environment essay writing in hindi

पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi

Essay on Environment in Hindi

पर्यावरण, पर  हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण, जीवन जीने के लिए उपयोगी वो सारी चीजें हमें उपहार के रुप में उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन,प्राकृतिक वनस्पतियां आदि प्राप्त होती हैं। लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, साथ ही भौतिक सुख की प्राप्ति हुए प्राकृतिक संसाधनों का हनन कर  प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं, जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ा रहा है।

इसलिए पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने एवं प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए हर साल दुनिया भर के लोग 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day के रूप में मनाते हैं। हमने कभी जाना हैं की इस दिवस को हम क्यों मनाते हैं। इस दिन का जश्न मनाने के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच जागरूकता पैदा करना है ताकि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सकारात्मक कदम उठा सकें।

और साथ ही कई बार स्कूलों में छात्रों के पर्यावरण विषय पर निबंध ( Essay on Environment) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको पर्यावरण पर अलग-अलग शब्द सीमा पर निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसका चयन आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं –

Environment essay

पर्यावरण पर निबंध – Environment Essay in Hindi

पर्यावरण, जिससे चारों तरफ से  संपूर्ण ब्रहाण्ड और जीव जगत घिरा हुआ है। अर्थात जो हमारे चारों ओर है वही पर्यावरण है। पर्यावरण पर मनुष्य ही नहीं, बल्कि सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि पूरी तरह निर्भर हैं।

पर्यावरण के बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती हैं, क्योंकि पर्यावरण ही पृथ्वी पर एक मात्र जीवन के आस्तित्व का आधार है। पर्यावरण, हमें स्वस्थ जीवन जीने के लिए शुद्ध, जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन उपलब्ध करवाता है।

एक शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिन में गंदे हो रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे सभी को विशेष रूप से हमारे बच्चों के बारे में पता होना चाहिए।

“ पर्यावरण की रक्षा , दुनियाँ की सुरक्षा! ”

पर्यावरण न सिर्फ जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है, बल्कि इसे नष्ट करने में भी मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में मद्द करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है।

वहीं अगर सीधे तौर पर कहें मानव और पर्यावरण एक – दूसरे के पूरक हैं और दोनों एक-दूसरे पर पूरी तरह से निर्भर हैं। वहीं अगर किसी प्राकृतिक अथवा मानव निर्मित कारणों की वजह से पर्यावरण प्रभावित होता है तो, इसका सीधा असर हमारे जीवन पर पड़ता है।

पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रुप में प्रभावित करता है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के आस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता है।

लेकिन फिर भी आजकल लोग भौतिक सुखों की प्राप्ति और विकास करने की चाह में पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से नहीं चूक रहे हैं। चंद लालच के चलते मनुष्य पेड़-पौधे काट रहा है, और प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर कई ऐसी प्रतिक्रियाएं कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है।

वहीं अगर समय रहते पर्यावरण को बचाने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो मानव जीवन का आस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।

इसलिए पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी को मिलकर उचित कदम उठाने चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए।

आधुनकि साधन जैसे वाहन आदि का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं न सिर्फ पर्यावरण को दूषित कर रहा है, बल्कि मानव जीवन के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है। इसके अलावा उद्योगों, कारखानों से निकलने वाले अवसाद और दूषित पदार्थों के निस्तारण की उचित व्यवस्था करनी चाहिए,ताकि प्रदूषण नहीं फैले।

वहीं अगर हम इन छोटी-छोटी बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Sanrakshan Par Nibandh

प्रस्तावना

पर्यावरण, एक प्राकृतिक परिवेश है, जिससे हम चारों तरफ से घिरे हुए हैं और जो पृथ्वी पर मौजूद मनुष्य, जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, प्राकृतिक वनस्पतियां को जीवन जीने में मद्द करता है। स्वच्छ पर्यावरण में ही  स्वस्थ व्यक्ति का विकास संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर के द्धारा की जाने वाली हर प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित है, पर्यावरण की वजह से हम सांस ले पाते हैं और शुद्ध जल -भोजन आदि ग्रहण कर पाते हैं, इसलिए हर किसी को पर्यावरण के  महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का अर्थ – Environment Meaning

पर्यावरण शब्द मुख्य रुप से दो शब्दों से मिलकर बना है, परि+आवरण। परि का अर्थ है चारो ओर और आवरण का मतलब है ढका हुआ अर्थात जो हमे चारों ओर से घेरे हुए है। ऐसा वातावरण जिससे हम चारों  तरफ से घिरे हुए हैं, पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण का महत्व – Importance of Environment

पर्यावरण से ही हम है, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन, पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव-जंतु, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़-पौड़े, मौसम, जलवायु सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित हैं। पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है और जीवन के लिए आवश्यक  सभी वस्तुएं उपलब्ध करवाता है।

वहीं आज जहां विज्ञान से तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है, तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं। आधुनिकीकरण, औद्योगीकरण और बढ़ती टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ा रहा है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के चलते पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए पर्यावरण के महत्व को समझते हुए हम सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और  जीवन – Environment And Life

पर्यावरण और मनुष्य एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भऱ है, पर्यावरण के बिना मनुष्य, अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली हो, लेकिन प्रकृति ने जो हमे उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है।

इसलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण न सिर्फ हमारे स्वास्थ्य का एक मां की तरह ख्याल रखता है,बल्कि हमें मानसिक रुप से सुख-शांति भी उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण, मानव जीवन का अभिन्न अंग है, अर्थात पर्यावरण से ही हम हैं। इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

उपसंहार

पर्यावरण के प्रति हम  सभी को जागरूक होने की जरुरत हैं।  पेड़ों की हो रही अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्धारा सख्त कानून बनाए जाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना हम सभी को अपना कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।

पर्यावरण पर निबंध – Paryavaran Par Nibandh

पर्यावरण हमें जीवन जीने के लिए सभी आवश्यक चीजें जैसे कि हवा, पानी, रोशनी, भूमि, अग्नि, पेड़-पौधे, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि उपलब्ध करवाता है। हम पर्यावरण पर पूरी तरह निर्भर हैं। वहीं अगर हम अपने पर्यावरण को साफ-सुथरा रखेंगे तो हम स्वस्थ और सुखी जीवन का निर्वहन कर सकेंगे। इसिलए पर्यावरण को सरंक्षित करने एवं स्वच्छ रखने के लिए हम सबको मिलकर प्रयास करना चाहिए।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण – 

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीक ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे न सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है, लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की हैं, जिसका असर पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

एक तरफ विज्ञान से प्रोद्यौगिकी का विकास हुआ, तो वहीं दूसरी तरफ उद्योंगों से निकलने वाला धुआं और दूषित पदार्थ कई तरह के प्रदूषण को जन्म दे रहा है और पर्यावरण के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ सीधे प्राकृतिक जल स्त्रोत आदि में बहाए जा रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है,इसके अलावा उद्योगों से निकलने वाले धुंए से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, जिसका मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय – Paryavaran Sanrakshan Ke Upay

  • उद्योगों से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धुएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  • ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाना चाहिए।
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों के निपटान के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस – World Environment Day

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून से 16 जून के बीच विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आय़ोजन किया जाता है।

पर्यावरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं, इसलिए इसकी रक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है, अर्थात हम सभी को  मिलकर अपने पर्यावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाने में अपना सहयोग करना चाहिए।

  • Slogans on pollution
  • Slogan on environment
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15 thoughts on “पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi”

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Nice sir bhote accha post h aapne to moj kar de h sir thank you sir app easi past karte rho ham logo ke liye

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Thank you sir aapne bahut accha post Kiya h mere liye bahut labhkaari h government job ki tayari ke liye

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bahut badhiya jaankari share kiye ho sir, Environment Essay.

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Thanks sir bhaut acha essay hai helpful hai aur needful bhi isme sari jankari di gye hai environment ke baare Mai and isse log inspire bhi hongee isko.pdkee……..

I love this essay…

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Thanks mujhe ye bahut kaam diya speech per

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पर्यावरण पर निबंध – 10 lines(Environment Essay in Hindi) 100, 150, 200, 250, 300, 500, शब्दों मे

environment essay writing in hindi

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण का अर्थ है एक ऐसा परिवेश जहां हम मिलते हैं, हम रहते हैं और हम सांस लेते हैं। यह जीवित प्राणियों के लिए बुनियादी आवश्यक चीजों में से एक है। पर्यावरण शब्द में सभी जैविक और अजैविक चीजें शामिल हैं जो हमारे आसपास मौजूद हैं। Essay on Environment यह हवा, पानी, भोजन और भूमि जैसी मूलभूत चीजें प्रदान करता है जो हमारी भलाई के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

यह ईश्वर द्वारा मनुष्य को दिया गया एक उपहार है जो मानव जीवन को पोषित करने में मदद करता है।

पर्यावरण का महत्व  (Importance of Environment)

  • यह जीवित चीजों को स्वस्थ और हार्दिक बनाए रखने में एक जोरदार भूमिका निभाता है।
  • यह पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
  • यह भोजन, आश्रय, वायु प्रदान करता है और मानव की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इस वातावरण के अतिरिक्त प्राकृतिक सौंदर्य का स्रोत है जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।

पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi)

  • हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।
  • पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा रखना सभी का दायित्व है।
  • सभी जीवित और निर्जीव जीव पर्यावरण के अंतर्गत आते हैं।
  • वृक्षारोपण, पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग, प्रदूषण कम करने और जागरूकता पैदा करके पर्यावरण को बचाया जा सकता है।
  • एक स्वस्थ वातावरण सभी जीवित प्रजातियों के विकास और पोषण में मदद करता है।
  • हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी को ‘नीला ग्रह’ के नाम से जाना जाता है। फिर फिर, यह एकमात्र ऐसा है जो जीवन को बनाए रखता है।
  • पर्यावरण प्रदूषण के कारण ग्लोबल वार्मिंग, अम्लीय वर्षा और प्राकृतिक संसाधनों का ह्रास होता है।
  • पर्यावरण को प्रदूषित करने वाली किसी भी गतिविधि में कभी भी प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए।
  • सभी को यह मानना ​​चाहिए कि पौधों और पेड़ों को बचाना उनका कर्तव्य है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक के प्रयोग से बचें।
  • प्रकृतिक वातावरण
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  • सामाजिक वातावरण

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पर्यावरण पर निबंध 100 शब्द (Essay On Environment 100 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पर्यावरण वह परिस्थिति है जिसमें पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधन रहने के अनुकूल होते हैं। मनुष्य, जानवर, पेड़, महासागर, चट्टानें पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन हैं और मिलकर पर्यावरण का निर्माण करते हैं। वे एक जीव के लिए रहने की स्थिति प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हैं। पर्यावरण को भौतिक और जैविक में वर्गीकृत किया गया है। पहली श्रेणी में वायुमंडल (वायु), जलमंडल (जल), और स्थलमंडल (ठोस) शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में मनुष्य जैसे सभी जीवित प्राणी शामिल हैं। पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए इन दोनों श्रेणियों की एक साथ आवश्यकता है। इनमें से किसी भी श्रेणी के अभाव में पृथ्वी पर जीवित रहने का कोई अवसर नहीं होगा।

पर्यावरण पर निबंध 150 शब्द (Essay On Environment 150 Words in Hindi)

वह परिवेश जिसमें पृथ्वी पर जीवन मौजूद है, पर्यावरण कहलाता है। पर्यावरण में हवा, पानी, सूरज की रोशनी, पेड़, जानवर और इंसान शामिल हैं। वे पृथ्वी के जीवित और निर्जीव प्राणी हैं। पेड़, मनुष्य और जानवर जीवित जीव हैं। सूर्य, जल और वायु निर्जीव जीव हैं जो मनुष्य के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक प्राणी एक दूसरे के लिए एक प्राकृतिक संसाधन है। उदाहरण के लिए, हिरण एक प्राकृतिक संसाधन है जिसे शेर खा सकता है। इन प्राकृतिक संसाधनों में से किसी एक के अभाव में पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व नहीं हो पाएगा।

हालांकि, पर्यावरण में वायुमंडल और जलमंडल के घटक होते हैं जो जीवित प्राणियों के जीवन को प्रभावित करते हैं। वायुमंडल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन जैसी गैसें मौजूद हैं। जलमंडल सभी जल निकायों को कवर करता है, प्रत्येक जीवित प्राणी इन घटकों की विशेषताओं के अनुसार बनाया गया है। उदाहरण के लिए, जलीय जंतु पानी के भीतर सांस लेने के लिए बनाए जाते हैं। हवाई जानवर हवा में सांस लेने के लिए बने होते हैं

पर्यावरण पर निबंध 200 शब्द (Essay On Environment 200 Words in Hindi)

पर्यावरण पृथ्वी का प्राकृतिक परिवेश है जो किसी जीव को जीवित रहने में सक्षम बनाता है। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है। इसमें मनुष्य, पौधे और जानवर जैसे जीवित प्राणी शामिल हैं। वायु, जल और भूमि निर्जीव हैं। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा इस तरह से डिजाइन की गई है कि सब कुछ एक दूसरे पर निर्भर है। मनुष्य सभी प्राणियों में सबसे प्रभावशाली प्राणी है जो पृथ्वी के सभी प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हो सकता है। उसे सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। न केवल मनुष्य बल्कि पौधों और जानवरों को भी सांस लेने के लिए हवा की आवश्यकता होती है। वायु के बिना पृथ्वी पर जीवन नहीं होगा। पर्यावरण की बर्बादी के लिए सिर्फ इंसान ही जिम्मेदार है।

पर्यावरण को विभिन्न परतों जैसे वायुमंडल, जलमंडल, स्थलमंडल और जीवमंडल में विभाजित किया गया है। वायुमंडल कई गैसों जैसे नाइट्रोजन और ऑक्सीजन से बना है। सभी जल निकाय जलमंडल बनाते हैं। लिथोस्फीयर पृथ्वी का आवरण है जो चट्टान और मिट्टी से बना है। जीवमंडल में जीवन मौजूद है।

पर्यावरण पर निबंध 250 शब्द (Essay On Environment 250 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – पृथ्वी परिवेश से बनी है जिसमें सभी सजीव और निर्जीव अपना जीवन व्यतीत करते हैं। प्रकृति की भौतिक, जैविक और प्राकृतिक शक्तियाँ एक साथ मिलकर ऐसी परिस्थितियाँ बनाती हैं जो एक जीव को जीने में सक्षम बनाती हैं। ऐसी परिस्थितियों को पर्यावरण कहते हैं। फ्रांसीसी शब्द ‘एनवायरन’ जिसका अर्थ है घेरना, पर्यावरण शब्द का व्युत्पन्न है।

सभी जैविक (जीवित) और अजैविक (निर्जीव) संस्थाएं पर्यावरण का निर्माण करती हैं। जैविक चीजों में शामिल हैं- मनुष्य, पौधे, जानवर और कीड़े। उन्हें पर्यावरण के जैविक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक जैविक प्राणी का अपना एक निश्चित जीवन चक्र होता है। उदाहरण के लिए, मनुष्य पृथ्वी पर सबसे मजबूत जीवित जीव है। उसे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए पौधों और जानवरों की जरूरत है। उनके बिना उसका जीवन-चक्र अस्त-व्यस्त हो जाएगा।

जबकि, अजैविक घटकों में वायुमंडल, स्थलमंडल, जलमंडल और जीवमंडल शामिल हैं। वे पर्यावरण की परतें हैं। इन परतों को पर्यावरण के भौतिक घटकों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वायुमंडल हवा की वह परत है जो नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और अन्य गैसों से बनी होती है। सभी जल निकाय जैसे नदियाँ और महासागर मिलकर जलमंडल बनाते हैं। स्थलमंडल पृथ्वी का सबसे ठोस, सबसे बाहरी भाग है। यह क्रस्ट से बना है जो पृथ्वी की सतह पर मेंटल, चट्टानों और मिट्टी को ढकता है। सबसे महत्वपूर्ण परत जीवमंडल है जहां जीवन मौजूद है। इसमें जलीय, स्थलीय और हवाई पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। पेड़ों की जड़ प्रणाली से लेकर गहरे पानी के नीचे के जीवन तक जीवमंडल की विशेषता है।

इन सभी जीवों का अस्तित्व एक दूसरे के साथ उनके निरंतर संपर्क पर निर्भर है। उनकी कार्यप्रणाली प्रकृति द्वारा व्यवस्थित है और एक बार बर्बाद होने पर नष्ट हो सकती है। आज पर्यावरण का क्षरण एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिससे मानव को निपटना है।

पर्यावरण पर निबंध 300 शब्द (Essay On Environment 300 Words in Hindi)

Essay on Environment in Hindi – कई तरह से हमारी मदद करने के लिए हमारे आस-पास के सभी प्राकृतिक संसाधनों को पर्यावरण में शामिल किया जाता है, यह हमें आगे बढ़ने और बढ़ने का एक बेहतर माध्यम देता है। यह हमें इस ग्रह पर रहने के लिए सभी चीजें देता है। हालांकि, अपने पर्यावरण को बनाए रखने के लिए, हमें सभी मदद की ज़रूरत है, ताकि यह हमारे जीवन का पोषण करे और हमारे जीवन को बर्बाद न करे। मानव निर्मित तकनीकी आपदा के कारण हमारे पर्यावरण के तत्व दिन-ब-दिन गिरते जा रहे हैं।

केवल पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है जहाँ पूरे विश्व में जीवन संभव है और पृथ्वी पर जीवन को जारी रखने के लिए हमें अपने पर्यावरण की मौलिकता को बनाए रखने की आवश्यकता है। विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है जो हर साल 5 जून को कई वर्षों तक मनाया जाता है ताकि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के लिए दुनिया भर में जनता के बीच जागरूकता फैलाई जा सके। हमें इस वातावरण में भाग लेना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण संरक्षण के तरीके और सभी बुरी आदतें हमारे पर्यावरण दिवस को नुकसान पहुंचा सकें।

हम अपने पर्यावरण को पृथ्वी पर हर व्यक्ति द्वारा उठाए गए छोटे-छोटे कदमों से बहुत ही आसान तरीके से बचा सकते हैं; कचरे की मात्रा को कम करने के लिए, कचरे को ठीक से बदलने के लिए, पॉली बैग के उपयोग को रोकने के लिए, पुरानी वस्तुओं को नए तरीके से पुनर्चक्रण करने के लिए, टूटी हुई वस्तुओं की मरम्मत और पुनर्चक्रण, रिचार्जेबल बैटरी या फ्लोरोसेंट रोशनी का उपयोग करना। बारिश के पानी को बचाने, पानी की बर्बादी को कम करने, ऊर्जा बचाने और बिजली के उपयोग को कम करने के लिए अक्षय क्षारीय बैटरी का उपयोग करें।

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पर्यावरण पर निबंध 500 शब्द (Essay On Environment 500 Words in Hindi)

पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमारे चारों ओर प्राकृतिक है। आज यह प्राकृतिक पर्यावरण मानवीय गतिविधियों से खतरे में है। पेड़, जंगल, झीलें, नदियाँ, प्राकृतिक पर्यावरण के कुछ प्रमुख घटक हैं, जबकि सड़कों, कारखानों और कंक्रीट के ढांचे आदि का निर्माण पर्यावरण के अतिक्रमण के उदाहरण हैं। मानवीय हस्तक्षेप के कारण हमारे चारों ओर का प्राकृतिक वातावरण समाप्त होता जा रहा है।

पर्यावरण अनमोल है

‘पर्यावरण अनमोल है’; इस दावे को प्रमाणित करने के लिए कम से कम दो मुख्य स्पष्टीकरण हैं। पहला यह है कि आज हम जिस प्राकृतिक वातावरण में रहते हैं, जैसे नदियों, झीलों, जंगलों, पहाड़ियों, भूजल संसाधनों आदि को वर्तमान अवस्था में आने में हजारों या लाखों साल लग गए हैं। पर्यावरण की बहुमूल्यता को प्रमाणित करने का दूसरा तर्क यह है कि यह स्वस्थ और सुखी जीवन के लिए अति आवश्यक है। मुझे थोड़ा विस्तार से बताएं।

कोई भी वनाच्छादित क्षेत्र जिसे आप जानते हैं वह आपके बचपन से रहा है, शायद हजारों वर्षों में विकसित हुआ है। एक प्राकृतिक जंगल को अपनी पूर्ण महिमा में आने और उस सभी जैव विविधता का समर्थन करने में इतने सालों लगते हैं। लेकिन जब किसी जंगल को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए काटा जाता है, तो चीजें कभी भी वैसी नहीं रहतीं, भले ही जंगल को फिर से बढ़ने का उचित मौका दिया जाए। अफसोस की बात है कि जैव विविधता के नुकसान की भरपाई कभी नहीं की जा सकती, चाहे हम कितनी भी कोशिश कर लें।

यही स्थिति पर्यावरण के अन्य तत्वों के साथ भी है। जिस भूजल का हम प्रतिदिन उपयोग करते हैं, वह हजारों वर्षों की अवधि में निर्मित हुआ है। इसका मतलब है कि भूजल के किसी भी अपशिष्ट को फिर से भरने में सदियों लगेंगे।

जीवन और पर्यावरण

हम रोज़मर्रा के कामों में इतने मशगूल हैं कि हमें उस हंगामे के पीछे की असली ताकत का एहसास नहीं होता, जो हमें चुनौतियों का सामना करने की ताकत देता है। हम सोचते हैं कि हमारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं हमें प्रेरित करती हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। महत्वाकांक्षाएं और कुछ नहीं बल्कि मन के लक्ष्य हैं जो हम अपने लिए निर्धारित करते हैं, लेकिन हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होते हैं, केवल इसलिए कि हमारा पर्यावरण स्वास्थ्य में हमारा समर्थन करता है।

यह हमें जीवन के लिए सभी आवश्यक आवश्यकताएं प्रदान करता है – ऑक्सीजन, पानी, भोजन, वायु और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन। हम एक निर्दिष्ट सीमा से अधिक पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। क्योंकि, अगर हम ऐसा करते हैं, तो पृथ्वी पर कोई जीवन नहीं होगा, एक कठिन जीवन के बारे में भूल जाओ।

सौभाग्य से, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उसमें अभी भी 20% ऑक्सीजन सांद्रता द्वारा होती है, जबकि मनुष्यों को सांस लेने या अधिक विशिष्ट होने के लिए – ‘जीने के लिए’ लगभग 19.5% ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। हालाँकि, जिस दर से हम अपने पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं, टेबल जल्दी से पर्याप्त रूप से बदल सकते हैं, मरम्मत के लिए कोई जगह नहीं छोड़ेंगे।

महासागरों से समुद्री ऑक्सीजन की हानि पहले से ही मछलियों और अन्य समुद्री प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। समुद्र में ऑक्सीजन के स्तर में गिरावट के लिए जिम्मेदार कारक जलवायु परिवर्तन और पोषक तत्व प्रदूषण हैं। जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से मानवीय गतिविधियों का परिणाम है और यह समग्र रूप से पर्यावरण के लिए भी खतरा है।

ये परिवर्तन संभवत: अलार्म कॉल हैं जो पर्यावरण को होने वाले नुकसान के खिलाफ मानवता को चेतावनी देते हैं। स्वच्छ और सुरक्षित वातावरण के बिना, ग्रह पर किसी भी तरह के जीवन के बारे में सोचना भी बेकार होगा। अगर पर्यावरण को नुकसान होता रहा तो पृथ्वी की सारी सुंदरता गायब हो जाएगी।

यह संदेह से परे है कि ग ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक है और जब तक अपने मूल रूप और आकार में रहता है, जीवन फलता-फूलता रहेगा। लेकिन, अगर यह एक निश्चित स्तर से अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है तो धीरे-धीरे भूमि और समुद्री जीवन समाप्त हो जाएगा, जिससे ग्रह बेजान हो जाएगा। इसलिए पर्यावरण को होने वाले नुकसान की जांच करना और इस संबंध में आवश्यक कदम उठाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।

पर्यावरण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पर्यावरण क्यों महत्वपूर्ण है.

