनके क्या कहने, उस समय आप अपने आपको किसी गुनहगार से कम नहीं समझते हैं। 

ऐसा नहीं है कि Online Shopping हर तरह से हमारे लिए एक बेहतर Option है मगर कुछ हद तक तो ये हम सबको बेहतर अनुभव देता है।

अब हर चीज़ के 2 पहलू तो होते ही हैं एक अच्छा तो एक खराब, ऐसा ही कुछ Online Shopping के साथ भी है। लाभ होने के साथ ही इसके कुछ नुकसान भी हैं।

Online Shopping के लाभ;-

Online Shopping के कुछ लाभ निम्न हैं –

◆ अगर आप ऐसे ही किसी Market में Shopping के लिए जाते हैं तो आपका घण्टों समय बर्बाद होता है और साथ ही एक दुकान से दूसरी दुकान जाने में आपकी Energy भी Waste होती है।

अगर आप Online Shopping करते हैं तो आपको कहीं जाने की ज़रूरत नहीं होती है। आप अपने Bed में लेटे लेटे अपनी जरूरत का सामान देखकर उसे मंगा सकते हैं।

◆ Online Shopping के जरिए आप Size, Color वगेरह के भी अनेक प्रकार देख सकते हैं वरना अगर आप किसी Mall में जाते हैं तो आपको घण्टों लग जाते हैं किसी भी कपड़े का Size और Color Search करने में।

◆ Online Shopping का सबसे अच्छा फायदा ये है कि आप अपने Budget Limit तय करके Budget friendly Shopping कर सकते हैं।

◆ समय समय पर Online Sale आती हैं। आप कोई भो Item Select करके इसे Cart में Add कर लें और जब Sale आती है तो कम Price में आप उसे खरीद सकते हैं।

◆ आप यहां Market की भीड़ और Traffic जैम से भी बचते हैं। एक अहम बात ये भी है कि आप यहां Bargain नहीं कर सकते हैं। आपको हर चीज़ का Price उचित ही दिया जाता है।

ये आपको Door to door Service Provide करता है।

Online Shopping से हानि;-

Online Shopping से निम्न हानि है –

◆ कभी कभार ऐसा होता है कि हमें कोई चीज़ बहुत Urgently ही चाहिए होती है। ऐसे में Online Shopping आपके लिए एक बेहतर Option नहीं है। Online आप कुछ भी Shop करते हैं तो आपको कम से कम 1 दिन तो इंतज़ार करना पड़ता ही है।

◆ बहुत सारे Customers की ये भी शिकायत रहती है कि जो चीज़ वो Online करते हैं वो वैसा नहीं रहता है जब उन्हें Deliver किया जाता है। मतलब कि Delivered product जो होता है वो Ordered product से अलग रहता है।

◆ Online Shopping का सबसे बड़ा खतरा होता है पैसे का और Account का। कई बार आप Online ही Payment भी करना चाहते हैं जिसके बाद आपको अपनी Card details देनी होती है, कई बार यही जानकारी Hackers के पास पहुंच जाती है।

◆ Online Shopping में Returning हमेशा Free नहीं रहती है। कई बार Returning का आप से Charge भी लिया जाता है और उसमें काफी Delay भी होता है।

◆ Online Shopping में कुछ चीज़ें ऐसी होती है जिनमें Return policy नहीं होती है और फिर अगर Product टूटा फूटा या खराब निकल जाता है तो आपको पछताना पड़ता है। 

◆ Online Shopping के मामले में अभी पुराने समय के लोग थोड़ा पीछे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें Gadgets का इस्तेमाल बेहतर तरीके से नहीं आता है।

कोरोना के दौर में Online Shopping;-

कोरोना के समय मे Online Shopping एक बेहतरीन Option के तौर पर सामने आया। कोरोना का वो दौर बहुत भी भयावह था।

हर तरफ बस डर ही समाया हुआ था। Lockdown के चलते कोई घर से बाहर भी नहीं आ जा पा रहा था।

अगर किसी को कोई ज़रूरत होती तो बड़ी मुश्किल से वो सामान उसे मिल पाता। फिर Online Shopping पर लगी हुई पाबंदियों को हटा दिया गया और तब लोगों को काफी मदद मिली।

Online Shopping का चलन India में कोरोना के बाद से और बढ़ गया। Online Shopping तभी से बेहतर Option बन गया।

आज के समय मे जहां लोगों के पास खाने तक कि फुर्सत नहीं है वहां Online Shopping बहुत ही उपयोगी है।

अगर किसी को शादी में जाना होता है तो उससे पहले Shopping करना लाज़मी है ही। ऐसे में कौन घण्टों Market में जाकर Time waste करे और दिमाग भी खपाए, इसीलिए Online Shopping करो और मौज करो।

न Return की Tension न दुकानदार की झिकझिक। बस मंगाओ Try करो और मज़े करो। अब न कहीं जाना है न कुछ करना है।

घर पे लेटे लेटे आप बस Scroll करते रहिए और चीज़ें देखते रहिए और जो पसंद आए उसे Order करिए और फिर सामान आपके Doorstep तक आ जाएगा।

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