पर्यावरण हर किसी के जीवन में एक आवश्यक भूमिका निभाता है। यह सभी जीवों का एकमात्र घर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पर्यावरण हवा, भोजन, पानी और आश्रय प्रदान करता है।

मानव द्वारा किन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है?

मनुष्य पृथ्वी पर प्राकृतिक संसाधनों का प्रमुख उपभोक्ता है। वे जानवरों और पौधों से खाद्य उत्पाद प्राप्त करते हैं। वस्त्र मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में से एक है। वह फिर से उन्हीं उल्लिखित संसाधनों से कपड़े प्राप्त करता है।

मनुष्य पर्यावरण को कैसे खराब करेंगे?

मानव द्वारा प्राकृतिक संसाधनों का दुरुपयोग प्राकृतिक पर्यावरण के क्षरण का प्रमुख कारण है। आदमी की जरूरत ने दुनिया भर के आधे से ज्यादा जंगलों का सफाया कर दिया है। फलस्वरूप आज बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएँ आम हो गई हैं।

एक पारिस्थितिकी तंत्र क्या है?

एक पारिस्थितिकी तंत्र एक बड़ा समुदाय है जिसमें जीवन के कुछ या सभी रूप एक साथ मिलकर जीवन यापन करते हैं। पृथ्वी पर एक स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र है। पेड़, पौधे, झाड़ियाँ बड़े और छोटे जानवर, कीड़े एक साथ रहते हैं और एक दूसरे पर निर्भर हैं। वन जानवरों का प्राकृतिक आवास है। जानवरों को उनके प्राकृतिक घर से बाहर निकालना उनके पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक बड़ी आपदा होगी।

वनों की कटाई क्या है?

निर्माण, कृषि भूमि और शहरीकरण जैसे विभिन्न उपयोगों के लिए दुनिया भर में पेड़ों को काटना। यह प्राकृतिक पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है।

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

आज हम इस आर्टिकल में पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000) लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पर्यावरण का अर्थ, पर्यावरण का महत्व, विश्व पर्यावरण दिवस, पर्यावरण से लाभ और हानि, पर्यावरण और जीवन, पर्यावरण प्रौद्योगिकी प्रगति और प्रदूषण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi)

प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और विकास के नाम पर उसे खतरे में डाल दिया है। विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एक और तो हमारे लिए सुख- सुविधा में वृद्धि की है तो दूसरी ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है।

पर्यावरण का अर्थ Meaning of Environment 

“अमृत बांटें कर विष पान, वृक्ष स्वयं शंकर भगवान।”पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर +आवरण जिसका अर्थ है हमारे चारों ओर घिरे हुए वातावरण।

पर्यावरण और मानव का संबंध अत्यंत घनिष्ठ है। पर्यावरण से मनुष्य की  भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है। पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व Importance of Environment in Hindi

पर्यावरण से ही हम हैं, हर किसी के जीवन के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है, क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य, जीव- जंतु, प्राकृतिक, वनस्पतियों, पेड़- पौधे, जलवायु, मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

पर्यावरण न सिर्फ जलवायु में संतुलन बनाए रखने का काम करता है, और जीवन के लिए आवश्यक सभी वस्तुएँ  उपलब्ध कराता है।

विश्व पर्यावरण दिवस World Environment Day 

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

5 जून 1973 को पहला पर्यावरण दिवस मनाया गया था। इस मौके पर कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण से लाभ और हानि Advantages and Disadvantages of Environment in Hindi

पर्यावरण से लाभ advantages of environment in hindi.

पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण में जैविक,  अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है।

प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।जो हवा हम हर पल सांस लेते हैं, पानी जिस के सिवा हम जी नहीं सकते और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं, पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत महत्व है।

यह सब प्राकृतिक चीजें हैं जो पृथ्वी पर जीवन संभव बनाती हैं। वह पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव दूर होता है, और दिमाग को शांति मिलती है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारी भी दूर होती है।

पर्यावरण मनुष्य, पशुओं और अन्य जीव चीजों को बढ़ाने और विकास होने में मदद करती है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का एक संवर्धन करना चाहिए।

पर्यावरण पर हमारा यह जीवन बनाए रखने के लिए हमें पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा।

और पढ़ें: जल संरक्षण पर निबंध

पर्यावरण से हानि Disadvantages of Environment in Hindi

आज के युग में पर्यावरण प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्यावरण की प्रकृति नष्ट हो रही है। हर जगह जहां घने वृक्ष हैं उन्हें काट कर वहां बड़ी इमारत बनाए जा रहे हैं।

गाड़ी की धुआ, फैक्ट्री मे मशीनों की आवाज, खराब रासायनिक जल इन सब की वजह से, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मृदा प्रदूषण हो रहा है। यह एक चिंता का विषय बन चुका है यह अत्यंत घातक है। जिसके कारण हमें अनेक प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है और हमारा शरीर हमेशा बिगड़ रहा है।

वही आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है और दुनिया में खूब विकास हुआ है तो दूसरी तरफ यह बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार है। आधुनिकीकरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर गलत प्रभाव पड़ रहा है।

मनुष्य  अपने स्वार्थ के चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके चलते पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वाल्मिग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

  • पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें  छाया प्रदान करते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान है। इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

पर्यावरण और जीवन Environment and life in Hindi

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है, भले ही आज विज्ञान ने बहुंत तरक्की कर ली हो।

लेकिन प्रकृति में जो हमें उपलब्ध करवाया है, उसकी कोई तुलना नहीं है। इसीलिए भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए मनुष्य को प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व है, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है, और यह सब हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।

पर्यावरण, प्रौद्योगिकी, प्रगति और प्रदूषण Environment, Technology, Progress and Pollution in Hindi

इसमें कोई दो राय नहीं है कि विज्ञान की उन्नत तकनीकी ने मनुष्य के जीवन को बेहद आसान बना दिया है, वहीं इससे ना सिर्फ समय की बचत हुई है बल्कि मनुष्य ने काफी प्रगति भी की है। लेकिन विज्ञान ने कई ऐसी खोज की है जिसका असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है, और जो मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय Environmental protection measures in Hindi

  • उद्योग से निकलने वाला दूषित पदार्थ और धोएं का सही तरीके से निस्तारण करना चाहिए।
  • पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रत्न है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए। 
  • पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगानी चाहिए।
  • वाहनों का इस्तेमाल बेहद जरूरत के समय ही किया जाना चाहिए।
  • दूषित और जहरीले पदार्थों को निपटाने के लिए सख्त कानून बनाने चाहिए।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझने के लिए जागरूकता फैलाने चाहिए।

हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की। यह पर्यावरण संतुलन के लिए ही बनाया गया एक उपक्रम है।

इस तरह हमें अपने पर्यावरण को बचाना चाहिए। लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना चाहिए। स्वच्छ पर्यावरण एक शांतिपूर्ण और स्वास्थ्य जीवन जीने के लिए बहुत आवश्यक है। 

पर्यावरण पर 10 लाइन 10 Line on Environment in Hindi

  • पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परिधान +आवरण इसका अर्थ होता है हमारे चारों ओर् घिरे हुये वातावरण।
  • पर्यावरण और मानव का संबंध घनिष्ठ है।
  • पर्यावरण से ही हम हैं हर किसी के जीवन  के लिए पर्यावरण का बहुत महत्व है क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है।
  • पर्यावरण से हमें जल, वायु आदि कारक प्राप्त होते हैं।
  • पर्यावरण आसिफ जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि, जीवन के लिए सभी आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराता है।
  • लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझाने और जागरूकता फैलाने के मकसद से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।
  • पर्यावरण से हमें स्वच्छ हवा मिलती है।
  • प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, नदी, जल, सूर्य प्रकाश, पशु, हवा आदि शामिल है।
  • पर्यावरण ना केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि एक मां की तरह हमें सुख-शांति भी प्राप्त करता है।
  • घने वृक्ष पशु-पक्षी का निवास स्थान है। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमेशा या प्रदान करते हैं।

निष्कर्ष Conclusion

पर्यावरण के प्रति हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है। पेड़ों की हो रही है अंधाधुन कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाना चाहिए। इसके साथ ही पर्यावरण को स्वच्छ रखना और हमारा कर्तव्य समझना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में ही रहकर स्वास्थ्य मनुष्य का निर्माण हो सकता है और उसका विकास हो सकता है।आशा करते हैं आपको हमारा पर्यावरण पर निबंध अच्छा लगा होगा।

1 thought on “पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)”

आपने पर्यावरण पर जो निबंध लिखा है सचमुच ही हृदय को छू लेने वाला है। अगर जन-जन में यह क्रांति फैलाई जाए की मनुष्य जहां- जहां घर बनाते हैं वहां 6 फुट का जगह छोड़ना चाहिए और एक आम और नीम का पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

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Environment essay in hindi

Environment पर निबंध, कहानी, जानकारी | Environment essay in hindi

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यहां, हमने पर्यावरण (Environment) निबंध प्रदान किया है। और परीक्षा के दौरान पर्यावरण (Environment) पर निबंध कैसे लिखना है, इस बारे में एक विचार प्राप्त करने के लिए छात्र इस पर्यावरण (Environment) निबंध के माध्यम से जा सकते हैं। और फिर, वे अपने शब्दों में भी एक निबंध लिखने का प्रयास कर सकते हैं।

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पर्यावरण पर एस्से (Essay on Environment)

हर साल 5 जून को हम सभी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाते हैं। पृथ्वी पर उपस्थित सभी सजीव और निर्जीव पर्यावरण का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारे Environment में पौधे, जीव, जल, वायु और अन्य जीवित चीजें मौजूद हैं। हमारा पर्यावरण जलवायु परिवर्तन, भूआकृतिक उपायों और जलीय उपायों से प्रभावित होता है। मनुष्य और जानवरों का जीवन पूरी तरह से जलवायु पर निर्भर है। 

हमारा पर्यावरण पृथ्वी पर जीवन का समर्थन करता है। हम जो कुछ भी सांस लेते हैं, महसूस करते हैं और ऊर्जा पर्यावरण से आती है। Environment को एक आवरण माना जाता है जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में मदद करता है। सभी ग्रहों में, यह हमारा ग्रह पृथ्वी ही है जो जीवन का समर्थन करता है।

पर्यावरण का महत्व (Importance of Environment)

आए दिन हमें पर्यावरण को होने वाले खतरों के बारे में सुनने को मिलता है। हमारे पर्यावरण में जंगलों से लेकर समुद्र तक सब कुछ शामिल है, जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है। यह वनों की कटाई, प्रदूषण, मिट्टी का कटाव आदि हो सकता है, जिसे गंभीरता से संबोधित करने की आवश्यकता है।

1. लोगों की आजीविका पर्यावरण पर निर्भर करती है

अरबों लोग अपनी आजीविका के लिए Environment पर निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, 1.5 अरब से अधिक लोग भोजन, दवा, आश्रय आदि के लिए वनों पर निर्भर हैं। फसल खराब होने पर किसान जंगल की ओर रुख करते हैं। लगभग दो अरब लोग कृषि से जीविकोपार्जन करते हैं, और अन्य तीन अरब लोग समुद्र पर निर्भर हैं।

2. पर्यावरण की ताकत खाद्य सुरक्षा

जैव विविधता के नुकसान के कारण कई नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं, लेकिन कमजोर खाद्य सुरक्षा व्यापक है। यदि हम अपने कीमती जानवरों और पौधों की प्रजातियों को खो देते हैं, तो हम कीटों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। इसके कारण, हमारे स्वास्थ्य को मधुमेह और हृदय रोग जैसी संबंधित बीमारियों का अधिक खतरा होता है। इसलिए, हमें हर इंसान के लिए भोजन सुनिश्चित करने के लिए अपने महासागरों और जंगलों की रक्षा करनी चाहिए।

3. पेड़ हवा को साफ करते हैं

प्रदूषण एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और हर साल 7 मिलियन लोग प्रदूषण के कारण मर जाते हैं। प्रदूषित हवा हमारे स्वास्थ्य और जीवन काल को प्रभावित करती है, जिसमें व्यवहार संबंधी समस्याएं, विकास संबंधी देरी और अल्जाइमर और पार्किंसंस जैसी बीमारियां शामिल हैं। पेड़ ऑक्सीजन छोड़ते समय कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसे वायु प्रदूषकों को हटाने के लिए एक फिल्टर के रूप में काम करते हैं।

4. पर्यावरण कई बीमारियाँ लाता है

हमें यह भी पता चला कि कोविड-19 सबसे अधिक संभावना एक जूनोटिक (zoonotic) बीमारी है। रोग तब फैलते हैं जब मनुष्य अन्य जानवरों की प्रजातियों के क्षेत्र को परेशान करते हैं। शोध के अनुसार, लगभग 60% मानव संक्रमण जानवरों से उत्पन्न होते हैं। बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू भी पशुओं से जुड़ी बीमारियां हैं।

पर्यावरण के लाभ (Benefits of the Environment)

हमारा Environment हमें अत्यधिक लाभ प्रदान करता है, जिसे हम अपने पूरे जीवन काल में चुका नहीं सकते हैं। पर्यावरण में जानवर, पानी, पेड़, जंगल और हवा शामिल हैं। पेड़ और जंगल हवा को फ़िल्टर करते हैं और हानिकारक गैसों को अंदर लेते हैं, और पौधे पानी को शुद्ध करते हैं, प्राकृतिक संतुलन बनाए रखते हैं और कई अन्य।

Environment अपने कामकाज पर नियमित रूप से नजर रखता है क्योंकि यह पारिस्थितिकी तंत्र के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण प्रणालियों को विनियमित करने में मदद करता है। यह पृथ्वी पर संस्कृति और जीवन की गुणवत्ता को बनाए रखने में भी मदद करता है। पर्यावरण प्रतिदिन होने वाले प्राकृतिक चक्रों को नियंत्रित करता है। ये प्राकृतिक चक्र जीवित चीजों और पर्यावरण को संतुलित करते हैं। यदि हम इन प्राकृतिक चक्रों को बिगाड़ते हैं, तो यह अंततः मनुष्यों और अन्य जीवित प्राणियों को प्रभावित करेगा।

हज़ारों सालों से, Environment ने इंसानों, जानवरों और पौधों को फलने-फूलने और बढ़ने में मदद की है। यह हमें उपजाऊ भूमि, हवा, पशुधन, पानी और जीवित रहने के लिए आवश्यक चीजें भी प्रदान करता है।

पर्यावरणीय गिरावट का कारण

मानव गतिविधियाँ पर्यावरणीय क्षरण का प्राथमिक कारण हैं क्योंकि अधिकांश मनुष्य किसी न किसी तरह से Environment को नुकसान पहुँचाते हैं। मनुष्यों की गतिविधियाँ जो पारिस्थितिक क्षरण का कारण बनती हैं, वे हैं प्रदूषण, दोषपूर्ण पर्यावरण नीतियां, रसायन, ग्रीनहाउस गैसें, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन क्षरण आदि।

औद्योगिक क्रांति और जनसंख्या विस्फोट के कारण पर्यावरण संसाधनों की मांग में वृद्धि हुई है, लेकिन अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग के कारण उनकी आपूर्ति सीमित हो गई है। अक्षय और गैर-नवीकरणीय संसाधनों के व्यापक और गहन उपयोग के कारण कुछ महत्वपूर्ण संसाधन समाप्त हो गए हैं। संसाधनों के विलुप्त होने और तेजी से बढ़ती जनसंख्या से हमारा पर्यावरण भी अस्त-व्यस्त है।

विकसित दुनिया द्वारा उत्पन्न कचरा Environment की अवशोषण क्षमता से परे है। इसलिए, विकास प्रक्रिया के परिणामस्वरूप पर्यावरण प्रदूषण, पानी और वातावरण हुआ, अंततः पानी और वायु की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचा। इसके परिणामस्वरूप श्वसन और जल जनित रोगों की घटनाओं में भी वृद्धि हुई है।

निष्कर्ष रूप में हम कह सकते हैं कि Environment ही है जो हमें जीवित रखता है। पर्यावरण के कंबल के बिना, हम जीवित नहीं रहेंगे।

इसके अलावा, जीवन में पर्यावरण के योगदान को चुकाया नहीं जा सकता है। इसके अलावा पर्यावरण ने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसे हमने ही नुकसान पहुंचाया है।

FAQ (Frequently Asked Questions)

Environment का उचित रखरखाव मनुष्य को कैसे मदद करता है.

मनुष्य अपनी अधिकांश दैनिक आवश्यकताओं को पर्यावरण से प्राप्त करता है। इसके अलावा, पर्यावरण प्रदूषण से बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।

हम अपने आसपास के Environment की रक्षा कैसे कर सकते हैं?

पहला कदम हमारी मानसिकता को बदलना है, और सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा डालना बंद करना है। प्लास्टिक के उपयोग को कम करने के लिए कदम उठाएं क्योंकि यह हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है। साथ ही ‘ Reduce, Reuse और Recycle ‘ के नारे को याद रखें और पर्यावरण की रक्षा की दिशा में एक साहसिक कदम उठाएं। और हर कीमत पर, जल, मिट्टी और वायु के प्रदूषण से बचें।

Environment प्रदूषण के मुख्य कारण क्या हैं?

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक उपयोग, पर्यावरण संरक्षण में कमी, प्राकृतिक संसाधनों का विनाश पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं।

निबंध लिखते समय किन नियमों का पालन करना चाहिए?

1. यह व्याकरणिक के रूप से सही हो।  2. इसमें पूर्ण वाक्य का इस्तेमाल करे। 3. इसमें किसी भी तरह का abbreviations का उपयोग नहीं करे।

आशा करता हूं कि आज आपलोंगों को कुछ नया सीखने को ज़रूर मिला होगा। अगर आज आपने कुछ नया सीखा तो हमारे बाकी के आर्टिकल्स को भी ज़रूर पढ़ें ताकि आपको ऱोज कुछ न कुछ नया सीखने को मिले, और इस articleको अपने दोस्तों और जान पहचान वालो के साथ ज़रूर share करे जिन्हें इसकी जरूरत हो। धन्यवाद।

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हमारे इस पोस्ट को, हिंदी खोजी की एडिटोरियल टीम द्वारा पूरी रिसर्च करने के बाद लिखा गया है, ताकि आपलोगों तक सही और नई जानकारियों को सरलता से पहुचाया जा सके। साथ ही हम यह आशा करेंगे की, आपलोगों को इन आर्सेटिकल्स के माध्यम से सही और सटीक जानकारी मिल सके, जिनकी आपको तलाश हो | धन्यवाद।

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पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi

by StoriesRevealers | May 9, 2020 | Essay in Hindi | 2 comments

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi : धरती के प्राकृतिक वातावरण को पर्यावरण का नाम दिया गया है जो मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों और वनस्पतियों को पृथ्वी पर रहने फलने फुलने में मदद करता है।

स्वस्थ व्यक्ति का विकास स्वच्छ वातावरण में ही संभव है, अर्थात पर्यावरण का दैनिक जीवन से सीधा संबंध है।

हमारे शरीर द्वारा की गई प्रत्येक प्रतिक्रिया पर्यावरण से संबंधित होती है, पर्यावरण के कारण हम सांस ले पाते हैं शुद्ध पानी प्राप्त होता हैं, इसलिए सभी को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए।

पर्यावरण का महत्व

मनुष्य, जानवर, वनस्पति, पेड़, पेड़, मौसम, जलवायु सभी पर्यावरण के भीतर समाहित हैं।

पर्यावरण न केवल जलवायु में संतुलन बनाए रखता है बल्कि जीवन के लिए आवश्यक सभी चीजें प्रदान करने का कार्य भी पर्यावरण हि करता है।

आज जहां विज्ञान ने तकनीक को बढ़ावा दिया है जिससे दुनिया में बहुत विकास हुआ है, वहीं दूसरी ओर वे पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ाने के लिए भी जिम्मेदार हैं।

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi

आधुनिकीकरण, औद्योगिकीकरण और बढ़ती प्रौद्योगिकी के उपयोग ने पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए पेड़ो की कटाई कर रहा है और प्राकृतिक संसाधनों से खेल रहा है, जिससे पर्यावरण को बहुत नुकसान हो रहा है।

कुछ मानव निर्मित चिजों के कारण, वायुमंडल, जल मंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं, पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

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इसलिए पर्यावरण की महत्वता को समझते हुए हम आप सभी को अपने पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

पर्यावरण और जीवन

पर्यावरण और मनुष्य एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, अर्थात् मनुष्य पर्यावरण पर पूरी तरह से निर्भय है, पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकता है।

इसलिए भौतिक सुख की सिद्धि के लिए मनुष्य को प्रकृति के दोहन से बचना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, भूमि ये पांच तत्व हैं, जिन पर मानव जीवन टिका है और हमें यह सब पर्यावरण से प्राप्त होता है।

पर्यावरण न केवल एक माँ के रूप में हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है, बल्कि हमें मानसिक शांति और खुशी भी प्रदान करता है।

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पर्यावरण मानव जीवन का अभिन्न अंग है, इसलिए हमें पर्यावरण की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।

पर्यावरण को बचाने के लिए हम सड़कों या सार्वजनिक क्षेत्रो में कचरा न फेंक कर पहल करनी चाहिएँ, और हमे निजी वाहनों का वजाए सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना शुरू कर देना चाहिए।

साथ ही, हमें कंपनियों के बारे में पता होना चाहिए जो पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डाल रही है। और कई इको-फ्रेंडली और उन दिन-प्रतिदिन की चीजों का उपयोग करना होगा जिनका पुनरावृत्ति की जा सके। हमें ऐसी तकनीक का आविष्कार करना चाहिए जो हमारे पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए और ऐसी तकनीक भी हो जो हमारे पर्यावरण की रक्षा करने में मदद कर सके।

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पर्यावरण को बचाना कोई छोटी बात नहीं है, इसमें बहुत समय, शक्ति और प्रयास लगेगा। लोगों का एक छोटा झुंड बड़ा बदलाव नहीं कर सकता।

हर व्यक्ति को एक साथ आना चाहिए और हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए काम करना शुरू करना चाहिए। इसे स्वच्छ और स्वस्थ रखना हमारी जिम्मेदारी है, सभी को यह याद रखना चाहिए। मनुष्य के लिए एक पर्यावरण सबसे महत्वपूर्ण चीज है जिसका हमें ध्यान रखना है।

हमें पर्यावरण की रक्षा करने की आवश्यकता है पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर सरकार द्वारा सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।

साथ ही, हमें पर्यावरण को स्वच्छ रखने को अपना कर्तव्य मानना चाहिए, क्योंकि स्वच्छ वातावरण में रहने से ही एक स्वस्थ मनुष्य का निर्माण और विकास होगा।

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Brinda

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By: Amit Singh

Essay on Environment in Hindi/पर्यावरण पर निबंध/paryavaran par nibandh writing-Learn Essay Speech

पर्यावरण के लाभ, पर्यावरण पर खतरा, पर्यावरण को सुरक्षित रखने के प्रयास.

मशहूर शायर मोहम्मद अली साहिल कि ये पंक्तियां कुदरत के रुप को बखूबी बयां करती हैं। कुदरत यानी प्रकृति… ये शब्द अपने आप में अथाह है, जिसे महज कुछ पन्नों में समेट पाना लगभग ना मुमकिन है। धरती पर रहने वाले सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, वनस्पतियां, यहां तक की हवा, पानी, आकाश, बादल, सूर्य की रोशनी, पहाड़ और नदियां आदि पर्यावरण का अटूट हिस्सा हैं।

ये भी कुदरत का करिशमा है कि दुनिया में कोई आज तक ये न समझ पाया कि कुदरत क्या है…

#सम्बंधित : Hindi Essay, हिंदी निबंध।

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दरअसल अपने इसी अद्भुत पर्यावरण के कारण पृथ्वी समूचे ब्रम्हाण में जीवन देने वाली अकेली ग्रह है। साथ ही पृथ्वी पर पर्यावरण और मनुष्य का रिश्ता हमेशा से ही कुछ खास रहा है। इसी संदर्भ में कवि राज नारायण लिखते हैं-

बूंदें पड़ी थीं छत पे कि सब लोग उठ गए। कुदरत के आदमी से अजब सिलसिले रहे।। पर्यावरण का महत्व

वास्तव में पर्यावरण का सम्पूर्ण महत्व आज भी सभी के लिए पहेली बना हुआ है। जहां एक तरफ मनुष्य कुदरत को समझने के लिए अंतरिक्ष की खाक छान रहा है, तो दूसरी तरफ समुद्र की गहराई और धरती की गर्भ आज भी वैज्ञानिकों के लिए राज बनी हुई है।

बावजूद इसके नित नए आविष्कारों ने पर्यावरण के कई रहस्यों पर से पर्दा हटाया है। पर्यावरण ने सदियों से मनुष्यों के जीवन को स्वास्थय और खुशहाल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तमाम पर्यावर्णीय संतुलन बनाने से लेकर सभी जीव-जंतुओं को आसरा और भर पेट भोजन मुहैया कराने के लिए प्रकृति ही जिम्मेदार है।

यही नहीं मनुष्यों का सम्पूर्ण जीवन किसी न किसी रुप में पर्यावरण पर ही निर्भर है। वर्तमान में मनुष्य अपनी रोजमर्रा की दौड़ भाग में मशगूल रहता है। जिसके चलते खासकर शहरों में पार्कों और खेल मैदानों का महत्व भी बढ़ता जा रहा है। कुछ लोग मन की शांति के लिए आस-पास के पार्कों में सुबह की सैर, योगा और खेल-कूद को तवज्जो देते हैं, तो कुछ अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर पहाड़ों की चोटी से लेकर समुद्र की लहरों को छूना पसंद करते हैं।

यह कहना गलत नहीं होगा कि अपनी अद्भुत सुंदरता के चलते पर्यावरण न सिर्फ तमाम लोगों को शारीरिक रुप से मजबूत बनाता है बल्कि मानसिक रुप से भी स्वास्थय बनाने में अहम योगदान देता है।

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अमूमन पर्यावरण की खूबियों को किसी फेहरिस्त में समेटना खासा मुश्किल है। इसके अहसान को मनुष्य अपनी पूरी जिंदगी प्रयत्न करके भी उतार नहीं सकता। पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव-जतुं जीवित रहने के लिए जिस हवा, पानी, आग, आकाश, मिट्टी, जंगल, पेड़-पौधों पर निर्भर है ये सभी कुछ हमें पर्यावरण से ही मिलता है।

एक तरफ पेड़ पानी को शुद्ध बनाने के अलावा बाढ़ के खतरों को कम करते हैं, सूरज के रोशनी पाते ही कमल के साथ-साथ समूची धरती खिल उठती है, तो दूसरी तरफ अनगिनत वनस्पतियों का घर कहलाने वाले जंगल, नदियों और समुद्र में पशु-पक्षियों की अद्भुत प्रजातियां पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने में अमिट योगदान देती हैं।

इन सबसे परे पर्यावरण कई मायनों में मनुष्यों की संस्कृति और परंपरा का हिस्सा भी रहा है। यही कारण है कि सदियों से देश की लाइफलाइन मानी जाने वाली गंगा नदी को लोग देवी के रुप में पूजते हैं, तो सूर्य देवता को रोज सवेरे अर्घ देना भारतीय संस्कृति का अटूट हिस्सा है।

इसके अलावा बारिश के देवता इंद्र के लिए हवन करना, नीम और पीपल के पेड़ की पूजा, पहाड़ों की गोंद में केदारनाथ, अमरनाथ, कैलाश पर्वत और वैष्णों देवी जैसे अनगिनत तीर्थस्थल सहित हर तीज त्योहार में मनुष्य और प्रकृति के प्रेम की झलक साफ देखी जा सकती है।

वहीं देश की जनसंख्या में अहम हिस्सा रखने वाले आदिवासी और कई पिछड़े वर्ग के लोग भी अपने जीवनयापन के लिए पर्यावरण पर ही निर्भर रहते हैं। सूरज की रोशनी और बारिश के पानी पर निर्भर रहने वाली किसान की खेती से लेकर जंगल की लकड़ियों तक में पर्यावरण की भूमिका साफ नजर आती है। संक्षेप में कहा जाए तो पर्यावरण प्रकृति के जीवनचक्र को संचालित करता है।

जंगल, पेड़, पहाड़, समंदर इंसा सब कुछ काट रहा है छील-छील के खाल जमीं की टुकड़ा-टुकड़ा बांट रहा है आसमान  उतरे मौसम सारे बंजर होने लगे हैं मौसम बेघर होने लगा हैं।

मशहूर कवि गुलजार की ये पंक्तियां वर्तमान में पर्यावरण की हालत पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। मनुष्यों को जीवन देने वाले पर्यावरण का जीवन भी खतरे में है और इस खतरे की मुख्य वजहों में मनुष्य ही शामिल है। दरअसल आधुनिकता के इस युग में जहां एक तरफ मनुष्य दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहा है तो वहीं इस आधुनिकता का सीधा प्रभाव पर्यावरण पर पड़ रहा है।

प्रदूषण इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। हवा में प्रदूषण से लेकर घटता जल स्तर और नदियों का दूषित पानी पर्यावरण के विघटन को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी कारण कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, मीथेन गैस, नाइट्रोजन गैस और सल्फर डाई ऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों में इजाफा हो रहा है, जोकि ओजोन परत में छेद और ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने का अहम कारण बन चुका है।

नतीजतन पहाड़ों की बर्फ से लेकर नदियों के पानी तमाम प्राकृतिक संसाधनों का विघटन धरती के साथ-साथ मनुष्यों के लिए खतरे की घंटी साबित हो रही है।

हाल की ही एक रिपोर्ट के अनुसार ग्लोबल वार्मिंग के चलते ध्रुवों की बर्फ तेजी से पिघल रही है, जिसके परिणामस्वरुप साल 2050 तक न्यूयॉर्क, लंदन, जकार्ता, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और मालदीव सहित दुनिया के कई महत्वपूर्ण शहर डूब जाएंगे।

वहीं नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक महज कुछ सालों में देश की राजधानी दिल्ली सहित कई महानगरों में जमीनी जलस्तर समाप्त हो जाएगा।

निष्कर्ष साफ है कि, कुदरत को नजरअंदाज कर मनुष्यों के द्वारा किया गया अनियंत्रित विकास प्रकृति के विकास में बाधा बन रहा है। गिद्ध, शेर और चीता जैसे जानवरों का घटती संख्या धरती की खाद्य श्रृंख्ला को प्रभावित कर रही है, तो बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग बड़े पैमाने पर मानसून की हवा और बदलते मौसम को बढ़ावा दे रहे हैं।

 आधुनिकता के इस युग में खासकर औद्योगीकरण की शुरुआत के बाद पर्यावरण पर गहराता संकट राष्ट्रीय-अतंर्राष्ट्रीय मंचों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र से लेकर महाशक्तियों की मीटिंग तक में पर्यावरण संरक्षण एक अहम मुद्दा बनकर उभर रहा है। इसी कड़ी में दुनिया के कई देशों ने एकजुट होकर पर्यावरण को सुरक्षित रखने की मुहीम छेड़ दी है।

इस फेहरिस्त में पहला नाम 70 के दशक में हुए स्टॉकहोम कंवेशन का है, जहां पहली बार पर्यावरण संरक्षण को महत्वपूर्ण मुद्दा घोषित किया गया। जिसके बाद वेटलैंड के संरक्षण के लिए रामसार कंवेशन अस्तित्व में आया।

वहीं 80 के दशक में ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियाना कंवेंशन और मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्ष्कर किए गए। जिसके बाद 1992 में ब्राजील के रियो डी जिनोरियो में पर्यावरण संक्षरण की सबसे बड़ी अतंर्राष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया गया। जिसे अर्थ समिट के नाम से जाना जाता है।

इसके अलावा क्योटो प्रटोकॉल और पेरिस समझौते के तहत अमेरिका, चीन और भारत सहित दुनिया के कई बड़े देशों ने कार्बन न्यूट्रल होने का एलान कर दिया है। वहीं सतत् विकास लक्ष्यों में जलवायु परिवर्तन महत्वपूर्ण मुद्दों में से एक है।

इसी सिलसिले में भारत सरकार ने भी कई अहम कदम उठाए हैं। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन इसका एक बड़ा उदाहरण है। वहीं गाड़ियों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने फेम इंडिया जैसी पहल की हैं, जिसके तहत ईलेकिट्रिक व्हीकल को बढ़ावा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

साथ ही सरकार अधिक से अधिक पौधे लगाने, जंगलों और संरक्षित क्षेत्रों के रख-रखाव के लिए भी सजग है। इसके अलावा नागरिकों को इस मुहीम में शामिल करने का प्रयास किया गया है। स्वच्छ भारत अभियान और हर घर जल इसी का एक उदाहरण हैं।

आखिरकार जाने-माने दार्शनिक रूसो के शब्दों में –

परिश्रम एंव संयम ही मानव हेतु प्राकृतिक चिकित्सक है।

सामाजिक मुद्दों पर निबंध | Samajik nyay

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  • निबंध ( Hindi Essay)

environment essay writing in hindi

Essay on Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध हिंदी में

Essay on Environment in Hindi

Essay on Environment in Hindi में आज हम पर्यावरण के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे। हम सब यह बात तो जानते हैं कि हवा, पानी और अन्न के बिना इंसानों का पृथ्वी पर जीवित रहना नामुमकिन है।

लेकिन फिर भी इन सबको सुरक्षित और साफ रखने में हम दिलचस्पी नही दिखाते। हमें लगता है यह सब कुदरती वरदान है जो कभी खत्म नही होगा, पर यह सही नही है।

कुदरत ने हमें यह सब वरदान के तौर पर जरूर दिया है लेकिन यदि हमने पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का ही ध्यान रखना छोड़ दिया तो यह सब भी हमसे छिन जाएगा।

Essay on Environment in Hindi में हमने इस विषय को गहराई से समझाया है। आप इन निबंधों का उपयोग अपनी परीक्षा में भी कर सकते हैं।

Table of Contents

Long And Short Essay on Environment in Hindi (300 words)

हमारी पृथ्वी पर जितने भी जीवधारी मौजूद है उन सब मे सबसे शक्तिशाली हम इंसान है लेकिन यदि प्रकृति के सभी घटक नही हो तो हम इंसानों का इधर जीवित रह पाना नामुमकिन है। प्रकृति के बाकी घटक मिलकर जिसका निर्माण करते हैं वह पर्यावरण कहलाता है।

पर्यावरण के बारे में आज दुनियाँ में बहुत ज्यादा बातें होने लगी है क्योंकि हमारी गतिविधियों की वजह से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है।

पर्यायवरण का महत्व (Importance of Environment)

इंसान स्वस्थ रहें और एक अच्छा जीवन जिये इसमे पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) का बहुत अधिक महत्व है। यह कहना बिलकुल गलत नही होगा कि पृथ्वी पर जीवन की एक मात्र वजह यहाँ का पर्यावरण है।

जिस दिन यह नकारात्मक रूप से प्रभावित होने लगा उसी दिन से पृथ्वी पर जीवन कठिन हो जाएगा। पर्यावरण के कारण ही हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा, पीने के लिए निर्मल जल और खाने के लिए अनाज मिलता है।

पेड़-पौधे पर्यावरण का एक अहम भाग है। इनकी मौजूदगी न सिर्फ हमारी शारीरिक जरूरतों को पूरा करती है बल्कि मानसिक शांति के द्वार भी खोलती है।

विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day)

पर्यावरण के प्रति लोग जागरूक हो सकें और पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के महत्व को समझ सकें इसके लिए प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकारों की नही है बल्कि सभी लोगो को यह समझना होगा कि पर्यावरण है तो ही जीवन है।

हम सब जानते हैं कि पृथ्वी के अलावा पूरे ब्रम्हांड में दूसरे किसी ग्रह पर जीवन नही है और यदि होगा भी तो हम अब तक वहाँ नही पहुँच सकें हैं।

इसलिए यह जरूरी है कि पर्यावरण बचाने के लिए सभी मिलकर प्रयास करें। अन्यथा यह ग्रह हमारे रहने लायक नही बचेगा और एक बार स्थिति हमारे हाथ से निकल जाने के बाद हम कुछ नही कर सकेंगे।

हमें अपने जलस्त्रोतों को स्वच्छ बनाकर रखना जरूरी है। पॉलीथिन के उपयोग से भी वातावरण पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। हमारे छोटे छोटे प्रयास एक बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं, इसलिए सबको कोशिश करना चाहिए।

Speech On Environment in Hindi

आदरणीय प्रधानाचार्य महोदय, सभी माननीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों.

आज मुझे खुशी हो रही है किसी मंच पर बैठकर हम सब पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) जैसे गंभीर विषय पर चर्चा कर रहे हैं। और इससे भी ज्यादा हर्ष की बात यह है कि मुझे भी इस अवसर पर बोलने योग्य समझकर अपना वक्तव्य पेश करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं आभारी हूँ।

एक तरफ खुशी इस बात की है आज हम कम से कम यह तो मान रहे हैं कि हमारी पृथ्वी जिसे हम भारतीय माँ का दर्जा देते हैं, वह मुश्किल में हैं।

लेकिन दुख इस बात को लेकर है कि हम कितने गैर जिम्मेदार लोग है जो यह भी नही सोचते कि यह पृथ्वी जितनी हमारी है उतनी ही वन्य जीवों की है। इस पर उन्हें भी उतना ही अधिकार है जितना हमें।

लेकिन भगवान ने हमें बुध्दि दी है और इसी बुध्दि का उपयोग कर हमने सभी को अपने हिसाब से चलाना शुरू कर दिया।

पृथ्वी के सभी मूल्यवान तत्वों का दोहन करने लगे, पेड़ पौधों को काटने लगें, कचरा फैलाने लगे, हवा दूषित करने लगे और जिसका नतीजा हुआ कि आज हमें यहाँ पर्यावरण को सुरक्षित करने जैसे विषय पर चर्चा करने की जरूरत पड़ रही है।

हमें यह मानना होगा कि इस पृथ्वी पर सबसे ताकतवर हम नही है। क्योंकि यदि इस पर्यावरण का योगदान हमें न मिलें तो पृथ्वी पर हम सब 1 दिन भी जिंदा नही रह पायेंगे।

पर्यावरण से हमें खाना, पानी, हवा, खनिज, लवण सब कुछ मिलता है लेकिन बदलें में हम पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) को क्या देते है?

प्रदूषित जल, जहरीली हवा, पेड़ों की कटाई, समुद्रों में फैलता प्रदूषण ये सब? कहते हैं कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से चलता है। अब आप ही बताइए हम पर्यावरण को बुरी चीज़े दे रहे हैं तो पर्यावरण हमारा भला कब तक सोचता रहेगा?

दुनियाँ की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन कोई इस पर बात नही करता। इतनी बड़ी जनसंख्या रहेगी कहाँ? वनों को काटकर? खाएगी क्या? क्या हमने कभी इस बारे में विचार किया है ?

हम सब इस वक़्त सिर्फ अपना लाभ ही सोच रहे हैं लेकिन सोचिए हमारी अगली पीढ़ी हमारे बारे में क्या सोचेगी? हमारे पूर्वजों ने हमें एक स्वच्छ पृथ्वी दी थी लेकिन हम भावी पीढ़ियों के लिये एक दूषित पृथ्वी बनाने में जुटे हुए हैं।

लेकिन अब वक्त आ चुका है। यदि अभी भी नही जागे तो बहुत देर हो जाएगी। फिर हाथ मलने के अलावा और कुछ बचेगा नही। इसलिए जरूरी कदम उठाने होंगे।

देश की सरकारें जो कर रही है वो उन्हें करने दीजिए, साथ मे हमारी भी जिम्मेदारी बनती है कि कुछ अपनी तरफ से करें। सब कुछ सरकारों के ऊपर नही छोड़ सकते।

हमें जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण को रोकने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि यह हमारे हाथ मे है। आज संकल्प करें कि कभी भी पानी मे किसी भी तरह से गंदगी नही फेकेंगे।

यदि संभव हो सकें तो घर मे सोलर पैनल लगवाएं। इससे ऊर्जा का उत्पादन भी साफ तरीके से हो पाएगा साथ मे आपके ऊपर पड़ने वाला बिजली बिल का बोझ भी कम हो जाएगा।

यकीन मानिए यदि हम सब मिलकर अपनी जीवनशैली में कुछ छोटे छोटे बदलाव कर लें तो एक बड़ा परिवर्तन हो सकता है। इसके लिए जरूरी है बस इच्छाशक्ति की।

अपने वक्तव्य को मैं कुछ खूबसूरत पंक्तियों के साथ विराम दूंगा की

प्रण करो उन मंजिलों के,काँटे हम हटाएँगे ,

अपने “Environment Day” पर उसमे नए फूल हम लगाएँगे ,

हो सकेगा तो खुद को इतना मज़बूत हम बनाएँगे , कि पहले की तरह ही “Nature” में जीना फिर से हम अपनाएँगे ॥

Essay on Save Fuel for Environment and Health (500 Words)

कहते हैं हमारी पृथ्वी के नीचे प्राकृतिक संसाधन का भंडार है। इन्ही संसाधनों का उपयोग हम अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं।

इन्हें पहले हम जमीन से निकालते हैं, फिर शोधन प्रक्रिया के द्वारा उपयोग योग्य बनाते है, फिर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये सभी प्राकृतिक संसाधन सीमित मात्रा में ही मौजूद है। एक न एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब जीवाश्म ईंधन समाप्त जो जाएगा।

जीवाश्म ईंधन क्या है? (What is Fossil Fuel)

जब पेड़-पौधे, जीव-जंतु करोड़ो-अरबो साल तक पृथ्वी के नीचे दबे रहते हैं तो उच्च ताप और दाब के कारण वो ईंधन में परिवर्तित हो जाते हैं यही जीवाश्म ईंधन कहलाता है।

जीवाश्म ईंधन को बनने में करोड़ों वर्ष का वक़्त लगता है। जीवाश्म ईंधन एक ऐसा ऊर्जा स्त्रोत है जो एक न एक दिन समाप्त हो जाएगा।

ईंधन का संरक्षण क्यों है जरूरी? (Why is Fuel Conservation Impoartant)

हम सब को ईंधन का संरक्षण ठीक उसी तरह से करना चाहिये जैसे जल का करते हैं। हमारे ईंधन पूर्ति के मुख्य स्त्रोत जीवाश्म ईंधन है। लेकिन इसकी मात्रा तो सीमित है।

उद्योग के लिए मिलने वाली बिजली जीवाश्म ईंधन से बनती है, भारीभरकम वाहन जीवाश्म ईंधन की मदद से चलते हैं।

कहने के लिए तो आज हम पवनचक्की, सोलर पैनल जैसी कई चीज़े बना चुके हैं जो हवा, पानी और सूर्य की गर्मी से बिजली बना सकते हैं लेकिन इनसे उत्पादित होने वाली ऊर्जा की मात्रा इतनी ज्यादा नही होती कि पूरे विश्व की जरूरत को पूरा कर सकें।

इसलिए इस वक़्त सबसे बेहतर विकल्प यही है कि जीवाश्म ईंधन की बचत करें। ताकि इसका उपयोग हम लंबे वक्त तक कर सकें।

ईंधन का कम उपयोग करने पर होता है स्वास्थ्य बेहतर (Health is Better by using less Fuel)

जीवाश्म ईंधन भले ही हमारी ऊर्जा की जरूरतें पूरी करता है लेकिन स्वास्थ्य के लिहाज से यह बहुत हानिकारक है। इसके दहन से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन जैसी विषैली गैस निकलती हैं जो सांस संबंधी कई बीमारियों को जन्म देती हैं।

वातावरण में जब इन गैसों की अधिकता हो जाती है तो सांस लेने में घुटन महसूस होने लगती है, त्वचा में जलन होने लगती है, घबराहट, चिड़चिड़ापन, सिरदर्द और मानसिक तनाव जैसी कई समस्याएं जन्म लेने लगती है।

पर्यावरण के लिए भी है नुकसानदायक (Harmful of the Environment)

कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड, फ़्लोरोकार्बन आदि गैसों को ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है। इसकी वजह से ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट होने लगता है जिससे वातावरण ज्यादा गर्म हो जाता है।

इन गैसों की खास बात होती है कि ये ऊष्मा को अपने अंदर संग्रहित कर लेती है और गर्म हो जाती है। इसी वजह से जब इनकी मात्रा ज्यादा बढ़ जाती है तो ग्लोबल वार्मिंग होने लगता है।

ईंधन बचाने के उपाय (Ways to Save Fuel)

ईंधन बचाने के लिए हम कुछ जरूरी उपाय कर सकते हैं जैसे कि :-

  • गाड़ी हमेशा धीमी गति में चलाएं। इससे हम ईंधन की खपत होगी।
  • गाड़ी चलाते वक्त बार बार क्लच न दबाएं।
  • जब भी सड़क में चलें तो कोशिश करना चाहिए कि गाड़ी एक ही रफ्तार में चले, इससे ईंधन की बचत होती है।
  • जब भी रेड सिग्नल में खड़ें हो तो गाड़ी बंद कर दें।
  • गाड़ी का तभी उपयोग करें जब बहुत जरूरी हो, पास जाने के लिए पैदल या साइकिल का उपयोग करें।
  • समय समय पर गाड़ी की सर्विसिंग जरूर करना चाहिए।
  • शाम या रात के वक़्त रास्तों में ज्यादा भीड़ नही रहती है इसलिए गाड़ी को बार बार रोकना नही पड़ता। तो कोशिश करें कि रात में गाड़ी का उपयोग ज्यादा हो दिन की तुलना में।

हमें अपने सभी निर्णय भविष्य को ध्यान में रखकर लेना चाहिए। इस बात की पूरी संभावना है कि भविष्य में ऊर्जा उत्पादन के कई तरीके आ जाएंगे लेकिन अभी जितने भी तरीके मौजूद है उन सब मे जीवाश्म ईंधन सबसे ज्यादा दक्ष है। इसलिए इसका उपयोग कम से कम करें तो बेहतर है ताकि लंबे समय जीवाश्म ईंधन बचा रहे।

Essay on Environment Pollutions in Hindi | पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध. (2000 Words)

पर्यावरण प्रदूषण आज की एक बड़ी समस्या है। हमारी ही गतिविधियों के कारण कई ऐसे हानिकारक तत्व वातावरण में सम्मलित हो जाते हैं जिनके कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कई अलग अलग प्रकार है। हर तरह के प्रदूषण का हमारे ऊपर पड़ने वाला प्रभाव भी अलग-अलग है।

पर्यावरण प्रदूषण का बुरा प्रभाव न सिर्फ हमारे जीवन मे पड़ रहा है बल्कि साथ में वन्य जीवन भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण आज कई जीव विलुप्ति की कगार पर पहुँच चुके हैं।

पर्यावरण का अर्थ (Environment Meaning in Hindi)

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है, ‘परि+आवरण’ जिसका अर्थ है हमारे चारों तरफ मौजूद आवरण. पर्यावरण असल मे हमारे चारों तरफ मौजूद एक आवरण है जिसमे, चल-अचल, सजीव-निर्जीव, प्राकृतिक-अप्राकृतिक सभी चीजें आती है।

पर्यावरण की यह परिभाषा इंसानों की दृष्टि से है। अर्थात इंसान खुद को बीच मे रखकर देखता है तब पर्यावरण को इस तरह वर्णित किया जा सकता है।

हम खुद भी पर्यावरण का ही हिस्सा है। क्योंकि इस पृथ्वी में संतुलन बनाने का काम इंसान भी करते हैं। हालांकि इंसान एक बुद्धिमान जीव होने के नाते अपने हिसाब से पर्यावरण का दोहन भी कर लेता है, जिसके दुष्परिणाम सबको भुगतने पड़ते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या होता है? (What is Environmental Pollution)

जब पर्यावरण में कुछ ऐसे तत्व मिल जाते हैं जो हमारे ऊपर और प्रकृति के ऊपर बुरा प्रभाव डालते हैं, यही घटना पर्यावरण प्रदूषण कहलाता है।

पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डालने वाले तत्व प्रदूषक कहलाते हैं। प्रदूषक हमेशा ही मौजूद रहते हैं। ऐसा नही है कि पहले जमाने मे प्रदूषक नही होते थे लेकिन इनकी मात्रा इतनी ज्यादा नही होती थी, की हमारे ऊपर बुरा प्रभाव पड़े।

लेकिन पिछले 100 सालों में इंसानों की गतिविधियों ने प्रदूषकों की मात्रा में बहुत ज्यादा इज़ाफ़ा किया है। इसी का प्रभाव आज हमें जल, वायु, मृदा आदि प्रदूषण के तौर पर दिखाई दे रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार (Types of Environmental Pollution)

प्रदूषण के प्रकार निम्नलिखित है।

वायु प्रदूषण (Air Pollution)

प्रदूषण के जितने भी रूप में मौजूद हैं उनमें सबसे खतरनाक और सामान्य वायु प्रदूषण है। दुनिया में लोगों की तेजी से बढ़ती शहरीकरण की इच्छा इस प्रदूषण की कहीं ना कहीं एक मुख्य वजह है।

वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण ईंधन का दहन है फिर चाहे वह उद्योग धंधों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या घरेलू कामों में, वाहनों में उपयोग होने वाला ईंधन हो या फिर बिजली के उत्पादन में उपयोग होने वाला ईंधन, यह सभी मिलकर पर्यावरण में मौजूद वायु को प्रदूषित कर रहे हैं।

वायु प्रदूषण का स्तर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है क्योंकि हमारे पास आज भी जीवाश्म ईंधन का कोई विकल्प नहीं है। इस वजह से हम ना चाहते हुए भी अपने ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए जीवाश्म ईंधन पर ही निर्भर है।

जीवाश्म ईंधन के दहन से कार्बनडाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फरडाइऑक्साइड जैसे विषैली गैस निकालती हैं, जिसका बहुत बुरा असर वातावरण पर पड़ता है।

वातावरण में इनकी मौजूदगी से ना सिर्फ हमें सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है इसके साथ ही इन गैसों की वजह से तापमान में भी बढ़ोतरी देखी गई है।

अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग जैसे प्रभाव वायु प्रदूषण के स्तर का बखान करने के लिए काफी है।

वायु प्रदूषण के कारण ही हमें अस्थमा, हृदय से संबंधित कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं जो कि जानलेवा साबित होती है।

जल प्रदूषण (Water Pollution)

कहा जाता है जल ही जीवन है लेकिन जब जीवन देने वाला यह जल ही प्रदूषित हो जाए तो फिर जीवन भला किस तरह जीवित रह पाएगा।

पिछले कुछ वर्षों में हमने यह देखा है कि जल प्रदूषण की समस्या बहुत तेजी से उभर कर सामने आई है। कई सरकारी आंकड़ों में यह बताया गया है कि आज विश्व की आधी आबादी स्वच्छ जल के अभाव में अपना जीवन जी रही है।

दुनियाँ में कई ऐसे देश है जहाँ पर लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है यह सब जल प्रदूषण का एक छोटा सा उदाहरण है।

यदि जल प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो इसके दुष्परिणाम कितने भयावह होंगे यह बताने की जरूरत नहीं है, इसकी छोटी सी तस्वीर हमें आज से ही दिखाई देनी शुरू हो गई है।

लेकिन असली समस्या जल प्रदूषण के कारणों को लेकर है। जल प्रदूषण का सबसे प्रमुख कारण उद्योगों से निकलने वाला औद्योगिक कचड़ा है, जिसको जल स्रोतों में ही निर्वासित कर दिया जाता है।

इसका बुरा प्रभाव ना सिर्फ जलीयजीवो के ऊपर पड़ता है बल्कि इंसानों के ऊपर भी काफी विपरीत असर पड़ता है । हम सब पीने के पानी के लिए नदियों के जल पर ही निर्भर है पर जब यही जल दूषित हो जाएगा तो इस जल को पी कर हमारे अंदर भी कई तरह की बीमारियां हो जाएगी।

जल प्रदूषण का दूसरा कारण कीटनाशक दवाओं का छिड़काव है। ऐसी दवाएँ जमीन के द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं और यह सब भूमिगत जल में मिल जाती हैं।

जिससे कि वह जल भी प्रदूषित हो जाता है। समुद्री जल के प्रदूषित होने का एक सबसे बड़ा कारण पेट्रोलियम पदार्थों का पानी में मिल जाना है।

अधिकतर देशों के लिए पेट्रोलियम के आवाजाही का काम समुद्री मार्गों के द्वारा ही होता है लेकिन कभी-कभी पेट्रोलियम पदार्थ ले जाने वाले जहाजों में खराबी आ जाती हैं जिससे पूरा पेट्रोलियम पदार्थ समुद्री जल में मिल जाता है।

पेट्रोलियम और जल अघुलनशील होते हैं इसलिए यह हमेशा के लिए मौजूद रहता है।

मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

मृदा प्रदूषण से तात्पर्य भूमि की उर्वरक क्षमता का घटना है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि आज हमने कई उन्नत रसायनों का निर्माण कर लिया है जिसकी सहायता से हम फसल की पैदावार कई गुना बढ़ा सकते हैं।

लेकिन इसका दुष्प्रभाव भूमि की उर्वरक क्षमता पर दिखाई देता है। भूमि पर प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन जैसे तत्व मौजूद रहते हैं, जो भूमि की उर्वरक क्षमता को बरकरार रखते हैं।

लेकिन कीटनाशकों और उत्पादन बढ़ाने वाली रसायनों के उपयोग से धीरे-धीरे यह नाइट्रोजन तत्व खत्म होते जाते हैं जिससे भूमि की उत्पादन क्षमता बहुत कम हो जाती है।

भूमि की उर्वरक क्षमता घटने का दूसरा कारण है उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा है। हमें देखते हैं कि औद्योगिक कचड़े का निवारण सही तरह से नहीं किया जाता है।

उन्हें किसी जगह पर इकट्ठा करके रखा जाता है लेकिन यह कचड़ा इतना खतरनाक होता है कि किसी उपजाऊ भूमि को बंजर भूमि में बदल सकता है।

बारिश के मौसम में यही खिचड़ा बहकर अपने आसपास के क्षेत्रों में फैल जाता है। इन दो कारणों के अलावा तीसरा कारण वनों की कटाई है जैसा कि हम सब जानते हैं कि पेड़ों में क्षमता होती है कि वह अपने आसपास की भूमि को बांध कर रखते हैं जिसे भूमि का कटाव नहीं होता पर वृक्षों की कटाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है जिसकी वजह से भूमि का कटाव भी बढ़ने लगा है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)

जब सुनने में भद्दी लगने वाली आवाज की तीव्रता 80Db से ज्यादा हो जाती है तो इसे ध्वनि प्रदूषण कहा जाता है। इतनी तीव्र आवाज हमारी मनःस्थिति पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। मानसिक अशांति इसका एक बड़ा उदाहरण है। बच्चे और बुजुर्ग के ऊपर ध्वनि प्रदूषण का सबसे बुरा असर देखने को मिलता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण (Radioactive Pollution)

यह प्रदूषण परमाणु कचरे के कारण होता है। इसे बहुत खतरनाक प्रदूषण माना जाता है, क्योंकि इसका प्रभाव एक पीढ़ी तक ही सीमित नही रहता, बल्कि आगे आने वाली कई पीढ़ियाँ इसके बुरे प्रभाव से पीड़ित रहती हैं।

इससे कैंसर, बांझपन, अंधापन जैसी कई गंभीर बीमारियां हो जाती है। ऐसा प्रदूषण अधिकतर परमाणु संयंत्रों के आसपास होता है।

रेडियोधर्मी प्रदूषण का सबसे बड़ा भुक्तभोगी देश जापान है, जहाँ दो परमाणु बम 1945 में गिराए गए थे लेकिन उसका दुष्प्रभाव आज की पीढ़ियाँ भी भुगत रही हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारक (Main Factors of Environmental Pollution)

पर्यावरण प्रदूषण के कई कारक होते हैं, जिनमे से कुछ प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष होते हैं। कुछ कारक स्पष्ट तौर पर दिखाई दे जाते हैं जबकि कुछ कारक सीधे तौर पर प्रदूषण के लिए जिम्मेदार नही होते लेकिन उनकी वजह से प्रदूषण करने वाले तत्व पैदा होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के कुछ कारक निम्नलिखित है:-

उद्योगों से निकलने वाला कचरा (Industrial Waste)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचरा है। जब से दुनियाँ में औधोगिकीकरण की शुरुआत हुई है तब से पर्यावरण में असंतुलन बहुत ज्यादा बढ़ा है।

अधिकतर उद्योगों में हानिकारक रसायनों का उपयोग होता है , जो पानी मे मिल होता है। जब यह पानी किसी उपयोग के लायक नही बचता तब इसे नदियों के जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिससे कि नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता है।

फिर इसी प्रदूषित जल का उपयोग हम सब करते हैं, विभिन्न प्रकार के जानवर करते हैं, जिसके फलस्वरूप हम कई बीमारियों से ग्रसित हो जाते हैं।

वाहनों के होने वाला प्रदूषण (Vehicle pollution)

वाहनों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है जिससे डीजल, पेट्रोल जैसे जीवाश्म ईंधन की खपत भी बढ़ रही है। इससे निकलने वाला धुंआ वातावरण में इकट्ठा हो जाता है जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पड़ रहा है।

आज हम देखते हैं कि दिल्ली जैसे कई बड़े महानगरों में वायु प्रदूषण की समस्या जन्म ले रही है। इनमें वाहनों से निकलने वाला धुआं एक बहुत बड़ा कारण है। हालांकि सरकारी अपनी तरफ से कई तरह का प्रयास कर रही है।

भूमि पर बढ़ता केमिकल और खादो का उपयोग (Increased use of chemical and fertilizers on land)

जिस तरह से दुनियाँ की जनसंख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है ठीक उसी भांति खाद्य पदार्थों की मांग भी बढ़ती जा रही है।

इसका बुरा प्रभाव पृथ्वी पर पड़ रहा है। भूमि को अधिक उपजाऊ बनाने के लिए इसमें तरह-तरह के हानिकारक रसायनों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे मृदा की न सिर्फ उर्वरक क्षमता घट रही है बल्कि उस भूमि में उगने वाले अनाज में भी केमिकल के हानिकारक प्रभाव चले जाते हैं जिसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य और भूमि पर पड़ता है।

तेजी से होता शहरीकरण (Rapid Urbanization)

शहर और गाँव की जीवनशैली में बहुत फर्क होता है। हमने देखा है कि गाँव की जीवनशैली पर्यावरण से सामजंस्य बैठाकर चलने वाली होती है, जबकि शहरों में ऐसा नही होता।

शहरों में हर व्यक्ति सिर्फ अपने सुख-सुविधाओं की फिक्र करता है। लेकिन चिंता की बात यह है आज हर कोई शहरों की तरफ भाग रहा है। इसी वजह से दुनियाँ में तेजी से शहरीकरण हो रहा है।

भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती है कि जो लोग जहाँ हैं वही रहें। लेकिन शहरीकरण की एक मात्र वजह सुख की चाह नही है, बल्कि रोजगार की जरूरत भी लोगो को शहरों की तरफ जाने के लिए मजबूर रही है।

जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)

1960 में पूरी दुनियाँ की आबादी 3.5 बिलियन के करीब थी, जो आज बढ़कर 8 बिलियन के करीब पहुँच चुकी है। पिछले 60 वर्षों में दुनियाँ की आबादी दोगुना से भी ज्यादा बढ़ी है।

इस बढ़ी हुई आबादी का दुष्प्रभाव पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) पर देखने को मिला है। लोगो के रहने के लिए जगह की जरूरत होगी, लिए वनों को काटा जा रहा है।

खाने के लिए अनाज की जरूरत होगी, इसके लिए उर्वरक बढ़ाने वाले रसायनों का उपयोग किया जा रहा है।

दुनियाँ में आज इतनी ज्यादा आबादी मौजूद है, जिनके लिए संसाधन कम पड़ रहे हैं। यदि आबादी कम होती तो इतना ज्यादा जीवाश्म ईंधन की भी खपत नही होती, जिससे प्रदूषण का स्तर कम रहता।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय (Measures for environmental protection)

विश्व आज इस बात को समझ रहा है कि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण के उपाय करना बहुत जरूरी है नही तो निकट भविष्य में स्थिति और भी ज्यादा बिगड़ जाएगी। पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए जा सकते हैं जैसे कि:-

औद्योगिक कचरे का निवारण (Industrial waste disposal)

प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण उद्योगों से निकलने वाला कचड़ा ही है। यह कचड़ा जल, हवा, मृदा सबको प्रदूषित करता है। यदि इसका निवारण सही तरीके से किया जाने लगे तो प्रदूषण से संबंधित आधी समस्याओं का निवारण स्वतः ही हो जाएगा।

लेकिन इसके पहले यह जरूरी है कि यह कचड़ा पानी मे न मिले। पानी मे मिलने के बाद यह जल प्रदूषण का कारण बनता है। इसलिए इस पर रोकथाम लगाना सबसे ज्यादा जरूरी है।

स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग (Use of Clean Energy)

वायु प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण कोयला है और कोयले का सबसे ज्यादा उपयोग बिजली उत्पादन में किया जाता है। आज ऊर्जा उत्पादन के कई नवीनीकरण स्त्रोत है लेकिन उन्हें इतना ज्यादा उपयोग नही किया जाता।

पर अब वक्त आ गया है कि देश की सरकारों को हर घर मे सोलर पैनल लगवाने के लिए जरूरी सुविधा देनी चाहिए। लोगो को प्रोत्साहित करना चाहिये कि वो सोलर पैनल लगवाएं और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करें।

वृक्षारोपण को बढ़ावा मिलें (Increased Tree Planting)

अधिक से अधिक वृक्ष (Essay on Environment in Hindi) लगाएं क्योंकि पर्यावरण में संतुलन स्थापित करने में वृक्ष सबसे अहम भूमिका निभाते हैं। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई भी पर्यावरण में असंतुलन का एक बड़ा कारण है।

लोग अपनी जरूरतों के लिए पेड़ों की लकड़ियों पर निर्भर रहते हैं लेकिन इसके लिए पूरे वृक्ष को काट देना बिल्कुल भी जायज नहीं है। इसलिए पूरे विश्व को इस तरफ ध्यान देना चाहिए और पेड़ों की कटाई पर रोकथाम लगानी चाहिए

भूमिगत जल का हो संरक्षण (Protection Of Ground Water)

भूमिगत जल का स्तर लगातार (Essay on Environment in Hindi) नीचे जा रहा है इसका एक प्रमुख कारण है नलकूपों और घर-घर में बोरिंग की व्यवस्था। आज हम शहरों में देखते हैं कि घर बनने से पहले सभी व्यक्ति अपने घर में बोरिंग करवाते हैं। लेकिन इसका दुष्परिणाम यह होता है कि पानी का समुचित उपयोग नहीं हो पाता। बहुत सारा व्यर्थ हो जाता है जिसका असर भूमिगत जल के स्तर पर पड़ता है। भूमिगत जल का स्तर दिनों दिन घटता जा रहा है।

सामान का पुनरावृत्ति करना (Recycle Goods)

पॉलीथिन, प्लास्टिक जैसे कई अन्य चीज़े हैं जो प्रदूषण का कारण बनती हैं। इनका अपघटन जल्दी नही होता। यदि ये 100 वर्ष तक भी ऐसे ही खुले में पड़े रहे तो भी इसके स्वरूप में कुछ ज्यादा परिवर्तन नही आएगा।

ऐसी चीज़ें धीरे धीरे मिट्टी को प्रदुषित बनाती हैं। इसलिए इनका उपयोग कम से कम करें। ऐसी चीजों का उपयोग ज्यादा करें जिन्हें दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है।

पानी की कम खपत करना (Low Water Consumption)

पीने योग्य पानी की मात्रा लगातार कम होती जा रही है। इसलिए कहा जाता है कि जल को बचाना जरूरी है लेकिन हम आज भी जल को बर्बाद करते हैं। जहाँ जितने पानी की जरूरत होती है उससे कई गुना ज्यादा पानी उपयोग करते हैं और इस तरह पानी बर्बाद होता है। इसलिए जरूरी है कि हम सब मिलकर पानी बचाएं।

पर्यावरण पदूषण पर रोकथाम लगाना हम सब की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसलिए हम सबको मिलकर इस दिशा में प्रयास करना चाहिए। साथ ही साथ विश्व के बड़े और विकसित देश यदि पर्यावरण (Essay on Environment in Hindi) संरक्षण की दिशा में कोई ठोस और प्रभावी कदम उठाएं तो स्थिति बहुत जल्दी बदल सकती है।

Poems On Environment in Hindi | पर्यावरण पर कविता

# 1. अपने ही घर मे डाका डाला.

रत्न प्रसविनी हैं वसुधा, यह हमको सब कुछ देती है। माँ जैसी ममता को देकर, अपने बच्चों को सेती है।

भौतिकवादी जीवन में, हमनें जगती को भुला दिया। कर रहें प्रकृति से छेड़छाड़, हम ने सबको है रुला दिया।

हो गयी प्रदूषित वायु आज, हम स्वच्छ हवा को तरस रहे वृक्षों के कटने के कारण, अब बादल भी न बरस रहे

वृक्ष काट – काटकर हम ने, माँ धरती को विरान कर डाला। बनते अपने में होशियार, अपने ही घर में डाका डाला।

बहुत हो गया बन्द करो अब, धरती पर अत्याचारों को। संस्कृति का सम्मान न करते, भूले शिष्टाचार को।

आओ हम सब संकल्प ले, धरती को हरा – भरा बनायेगे। वृक्षारोपण का पुनीत कार्य कर, पर्यावरण को शुद्ध बनायेगे।

आगे आने वाली पीढ़ी को, रोगों से मुक्ति करेगे हम। दे शुद्ध भोजन, जल, वायु आदि, धरती को स्वर्ग बनायेगे।

जन – जन को करके जागरूक, जन – जन से वृक्ष लगवायेगे। चला – चला अभियान यही, बसुधा को हरा बनायेगे।

जब देखेगे हरी भरी जगती को, तब पूर्वज भी खुश हो जायेंगे। कभी कभी ही नहीं सदा हम, पर्यावरण दिवस मनायेगे।

हरे भरे खूब पेड़ लगाओ, धरती का सौंदर्य बढाओ। एक बरस में एक बार ना, 5 जून हर रोज मनाओ।

#2.. करके ऐसा काम दिखा दो…

करके ऐसा काम दिखा दो, जिस पर गर्व दिखाई दे। इतनी खुशियाँ बाँटो सबको, हर दिन पर्व दिखाई दे। हरे वृक्ष जो काट रहे हैं, उन्हें खूब धिक्कारो, खुद भी पेड़ लगाओ इतने, धरती स्वर्ग दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

कोई मानव शिक्षा से भी, वंचित नहीं दिखाई दे। सरिताओं में कूड़ा-करकट, संचित नहीं दिखाई दे। वृक्ष रोपकर पर्यावरण का, संरक्षण ऐसा करना, दुष्ट प्रदूषण का भय भू पर, किंचित नहीं दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

हरे वृक्ष से वायु-प्रदूषण का, संहार दिखाई दे। हरियाली और प्राणवायु का, बस अम्बार दिखाई दे। जंगल के जीवों के रक्षक, बनकर तो दिखला दो, जिससे सुखमय प्यारा-प्यारा, ये संसार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

वसुन्धरा पर स्वास्थ्य-शक्ति का, बस आधार दिखाई दे। जड़ी-बूटियों औषधियों की, बस भरमार दिखाई दे। जागो बच्चो, जागो मानव, यत्न करो कोई ऐसा, कोई प्राणी इस धरती पर, ना बीमार दिखाई दे। करके ऐसा काम दिखा दो…

#3 रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो। रक्तस्राव से भीग गया हूं मैं कुल्हाड़ी अब मत मारो।

आसमां के बादल से पूछो मुझको कैसे पाला है। हर मौसम में सींचा हमको मिट्टी-करकट झाड़ा है।

उन मंद हवाओं से पूछो जो झूला हमें झुलाया है। पल-पल मेरा ख्याल रखा है अंकुर तभी उगाया है।

तुम सूखे इस उपवन में पेड़ों का एक बाग लगा लो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

इस धरा की सुंदर छाया हम पेड़ों से बनी हुई है। मधुर-मधुर ये मंद हवाएं, अमृत बन के चली हुई हैं।

हमीं से नाता है जीवों का जो धरा पर आएंगे। हमीं से रिश्ता है जन-जन का जो इस धरा से जाएंगे।

शाखाएं आंधी-तूफानों में टूटीं ठूंठ आंख में अब मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

हमीं कराते सब प्राणी को अमृत का रसपान। हमीं से बनती कितनी औषधि नई पनपती जान।

कितने फल-फूल हम देते फिर भी अनजान बने हो। लिए कुल्हाड़ी ताक रहे हो उत्तर दो क्यों बेजान खड़े हो।

हमीं से सुंदर जीवन मिलता बुरी नजर मुझपे मत डालो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

अगर जमीं पर नहीं रहे हम जीना दूभर हो जाएगा। त्राहि-त्राहि जन-जन में होगी हाहाकार भी मच जाएगा।

तब पछताओगे तुम बंदे हमने इन्हें बिगाड़ा है। हमीं से घर-घर सब मिलता है जो खड़ा हुआ किवाड़ा है।

गली-गली में पेड़ लगाओ हर प्राणी में आस जगा दो। रो-रोकर पुकार रहा हूं हमें जमीं से मत उखाड़ो।

Slogan On Environment in Hindi | पर्यावरण पर स्लोगन.

पर्यावरण के महत्व को समझाने वाले कुछ स्लोगन.

  • वृक्ष नही कटने पाएँ, हरियाली न मिटने पाए, लेकर एक नया संकल्प, हर एक दिन नया वृक्ष लगाएँ।
  • समय बर्बाद करना बेकार है पर्यावरण की सफाई सबसे अच्छा है।
  • ऊँचे वृक्ष घने जंगल ये सब हैं प्रकृति के वरदान।इसे नष्ट करने के लिए तत्पर खड़ा है क्यों इंसान।
  • यदि हम पृथ्वी को सुंदरता और आनंद उत्पन्न करने की अनुमति नहीं देते हैं, तो यह अंत में भोजन का उत्पादन नहीं करेगी।
  • यदि मानवता को लंबे समय तक रहना है, तो आपको पृथ्वी की तरह सोचना होगा, पृथ्वी के रूप में कार्य करना होगा और पृथ्वी होना होगा क्योंकि ये वैसी ही है जैसे आप हैं।
  • जो हम दुनिया के जंगलों (Essay on Environment in Hindi) के लिए कर रहे हैं, दरअसल वो हम अपने और एक दूसरे के लिए कर रहे हैं. ये उसका दर्पण प्रतिबिंब है।

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पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Environment Conservation Essay in Hindi प्रिय विद्यार्थियों आपका स्वागत है आज हम  पर्यावरण संरक्षण पर निबंध हिंदी में जानेगे.

हमारे चारों ओर के आवरण को वातावरण कहा जाता है प्रदूषण की समस्या के चलते आज पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता हैं. 

Environment Conservation Essay in Hindi कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में एनवायरमेंट एस्से शेयर कर रहे है.

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध Environment Conservation Essay in Hindi

पर्यावरण संरक्षण पर निबंध | Environment Conservation Essay in Hindi

Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-

Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words

भारत में पर्यावरण  के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है. विभिन्न पौराणिक ग्रंथो में पर्यावरण के विभिन्न कारको का महत्व व उनको आदर देते हुए संरक्षण की बात कही गई है.

भारतीय ऋषियों ने सम्पूर्ण प्राकृतिक शक्तियों को ही देवता का स्वरूप माना है. सूर्य जल, वनस्पति, वायु व आकाश को शरीर का आधार बताया गया है.

अथर्ववेद में भूमिसूक्त पर्यावरण संरक्षण का प्रथम लिखित दस्तावेज है. ऋग्वेद में जल की शुद्दता, यजुर्वेद में सभी प्रकृति तत्वों को देवता के समान आदर देने की बात कही गई है.

पहले अमेरिका प्रदूषण का उत्सर्जन करता था, लेकिन अब चीन उससे आगे निकल चुका है।

वैदिक उपासना के शांति पाठ में भी अन्तरिक्ष, पृथ्वी, जल, वनस्पति, आकाश सभी में शान्ति एवं श्रेष्टता की प्रार्थना करी गई है. वेदों में ही एक वृक्ष लगाने का पुण्य सौ पुत्रो के पालन के समान बताया गया है. हमारे राष्ट्र गीत वंदेमातरम् में पृथ्वी को ही माता मानकर उसे पूजनीय माना गया है.

हमारी संस्कृति को अरण्य संस्कृति भी कहा जाता है . इसके पीछे भाव यही है कि वन हरे भरे वृक्षों से सदैव यहाँ का पर्यावरण समर्द्ध रहा है.

महाभारत व रामायण में वृक्षों के प्रति अगाध श्रद्धा बताई गई है. विष्णु धर्म सूत्र, स्कन्द पुराण तथा याज्ञवल्क्य स्मृति में वृक्षों को काटने को अपराध बताया गया है तथा वृक्ष काटने वालों के लिए दंड का विधान किया गया है.

विश्व पर्यावरण दिवस पूरे विश्व में 5 जून को मनाया जाता है.  पर्यावरण ही हमारी वैदिक परम्परा रही है कि प्रत्येक मनुष्य पर्यावरण में ही पैदा होता है, पर्यावरण में ही जीता है और पर्यावरण में ही लीन हो जाता है.

वर्तमान में पर्यावरण चेतना के प्रति जागरूकता अत्यंत आवश्यक है क्योकि पर्यावरण प्रदूषित हो जाने से ग्लोबल वार्मिग की समस्या उत्पन्न हो गई है. इसको रोकने के लिए पर्यावरण संरक्षण व पर्यावरण शिक्षा का प्रचार जरुरी है. हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई अहम कदम उठाए गये है

जिनमे खेजड़ली आंदोलन, चिपकों आंदोलन, अप्पिको आंदोलन, शांतघाटी आंदोलन और नर्मदा बचाओ आंदोलन पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता के ही परिचायक है. राजस्थान के बिश्नोई समाज के 29 सूत्र पर्यावरण संरक्षण के महत्वपूर्ण नियम है.

भारत विश्व के प्रमुख जैव विविधता वाले देशों में से एक है, जहां पूरी दुनिया में पाए जाने वाले स्तनधारियों का 7.6%, पक्षियों का 12.6%, सरीसृप का 6.2% और फूलों की प्रजातियों का 6.0% निवास करती हैं.

Best Short Environment Conservation Essay in Hindi For Kids In 500 Words

प्रस्तावना- पर्यावरण शब्द परि+आवरण के संयोग से बना हुआ है. परि का आशय चारो ओर तथा आवरण का आशय परिवेश हैं. वास्तव में पर्यावरण में वायु, जल, भूमि, पेड़ पौधे, जीव जन्तु मानव और इसकी विविध गतिविधियों के परिणाम आदि सभी का समावेश होता हैं.

इस धरती और सृष्टि के पर्यावरण का निर्माण करने वाले भूमि जल एवं वायु आदि तत्वों में जब कुछ विकृति आ जाती हैं अथवा इसका आपस में संतुलन गडबडा जाता है, तब पर्यावरण प्रदूषित हो जाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण की समस्या- धरती पर जनसंख्या की निरंतर वृद्धि, औद्योगिकीकरण एवं शहरीकरण की तीव्र गति से जहाँ प्रकृति के हरे भरे क्षेत्रों को समाप्त किया जा रहा है.

वहां ईधन चालित यातायात वाहनों, खदानों, प्राकृतिक संसाधनों के विदोहन और आण्विक ऊर्जा के प्रयोग से सारा प्राकृतिक संतुलन डगमगाता जा रहा हैं.

वर्तमान समय में गैसीय पदार्थों, अपशिष्ट पदार्थों, विभिन्न यंत्रों की कर्णकटु ध्वनियों एवं अनियंत्रित भूजल के उपयोग आदि कार्यों से भूमि, जल, वायु, भूमंडल तथा समस्त प्राणियों का जीवन पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त हो रहा हैं. ऐसे में पर्यावरण का संरक्षण करना और इसमें संतुलन बनाएं रखना कठिन कार्य बन गया हैं.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व- पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है. पर्यावरण संरक्षण को लेकर सन 1992 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा ब्राजील में विश्व के 174 देशों का पृथ्वी सम्मेलन आयोजित किया गया.

फिर सन 2002 में जोहांसबर्ग में पृथ्वी सम्मेलन आयोजित कर विश्व के सभी देशों को पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देने के लिए अनेक उपाय सुझाएँ गये.

वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण से ही धरती पर जीवन सुरक्षित रह सकता हैं. अन्यथा मंगल आदि ग्रहों की तरह धरती का जीवन चक्र भी एक दिन समाप्त हो जाएगा.

पर्यावरण संरक्षण के उपाय- पर्यावरण संरक्षण के लिए इसे प्रदूषित करने वाले कारकों पर नियंत्रण रखना आवश्यक है. इस दृष्टि से आण्विक विस्फोटों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए.

युवा वर्ग विशेष रूप से विद्यार्थी वृक्षारोपण करे, पर्यावरण की शुद्धता के लिए जन जागरण का काम करे. विषैले अपशिष्ट छोड़ने वाले उद्योगों और प्लास्टिक कचरे का विरोध करे.

वे जल स्रोतों की शुद्धता का अभियान चलावे. पर्यावरण संरक्षण के लिए हरीतिमा का विस्तार, नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, रेडियोधर्मी बढ़ाने वाले संसाधनों पर रोक, गंदे जल मल का परिशोधन, कारखानों के अपशिष्टों का उचित निस्तारण और गलत खनन पर रोक आदि उपाय किये जा सकते हैं. ऐसे कारगर उपायों से ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्त रखा जा सकता हैं.

उपसंहार- पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या किसी एक देश का काम न होकर समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है. पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले सभी कारकों को अतिशीघ्र रोका जाए. युवा वर्ग द्वारा वृक्षारोपण व जलवायु स्वच्छकरण हेतु जन जागरण का अभियान चलाया जाए, तभी पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा.

पर्यावरण संरक्षण का महत्व Environment Protection Essay In Hindi

प्रस्तावना – मनुष्य इस पृथ्वी नामक ग्रह पर अपने अविर्भाव से लेकर आज तक प्रकृति पर आश्रित रहा हैं. प्रकृति पर आश्रित रहना उसकी विवशता हैं.

प्रकृति ने पृथ्वी के वातावरण को इस प्रकार बनाया हैं कि वह जीव जंतुओं के जीवन के लिए उपयुक्त सिद्ध हुआ हैं. पृथ्वी का वातावरण ही पर्यावरण कहलाता हैं.

पर्यावरण संरक्षण –   मनुष्य ने सभ्य बनने और दिखने के प्रयास में पर्यावरण को दूषित कर दिया हैं. पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखना मानव तथा जीव जंतुओं के हित में हैं. आज विकास के नाम पर होने वाले कार्य पर्यावरण के लिए संकट बन गये हैं. पर्यावरण के संरक्षण की आज महती आवश्यकता हैं.

पर्यावरण प्रदूषण – आज का मनुष्य प्रकृति के साधनों का अविवेकपूर्ण और निर्मम दोहन करने में लगा हुआ हैं. सुख सुविधाओं की प्राप्ति के लिए नाना प्रकार के उद्योग खड़े किये जा रहे हैं.

जिनका कूड़ा कचरा और विषैला अवशिष्ट भूमि, जल और वायु को प्रदूषित कर रहा हैं. हमारी वैज्ञानिक प्रगति ही पर्यावरण को प्रदूषित करने में सहायक हो रही हैं.

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार – आज हमारा पर्यावरण तेजी से प्रदूषित हो रहा हैं. यह प्रदूषण मुख्य रूप से तीन प्रकार का हैं,

  • जल प्रदूषण – जल मानव जीवन के लिए परम आवश्यक पदार्थ हैं. जल के परम्परागत स्रोत हैं कुँए, तालाब, नदी तथा वर्षा जल. प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया हैं. महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा दयनीय हैं. गंगा, यमुना , गोमती आदि सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी हैं. उनको स्वच्छ करने में करोड़ो रूपये खर्च करके भी सफलता नहीं मिली हैं, अब तो भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चूका हैं.
  • वायु प्रदूषण- वायु भी जल की तरह अति आवश्यक पदार्थ हैं. आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया हैं. वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया हैं. घातक गैसों के रिसाव भी यदा कदा प्रलय मचाते रहते हैं. गैसीय प्रदूषण ने सूर्य की घातक किरणों से धरती की रक्षा करने वाली ओजोन परत को भी छेद डाला है.
  • ध्वनि प्रदूषण – कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं. और उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. आकाश में वायुयानों की कानफोड ध्वनियाँ, धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देंने पर तुले हुए हैं. इनके अतिरिक्त अन्य प्रकार का प्रदूषण भी पनप रहा हैं और मानव जीवन को संकट में डाल रहा हैं.
  • मृदा प्रदूषण – कृषि में रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों के प्रयोग ने मिट्टी को भी प्रदूषित कर दिया हैं.
  • विकिरणजनित प्रदूषण- परमाणु विस्फोटों तथा परमाणु संयंत्रों से होते रहने वाले रिसाव आदि ने विकिरणजनित प्रदूषण भी मनुष्य को भोगना पड़ रहा हैं.
  • खाद्य प्रदूषण – मिट्टी, जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति तथा उसका सेवन करने वाले पशु पक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं. चाहे शाकाहारी हो या मांसाहारी, कोई भी भोजन प्रदूषण से नहीं बच सकता.

प्रदूषण नियंत्रण/रोकने/ संरक्षण के उपाय – प्रदूषण ऐसा रोग नहीं हैं जिसका कोई उपचार न हो. प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित किया जाना चाहिए.

किसी भी प्रकार की गंदगी और प्रदूषित पदार्थ को नदियों और जलाशयों में छोड़ने पर कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए.

वायु को प्रदूषित करने वाले वाहनों पर भी नियंत्रण आवश्यक हैं. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक जीवन जीने का अभ्यास करना भी आवश्यक हैं. प्रकृति के प्रतिकूल चलकर हम पर्यावरण प्रदूषण पर विजय नहीं पा सकते.

जनसंख्या की अनियंत्रित वृद्धि को रोकने की भी जरूरत हैं. छायादार तथा सघन वृक्षों का आरोपण भी आवश्यक हैं.कृषि में रासायनिक खाद तथा कीटनाशक रसायनों के छिड़काव से बचना भी जरुरी हैं.

उपसंहार – पर्यावरण प्रदूषण एक अद्रश्य दानव की भांति मनुष्य समाज या समस्त प्राणी जगत को निगल रहा हैं. यह एक विश्व व्यापी संकट हैं.

यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिए तरस जाएगा. प्रशासन और जनता दोनों के गम्भीर प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती हैं.

#Environment Protection In Hindi #Hindi Essay On Environment Protection

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आशा करता हूँ दोस्तों  Environment Conservation Essay in Hindi के इस लेख में पर्यावरण संरक्षण पर निबंध में दी गई जानकारी आपकों पसंद आई हो तो प्लीज इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे. यदि आपका इस निबंध से जुड़ा कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट कर जरुर बताए.

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Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

  • by Rohit Soni
  • Essay , Education
  • 11 min read

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य अथवा पर्यावरण प्रदूणण समस्या और निदान पर निबंध।

Table of Contents

पर्यावरण किसे कहते हैं? उदाहरण सहित

पर्यावरण शब्द ‘ परि ‘ + ‘ आवरण ‘ से मिलकर बना है। परि का अर्थ है चारों ओर तथा आवरण का अर्थ घेरा होता है। अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है। दूसरे शब्दों में हमारे आस-पास जो भी पेड़-पौधें, जीव-जन्तु, जल, वायु, प्रकाश, मिट्टी आदि तत्व हैं वही हमारा पर्यावरण है।

Essay Environment in Hindi पर्यावरण पर निबंध (पर्यावरण संरक्षण / प्रदूषण)

इसके कुछ अन्य शीर्षक इस प्रकार से हैं जिस पर इस निबंध को लिखा जा सकता है-

  • प्रदूषण की समस्या
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • पर्यावरण प्रदूषण समस्या और निदान
  • प्रदूषण कारण और निदान
  • पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्व
  • पर्यावरण का जीवन में महत्व

Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)

पर्यावरण – हमारा जीवन

  • पृथ्वी के चारों ओर फैले आवरण को ही पर्यावरण कहते हैं।
  • धरती पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण प्रकृति का उपहार है।
  • पर्यावरण के अंतर्गत हवा, पानी, पेड़-पौधे इत्यादि आते हैं।
  • किसी सजीव प्राणी के जीवन के लिए आवश्यक सभी तत्व पर्यावरण से ही उपलब्ध होते हैं।
  • प्राकृतिक व कृत्रिम आपदा के वजह से दिन प्रति दिन पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • पर्यावरण के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
  • भविष्य में जीवन को बचाये रखने के लिए हमें पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करना होगा।
  • वृक्षारोपण करना पर्यावरण प्रदूषण की रोकथाम के कारगर उपाय है।
  • यह पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है।
  • 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है।

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पर्यावरण पर निबंध 600 शब्द (Paryavaran par Nibandh)

“पर्यावरण है जीवन का आधार। इसके बिना है जीवन बेकार।।”

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) प्रदूषण के विभिन्न प्रकार, (3) प्रदूषण की समस्या का समाधान, (4) उपसंहार ।]

प्रस्तावना-

प्रदूषण पर्यावरण में फैलकर उसे प्रदूषित बनाता है और इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर उल्टा पड़ता है। इसलिए हमारे आस-पास की बाहरी परिस्थितियाँ जिनमें वायु, जल, भोजन और सामाजिक परिस्थितियाँ आती हैं; वे हमारे ऊपर अपना प्रभाव डालती हैं। प्रदूषण एक अवांछनीय परिवर्तन है; जो वायु, जल, भोजन, स्थल के भौतिक, रासायनिक और जैविक गुणों पर विरोधी प्रभाव डालकर उनको मनुष्य व अन्य प्राणियों के लिए हानिकारक एवं अनुपयोगी बना देता है। जो जीवधारियों के लिए किसी-न-किसी रूप में हानिकारक होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

प्रदूषण के विभिन्न प्रकार-

प्रदूषण निम्नलिखित रूप में अपना प्रभाव दिखाते हैं

(1) वायु प्रदूषण – वायु मण्डल में गैसों का एक निश्चित अनुपात होता है, और जीव-जंतु अपनी क्रियाओं तथा साँस के द्वारा ऑक्सीजन और कार्बन डाइ ऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। किन्तु मनुष्य अज्ञानवश आवश्यकता के नाम पर इन सभी गैसों के सन्तुलन को बिगाड़ रहा है। वह वनों को काटता है जिससे वातावरण में ऑक्सीजन कम होती है। कारखानों से निकलने वाली कार्बन डाइ-ऑक्साइड, क्लोराइड, सल्फर-डाई-ऑक्साइड आदि विभिन्न गैसें वातावरण में बढ़ जाती हैं। जो विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभाव मानव शरीर पर डालती हैं। यह प्रदूषण फेफड़ों में कैंसर, अस्थमा, हृदय सम्बन्धी रोग, आँखों के रोग, तथा मुहासे जैसे रोग फैलाता है।

(2) जल प्रदूषण- जल के बिना कोई भी जीव-जन्तु, पेड़-पौधे जीवित नहीं रह सकते। इस जल में भिन्न-भिन्न खनिज तत्व, कार्बनिक और अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं, जो एक विशेष अनुपात में होती हैं। वे सभी के लिए लाभकारी होती हैं, लेकिन जब इनकी मात्रा अनुपात में बदलाव हो जाता है; तो जल प्रदूषित हो जाता है और हानिकारक बन जाता है। अनेक रोग पैदा करने वाले जीवाणु, वायरस, औद्योगिक संस्थानों से निकले पदार्थ, कार्बनिक पदार्थ, रासायनिक पदार्थ, खाद आदि जल प्रदूषण के कारण हैं। प्रदूषित जल से टायफाइड, पेचिस, पीलिया, मलेरिया इत्यादि अनेक रोग के कारण बनते हैं।

(3) रेडियो धर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षणों से जल, वायु तथा पृथ्वी का सम्पूर्ण पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है और वह वर्तमान पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि भविष्य में आने वाली पीढ़ी के लिए भी हानिकारक सिद्ध हुआ है। इससे धातुएँ पिघल जाती हैं और वह वायु में फैलकर उसके झोंकों के साथ सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त हो जातीं हैं तथा भिन्न-भिन्न रोगों से लोगों को ग्रसित बना देती हैं।

(4) ध्वनि प्रदूषण- आज ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य की सुनने की शक्ति कम हो रही है। उसकी नींद बाधित हो रही है, जिससे नींद न आने के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर, सायरन और मशीनें अपनी ध्वनि से सम्पूर्ण पर्यावरण को प्रदूषित बना रहे हैं। इससे छोटे-छोटे कीटाणु नष्ट हो रहे हैं और बहुत-से पदार्थों का प्राकृतिक स्वरूप भी नष्ट हो रहा है।

(5) रासायनिक प्रदूषण – आज कृषक अपनी कृषि की पैदावार बढ़ाने के लिए अनेक प्रकार के रासायनिक खादों, कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों का प्रयोग कर रहा है। अतः जिससे उत्पन्न खाद्यान्न, फल, सब्जी, पशुओं के लिए चारा आदि मनुष्यों तथा भिन्न-भिन्न जीवों के पर घातक प्रभाव डालते हैं और उनके शारीरिक विकास पर भी इसके दुष्परिणाम होते हैं।

प्रदूषण की समस्या का समाधान-

आज औद्योगीकरण ने इस प्रदूषण की समस्या को अति गम्भीर बना दिया है। इस औद्योगीकरण तथा जनसंख्या वृद्धि से उत्पन्न प्रदूषण को व्यक्तिगत और शासकीय दोनों ही स्तर पर रोकने के प्रयास आवश्यक हैं। भारत सरकार ने सन् 1974 ई. में जल प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम लागू कर दिया है जिसके अन्तर गत प्रदूषण को रोकथाम के लिए अनेक योजनाएँ बनायी गई हैं। प्रदूषण को रोकने का सबसे महत्त्वपूर्ण उपाय है वनों का संरक्षण। साथ ही, नए वनों का लगाया जाना तथा उनका विकास करना भी वन संरक्षण ही है। जन-सामान्य में वृक्षारोपण की प्रेरणा दिया जाना, इत्यादि प्रदूषण की रोकथाम के उपाय हैं।

पृथ्वी पर जीवन जीने के लिए पर्यावरण संतुलन बनाए रखना बहुत जरूरी है। प्रकृति ने हमें जो उपहार दिया है उसे हिफाजत करना हमारा कर्तव्य है। इसके लिए हमें सभी तरह उपाय करने चाहिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना होगा। जिससे प्रदूषण को नियंत्रित रखा जा सके। इस विषय में किसी कवि ने अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं।

“प्रकृति का अनमोल खजाना, सब कुछ है उपलब्ध यहाँ। लेकिन यदि यह नष्ट हुआ तो, जायेगा फिर कौन कहाँ ॥”

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) – Essay on Environment in Hindi

“जब सुरक्षित होगा पर्यावरण हमारा, तभी सुरक्षित होगा जीवन हमारा। “

[विस्तृत रूपरेखा – (1) प्रस्तावना, (2) पर्यावरण प्रदूषण, (3) प्रदूषण का घातक प्रभाव, (4) पर्यावरण संरक्षण (5) उपसंहार ।]

प्रस्तावना –

ईश्वर ने प्रकृति की गोद में उज्ज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान दिया है। परन्तु मानव प्रकृति पर अपना आधिपत्य जमाने की धुन में वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर प्रकृति को भारी क्षति पहुँचा रहा है। प्रकृति की गोद में विकसित होने वाले फल-फूल, सुन्दर लताएँ, हरे-भरे वृक्ष तथा चहचहाते पक्षी, अब उसके आकर्षण के केन्द्र बिन्दु नहीं रहे। प्रकृति का उन्मुक्त वातावरण अतीत के गर्भ में विलीन हो गया। मानव मन की जिज्ञासा और नयी-नयी खोजों की अभिलाषा ने प्रकृति के सहज कार्यों में हस्तक्षेप करना प्रारम्भ किया है। अतः पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण मुख्यत: चार रूपों में दिखायी पड़ता है –

  • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution)
  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

वैज्ञानिक प्रगति और प्रदूषण समस्या-वैज्ञानिक प्रगति के नाम पर मनुष्य ने प्रकृति के सहज-स्वाभाविक रूप को विकृत करने का प्रयास किया है। इससे पर्यावरण में अनेक प्रकार से प्रदूषण हुआ है और यह जीवो के लिए यह किसी भी प्रकार से हितकर नहीं है। पर्यावरण एक व्यापक शब्द है, जिसका सामान्य अर्थ है – प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया समस्त भौतिक और सामाजिक वातावरण। इसके अन्तर्गत जल, वायु, भूमि, पेड़-पौधे, पर्वत तथा प्राकृतिक सम्पदा और परिस्थितियाँ आदि का समावेश होता है।

पर्यावरण प्रदूषण –

“साँस लेना भी अब मुश्किल हो गया है, पर्यावरण इतना प्रदूषित हो गया है।”

मानव ने खनिज और कच्चे माल के लिए खानों की खुदाई की, धातुओं को गलाने के लिए कोयले की भट्टियाँ जलायीं तथा कारखानों की स्थापना करके चिमनियों से ढेर सारा धुआँ आकाश में पहुँचाकर वायुमण्डल को प्रदूषित किया। फर्नीचर और भवन-निर्माण के लिए, उद्योगों और ईंधन आदि के लिए जंगलों की कटाई करके स्वच्छ वायु का अभाव उत्पन्न कर दिया। इससे भूमि क्षरण और भूस्खलन होने लगा तथा नदियों के जल से बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हुई।

“वृक्ष धरा के भूषण हैं, करते दूर प्रदूषण हैं।। “

कल-कारखानों और शोधक कारखानों के अवशिष्ट गन्दे नालों में बहकर पवित्र नदियों के जल को दूषित करने लगे । विज्ञान निर्मित तेज गति के वाहनों दूषित धुआँ तथा तीव्र ध्वनि से बजने वाले हॉर्न और सायरनों की कर्ण भेदी ध्वनि से वातावरण प्रदूषित होने लगा । कृषि में रासायनिक खादों के प्रयोग से अनेक प्रकार के रोगों और विषैले प्रभावों को जन्म मिला। इस प्रकार वैज्ञानिक प्रगति पर्यावरण प्रदूषण में सहायक बनी।

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण

पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारण व्यक्तिगत लापरवाही और लोगों की अज्ञानता है। हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं, अनावश्यक वस्तुओं का अधिक उपयोग कर रहे हैं और इससे पर्यावरण को हानि पहुंचा रहे हैं। हम अपनी बदलती जीवनशैली के चलते इसे नजरंदाज कर रहे हैं, जिसका परिणाम हमारे पर्यावरण का बिगड़ता हुआ स्वरूप है।

हमारी तरही की भ्रांतियों ने हमें अपनी प्राकृतिक संपदाओं की महत्वपूर्णता से अनजान रखा है। हम वनों को कटते हैं, नदियों को प्रदूषित करते हैं, वायुमंडल में विषाणुओं को छोड़ते हैं और पृथ्वी की खाद्य संसाधनों को उचित तरीके से उपयोग नहीं करते हैं। हमने पर्यावरण को अपने आनंदों और आवश्यकताओं की भूमिका से बाहर निकाल दिया है।

हमारी लापरवाही और संघर्ष के बिना, पर्यावरण प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। हमें जागरूकता फैलानी चाहिए, संघर्ष करना चाहिए, और समुदाय के साथ मिलकर संघर्ष करना चाहिए। हमें अपनी आदतों को परिवर्तित करना चाहिए, प्राकृतिक संसाधनों की संरक्षा के लिए संघर्ष करना चाहिए और समृद्ध और स्वच्छ पृथ्वी के लिए समर्पित होना चाहिए। हमारी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर भविष्य के लिए, चलो हम सब मिलकर पर्यावरण प्रदूषण के मुख्य कारणों को दूर करने का संकल्प लें और हमारी प्रकृति को संरक्षित करने के लिए संघर्ष करें।

प्रदूषण का घातक प्रभाव –

आधुनिक युग में सम्पूर्ण संसार पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है। हर साँस के साथ प्रदूषण का जहर शरीर में प्रवेश होता है और तरह-तरह की बीमारियाँ पनपती जा रही हैं। इस सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि प्रदूषण की इस बढ़ती हुई गति से एक दिन यह पृथ्वी, प्राणी तथा वनस्पतियों से विहीन हो सकती है और जीवों का ग्रह पृथ्वी एक बीती हुई कहानी बनकर रह जायेगी।

पर्यावरण संरक्षण –

दिनों-दिन बढ़ते प्रदूषण की आपदा से बचाव का मार्ग खोजना आज की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण के लिए संपूर्ण मानव जाति को एक साथ मिलकर प्रयास करना होगा। वृक्षों की रक्षा करके इस महान् संकट से छुटकारा पाया जा सकता है। पेड़-पौधे हानिकारक गैसों के प्रभाव को नष्ट करके प्राण-वायु प्रदान करते हैं, भूमि के क्षरण को रोकते हैं और पर्यावरण को शुद्ध करते हैं।

उपसंहार –

पर्यावरण की सुरक्षा और उचित सन्तुलन के लिए हमें जागरूक और सचेत होना अत्यंत आवश्यक है। जल, वायु, ध्वनि तथा पृथ्वी के प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को नियन्त्रित कर धीरे-धीरे उसे समाप्त करना आज के युग की परम आवश्यका बन गई है। यदि हम शुद्ध वातावरण में जीने की आकांक्षा रखते हैं तो पृथ्वी तथा पर्यावरण को शुद्ध तथा स्वच्छ बनाना होगा, तभी स्वस्थ नागरिक बन सकेंगे और सुखी, शान्त तथा आनन्दमय जीवन बिता सकने में समर्थ होंगे। इस प्रकार शुद्ध पर्यावरण का जीवन में विशेष महत्व है।

पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF

पर्यावरण पर निबंध 100 शब्दों में (पर्यावरण पर निबंध 10 लाइन)

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध कैसे लिखें?

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चंद्रयान 3 पर निबंध 100, 300, 500 शब्दों में | Chandrayaan 3 Essay in Hindi

Hello friends मेरा नाम रोहित सोनी (Rohit Soni) है। मैं मध्य प्रदेश के सीधी जिला का रहने वाला हूँ। मैंने Computer Science से ग्रेजुएशन किया है। मुझे लिखना पसंद है इसलिए मैं पिछले 5 वर्षों से लेखन का कार्य कर रहा हूँ। और अब मैं Hindi Read Duniya और कई अन्य Website का Admin and Author हूँ। Hindi Read Duniya   पर हम उपयोगी , ज्ञानवर्धक और मनोरंजक जानकारी हिंदी में  शेयर करने का प्रयास करते हैं। इस website को बनाने का एक ही मकसद है की लोगों को अपनी हिंदी भाषा में सही और सटीक जानकारी  मिल सके। View Author posts

4 thoughts on “Essay Environment in Hindi | पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण)”

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Sakshi kushwaha Thank You for comment.

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Thanks sir nice essay

Welcome to my blog and keep reading.

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

इस लेख में हिंदी में पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) को सरल शब्दों में लिखा गया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण क्या है, प्रदूषण के कारण, इसके कुल प्रकार, प्रभाव तथा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

यह निबंध स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए हमने लिखा है। इसमें हमने –

  • प्रदुषण क्या है?
  • इसके कितने प्रकार हैं?
  • प्रदुषण के स्रोत और कारण क्या-क्या हैं?
  • इसके बुरे प्रभाव क्या हैं?
  • और पर्यावरण प्रदुषण के समाधान के विषय में बताया है

Table of Content

सभी कक्षा के बच्चे इस प्रदुषण पर निबंध (Essay on Pollution) लेख को अपने अनुसार लघु और लंबा बना कर लिख सकते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण क्या है? What is Environmental Pollution in Hindi?

पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) का अर्थ होता है पर्यावरण का विनाश। यानि की ऐसे माध्यम जिनके कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता है। इसके प्रभाव से मनुष्य और प्राकृतिक दुनिया को ना भुगतना पड़े उससे पहले हमें इसके विषय में जानना और समझना होगा।

मुख्य प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण हैं – वायु प्रदुषण, जल प्रदुषण, ध्वनि प्रदुषण, ऊष्मीय प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और प्रकाश प्रदूषण।

पर्यावरण वह आवरण होता है, जिसमें समस्त सजीव सृष्टि निवास करती है। पर्यावरण को दूषित करने के परिपेक्ष में प्रदूषण शब्द प्रयोग किया जाता है। 

प्रदूषण  प्रकृति को क्षति पहुंचाने वाला वह दोष है, जिसके वजह से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ रहा है। पर्यावरण में होने वाले अवांछनीय बदलाव जिससे प्रकृति सहित समस्त जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, उसे प्रदूषण कहते हैं।

सजीवों के विकास के लिए पर्यावरण का शुद्ध और संतुलित बने रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन ऐसे कारकों की सूची दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही है, जो पर्यावरण प्रदूषण को फलने में मदद कर रहे हैं। 

विभिन्न कारणों की वजह से प्रदूषण अपना स्तर बढ़ा रहा है, जिससे पूरे विश्व को विभिन्न परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के कारण Causes of Environmental Pollution in Hindi

जंगलों का दोहन destruction of forests.

घने जंगलों को काट कर मानव बस्ती से कुछ दूरी पर जो बड़े-बड़े कारखाने बनाए जाते हैं, उनसे निकलने वाले जहरीले धुएं और गंदा पानी भी प्रदूषण को बढ़ाने में उतना ही जिम्मेदार है। 

जिस प्रकृति ने अब तक हमें जीवंत रखा है, उसी को नष्ट करने के लिए हम सभी बेहद उत्साह के साथ आगे बढ़े जा रहे हैं जिससे एकाएक जंगलों का अंधाधुन दोहन हो रहा है।

परिवहन साधनों में वृद्धि Increased in Vehicles and Transportation

अभी की तुलना कुछ दशकों पहले से की जाए तब तक सड़कों पर परिवहन साधनों की कमी थी, लेकिन शुद्ध वातावरण भरपूर था। 

आज बिल्कुल विपरीत हो रहा है, जहां अब सड़कों पर लोगों की जगह जहरीली गैसे छोड़ने वाली और पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित करने वाली परिवहन का संचालन हो रहा है।

प्राकृतिक संसाधन का शोषण Exploitation of Natural Resources

इंसान अपने स्वार्थ के लिए क्या-क्या नहीं करता है। प्रकृति के अनमोल छुपे हुए भंडार को खोज कर उसे गलत तरीके से उपयोग किया जा रहा है। 

प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुन शोषण के वजह से आने वाली पीढ़ियों के लिए इस खजाने का बना रहना बेहद कठिन नजर आ रहा है। 

जनसंख्या वृद्धि Increased Population

जनसंख्या वृद्धि को भी प्रदूषण वृद्धि में योगदान देने के लिए एक कारण माना जा सकता है। पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं के अलावा यह बहुत सारे अन्य समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार है। 

आखिर प्रदूषण को फैलाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान तो मानव द्वारा ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन जनसंख्या में होने वाली वृद्धि हमें एक नई समस्या की ओर ले जा रही है।

आधुनिक तकनीकें Advanced Technology

प्रदूषण का स्तर बढ़ाने के लिए आधुनिक तकनीकें भी जिम्मेदार है। विकास के नाम पर होने वाली प्रगति जिसे प्रौद्योगिकी करण के नाम से जाना जाता है, इसके विपरीत पक्ष में होने वाले कुछ नकारात्मक प्रभाव के कारण भी प्रदूषण में वृद्धि होती है। 

इसके अलावा इंसानों द्वारा विकसित किए गए तमाम तकनीकों के वजह से कहीं ना कहीं प्रकृति को क्षति पहुंचती है।

लोगों में जागरूकता का अभाव Lack of Awareness in Peoples

घनी जनसंख्या जहां ज्यादातर प्रतिशत गरीबी , बेरोजगारी , असाक्षरता इत्यादि से भरी पड़ी है, वे पर्यावरण में होने वाले प्रदूषण के दुष्प्रभाव से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। 

यह कहना गलत नहीं होगा कि लोगों का स्वार्थ एक दिन सभी को ले डूबेगा। प्रकृति के प्रति कोई भी जागरूक होने में अधिक रूचि नहीं ले रहा, जोकि पर्यावरण प्रदूषण को अनदेखा करने जैसा हो रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार Type of Environmental Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण (air pollution).

वायुमंडल में समाहित ऐसे अवांछनीय रज कण और हानिकारक गैसे जो प्रकृति सहित सभी जीवों के लिए घातक है, ऐसा प्रदूषण वायु प्रदूषण कहलाता है। 

यही वायु ऑक्सीजन के तौर पर लोगों के शरीर में प्रवेश करता है और तरह-तरह की बीमारियों को उजागर करता है। वायु प्रदूषण पृथ्वी के तापमान को बुरी तरह से असंतुलित करने के लिए जिम्मेदार है। 

वायु प्रदूषण के चरम सीमा की भयानक कल्पना आने वाले कुछ दशकों के अंदर ही शायद सच में बदल सकता है। आणविक संयंत्र, वाहनों, औद्योगिक इकाइयों इत्यादि विभिन्न अन्य कारणों के परिणाम स्वरूप वायु प्रदूषण फैलता है। 

इसके अलावा यदि प्राकृतिक रूप से देखा जाए, तो कई बार ज्वालामुखी विस्फोट होने के कारण भी इससे जहरीली धुएं सीधे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं।

जल प्रदूषण (Water pollution)

ऐसे अवांछनीय और घातक तत्व जो पानी में मिलकर उसे प्रदूषित करते हैं, यह जल प्रदूषण कहलाता है। जल प्रदूषण के परिणाम स्वरूप पानी से उत्पन्न होने वाली बीमारियां लोगों के स्वास्थ्य के समक्ष एक बड़ी परेशानी बन जाती हैं। 

इससे पीलिया, गैस्ट्रिक, टाइफाइड, हैजा, इत्यादि जैसी बीमारियां इंसानों और पशु पक्षियों के स्वास्थ्य पर प्रभाव डालते हैं। प्रदूषित जल से सिंचाई करने के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता में भी भारी गिरावट आई है।

उद्योगों और बड़े-बड़े कारखानों इत्यादि से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों के कारण भी जल प्रदूषण भारी मात्रा में उत्पन्न होता है। जल प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण पीने योग्य स्वच्छ पानी की भी समस्या साफ़ देखी जा सकती है। 

हम इस तरह से जल प्रदूषण के जंजाल में फस चुके हैं, कि वातावरण में चारों तरफ फैली ज़हरीली वायु एसिड वर्षा के रूप में जमीन की गहराइयों तक जाकर प्रत्येक चीज को प्रदूषित कर रही है।

भूमि प्रदूषण (Land pollution)

ऐसे अवांछित और जहरीले पदार्थ जिन्हें जमीन में विसर्जित कर दिया जाता है, लेकिन यह कुछ ही समय के अंदर जमीन की गुणवत्ता को घटाकर प्रदूषण का रूप ले लेती है। 

जमीन या मिट्टी में होने वाले इसी प्रदूषण को भूमि प्रदूषण कहा जाता है। भूमि प्रदूषण के परिणाम स्वरूप कृषि योग्य उपजाऊं जमीने भी इसके प्रकोप से अछूत नहीं रही हैं। अतः ऐसे ही प्रदूषित भूमि पर उपजे अनाज लोगों का स्वास्थ्य खराब कर देते हैं।

कई बार जमीन में दफन किए गए अवशिष्ट इकाइयां पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं, जिसके कारण यह जमीन में सड़कर भूमि को प्रदूषित करते हैं। अक्सर भूस्खलन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण भी भूमि प्रदूषण का प्रभाव इसमें देखा जाता है।

ध्वनि प्रदूषण (Noise pollution)

ऐसी अनियंत्रित और प्रदूषक ध्वनियां जो किसी भी प्रकार से प्रकृति या सजीवों को हानि पहुंचाती हैं, यह ध्वनि प्रदूषण कहलाता है। ध्वनि प्रदूषण को डेसीबल इकाई में मापा जाता है। 

ध्वनि प्रदूषण ऐसा प्रदूषण है, जिसका प्रभाव तुरंत देखा जा सकता है। श्रवण शक्ति से अधिक ऊंची आवाज में कोई भी ध्वनी श्रवण शक्ति को धीरे-धीरे कमजोर करती है, जिससे कई मनोवैज्ञानिक रोग और अन्य स्वाभाविक बीमारियां उत्पन्न होती है।

सड़कों पर दौड़ने वाली अनियंत्रित वाहनों के इंजन और आवाजों के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों से भी ध्वनि प्रदूषण अत्यधिक मात्रा में उत्पन्न होता है। इसके अलावा अलग-अलग उत्सव या कार्यक्रमों में बजने वाले तेज आवाज में लाउडस्पीकर के कारण भी ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।

प्रकाश प्रदूषण (Light pollution)

प्रकाश प्रदूषण भी अब हमारे सामने एक विकट समस्या बन चुकी है। बिजली की बढ़ती खपत और जरूरत के समय इसकी अनुपलब्धता प्रकाश प्रदूषण का श्रेष्ठ उदाहरण है। 

इसके अलावा प्रकाश प्रदूषण के वजह से हर साल सड़कों पर हजारों की संख्या में एक्सीडेंट हो जाता है। कम उम्र में ही लोगों को कम दिखाई देना, सिर दर्द की समस्या या अंधापन प्रकाश प्रदूषण के दुष्परिणाम है। 

आवश्यकता से अधिक यदि प्रकाश आंखों पर पड़ता है, तो यह स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है।

इसके अलावा मानवीय गतिविधियों के कारण भी प्रकाश प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ रहा है। आवश्यकता से अधिक बिजली का उपयोग करके हाई वोल्टेज बल्ब के उपयोग के कारण भी प्रदूषण जैसे समस्या उत्पन्न होते हैं।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव Effect of Environmental Pollution in Hindi

  • पर्यावरण प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव सभी प्राणियों पर पड़ता है। लोगों की स्वास्थ्य की घटती गुणवत्ता और उम्र के साथ ही नए-नए दुर्लभ बीमारियों का उत्पन्न होना यह प्रदूषण की ही देन है।
  • प्रदुषण के कारण कई प्रकार की बीमारियों से पुरे विश्व भर के लोगों को सहना पड़ रहा है। इनमें से कुछ मुख्य बीमारियाँ और स्वास्थ से जुडी मुश्किलें पैदा हो रही हैं – टाइफाइड, डायरिया, उलटी आना, लीवर में इन्फेक्शन होना, साँस से जुडी दिक्कतें आना, योन शक्ति में कमी आना, थाइरोइड की समस्या , आँखों में जलन, कैंसर , ब्लड प्रेशर, और ध्वनि प्रदुषण के कारण गर्भपात।
  • प्रदूषण के कारण जलवायु भी प्रभावित होता है। पृथ्वी के आवरण की सुरक्षा स्वरूप कवच ओजोन परत भी अब घट रही है, जिसके वजह से वायुमंडल का संतुलन बिगड़ रहा है।
  • आज कई शहरों की ऐसी दशा हो गई है कि प्रदूषण के बढ़ते प्रकोप के कारण लोग अपने घरों से बाहर भी नहीं जा पा रहे हैं। भारत की राजधानी दिल्ली और अन्य कुछ दूसरे स्थान भी प्रदूषित शहरों का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां लोग शुद्ध ऑक्सीजन के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
  • इंसानों ने प्रकृति का इतना शोषण कर लिया है, कि आगे की पीढ़ी प्रकृति के गर्भ में छिपे हुए अनमोल खजाने स्वरूप प्राकृतिक संसाधनों का लाभ ले पाएंगे यह कहना मुश्किल है। बढ़ते प्राकृतिक प्रदूषण के साथ ही प्राकृतिक संसाधनों में कमी में भी बढ़ोतरी हो रही है।
  • आज के समय में जिस तरह नई पीढ़ी का आगमन हो रहा है, वह भी प्रदूषण की चपेट से अछूते नहीं रहे हैं। ऐसे बच्चे जो जन्म से ही अब कुपोषित और नई बीमारियों की मार झेलते हुए बड़े हो रहे हैं, उनकी यह दशा का एक कारण प्रदूषण भी है। इसके अलावा यह लोगों के स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग को बुरी तरह से नुकसान पहुंचा रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण : 10 नियंत्रण एवं उपाय How To Control Pollution in Hindi?

  • पर्यावरण प्रदूषण को काबू में करने के लिए सभी को एकजुट मिलकर इसके खिलाफ लोगों में जागरूकता लानी होगी।
  • प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद कर के रीसायकल होने वाले बैग का इस्तेमाल करना चाहिए। हाला की भारत में कई बड़े शहरों में  प्लास्टिक के उपयोग को पूर्ण रूप से बंद कर दिया गया है।
  • किसी भी प्रकार के वस्तुओं के निष्कासन के लिए एक नई पद्धति की जरूरत है। जिसमें दशकों तक नष्ट न होने वाले वस्तुओं को नष्ट करने पर पर्यावरण पर कोई प्रभाव न हो।
  • प्रदूषण से बचने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की आवश्यकता है।
  • जंगलों की अवैध कटाई और दुर्लभ पेड़ों की लकड़ियों की तस्करी पर सरकार को मजबूती से प्रतिबंध लगाना चाहिए, जिसे जंगल सुरक्षित रहें।
  • वाहनों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए सभी के पास पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट (PUC) हो यह जरूर सुनिश्चित करना चाहिए। कोई भी चालक नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर कड़े शुल्क लगाने चाहिए।
  • नदी के पानी में कचरा फैक कर दूषित करने से लोगों को रोकना चाहिए और नदी के पानी को ( सीवेज रीसायकल ट्रीटमेंट ) की मदद से स्वच्छ करके पीने के कार्य में लगाना चाहिए।
  • ऐसे नियमों को पारित करने की आवश्यकता है, जिसमें छोटे बड़े प्रत्येक कारखानों से निकलने वाले जहरीले और गंदे कचरा को रिफाइन करके ही बाहर निकाला जाए।
  • चाहे किसी भी धर्म के उत्सव या त्यौहार हो इस समय सबसे ज्यादा आवश्यकता शुद्ध पर्यावरण की है। सरकार के साथ-साथ जनता को भी यह समझना चाहिए कि किसी भी उत्सव में आवश्यकता से ज्यादा तेज़ लाउड स्पीकर, पटाखे या किसी भी ऐसे क्रियाकलाप को ना करें, जिससे पर्यावरण दूषित हो।
  • जागृति लाने का सबसे अच्छा समय प्रारंभिक शिक्षा का होता है। पर्यावरण प्रदूषण को आने वाले समय में कम किया जा सके, इसके लिए बच्चों में पर्यावरण के प्रति रुचि जगाने की आवश्यकता है और इसके अलावा पाठ्यक्रम में भी कुछ विशेष क्रियाकलापों और अध्याय को शामिल करना चाहिए।
  • लोगों को इस बात का ख्याल रखने की आवश्यकता है कि उनके घर और जिस भी स्थान पर लोग निवास करते हैं, वहां स्वच्छता होनी चाहिए।
  • कार्यपालिका में सख्ती बरतते हुए ऐसे इलाके जहां पर कचरे फेंकने की व्यवस्था होने के बावजूद भी सड़कों या दुसरी जगहों पर गंदगी दिखाई पड़ती है, ऐसा ना हो और कूड़े कचरे को ठिकाने लगाने के लिए एक निश्चित जगह हो यह सुनिश्चित करना चाहिए।
  • केमिकल से बने खाद की जगह प्राकृतिक खाद का उपयोग खेतों में करना चाहिए। (पढ़ें: घर पर ही प्राकृतिक खाद कैसे बनायें? )

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें।

35 thoughts on “पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi”

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विश्व पर्यावरण दिवस 2022 पर निबंध (World Environment Day Essay in Hindi)

विश्व पर्यावरण दिवस

जीवन को बेहतर और अधिक प्राकृतिक बनाने के लिए पूरे विश्वभर में पर्यावरण में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस अभियान की स्थापना की गई। आजकल, पर्यावरण का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा है, जिसके बारे में सभी को जागरुक होना चाहिए और इस परेशानी का सामना करने के लिए अपने सकारात्मक प्रयासों को करना चाहिए। प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से युक्त वातावरण में सकारात्मक बदलावों को लाने के लिए विद्यार्थियों के रुप में किसी भी देश के युवा सबसे बड़ी उम्मीद है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on World Environment Day in Hindi, Vishwa Paryavaran Divas par Nibandh Hindi mein)

यहाँ बहुत ही आसान भाषा में विश्व पर्यावरण दिवस पर हिंदी में निबंध पायें: जो कि आपके आवश्यकता को देखते हुए 250 शब्द, 300 शब्द, और 400 शब्द के अंतर्गत दिया गया है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध 1 (250 शब्द)

विश्व पर्यावरण दिवस एक अभियान है, जो प्रत्येक वर्ष 5 जून को, विश्वभर में पर्यावरण के नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। इस अभियान की शुरुआत करने का उद्देश्य वातावरण की स्थितियों पर ध्यान केन्द्रित करने और हमारे ग्रह पृथ्वी के सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव का भाग बनने के लिए लोगों को प्रेरित करना है।

विश्व पर्यावरण दिवस का इतिहास

विश्व पर्यावरण दिवस की घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा मानव पर्यावरण के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अवसर पर 1972 में हुई थी। हालांकि, यह अभियान सबसे पहले 5 जून 1973 को मनाया गया। यह प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है और इसका कार्यक्रम विशेषरुप से, संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किए गए वार्षिक विषय पर आधारित होता है।

यह कार्यक्रम एक शहर के द्वारा आयोजित किया जाता है, जहाँ पर्यावरण से संबंधित विषयों पर चर्चा की जाती है, जिसमें बहुत सी गतिविधियों को शामिल किया जाता है। हमारे वातावरण की सुरक्षा के लिए विश्वभर में लोगों को कुछ सकारात्मक गतिविधियाँ के लिए प्रोत्साहित और जागरुक करने के लिए यह दिन संयुक्त राष्ट्र के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है। अब, यह 100 से भी अधिक देशों में लोगों तक पहुँचने के लिए बड़ा वैश्विक मंच बन गया है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित की जाने वाली गतिविधियाँ

विश्व पर्यावरण दिवस कार्यक्रम भारत में विशेषरुप से, स्कूलों और कॉलेजों में विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से मनाया जाता है। विद्यार्थियों के मध्य जागरुकता पैदा करने के लिए अध्यापक कुछ प्रभावी कार्यक्रमों के आयोजन की योजना बनाते है; जैसे- निबंध लेखन, भाषण देना, शिक्षा, विषय चर्चा, स्लाइड शो, क्विज प्रतियोगिता, कला प्रतियोगिता, बैनर प्रदर्शन, सेमिनार, संगोष्ठियों, निर्धारित विषय पर कार्यशालाएं, चित्रकला प्रतियोगिता, संबंधित विषय पर व्याख्यान, थीम पर आधारित प्रदर्शन, फिल्मी शो, कथन लेखन, आदि। हमारे वातावरण की सुरक्षा के सन्दर्भ में विद्यार्थियों को सकारात्मक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

हमारे पर्यावरण की स्थिति प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग के कारण दिन प्रति दिन गिरती जा रही है। बेहतर भविष्य के लिए पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हमें हमारे देश में पर्यावरण के अनुकूल विकास को बढ़ावा देना चाहिए।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध 2 (300 शब्द)

विश्व पर्यावरण दिवस लगभग 100 से भी अधिक देशों के लोगों के द्वारा 5 जून को मनाया जाता है। इसकी घोषणा और स्थापना संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा 1972 में हुई थी, हालांकि इस कार्यक्रम को हर साल मनाने की शुरुआत 1973 से हुई। इसका वार्षिक कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के द्वारा घोषित की गई विशेष थीम या विषय पर आधारित होता है।

इस अभियान का समारोह प्रत्येक वर्ष अलग-अलग शहरों के द्वारा आयोजित किया जाता है, जिसके दौरान पूरे सप्ताह अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियाँ लगाई जाती है। इस अभियान के आयोजन के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र लोगों को पर्यावरण के बारे में जागरुकता और प्रोत्साहन को बढ़ावा देता है। यह सकारात्मक सार्वजनिक गतिविधियाँ और राजनीतिक ध्यान प्राप्त करने के लिए प्रभावी वार्षिक अभियान है।

इसे अधिक प्रभावी बनाने और वर्ष की विशेष थीम या विषय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विभिन्न गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। विभिन्न क्रियाएं; जैसे- निबंध लेखन, पैराग्राफ लेखन, भाषण, नाटक का आयोजन, सड़क रैलियाँ, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, कला और चित्रकला प्रतियोगिता, परेड, वाद-विवाद, आदि का आयोजन किया जाता है। लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरुकता लाने के लिए अन्य प्रकार की प्रदर्शनियों को भी आयोजित किया जाता है। यह सामान्य जनता सहित शिक्षाविदों, पर्यावरणविदों, प्रोफेसरों, वैज्ञानिकों, राजनीतिज्ञों, आदि के समूहों को आकर्षित करता है।

मेजबान शहर के अलावा विश्व पर्यावरण दिवस वाले दिन, यह अन्य देशों के द्वारा वैयक्तिक रुप से अपने राज्यों, शहरों, घरों, स्कूलों, कॉलेजों, सार्वजनिक स्थलों आदि पर परेडों और सफाई गतिविधियाँ, रीसाइक्लिंग पहल, वृक्षारोपण के साथ सभी प्रकार की हरियाली वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और लोगों को इस खूबसूरत ग्रह की बुरी परिस्थितियों की ओर ध्यान देने के लिए आयोजित किया जाता है। इस दिन सार्वजनिक अवकाश नहीं होता इस प्रकार सभी स्कूल और कार्यालय खुले रहते हैं और कोई भी अवकाश नहीं लेता है।

यह कार्यक्रम इस पृथ्वी की सुन्दरता को बनाए रखने के लिए कुछ सकारात्मक गतिविधियों के लिए एकसाथ कार्य करने की एक पहल है। हमें पूरे सालभर कार्यक्रम के उद्देश्यों को अपने ध्यान में रखना चाहिए और उन्हें वृक्षारोपण के माध्यम से आसपास के वातावरण को सुन्दर बनाने और साफ-सफाई, पानी की बचत, बिजली का कम प्रयोग, जैविक और स्थानीय खाद्य पदार्थों का उपयोग, जंगली जीवन की सुरक्षा आदि बहुत सी गतिविधियों को कार्यरुप में बदलना चाहिए। जीवन के लिए हमारे पास एकमात्र यही ग्रह है, यह हमारा घर है और हम सभी इसकी प्राकृतिक सुन्दरता को सदैव के लिए बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध 3 (400 शब्द)

विश्व पर्यावरण दिवस प्रत्येक वर्ष 5 जून को बेहतर भविष्य के लिए पर्यावरण को सुरक्षित, स्वस्थ और सुनिश्चित बनाने के लिए नई और प्रभावी योजनाओं को लागू करने के द्वारा पर्यावरण मुद्दों को सुलझाने के लिए मनाया जाता है। इसकी घोषणा 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा पर्यावरण पर विशेष सम्मेलन “स्टॉकहोम मानव पर्यावरण सम्मेलन” के उद्धघाटन पर हुई थी। यह पूरे संसार के लोगों के बीच में पर्यावरण के बारे में जागरुकता फैलाने के साथ ही पृथ्वी पर साफ और सुन्दर पर्यावरण के सन्दर्भ में सक्रिय गतिविधियों के लिए लोगों को प्रोत्साहित और प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल मनाया जाता है। यह साल के बड़े उत्सव के रुप में बहुत सी तैयारियों के साथ मनाया जाता है, जिसके दौरान राजनीतिक और सार्वजनिक क्रियाओं में वृद्धि होती है।

Essay on World Environment Day in Hindi

विश्व पर्यावरण दिवस (डब्ल्यू.ई.डी) की स्थापना इस ग्रह से सभी पर्यावरण संबंधी मुद्दों को हटाने और इस ग्रह को वास्तव में सुन्दर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं, एजेंडों और उद्देश्यों के साथ हुई है। पर्यावरण संबंधी समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करने और पर्यावरण के मुद्दों पर लोगों को एक चेहरा प्रदान करने के लिए पर्यावरण के लिए इस विशेष कार्यक्रम की स्थापना करना आवश्यक था। यह समारोह स्वस्थ्य जीवन के लिए स्वस्थ वातावरण के महत्व को समझने के साथ ही विश्वभर में पर्यावरण के अनुकूल विकास को निश्चित करने के लिए लोगों को सक्रिय प्रतिनिधि के रुप में प्रेरित करने में हमारी मदद करता है। यह लोगों के सामान्य सूझ को फैलाता है कि, सभी राष्ट्रों और लोगों के सुरक्षित और अधिक समृद्धशाली भविष्य की उपलब्धता के लिए पर्यावरण मुद्दों के प्रति अपने व्यवहार में बदलाव के लिए यह आवश्यक है।

विश्व पर्यावरण दिवस का संचालन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के द्वारा किया जाता है। इसका मुख्यालय नैरोबी, केन्या में है, हालांकि, यह विश्वभर के लगभग 100 से भी अधिक देशों में मनाया जाता है। इसकी स्थापना 1972 में हुई थी, तथापि, इसे सबसे पहले वर्ष 1973 में मनाया गया था। इसका सम्मेलन प्रत्येक वर्ष अलग-अलग शहरों के द्वारा (जिसे मेजबान देश भी कहा जाता है) अलग थीम या विषय के साथ किया जाता है। यह लोगों के अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से मनाया जाता है। 2016 के विश्व पर्यावरण दिवस का विषय या थीम “जीवन के लिए वन्यजीवन में गैरकानूनी व्यापार के खिलाफ संघर्ष” था, जिसकी मेजबानी अंगोला देश के द्वारा की गई थी।

इस सम्मेलन का उद्देश्य सभी देशों के लोगों को एक साथ लाकर जलवायु परिवर्तन के साथ मुकाबला करने और जंगलों के प्रबंध को सुधारने के लिए समझौता करना था। यह बहुत सी क्रियाओं; जैसे- वृक्षारोपण, पर्यावरण सुरक्षा से संबंधित विषयों पर विद्यार्थियों के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम, कला प्रदर्शनी, चित्रकला प्रतियोगिता, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, वाद-विवाद, व्याख्यान, निबंध लेखन, भाषण आदि के साथ मनाया जाता है। युवाओं को पृथ्वी पर सुरक्षित भविष्य के लिए पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर प्रोत्साहित करने के लिए (निश्चित योजना प्रबंध के संदर्भ में) कार्यशालाओं का भी आयोजित किया जाता है।

2009 में, चेन्नई और बैंगलोर में पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचे और ग्लोबल वार्मिंग पर अंकुश लगाकर प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए कला प्रतियोगिता, विद्यार्थियों के लिए ई-कचरा (ईलक्ट्रोनिक अपशिष्ट) के प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, ऊर्जा के स्रोतों का पुनः उपयोग, वन्य जीवन संरक्षण, वर्षा के पानी का संरक्षण, ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने पर वाद-विवाद प्रतियोगिता, जैविक अपशिष्ट आदि के माध्यम से पर्यावरण मेले का आयोजन किया गया था।

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FAQs : Frequently Asked Questions on World Environment Day in Hindi

उत्तर: पहले विश्व पर्यावरण दिवस में लगभग 119 देशों ने भाग लिया।

उत्तर: स्वच्छ वायु अधिनियम, जल अधिनियम और विषाक्त पदार्थ नियंत्रण अधिनियम भारत में महत्वपूर्ण पर्यावरण कानून हैं।

उत्तर: प्राकृतिक पर्यावरण पर चूहों का बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है। वे कई देशी और स्थानिक प्रजातियों की गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं।

उत्तर: परिपत्र अर्थव्यवस्थाएं कचरे को संसाधनों में बदल देती हैं। उत्पादों की मरम्मत, नवीनीकरण, पुन: उपयोग या पुनर्चक्रण करके, संसाधनों का उपयोग कम से कम किया जा सकता है।

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पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध | Essay on Environmental Pollution in Hindi

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Environmental Pollution in Hindi:इस लेख में हमने छात्रों और बच्चों के लिए पर्यावरण प्रदूषण पर 1000+ शब्दों में एक निबंध प्रकाशित किया है। इसमें पर्यावरण प्रदूषण के लिए इतिहास, स्रोत, प्रकार, प्रभाव और नियंत्रण के उपाय शामिल हैं।

यह भी पढ़ें: बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ

  • 1.0.1 Short Essay on Environmental Pollution in Hindi
  • 2 प्रदूषण का इतिहास
  • 3 प्रदूषण के स्रोत क्या हैं?
  • 4.1 1. वायु प्रदूषण
  • 4.2 2. प्लास्टिक प्रदूषण
  • 4.3 3. मृदा प्रदूषण
  • 4.4 4. जल प्रदूषण
  • 4.5 5. रेडियोधर्मी प्रदूषण
  • 5 पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव
  • 6 पर्यावरण स्वास्थ्य सूचना
  • 7 पर्यावरण प्रदूषण को कैसे नियंत्रित करें?

पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (1000 शब्द)

प्राकृतिक वातावरण में दूषित पदार्थों का मिश्रण, जो पर्यावरण में प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है, पर्यावरण प्रदूषण के रूप में जाना जाता है।

पर्यावरण प्रदूषण रासायनिक पदार्थों या ऊर्जा का रूप ले सकता है, जैसे शोर, गर्मी या प्रकाश। प्रदूषक, प्रदूषण के घटक, अक्सर या तो विदेशी पदार्थ/ऊर्जा या वर्तमान संदूषक होते हैं। प्रदूषण को आमतौर पर प्रारंभिक या गैर-बिंदु स्रोत प्रदूषण के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

2015 में, प्रदूषण ने दुनिया के भीतर 9 मिलियन लोगों की जान ले ली। पर्यावरण प्रदूषण के महत्वपूर्ण प्रकारों में प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, कचरा, ध्वनि प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रदूषण, दृश्य प्रदूषण, प्रदूषण शामिल हैं।

Short Essay on Environmental Pollution in Hindi

प्रदूषण का इतिहास.

वायु प्रदूषण हमेशा सभ्यताओं के साथ रहा है और पर्यावरण प्रदूषण में महत्वपूर्ण अग्रणी रहा है।

प्रदूषण प्रागैतिहासिक काल से शुरू हुआ जब मनुष्य ने प्राथमिक आग बनाई, प्राचीन गुफाओं की छत पर “कालिख” पाई गई थी, जो खुली आग के अपर्याप्त वेंटिलेशन के कारण वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के पर्याप्त प्रमाण प्रदान करती है।

धातु फोर्जिंग के निर्माण ने घरों के बाहर गंभीर वायु प्रदूषण के स्तर को बनाने में महत्वपूर्ण मोड़ दिया है। ग्रीनलैंड में ग्लेशियरों के मुख्य नमूने ग्रीक, रोमन और चीनी धातु उत्पादन से संबंधित प्रदूषण में वृद्धि दर्शाते हैं।

प्रदूषण के स्रोत क्या हैं?

कोयले और लकड़ी के जलने, सघन क्षेत्रों में कई घोड़ों की उपस्थिति ने शहरों को प्रदूषण का पहला स्रोत बना दिया। आर्थिक क्रांति ने अनुपचारित रसायनों और कचरे को स्थानीय धाराओं में प्रवाहित किया जो जल प्रणाली के कारण काम करते थे।

इंग्लैंड के राजा एडवर्ड प्रथम द्वारा लंदन में समुद्री कोयले को जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था क्योंकि इसका धुआं एक समस्या बन गया था; ईंधन इंग्लैंड में इतना प्रचलित था कि इसके लिए जल्द से जल्द नाम प्राप्त किया गया था क्योंकि इसे व्हीलबारो द्वारा कुछ तटों से बहुत दूर ले जाया जा सकता था।

यह आर्थिक क्रांति थी जिसने पर्यावरण प्रदूषण को जन्म दिया जैसा कि आज हम सभी जानते हैं। लंदन ने 1858 के टेम्स पर उत्कृष्ट स्टिंक के साथ पानी की गुणवत्ता की समस्याओं के शुरुआती चरम मामलों में से एक दर्ज किया, जिसके कारण जल्द ही लंदन सीवरेज सिस्टम का निर्माण हुआ।

प्रदूषण के मुद्दों में वृद्धि के रूप में वृद्धि हुई है, जो कि उनके कचरे की समस्या को संभालने के लिए पड़ोस की व्यवहार्यता से कहीं अधिक है। सुधारकों ने सीवर सिस्टम और साफ पानी की मांग का दावा किया।

अभूतपूर्व प्रदूषण को जन्म देने वाली उभरती फैक्ट्रियों द्वारा बड़ी मात्रा में कोयले की खपत की गई। इससे भारी मात्रा में रासायनिक निर्वहन हुआ, जिसने अनुपचारित कचरे के बढ़ते भार को जोड़ा – पहले दो अमेरिकी शहर शिकागो और सिनसिनाटी ने 1881 में स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने वाले कानून बनाए।

बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में, पर्यावरण प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा बन गया क्योंकि प्रगतिशील सुधारकों ने कोयले के जलने से होने वाले प्रदूषण के साथ प्रभाव डाला। 1900 के दशक में अमेरिकी शहरों में काम करने वाले तीन मिलियन घोड़ों के कारण अपर्याप्त स्वच्छता और सड़क प्रदूषण के कारण होने वाले प्रदूषण ने भारी मात्रा में मूत्र और खाद उत्पन्न किया।

संघर्ष के भीतर परमाणु हथियारों का परीक्षण जारी रहा, खासकर उनके विकास के शुरुआती चरणों में। हालांकि अत्यधिक सावधानी बरती गई है, लेकिन फिर भी विनाशकारी है, थ्री माइल आइलैंड, चेरनोबिल और फुकुशिमा जैसी घटनाएं सार्वजनिक अविश्वास का एक सुस्त दर्शक हैं।

उन आपदाओं में दुनिया भर में प्रचार तेज हो गया है। प्रतिबंध संधियों के लिए व्यापक समर्थन ने वातावरण के भीतर अधिकांश परमाणु परीक्षण समाप्त कर दिए हैं।

अंधेरे में प्रकाश द्वारा शुरू किया गया प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बन रहा है, शहरी केंद्रों में अधिक गंभीर है, लेकिन शहरों से दूर विशाल क्षेत्रों को भी दूषित कर रहा है। वैश्विक और स्थानीय प्रदूषण के बढ़ते प्रमाण और समय के साथ उपलब्ध सार्वजनिक सूचनाओं ने जन जागरूकता को जन्म दिया है, जिससे पर्यावरण पर मानव प्रभाव को सीमित करने के लिए पर्यावरण आंदोलन की ओर अग्रसर होना पड़ा है।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख प्रकार क्या हैं?

1. वायु प्रदूषण.

वायु प्रदूषण हवा के भीतर ठोस कणों और गैसों का मिश्रण हो सकता है। कार उत्सर्जन, कारखानों से रसायन, धूल, पराग और मोल्ड बीजाणुओं को भी कणों के रूप में निलंबित किया जा सकता है।

ओजोन, एक गैस, शायद शहरों में प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब ओजोन से प्रदूषण होता है तो इसे स्मॉग भी कहते हैं। कुछ वायु प्रदूषक जहरीले होते हैं।

2. प्लास्टिक प्रदूषण

प्लास्टिक प्रदूषण पृथ्वी के पर्यावरण के भीतर प्लास्टिक की वस्तुओं और कणों (जैसे, प्लास्टिक की बोतलें, बैग और माइक्रोबीड्स) का संचय है जो वन्यजीवों, वन्यजीवों के आवास और मनुष्यों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। प्रदूषकों के रूप में कार्य करने वाले प्लास्टिक को सूक्ष्म या मैक्रो मलबे समर्थित आकार में वर्गीकृत किया जाता है।

3. मृदा प्रदूषण

मिट्टी अकार्बनिक और कार्बनिक पदार्थों की पतली परत है जो पृथ्वी की चट्टानी सतह को ढकती है, जो लगातार जहरीले यौगिकों, लवण, रेडियोधर्मी सामग्री आदि के कारण प्रदूषित हो जाती है, जिसका मिट्टी के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

4. जल प्रदूषण

मानव गतिविधियों के कारण जल निकायों के संदूषण को जल प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। जल निकायों में शामिल हैं, उदाहरण के लिए, झीलें, नदियाँ, महासागर, जलभृत और भूजल; अपशिष्ट और दूषित पदार्थों को सतही जल में बहते हुए सतही जल में छोड़ना अपशिष्ट निपटान से भूजल प्रदूषण और गड्ढे के शौचालयों और सेप्टिक टैंकों सहित तल में रिसाव; यूट्रोफिकेशन और कूड़ेदान।

इसमें शहरी अपवाह और कृषि अपवाह शामिल है, जिसमें रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक शामिल हो सकते हैं; खुले में शौच से मानव मल भी शामिल है – अभी भी कई विकासशील देशों में एक गंभीर समस्या है।

5. रेडियोधर्मी प्रदूषण

खतरनाक प्रदूषण को परमाणु विस्फोटों और परमाणु हथियारों के परीक्षण के दौरान पर्यावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की स्वतंत्रता के परिणामों के कारण जहरीले पदार्थ की रिहाई के रूप में परिभाषित किया गया है, बड़े पैमाने पर विनाश के हथियार उत्पादन और रेडियोधर्मी अयस्कों के खनन, रेडियोधर्मी के निपटान और निपटान के हथियार सामग्री, और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में दुर्घटनाएँ।

पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव

प्रदूषण का पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। ओजोन प्रदूषण से सांस की बीमारी, विकार, गले में सूजन, दर्द और जमाव हो सकता है। प्रदूषण के कारण प्रति दिन लगभग 14,000 मौतें होती हैं, जिसका मुख्य कारण विकासशील देशों में अनुपचारित सीवेज द्वारा पेय पदार्थों का दूषित होना है।

लगभग 500 मिलियन भारतीयों के पास सही शौचालय तक पहुंच नहीं है, भारत में 2013 में दस मिलियन से अधिक लोग जलजनित बीमारियों से बीमार पड़ गए, और 1,535 लोगों की मृत्यु हो गई, जिनमें से अधिकांश बच्चे थे।

लगभग 500 मिलियन चीनी लोगों के पास सुरक्षित पेय तक पहुंच नहीं है। 2010 के एक विश्लेषण का अनुमान है कि प्रदूषण के कारण चीन में सालाना 1.2 मिलियन लोग समय से पहले मर जाते हैं। चीन लंबे समय से जिस शीर्ष स्मॉग का सामना कर रहा है, वह नागरिकों के शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है और असामान्य बीमारियां पैदा कर सकता है।

डब्ल्यूएचओ ने 2007 में अनुमान लगाया था कि प्रदूषण के कारण भारत में प्रति वर्ष आधा 1,00,000 मौतें होती हैं। अध्ययनों ने असामान्य बीमारियों को निर्धारित किया है कि हमारे भीतर सालाना मारे जाने वाले व्यक्तियों की संख्या 50,000 से अधिक हो सकती है।

पर्यावरण स्वास्थ्य सूचना

विष विज्ञान और पर्यावर्णीय सेहत हमारे नेशनल लाइब्रेरी ऑफ ड्रग्स (एनएलएम) में सूचना कार्यक्रम (टीईएचआईपी) एक व्यापक विष विज्ञान और पर्यावरणीय स्वास्थ्य इंटरनेट साइट का रखरखाव करता है जिसकी टीईएचआईपी और अन्य सरकारी संगठनों द्वारा उत्पादित संसाधनों तक पहुंच है।

डेटाबेस, ग्रंथ सूची और ट्यूटोरियल के लिए यह लिंक इंटरनेट साइट में शामिल है। TOXMAP एक भौगोलिक डेटा सिस्टम (GIS) हो सकता है जो TOXNET का एक हिस्सा है। TOXMAP हमारे पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) के टॉक्सिक्स रिलीज़ इन्वेंटरी और सुपरफंड बेसिक रिसर्च प्रोग्राम्स से डेटा का पता लगाने में उपयोगकर्ताओं की सहायता करने के लिए हमारे मानचित्रों का उपयोग करता है।

पर्यावरण प्रदूषण को कैसे नियंत्रित करें?

पर्यावरण प्रदूषण प्रबंधन (समाधान) ने जल, वायु या मिट्टी में उत्सर्जन और अपशिष्टों को नियंत्रित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण की संज्ञा दी।

प्रदूषण नियंत्रण के साथ कृषि, खनन, निर्माण, परिवहन, अधिक खपत, तापन आदि जैसी विभिन्न प्रकार की मानवीय गतिविधियों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पाद, चाहे वे जमा हों या फैलें, पर्यावरण को नीचा दिखाएंगे।

नियंत्रण के पदानुक्रम के भीतर, प्रदूषण नियंत्रण की तुलना में प्रदूषण की रोकथाम और अपशिष्ट न्यूनीकरण अधिक वांछनीय है। शोषण के क्षेत्र में, शहरी अपवाह को रोकने के लिए कम प्रभावित विकास एक समान तकनीक हो सकती है।

आशा है कि छात्रों के लिए पर्यावरण प्रदूषण पर यह शैक्षिक निबंध आपको पसंद आया होगा।

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हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।

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  • मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
  • परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
  • पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
  • असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
  • मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
  • मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
  • दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
  • दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
  • बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
  • महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
  • दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
  • सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
  • राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
  • खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
  • रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
  • राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
  • मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
  • मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
  • राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
  • नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
  • राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
  • देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
  • पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
  • सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
  • सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
  • विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
  • लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
  • विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
  • रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
  • समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
  • समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
  • समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
  • व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
  • विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
  • विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
  • विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
  • मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
  • मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
  • पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
  • मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
  • सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
  • शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
  • खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
  • क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
  • ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
  • मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
  • पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
  • सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
  • कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
  • कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
  • कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
  • कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
  • इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
  • विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
  • शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
  • विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
  • विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
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इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।

हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?

प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।

हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।

तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।

हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची

हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।

विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।

हिंदी निबंधों की संरचना

Hindi Essay Parts

उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।

इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।

हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु

अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:

  • अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
  • अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
  • पहला भाग: परिचय
  • दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
  • तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
  • एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
  • जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
  • अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
  • विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
  • यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
  • महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।

हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।

2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।

3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।

4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।

5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:

  • एक पंच-लाइन की शुरुआत।
  • बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
  • रचनात्मक सोचें।
  • कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
  • आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
  • सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
  • निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।

निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।

यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।

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Guest Essay

A Slap Shot Against Climate Denial

A photo illustration of a gavel holding up the Earth.

By Michael E. Mann and Peter J. Fontaine

Dr. Mann is a professor at the University of Pennsylvania and the author of “Our Fragile Moment: How Lessons From Earth’s Past Can Help Us Survive the Climate Crisis.” Mr. Fontaine is an environmental lawyer who served as co-counsel for Dr. Mann in the defamation case detailed in this essay.

The climate is warming. Polar ice is melting, glaciers are receding, the chemistry of the ocean is becoming dangerously acidic, sea levels are rising. All of this and more are consequences of the greenhouse gases we continue to emit into the atmosphere, where they trap and radiate heat that would otherwise escape into space.

Those are facts, not conjectures. Yet the scientists researching the fallout from that inconvenient fact, established more than 100 years ago, continue to face attacks that threaten their research, reputations and livelihoods.

One of us, Michael Mann, is just such a scientist. Twelve years ago, he found himself accused of research fraud for his work documenting the rapid rise of Earth’s temperature since the early 20th century.

An adjunct scholar at the time at the Competitive Enterprise Institute, which has said it “questions global warming alarmism,” compared Dr. Mann on a blog hosted by the institute to a convicted sex offender. “Instead of molesting children,” the post read, “he has molested and tortured data in the service of politicized science.” Then a conservative writer republished parts of that post on a blog hosted by National Review and added that Dr. Mann was “behind the fraudulent climate-change ‘hockey stick’ graph.”

Last week, after our decade-long journey through the court system, a jury in Washington, D.C., found that both writers were liable for defamation . We hope this sends a broader message that defamatory attacks on scientists go beyond the bounds of protected speech and have consequences. The jury awarded $1 in compensatory damages from each defendant, and punitive damages of $1,000 against one defendant and $1 million against the other.

However, we lament the time lost to this battle. This case is part of a larger culture war in which research is distorted and the truth about the climate threat is dissembled.

The assault on climate science has grown broader and more sophisticated. Rachael Lyle-Thompson, a lawyer for the Climate Science Legal Defense Fund, which has supported Dr. Mann in the past, warned recently that sweeping and “invasive open records requests” to harass and intimidate and “other misuse of the legal system” continue to “threaten climate scientists’ ability to freely conduct research and openly share it with the public.”

And the attacks have expanded to other frontiers of science. Witness the ongoing assault on public health experts such as the doctors Anthony Fauci and Peter Hotez, who have sought to address the Covid-19 pandemic. Or the false claims about adverse health effects from wind turbines. Or efforts by the Trump administration to limit the scientific and medical research that the government can use to determine public health regulations. Or rollbacks of environmental regulations. The list, unfortunately, goes on.

It is in the context of this broader war on science that our recent trial victory may have wider implications. It has drawn a line in the sand. Scientists now know that they can respond to attacks by suing for defamation.

A scientist defamed can publish a thousand peer-reviewed articles in the effort to clear his or her name, but when scientists and lawyers join forces, disinformation can more readily be defeated. What’s disheartening is that it took more than a decade and countless hours by a team of lawyers to win a jury verdict in our case when the verdict on human-caused global warming was rendered decades ago.

Nearly 60 years ago, in fact, scientists warned President Lyndon Johnson that the continued combustion of fossil fuels would cause irreversible warming of the Earth’s atmosphere, with consequences we are seeing today. Concentrations of carbon dioxide then were at 320 parts per million in the atmosphere, compared to preindustrial levels of approximately 280 p.p.m.

Three decades later, with atmospheric carbon dioxide at 370 p.p.m., Dr. Mann, then a young postdoc, and two veteran climatologists, Raymond Bradley and Malcolm Hughes, published the first version of a graph that resembled an upturned hockey stick.

The handle of the stick charted the relatively constant temperatures of preindustrial times, while the upturned blade showed a rapid warming that began with the Industrial Revolution. To assemble the graph, they used natural temperature archives such as tree rings, corals and sediment and ice cores to estimate global temperatures back in time. The hockey stick graph soon became what a 2013 article in The Atlantic called “ the most controversial chart in science.”

“Climate deniers threw everything they had at the hockey stick,” the author, Chris Mooney, now a climate reporter at The Washington Post, wrote. They failed to disprove it — but “they certainly sowed plenty of doubt in the mind of the public,” he noted.

Which, of course, was the point. And that brings us back to our case.

In 2012, with atmospheric carbon dioxide having risen to nearly 400 p.p.m., the two blog posts attacking the hockey stick graph appeared, comparing Dr. Mann, then a professor at Penn State, to Jerry Sandusky, an assistant football coach at Penn State who had been convicted of abusing young boys.

As a jury has now decided, those posts were defamatory and were published with actual malice — meaning the defendants either knew the allegations were false or showed reckless disregard for the truth, a difficult hurdle for plaintiffs considered public figures to clear. But we did. And the hockey stick graph in the meantime has become firmly ensconced in the wall of evidence that burning fossil fuels is warming the planet at a pace and scale unseen.

Yet the machinery of disinformation, waged in part by the fossil fuel industry, continues to seed doubt, divert attention and delay action. Indeed, one of the defendants said in court that he stood by “every word I wrote about Michael Mann” and “his fraudulent hockey stick.” Both defendants are likely to appeal.

As of Tuesday, atmospheric concentrations of carbon dioxide had hit 424.20 p.p.m., levels not seen for at least three million years , when Earth was warmer and the seas were much higher.

Clean energy solutions are readily available. But meaningful action in the United States, one of the world’s biggest carbon emitters, is in jeopardy of being blocked or slowed if a significant portion of the electorate does not accept the basic scientific facts and understand their implications. Voters should keep this in mind when they go to the polls later this year. With climate science still under attack and atmospheric carbon dioxide concentrations increasing, we’re running out of time.

Michael E. Mann is a professor in the Department of Earth and Environmental Science at the University of Pennsylvania and the author of “ Our Fragile Moment: How Lessons From Earth’s Past Can Help Us Survive the Climate Crisis. ” Peter J. Fontaine is chair of the environmental law practice at the law firm Cozen O’Connor and served as co-counsel for Dr. Mann in the defamation lawsuit detailed in this essay.

Source images by Roberto Machado Noa and Oleksii Polishchuk/Getty Images

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  1. पर्यावरण पर निबंध

    Essay on Environment in Hindi. पर्यावरण, पर हमारा जीवन पूरी तरह निर्भर है, क्योंकि एक स्वच्छ वातावारण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है। पर्यावरण ...

  2. पर्यावरण पर निबंध (Environment Essay in Hindi)

    पर्यावरण पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environment in Hindi, Paryavaran par Nibandh Hindi mein) पर्यावरण के इसी महत्व को समझने के लिए आज हम सब ये निबंध पढ़ेंगे जिससे ...

  3. पर्यावरण पर निबंध

    पर्यावरण पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Essay On Environment 10 Lines in Hindi) हमारे चारों ओर जो कुछ भी है, उसे पर्यावरण कहा जाता है।. पर्यावरण को स्वच्छ और हरा-भरा ...

  4. पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi (1000W)

    प्रस्तावना (पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi) प्रकृति ने हमें एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण सौंपा था। किंतु मनुष्य ने अपने लालची पन और ...

  5. पर्यावरण और विकास पर निबंध (Environment and Development Essay in Hindi)

    पर्यावरण और विकास पर निबंध (Environment and Development Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / August 25, 2018. विकास एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, हालांकि हर विकास के अपने ...

  6. पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay in Hindi)

    पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay in Hindi) By मीनू पाण्डेय / January 22, 2020. पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना ही पर्यावरण संरक्षण कहलाता है ...

  7. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)

    पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, Paryavaran Pradushan par Nibandh Hindi mein) आइए, हम छोटे और बड़े निबंधों के माध्यम से पर्यावरण ...

  8. पर्यावरण पर निबंध

    December 27, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. पर्यावरण पर निबंध | Environment Essay in Hindi हमारा जीवन पूरी तरह पर्यावरण पर निर्भर हैं, हमारे आस पास के परिवेश में उपलब्ध समस्त ...

  9. पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Save Environment Essay in Hindi)

    पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Save Environment Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / June 3, 2023. पर्यावरण का संबंध उन जीवित और गैर जीवित चीजो से है, जो कि हमारे आस-पास मौजूद ...

  10. पर्यावरण पर निबंध हिन्दी में। Essay on Environment in Hindi

    मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। - Essay on Environment in ...

  11. Environment पर निबंध, कहानी, जानकारी

    पर्यावरण पर एस्से (Essay on Environment) हर साल 5 जून को हम सभी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाते हैं। पृथ्वी पर उपस्थित सभी सजीव और निर्जीव पर्यावरण का ...

  12. पर्यावरण पर निबंध Essay on Environment in Hindi

    Essay on Environment in Hindi Environment plays an important role in the existence of living being on to the earth we all should take initiative to save our nature. ... I your writing style genuinely enjoying this web site. Brinda on May 25, 2020 at 9:19 pm excellent put up, very informative. You must continue your writing.

  13. Essay on Environment in Hindi/पर्यावरण पर निबंध/paryavaran par nibandh

    प्रदूषण पर निबन्ध | Essay on pollution in Hindi | निबंध लेखन | Essay in Hindi | Hindi Nibandh आम के बाग की सैर | अकबर बीरबल की कहानियाँ | Akbar Birbal Story in Hindi | aam ke baag ki sair akbar birbal ki kahani

  14. Essay on Environment in Hindi

    Saurabh. -. Essay on Environment in Hindi में आज हम पर्यावरण के महत्व और उसकी उपयोगिता के बारे में जानेंगे। हम सब यह बात तो जानते हैं कि हवा, पानी और अन्न के ...

  15. पर्यावरण संरक्षण पर निबंध

    Here We Share With You Environment Conservation Essay in Hindi For School Students & Kids In Pdf Format Let Read And Enjoy:-Short Essay On Environment Conservation Essay in Hindi In 300 Words. भारत में पर्यावरण के प्रति वैदिक काल से ही जागरूकता रही है ...

  16. Essay Environment in Hindi

    पर्यावरण पर निबंध 1000 शब्दों में PDF (पर्यावरण प्रदूषण / संरक्षण) Essay Environment in Hindi, पर्यावरण का जीवन में महत्व अथवा पर्यावरण संरक्षण हमारा दायित्य

  17. पर्यावरण पर निबंध

    Essay on Environment in Hindi (पर्यावरण पर निबंध). पर्यावरण से तात्पर्य , प्रकार, असंतुलन, संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण आदि के बारे में जानेगे | ... Hindi Essay Writing ...

  18. पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध Essay on Environmental Pollution in Hindi

    इस लेख में आपने पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Essay on Environmental Pollution in Hindi) पढ़ा। आशा है यह लेख आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा ...

  19. विश्व पर्यावरण दिवस 2022 पर निबंध

    विश्व पर्यावरण दिवस 2022 पर निबंध (World Environment Day Essay in Hindi) By अर्चना सिंह / January 13, 2017. जीवन को बेहतर और अधिक प्राकृतिक बनाने के लिए पूरे विश्वभर में ...

  20. Essay on Environmental Pollution in Hindi

    Short Essay on Environmental Pollution in Hindi प्रदूषण का इतिहास. वायु प्रदूषण हमेशा सभ्यताओं के साथ रहा है और पर्यावरण प्रदूषण में महत्वपूर्ण अग्रणी रहा है।

  21. Hindi Essay (Hindi Nibandh)

    आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi) सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi) बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध - (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)

  22. Opinion

    Mr. Fontaine is an environmental lawyer who served as co-counsel for Dr. Mann in the defamation case detailed in this essay. The climate is warming. Polar ice is melting, glaciers are receding ...

  23. Essay on Environment : पर्यावरण पर हिन्दी में रोचक निबंध

    पर्यावरण (Environment) शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, परि और आवरण जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास या कह लें कि जो हमारे चारों ओर है। - Essay on Environment in Hindi

  24. Environment Essay Writing In Hindi

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